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ताइवान

सूची ताइवान

ताइवान द्वीप की स्थिति ताइवान का मानचित्र ताइवान या ताईवान (चीनी: 台灣) पूर्व एशिया में स्थित एक द्वीप है। यह द्वीप अपने आसपास के कई द्वीपों को मिलाकर चीनी गणराज्य का अंग है जिसका मुख्यालय ताइवान द्वीप ही है। इस कारण प्रायः 'ताइवान' का अर्थ 'चीनी गणराज्य' से भी लगाया जाता है। यूं तो ऐतिहासिक तथा संस्कृतिक दृष्टि से यह मुख्य भूमि (चीन) का अंग रहा है, पर इसकी स्वायत्ता तथा स्वतंत्रता को लेकर चीन (जिसका, इस लेख में, अभिप्राय चीन का जनवादी गणराज्य से है) तथा चीनी गणराज्य के प्रशासन में विवाद रहा है। ताइवान की राजधानी है ताइपे। यह देश का वित्तीय केन्द्र भी है और यह नगर देश के उत्तरी भाग में स्थित है। यहाँ के निवासी मूलत: चीन के फ्यूकियन (Fukien) और क्वांगतुंग प्रदेशों से आकर बसे लोगों की संतान हैं। इनमें ताइवानी वे कहे जाते हैं, जो यहाँ द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व में बसे हुए हैं। ये ताइवानी लोग दक्षिण चीनी भाषाएँ जिनमें अमाय (Amoy), स्वातोव (Swatow) और हक्का (Hakka) सम्मिलित हैं, बोलते हैं। मंदारिन (Mandarin) राज्यकार्यों की भाषा है। ५० वर्षीय जापानी शासन के प्रभाव में लोगों ने जापानी भी सीखी है। आदिवासी, मलय पोलीनेशियाई समूह की बोलियाँ बोलते हैं। .

15 संबंधों: च्यांग काई शेक, चीनी भाषा, चीनी जनवादी गणराज्य, चीनी गणराज्य, एशिया, तांग राजवंश, ताइपे, द्वितीय विश्वयुद्ध, द्वीप, प्रथम चीन-जापान युद्ध, मिंग राजवंश, मंगोल, जापान, जापानी भाषा, काहिरा

च्यांग काई शेक

च्यांग काई शेक च्यांग काई शेक (Chiang Kai-shek; १८८७-१९७५) चीन का राजनेता एवं सैनिक नेता था जिसने १९२७ से १९७५ तक चीनी गणराज्य का नेतृत्व किया। वह चीन की राष्ट्रवादी पार्टी कुओमितांग ((KMT) के प्रभावी नेता तथा सन यात-सेन के घनिष्ठ मित्र थे। बाद में वह साम्यवादियों का कट्टर शत्रु बन गया था। .

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चीनी भाषा

चीनी भाषा (अंग्रेजी: Chinese; 汉语/漢語, पिनयिन: Hànyǔ; 华语/華語, Huáyǔ; या 中文 हुआ-यू, Zhōngwén श़ोंग-वॅन) चीन देश की मुख्य भाषा और राजभाषा है। यह संसार में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह चीन एवं पूर्वी एशिया के कुछ देशों में बोली जाती है। चीनी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में आती है और वास्तव में कई भाषाओं और बोलियों का समूह है। मानकीकृत चीनी असल में एक 'मन्दारिन' नामक भाषा है। इसमें एकाक्षरी शब्द या शब्द भाग ही होते हैं और ये चीनी भावचित्र में लिखी जाती है (परम्परागत चीनी लिपि या सरलीकृत चीनी लिपि में)। चीनी एक सुरभेदी भाषा है। .

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चीनी जनवादी गणराज्य

चीनी जनवादी गणराज्य (चीनी: 中华人民共和国) जिसे प्रायः चीन नाम से भी सम्बोधित किया जाता है, पूर्वी एशिया में स्थित एक देश है। १.३ अरब निवासियों के साथ यह विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है और ९६,४१,१४४ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ यह रूस और कनाडा के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला देश है। इतना विशाल क्षेत्रफल होने के कारण इसकी सीमा से लगते देशों की संख्या भी विश्व में सर्वाधिक (रूस के बराबर) है जो इस प्रकार है (उत्तर से दक्षिणावर्त्त): रूस, मंगोलिया, उत्तर कोरिया, वियतनाम, लाओस, म्यान्मार, भारत, भूटान, नेपाल, तिबत देश,पाकिस्तान, अफ़्गानिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और कज़ाख़िस्तान। उत्तर पूर्व में जापान और दक्षिण कोरिया मुख्य भूमि से दूरी पर स्थित हैं। चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना १ अक्टूबर, १९४९ को हुई थी, जब साम्यवादियों ने गृहयुद्ध में कुओमिन्तांग पर जीत प्राप्त की। कुओमिन्तांग की हार के बाद वे लोग ताइवान या चीनी गणराज्य को चले गए और मुख्यभूमि चीन पर साम्यवादी दल ने साम्यवादी गणराज्य की स्थापना की। लेकिन चीन, ताईवान को अपना स्वायत्त क्षेत्र कहता है जबकि ताइवान का प्रशासन स्वयं को स्वतन्त्र राष्ट्र कहता है। चीनी जनवादी गणराज्य और ताइवान दोनों अपने-अपने को चीन का वैध प्रतिनिधि कहते हैं। चीन विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो अभी भी अस्तित्व में है। इसकी सभ्यता ५,००० वर्षों से अधिक भी पुरानी है। वर्तमान में यह एक "समाजवादी गणराज्य" है, जिसका नेतृत्व एक दल के हाथों में है, जिसका देश के २२ प्रान्तों, ५ स्वायत्तशासी क्षेत्रों, ४ नगरपालिकाओं और २ विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों पर नियन्त्रण है। चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य भी है। यह विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक और दूसरा सबसे बड़ा आयातक है और एक मान्यता प्राप्त नाभिकीय महाशक्ति है। चीनी साम्यवादी दल के अधीन रहकर चीन में "समाजवादी बाज़ार अर्थव्यवस्था" को अपनाया जिसके अधीन पूंजीवाद और अधिकारवादी राजनैतिक नियन्त्रण सम्मित्लित है। विश्व के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक ढाँचे में चीन को २१वीं सदी की अपरिहार्य महाशक्ति के रूप में माना और स्वीकृत किया जाता है। यहाँ की मुख्य भाषा चीनी है जिसका पाम्परिक तथा आधुनिक रूप दोनों रूपों में उपयोग किया जाता है। प्रमुख नगरों में बीजिंग (राजधानी), शंघाई (प्रमुख वित्तीय केन्द्र), हांगकांग, शेन्ज़ेन, ग्वांगझोउ इत्यादी हैं। .

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चीनी गणराज्य

चीनी गणराज्य या ताइवान (अंग्रेज़ी:Taiwan, चीनी:台灣) पूर्वी एशिया का एक देश है। यह ताइवान द्वीप तथा कुछ अन्य द्वीपों से मिलकर बना है। इसका प्रशासनिक मुख्यालय ताइवान द्वीप है। इसके पश्चिम में चीनी जनवादी गणराज्य (चीन), उत्तर-पूर्व में जापान, दक्षिण में फिलीपींस है। 1949 में चीन के गृहयुद्ध के बाद ताइवान चीन से अलग हो गया था लेकिन चीन अब भी इसे अपना ही एक असंतुष्ट राज्य कहता है और आज़ादी के ऐलान होने पर चीन ने हमले की धमकी दे रखी है। ताइवान वह देश है जो विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या तथा सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होते हुए भी संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य नहीं है। यूं तो नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि यह चीन का सरकारी नाम है पर वास्तव में ये चीन की लगभग सम्पूर्ण भूमि पर समाजवादियों के अधिपत्य हो जाने के बाद बचे शेष चीन का प्रशासनिक नाम है। यह चीन के वास्तविक भूभाग के बहुत कम भाग में फैला है और महज कुछ द्वीपों से मिलकर बना है। चीन के मुख्य भूभाग पर स्थपित प्रशासन का आधिकारिक नाम जनवादी गणराज्य चीन है और यह लगभग सम्पूर्ण चीन के अलावा तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान तथा आंतरिक मंगोलिया पर भी शासन करता है तथा ताईवान पर भी अपना दावा करता है। .

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एशिया

एशिया या जम्बुद्वीप आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएं यूरोप से मिलती हैं, हालाँकि इन दोनों के बीच कोई सर्वमान्य और स्पष्ट सीमा नहीं निर्धारित है। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी यूरेशिया भी कहा जाता है। एशियाई महाद्वीप भूमध्य सागर, अंध सागर, आर्कटिक महासागर, प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत शृंखला और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से एशिया को यूरोप से अलग करते है। कुछ सबसे प्राचीन मानव सभ्यताओं का जन्म इसी महाद्वीप पर हुआ था जैसे सुमेर, भारतीय सभ्यता, चीनी सभ्यता इत्यादि। चीन और भारत विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भी हैं। पश्चिम में स्थित एक लंबी भू सीमा यूरोप को एशिया से पृथक करती है। तह सीमा उत्तर-दक्षिण दिशा में नीचे की ओर रूस में यूराल पर्वत तक जाती है, यूराल नदी के किनारे-किनारे कैस्पियन सागर तक और फिर काकेशस पर्वतों से होते हुए अंध सागर तक। रूस का लगभग तीन चौथाई भूभाग एशिया में है और शेष यूरोप में। चार अन्य एशियाई देशों के कुछ भूभाग भी यूरोप की सीमा में आते हैं। विश्व के कुल भूभाग का लगभग ३/१०वां भाग या ३०% एशिया में है और इस महाद्वीप की जनसंख्या अन्य सभी महाद्वीपों की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है, लगभग ३/५वां भाग या ६०%। उत्तर में बर्फ़ीले आर्कटिक से लेकर दक्षिण में ऊष्ण भूमध्य रेखा तक यह महाद्वीप लगभग ४,४५,७९,००० किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने में कुछ विशाल, खाली रेगिस्तानों, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वतों और कुछ सबसे लंबी नदियों को समेटे हुए है। .

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तांग राजवंश

तांग राजवंश (चीनी: 唐朝, तांग चाओ) चीन का एक राजवंश था, जिसका शासनकाल सन् ६१८ ईसवी से सन्न ९०७ ईसवी तक चला। इनसे पहले सुई राजवंश का ज़ोर था और इनके बाद चीन में पाँच राजवंश और दस राजशाहियाँ नाम का दौर आया। तांग राजवंश की नीव 'ली' (李) नामक परिवार ने रखी जिन्होनें सुई साम्राज्य के पतनकाल में सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिए। इस राजवंश के शासन में लगभग १५ साल का एक अंतराल आया था, जो ८ अक्टूबर ६९० से ३ मार्च ७०५ तक चला, जिसमें दुसरे झऊ राजवंश की महारानी वू ज़ेतियाँ ने कुछ समय के लिए राजसिंहासन पर नियंत्रण हासिल कर लिया।, Tonia Eckfeld, Psychology Press, 2005, ISBN 978-0-415-30220-3, Dora Shu-fang Dien, Wu hou (Empress of China), Nova Science Publishers, 2003, ISBN 978-1-59033-804-9 तांग साम्राज्य ने शिआन के शहर को अपनी राजधानी बनाया और इस समय शिआन दुनिया का सब से बड़ा नगर था। इस दौर को चीनी सभ्यता की चरम सीमा माना जाता है। चीन में पूर्व के हान राजवंश को इतनी इज़्ज़त से याद किया जाता है कि उनके नाम पर चीनी जाति को हान चीनी बुलाया जाने लगा, लेकिन तांग राजवंश को उनके बराबर का या उनसे भी महान वंश समझा जाता है। ७वीं और ८वीं शताब्दियों में तांग साम्राज्य ने चीन में जनगणना करवाई और उन से पता चलता है कि उस समय चीन में लगभग ५ करोड़ नागरिकों के परिवार पंजीकृत थे। ९वीं शताब्दी में वे जनगणना पूरी तो नहीं करवा पाए लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि देश में ख़ुशहाली होने से आबादी बढ़कर ८ करोड़ तक पहुँच चुकी थी। इस बड़ी जनसँख्या से तांग राजवंश लाखों सैनिकों की बड़ी फौजें खड़ी कर पाया, जिनसे मध्य एशिया के इलाक़ों में और रेशम मार्ग के बहुत मुनाफ़े वाले व्यापारिक रास्तों पर यह वंश अपनी धाक जमाने लगी। बहुत से क्षेत्रों के राजा तांग राजवंश को अपना मालिक मानने पर मजबूर हो गए और इस राजवंश का सांस्कृतिक प्रभाव दूर-दराज़ में कोरिया, जापान और वियतनाम पर भी महसूस किया जाने लगा। तांग दौर में सरकारी नौकरों को नियुक्त करने के लिए प्रशासनिक इम्तिहानों को आयोजित किया जाता था और उस आधार पर उन्हें सेवा में रखा जाता था। योग्य लोगों के आने से प्रशासन में बेहतरी आई। संस्कृति के क्षेत्र में इस समय को चीनी कविया का सुनहरा युग समझा जाता है, जिसमें चीन के दो सब से प्रसिद्ध कवियों - ली बाई और दू फ़ू - ने अपनी रचनाएँ रची। हान गान, झांग शुआन और झऊ फ़ंग जैसे जाने-माने चित्रकार भी तांग ज़माने में ही रहते थे। इस युग के विद्वानों ने कई ऐतिहासिक साहित्य की पुस्तकें, ज्ञानकोश और भूगोल-प्रकाश लिखे जो आज तक पढ़े जाते हैं। इसी दौरान बौद्ध धर्म भी चीन में बहुत फैला और विकसित हुआ।तांग राजवंश के काल में काफी विकास हुआ और स्थिरता आई चीन में, सिवाय अन लुशान विद्रोह और केन्द्रीय सत्ता के कमजोर होने के बाद जो के साम्राज्य के अंतिम वर्षो में हुआ। तांग शासकों ने जिएदूशी नाम के क्षेत्रीय सामंतो को नियुक्त किया अलग अलग प्रान्तों में पर ९वी सदी के अंत तक इन्होने तांग साम्राज्य के विरुद्ध युद्ध शुरू कर दिया और खुदके स्वतंत्र राज्य स्थापित किये। .

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ताइपे

ताइपे शहर का दृश्य ताइपे शहर का झण्डा ताइवान में ताइपे की स्थिति ताइपे, चीन गणराज्य (जिसे ताइवान के नाम से ज्यादा जाना जाता है) की राजधानी है। ताइपे ताइवान द्वीप के सबसे बड़े मेट्रोपोलिटन क्षेत्र का केंद्रीय शहर है। यह द्वीप के उत्तरी छोर पर, तम्सुई नदी के किनारे पर स्थित है। ताइपे शहर की आबादी २६,१८,७७२ है। ताइपे, नया ताइपे और कीलूंग मिलकर "ताइपे मेट्रोपोलिटन क्षेत्र" बनाते हैं, जिसकी कुल आबादी ६९,००,२७३ है। केवल "ताइपे" शब्द का प्रयोग मुख्यतः मेट्रोपोलिटन क्षेत्र के लिए और "ताइपे शहर" शब्द का प्रयोग सिर्फ शहर के लिए किया जाता है। ताइपे शहर चारों और से नया ताइपे से घिरा हुआ है। ताइपे ताइवान की राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्रबिंदु है। यह शहर मध्य-पूर्वी एशिया के प्रमुख शहरों में से एक है। यहाँ दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची इमारत है, जिसका नाम ताइपे १०१ है। .

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द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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द्वीप

फीजी का एक लघु द्वीप एड्रियाटिक सागर का एक द्वीप समुई द्वीप, थाईलैंड संयुक्त राज्य के निचले सैरैनैक झील में एक द्वीप द्वीप स्थलखण्ड के एसे भाग होतें हैं, जिनके चारों ओर जल का विस्तार पाया जाता हैं। आकार में द्वीप छोटे भी हो सकते हैं तथा बड़े भी। इनका आकार कुछ वर्ग मीटर से लेकर ह्ज़ारों वर्ग किलोमीटर तक पाया जाता हैं। .

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प्रथम चीन-जापान युद्ध

चीन-जापान युद्ध 1894-95 के दौरान चीन और जापान के मध्य कोरिया पर प्रशासनिक तथा सैन्य नियंत्रण को लेकर लड़ा गया था। जापान की मेइजी सेना इसमें विजयी हुई थी और युद्ध के परिणाम स्वरूप कोरिया, मंचूरिया तथा ताईवान का नियंत्रण जापान के हाथ में चला गया। इस युद्ध में हारने के कारण चीन को जापान के आधुनिकीकरण का लाभ समझ में आया और बाद में चिंग राजवंश के खिलाफ़ 1911 मे क्रांति हुई। इसे प्रथम चीन-जापान युद्ध का नाम भी दिया जाता है। 1937-45 के मध्य लड़े गए युद्ध को द्वितीय चीन-जापान युद्ध कहा जाता है। .

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मिंग राजवंश

मिंग साम्राज्य अपनी चरम सीमा पर मिंग साम्राज्य (चीनी: 明朝) चीन के मिंग राजवंश द्वारा सन् 1368-1644 ई॰ के समय में शासित एक साम्राज्य था। इन्होनें मोंगोलो के युआन राजवंश के ख़ात्मे पर चीन पर अपना राज शुरू कर दिया। हान नस्ल के चीनियों का यह आख़री चीनी राजवंश था। मिंग दौर में चीन को बहुत ही सकारात्मक और सफल सरकार मिली और इस अंतराल में चीन ने आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक और सैन्य क्षेत्रों में बहुत तरक्की करी। कुछ इतिहासकारों का समझना है कि "पूरी मनुष्य जाति के इतिहास में यह व्यवस्थित शासन और सामाजिक संतुलन का एक महान दौर था"। .

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मंगोल

चंगेज़ ख़ान एक पारम्परिक मंगोल घर, जिसे यर्त कहते हैं मंगोल मध्य एशिया और पूर्वी एशिया में रहने वाली एक जाति है, जिसका विश्व इतिहास पर गहरा प्रभाव रहा है। भारतीय उपमहाद्वीप में इस जाति को मुग़ल के नाम से जाना जाता था, जिस से मुग़ल राजवंश का नाम भी पड़ा। आधुनिक युग में मंगोल लोग मंगोलिया, चीन और रूस में वास करते हैं। विश्व भर में लगभग १ करोड़ मंगोल लोग हैं। शुरु-शुरु में यह जाति अर्गुन नदी के पूर्व के इलाकों में रहा करती थी, बाद में वह वाह्य ख़िन्गन पर्वत शृंखला और अल्ताई पर्वत शृंखला के बीच स्थित मंगोलिया पठार के आर-पार फैल गई। मंगोल जाति के लोग ख़ानाबदोशों का जीवन व्यतीत करते थे और शिकार, तीरंदाजी व घुड़सवारी में बहुत कुशल थे। १२वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इसके मुखिया तेमूचीन ने तमाम मंगोल कबीलों को एक किया। .

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जापान

जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .

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जापानी भाषा

जापानी भाषा (जापानी: 日本語 नीहोंगो) जापान देश की मुख्यभाषा और राजभाषा है। द्वितीय महायुद्ध से पहले कोरिया, फार्मोसा और सखालीन में भी जापानी बोली जाती थी। अब भी कोरिया और फार्मोसा में जापानी जाननेवालों की संख्या पर्याप्त है, परंतु धीरे धीरे उनकी संख्या कम होती जा रही है। भाषाविद इसे 'अश्लिष्ट-योगात्मक भाषा' मानते हैं। जापानी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में नहीं आती। भाषाविद इसे ख़ुद की जापानी भाषा-परिवार में रखते हैं (कुछ इसे जापानी-कोरियाई भाषा-परिवार में मानते हैं)। ये दो लिपियों के मिश्रण में लिखी जाती हैं: कांजी लिपि (चीन की चित्र-लिपि) और काना लिपि (अक्षरी लिपि जो स्वयं चीनी लिपिपर आधारित है)। इस भाषा में आदर-सूचक शब्दों का एक बड़ा तंत्र है और बोलने में "पिच-सिस्टम" ज़रूरी होता है। इसमें कई शब्द चीनी भाषा से लिये गये हैं। जापानी भाषा किस भाषा कुल में सम्मिलित है इस संबंध में अब तक कोई निश्चित मत स्थापित नहीं हो सका है। परंतु यह स्पष्ट है कि जापानी और कोरियाई भाषाओं में घनिष्ठ संबंध है और आजकल अनेक विद्वानों का मत है कि कोरियाई भाषा अलटाइक भाषाकुल में संमिलित की जानी चाहिए। जापानी भाषा में भी उच्चारण और व्याकरण संबंधी अनेक विशेषताएँ है जो अन्य अलटाइ भाषाओं के समान हैं परंतु ये विशेषताएँ अब तक इतनी काफी नहीं समझी जाती रहीं जिनमें हम निश्चित रूप से कह सकें कि जापानी भाषा अलटाइक भाषाकुल में ऐ एक है। हाइकु इसकी प्रमुख काव्य विधा है। .

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काहिरा

काहिरा एक शहर का नाम है। नील नदी के किराने बसा काहिरा अफ्रीका महाद्वीप का सबसे बड़ा नगर है। अपने 3000 सालों के इतिहास में यह विभिन्न मिस्र शासकों के राज्य की राजधानी रहा। ब्रिटिश काल में भी इसका महत्व बरकरार रहा। मिस्र की राजधानी काहिरा आज औद्योगिकीकरण का प्रतीत है। यह मिस्र की राजनीति, अर्थव्यवस्था और सांस्कूतिक गतिविधियों का केंद्र व प्रमुख पर्यटन केंद्र है। यहां के पिरामिड तो विश्‍व प्रसिद्ध हैं ही, यहां के संग्रहालयों और मस्जिदों में मिस्र की संस्कृति के दर्शन होते हैं। यहां के कुछ प्रमुख जगहों का जिक्र किया जाए तो ये नाम सामने आते हैं: .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

Taiwan, ताईवान, ताइवान द्वीप, तइवान, चीन गणराज्य

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