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चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार

सूची चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार

चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार अथवा चीनी भाषा-परिवार (अंग्रेज़ी: Sino-Tibetan languages) दक्षिण एशिया के कुछ भागों, पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में बोली जाने वाली ४०० से अधिक भाषाओं का परिवार है। इसे बोलने वालों की मूल संख्या के आधार पर यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार के बाद दूसरा सबसे बड़ा भाषा परिवार है। चीनी-तिब्बती भाषा के मुख्य मूल भाषी विभिन्न प्रकार की चीनी भाषा (1.2 बिलियन भाषक), बर्मी (33 मिलियन) और तिब्बती भाषा (8 मिलियन) है। विभिन्न चीनी-तिब्बती भाषायें सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ छोटे समुदायों द्वारा बोली जाती हैं जिसका प्रलेखन स्पष्ट नहीं है। .

10 संबंधों: डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक, तिब्बती भाषा, तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया, बर्मी भाषा, भाषा-परिवार, हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार, आग्नेय भाषापरिवार

डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक

डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक या डिजिटल ऑब्जेक्ट आएडॅन्टीफ़ायर (डी॰ओ॰आई॰, digital object identifier) एक क्रमांक है जिसके ज़रिये किसी भी डिजिटल वस्तु (जैसे कोई चित्र, विडियो, गाना, दस्तावेज़, इत्यादि) को एक अनूठा नाम दिया जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय डी॰ओ॰आई॰ संसथान ("इंटरनैशनल डी॰ओ॰आई॰ फ़ाउन्डेशन") ने इस विधि का विकास किया और वही डी॰ओ॰आई॰ प्रणाली के साथ पंजीकृत की गयी वस्तुओं की सूची रखता है। डी॰ओ॰आई॰ के साथ दर्ज की गयी हर वस्तु के बारे में डी॰ओ॰आई॰ क्रमांक के साथ कुछ जानकारी रखी जाती है - जैसे उसका नाम, उसके सृष्टिकर्ता का नाम, सृष्टि का दिवस, इत्यादि। यह प्रणाली जनता के लिए खुली नहीं है। डी॰ओ॰आई॰ में वस्तुएँ दर्ज करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय डी॰ओ॰आई॰ संसथान के साथ नियमपत्र पर हस्ताक्षर करने होते हैं और उन्हें सालाना शुल्क देना होता है। २०१० तक अंतर्राष्ट्रीय डी॰ओ॰आई॰ संसथान के साथ लगभग ४,००० संस्थानें पंजीकृत थीं जिन्हें डी॰ओ॰आई॰ में वस्तुएँ दर्ज करने का अधिकार था और ४ करोड़ से कुछ ज़्यादा वस्तुएँ दर्ज की जा चुकी थीं। डी॰ओ॰आई॰ का एक बहुत बड़ा फ़ायदा यह है के अगर किसी चीज़ का डी॰ओ॰आई॰ क्रमांक पता हो तो उसे जल्दी से वेब पर ढूँढा जा सकता है और उसके बारे में जानकारी पाई जा सकती है। क्योंकि हर पंजीकृत चीज़ का अलग और अनूठा क्रमांक होता है इसलिए अगर किसी चीज़ का कोई साधारण सा नाम हो, जैसे "पेड़ की तस्वीर", जिस नाम से लाखों वस्तुएँ मौजूद हों, तो भी उसी एक वस्तु को ढूँढने में दिक्कत नहीं होती जिसकी ज़रुरत हो। .

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तिब्बती भाषा

तिब्बती भाषा (तिब्बती लिपि में: བོད་སྐད་, ü kä), तिब्बत के लोगों की भाषा है और वहाँ की राजभाषा भी है। यह तिब्बती लिपि में लिखी जाती है। ल्हासा में बोली जाने वाली भाषा को मानक तिब्बती माना जाता है। .

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तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार

बर्मा के भाषा-परिवार भारतीय उपमहाद्वीप के भाषा-परिवार चीन के भाषा-परिवार तिब्बती-बर्मी भाषा परिवार पूर्वी एशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया के पहाड़ी इलाक़ों और भारतीय उपमहाद्वीप में बोली जाने वाली लगभग ४०० भाषाओं का एक भाषा-परिवार है। इसका नाम इस परिवार की दो सब से ज़्यादा बोली जाने वाली भाषाओं पर रखा गया है - तिब्बती भाषा (जो ८० लाख से अधिक लोग बोलते हैं) और बर्मी भाषा (जो ३.२ करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं)। यह भाषा-परिवार चीनी-तिब्बती भाषा परिवार की एक उपशाखा है, लेकिन चीनी भाषा और इन भाषाओँ में बहुत अंतर है।, Austin Hale, Walter de Gruyter, 1982, ISBN 978-90-279-3379-9 .

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दक्षिण एशिया

thumb दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है जिनमें कुछ अन्य अगल-बगल के देश भी जोड़ लिये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। कभी कभी इसमें अफगानिस्तान और म्याँमार को भी जोड़ लेते हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन सार्क भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं.

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दक्षिण पूर्व एशिया

दक्षिण पूर्व एशिया या दक्षिण पूर्वी एशिया एशिया का एक उपभाग है, जिसके अंतर्गत भौगोलिक दृष्टि से चीन के दक्षिण, भारत के पूर्व, न्यू गिनी के पश्चिम और ऑस्ट्रेलिया के उत्तर के देश आते हैं। यह क्षेत्र भूगर्भीय प्लेटों के चौराहे पर स्थित है, जिसकी वजह से इस क्षेत्र में भारी भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियाँ होती हैं। दक्षिण पूर्व एशिया को दो भौगोलिक भागों में बांटा जा सकता है: मुख्यभूमि दक्षिण पूर्व एशिया, जिसे इंडोचायना भी कहते हैं, के अन्दर कंबोडिया, लाओस, बर्मा (म्यांमार), थाईलैंड, वियतनाम और प्रायद्वीपीय मलेशिया आते हैं और समुद्री दक्षिण पूर्व एशिया, जिसमें ब्रुनेई, पूर्व मलेशिया, पूर्वी तिमोर, इंडोनेशिया, फिलीपींस, क्रिसमस द्वीप और सिंगापुर शामिल हैं। श्रेणी:दक्षिण पूर्व एशिया श्रेणी:एशिया के क्षेत्र.

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पूर्वी एशिया

श्रेणी:एशिया.

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बर्मी भाषा

बर्मी भाषा बोलने वाले क्षेत्र बर्मी भाषा (बर्मी भाषा में: မြန်မာဘာသာ / म्रन्माभासा), स्वतंत्र देश म्यांमार (बर्मा) की राजभाषा है। यह मुख्य रूप से ब्रह्मदेश (बर्मा का संस्कृत नाम) में बोली जाती है। म्यांमार की सीमा से सटे भारतीय राज्यों असम, मणिपुर एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भी कुछ लोग इस भाषा का प्रयोग करते हैं। .

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भाषा-परिवार

विश्व के प्रमुख भाषाकुलों के भाषाभाषियों की संख्या का पाई-चार्ट आपस में सम्बंधित भाषाओं को भाषा-परिवार कहते हैं। कौन भाषाएँ किस परिवार में आती हैं, इनके लिये वैज्ञानिक आधार हैं। इस समय संसार की भाषाओं की तीन अवस्थाएँ हैं। विभिन्न देशों की प्राचीन भाषाएँ जिनका अध्ययन और वर्गीकरण पर्याप्त सामग्री के अभाव में नहीं हो सका है, पहली अवस्था में है। इनका अस्तित्व इनमें उपलब्ध प्राचीन शिलालेखो, सिक्कों और हस्तलिखित पुस्तकों में अभी सुरक्षित है। मेसोपोटेमिया की पुरानी भाषा ‘सुमेरीय’ तथा इटली की प्राचीन भाषा ‘एत्रस्कन’ इसी तरह की भाषाएँ हैं। दूसरी अवस्था में ऐसी आधुनिक भाषाएँ हैं, जिनका सम्यक् शोध के अभाव में अध्ययन और विभाजन प्रचुर सामग्री के होते हुए भी नहीं हो सका है। बास्क, बुशमन, जापानी, कोरियाई, अंडमानी आदि भाषाएँ इसी अवस्था में हैं। तीसरी अवस्था की भाषाओं में पर्याप्त सामग्री है और उनका अध्ययन एवं वर्गीकरण हो चुका है। ग्रीक, अरबी, फारसी, संस्कृत, अंग्रेजी आदि अनेक विकसित एवं समृद्ध भाषाएँ इसके अन्तर्गत हैं। .

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हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार

हिन्द - यूरोपीय भाषाओं देश बोल रही हूँ. गाढ़े हरे रंग के देश में जो बहुमत भाषा हिन्द - यूरोपीय परिवार हैं, लाइट ग्रीन एक देश वह जिसका आधिकारिक भाषा हिंद- यूरोपीय है, लेकिन अल्पसंख्यकों में है। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा-परिवार संसार का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बंधित भाषाओं का समूह) हैं। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं। आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं: हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि। ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है, उसे आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा का नाम दे सकता है। यह संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती थी, जैसे कि वह सांस्कृत का ही आदिम रूप हो। .

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आग्नेय भाषापरिवार

ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाएँ​ (Austro-Asiatic languages) या मोन-ख्मेर भाषाएँ या आग्नेय भाषाएँ दक्षिण-पूर्वी एशिया में विस्तृत एक भाषा परिवार है भाषाएँ भारत और बंगलादेश में जहाँ-तहाँ और चीन की कुछ दक्षिणी सीमावर्ती क्षेत्रों में भी बोलीं जाती हैं। इनमें केवल ख्मेर, वियतनामी और मोन का लम्बा लिखित इतिहास है और केवल ख्मेर और वियतनामी को अपने क्षेत्रों में सरकारी भाषा होने का दर्जा प्राप्त है। अन्य सभी भाषाएँ अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा बोली जाती हैं। कुल मिलाकर ऍथनोलॉग भाषा सूची में इस परिवार की १६८ सदस्य भाषाएँ गिनी गई हैं। भारत में खासी और मुंडा भाषाएँ इस परिवार में आती हैं। .

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