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विद्युत चाप भट्ठी

सूची विद्युत चाप भट्ठी

विद्युत चाप भट्ठी का योजना-आरेख विद्युत चाप भट्ठी (Electric arc furnace) में विद्युत्‌ चाप द्वारा उत्पन्न ऊष्मा का उपयोग किया जाता है। चाप दो इलेक्ट्रोडों के बीच उत्पन्न की जाती है, अथवा इलेक्ट्रोड एवं धान (charge) के बीच। इन भट्ठियों में प्रतिरोध भट्ठियों की अपेक्षा अधिक ऊष्मा उत्पन्न जा सकती है। ये भट्ठियाँ मुख्यतया लौहिक धातुओं, अथवा उनकी मिश्रधातुओं को पिघलाने के लिए काम में आती हैं। इनका संभरण (supply) कम वोल्टता तथा अधिक धारा का होता है। अत:, इसे सामान्य संभरण से विशेष परिणामित्र (transformer) द्वारा प्राप्त किया जाता है। इलेक्ट्रोड, सामान्यत:, कार्बन के होते हैं, परंतु बहुत सी भट्ठियों में उपयुक्त धातु के भी बने होते हैं, जो चाप उत्पन्न होने पर धीरे धीरे स्वयं भी उपयुक्त हो जाते हैं। धारा प्रवाहित होने पर चाप द्वारा, इलेक्ट्रोड के सिरे धीरे-धीरे क्षत हो जाते हैं। इस प्रकार चाप की लंबाई बढ़ जाती है और चाप बुझ भी जा सकती हैं। अत:, इन भट्ठियों में एलेक्ट्रोडों को धीरे धीरे आगे बढ़ाने की व्यवस्था भी करती है। .

3 संबंधों: ऊष्मा, ट्राँसफार्मर, विद्युत्‌ भट्ठी

ऊष्मा

इस उपशाखा में ऊष्मा ताप और उनके प्रभाव का वर्णन किया जाता है। प्राय: सभी द्रव्यों का आयतन तापवृद्धि से बढ़ जाता है। इसी गुण का उपयोग करते हुए तापमापी बनाए जाते हैं। ऊष्मा या ऊष्मीय ऊर्जा ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं। .

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ट्राँसफार्मर

---- एक छोटे ट्रांसफॉर्मर का स्वरूप ट्रान्सफार्मर या परिणामित्र एक वैद्युत मशीन है जिसमें कोई चलने या घूमने वाला अवयव नहीं होता। विद्युत उपकरणों में सम्भवतः ट्रान्सफार्मर सर्वाधिक व्यापक रूप से प्रयुक्त विद्युत साषित्र (अप्लाएन्स) है। यह किसी एक विद्युत परिपथ (circuit) से अन्य परिपथ में विद्युत प्रेरण द्वारा परस्पर जुडे हुए चालकों के माध्यम से विद्युत उर्जा स्थान्तरित करता है। ट्रांसफार्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा या विभवान्तर के साथ कार्य कर सकता है, एकदिश (direct) के साथ नहीं। ट्रांसफॉर्मर एक-फेजी, तीन-फेजी या बहु-फेजी हो सकते है। यह सभी विद्युत मशीनों में सर्वाधिक दक्ष (एफिसिएंट) मशीन है। आधुनिक युग में परिणामित्र वैद्युत् तथा इलेक्ट्रॉनी उद्योगों का अभिन्न अंग बन गया है। किसी ट्रान्सफार्मर में एक, दो या अधिक वाइन्डिंग हो सकती हैं। दो वाइंडिंग वाले ट्रान्सफार्मर के प्राथमिक (प्राइमरी) एवं द्वितियक (सेकेण्डरी) वाइण्डिंग के फेरों (टर्न्स) की संख्या एवं उनके विभवान्तरों में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है: \frac .

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विद्युत्‌ भट्ठी

विद्युत्‌ भट्ठियाँ (Electric Furnace) सामान्यत: धातु खनिजों और धातुओं को पिघलाने के लिए प्रयुक्त की जाती हैं। विद्युत्‌ ऊर्जा से उत्पन्न हुई ऊष्मा विद्युतधारा के वर्ग के अनुपात में होती है। विद्युत्‌ भट्ठियाँ कोयले की भट्ठियों से अधिक ऊष्मा उत्पन्न कर सकती हैं और आकार में भी छोटी होती हैं। ये हानिकारक धुएँ अथवा गैसें नहीं उत्पन्न करतीं, परंतु इनका मुख्य लाभ इनमें सरलता से ऊष्मा नियंत्रण करने का है। धारा का परिवर्तन कर ऊष्मा का नियंत्रण बहुत सरलता से किया जाता है। इनका दूरस्थ नियंत्रण (remote control) और स्वत: चालन (automatic action) भी किया जा सकता है। इन कारणों से विद्युत्‌ भट्ठियाँ सामान्य उपयोग में आ गई हैं। विद्युत्‌ भट्ठियों के बहुत से परिष्कृत रूप अब सामान्य हो गए हैं और ज्यों ज्यों विद्युत्‌ शक्ति संभरण आर्थिक दृष्टिकोण से सस्ता होता जाता है, विद्युत्‌ भट्ठियों का प्रयोग निरंतर बढ़ता ही जाता है। .

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