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वैद्य की शपथ

सूची वैद्य की शपथ

भारत में वैद्य १५वीं शताब्दी ईसापूर्व से एक शपथ लेते रहे हैं जिसमें मांसभक्षण न करना, मद्यपान न करना और मिलावट न करना सम्मिलित है। इसके अलावा वैद्य को शपथ लेनी होती थी कि वे रोगियों का अहित नहीं करेंगे और अपने जीवन का खतरा लेकर भी उनकी देखभाल करेंगे। इस सम्बन्ध में चरकसंहिता में कुछ निर्देश और प्रतिज्ञाएँ दी गयीं हैं। चरक ने लिखा है कि विद्यार्थी को चाहिये कि स्नान-ध्यान करके अपने शरीर को पवित्र करे, यज्ञ द्वा देवताओं को प्रसन्न करे, फिर गुरु का आशीर्वाद लेकर यह प्रतिज्ञा करे- (चरकसंहिता, विमानस्थान, अध्याय ८, अनुच्छेद १३) चरकसंहिता में इन प्रतिज्ञाओं की सूची बहुत विस्तृत है, यह इस प्रकार है- उक्त शपथ तथा हिपोक्रीत्ज़ की शपथ में समानता ध्यान देने योग्य है। .

17 संबंधों: चरक संहिता, परगमन, पाप, ब्रह्मचारी, ब्राह्मण, भारत, मद्यव्यसनिता, मांस, मिलावट, शपथ, शराब, सत्य, हिपोक्रीत्ज़ की शपथ, वैद्य, गाय, गुरु, आशीर्वाद

चरक संहिता

चरक संहिता आयुर्वेद का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। यह संस्कृत भाषा में है। इसके उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश और प्रतिसंस्कारक चरक हैं। प्राचीन वाङ्मय के परिशीलन से ज्ञात होता है कि उन दिनों ग्रंथ या तंत्र की रचना शाखा के नाम से होती थी। जैसे कठ शाखा में कठोपनिषद् बनी। शाखाएँ या चरण उन दिनों के विद्यापीठ थे, जहाँ अनेक विषयों का अध्ययन होता था। अत: संभव है, चरकसंहिता का प्रतिसंस्कार चरक शाखा में हुआ हो। भारतीय चिकित्साविज्ञान के तीन बड़े नाम हैं - चरक, सुश्रुत और वाग्भट। चरक संहिता, सुश्रुतसंहिता तथा वाग्भट का अष्टांगसंग्रह आज भी भारतीय चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) के मानक ग्रन्थ हैं। चिकित्सा विज्ञान जब शैशवावस्था में ही था उस समय चरकसंहिता में प्रतिपादित आयुर्वेदीय सिद्धान्त अत्यन्त श्रेष्ठ तथा गंभीर थे। इसके दर्शन से अत्यन्त प्रभावित आधुनिक चिकित्साविज्ञान के आचार्य प्राध्यापक आसलर ने चरक के नाम से अमेरिका के न्यूयार्क नगर में १८९८ में 'चरक-क्लब्' संस्थापित किया जहाँ चरक का एक चित्र भी लगा है। आचार्य चरक और आयुर्वेद का इतना घनिष्ठ सम्बन्ध है कि एक का स्मरण होने पर दूसरे का अपने आप स्मरण हो जाता है। आचार्य चरक केवल आयुर्वेद के ज्ञाता ही नहीं थे परन्तु सभी शास्त्रों के ज्ञाता थे। उनका दर्शन एवं विचार सांख्य दर्शन एवं वैशेषिक दर्शन का प्रतिनिधीत्व करता है। आचार्य चरक ने शरीर को वेदना, व्याधि का आश्रय माना है, और आयुर्वेक शास्त्र को मुक्तिदाता कहा है। आरोग्यता को महान् सुख की संज्ञा दी है, कहा है कि आरोग्यता से बल, आयु, सुख, अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। आचार्य चरक, संहिता निर्माण के साथ-साथ जंगल-जंगल स्थान-स्थान घुम-घुमकर रोगी व्यक्ति की, चिकित्सा सेवा किया करते थे तथा इसी कल्याणकारी कार्य तथा विचरण क्रिया के कारण उनका नाम 'चरक' प्रसिद्ध हुआ। उनकी कृति चरक संहिता चिकित्सा जगत का प्रमाणिक प्रौढ़ और महान् सैद्धान्तिक ग्रन्थ है।;चरकसंहिता का आयुर्वेद को मौलिक योगदान चरकसंहिता का आयुर्वेद के क्षेत्र में अनेक मौलिक योगदान हैं जिनमें से मुख्य हैं-.

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परगमन

किन्ही दो परस्पर अविवाहित व्यक्तियों में आपसी सहमति से यौन सम्बन्ध बनाना परगमन (Fornication) कहलाता है। .

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पाप

पाप या गुनाह मनुष्य द्वारा किये गए उन कार्यों को कहा जाता है, जो किसी भी धर्म में अस्वीकार्य माने जाते हैं। वे सभी कार्य, जो अध्यात्मिक एवं सामाजिक मूल्यों का ह्रास करते हों, या आर्थिक एवं प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट करते हों, पाप या गुनाह की श्रेणी में आते हैं। वह व्यक्ति, जो पाप करता है, पापी या गुनहगार कहलाता है। .

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ब्रह्मचारी

ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों को ब्रह्मचारी कहते हैं। ब्रह्मचर्य दो शब्दो 'ब्रह्म' और 'चर्य' से बना है। ब्रह्म का अर्थ पर्मात्मा;चर्य का अर्थ विचरना, अर्थात पर्मात्मा मे विचरना, सदा उसी का ध्यान करना ही ब्रह्मचर्य कहलाता है। महाभारत के रचयिता व्यासजी ने विशेयेन्द्रिय द्वारा प्राप्त होने वाले सुख के सन्यमपूर्वक त्याग करने को ब्रह्मचर्य कहा है। शतपथ ब्राह्मण में ब्रह्मचारी की चार प्रकार की शक्तियों का उल्लेख आता है-.

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ब्राह्मण

ब्राह्मण का शब्द दो शब्दों से बना है। ब्रह्म+रमण। इसके दो अर्थ होते हैं, ब्रह्मा देश अर्थात वर्तमान वर्मा देशवासी,द्वितीय ब्रह्म में रमण करने वाला।यदि ऋग्वेद के अनुसार ब्रह्म अर्थात ईश्वर को रमण करने वाला ब्राहमण होता है। । स्कन्दपुराण में षोडशोपचार पूजन के अंतर्गत अष्टम उपचार में ब्रह्मा द्वारा नारद को द्विज की उत्त्पत्ति बताई गई है जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते। शापानुग्रहसामर्थ्यं तथा क्रोधः प्रसन्नता। ब्राह्मण (आचार्य, विप्र, द्विज, द्विजोत्तम) यह वर्ण व्‍यवस्‍था का वर्ण है। एेतिहासिक रूप हिन्दु वर्ण व्‍यवस्‍था में चार वर्ण होते हैं। ब्राह्मण (ज्ञानी ओर आध्यात्मिकता के लिए उत्तरदायी), क्षत्रिय (धर्म रक्षक), वैश्य (व्यापारी) तथा शूद्र (सेवक, श्रमिक समाज)। यस्क मुनि की निरुक्त के अनुसार - ब्रह्म जानाति ब्राह्मण: -- ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म (अंतिम सत्य, ईश्वर या परम ज्ञान) को जानता है। अतः ब्राह्मण का अर्थ है - "ईश्वर का ज्ञाता"। सन:' शब्द के भी तप, वेद विद्या अदि अर्थ है | निरंतारार्थक अनन्य में भी 'सना' शब्द का पाठ है | 'आढ्य' का अर्थ होता है धनी | फलतः जो तप, वेद, और विद्या के द्वारा निरंतर पूर्ण है, उसे ही "सनाढ्य" कहते है - 'सनेन तपसा वेदेन च सना निरंतरमाढ्य: पूर्ण सनाढ्य:' उपर्युक्त रीति से 'सनाढ्य' शब्द में ब्राह्मणत्व के सभी प्रकार अनुगत होने पर जो सनाढ्य है वे ब्राह्मण है और जो ब्राह्मण है वे सनाढ्य है | यह निर्विवाद सिद्ध है | अर्थात ऐसा कौन ब्राह्मण होगा, जो 'सनाढ्य' नहीं होना चाहेगा | भारतीय संस्कृति की महान धाराओं के निर्माण में सनाढ्यो का अप्रतिभ योगदान रहा है | वे अपने सुखो की उपेक्षा कर दीपबत्ती की तरह तिलतिल कर जल कर समाज के लिए मिटते रहे है | .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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मद्यव्यसनिता

मद्यव्यसनिता को मद्य निर्भरता के रूप में भी जाना जाता है, जो निर्योग्यकारी व्यसनकारी विकार है। शराब अर्थात अल्कोहल पीनेवाले की सेहत, संबंधों और सामाजिक हैसियत पर इसके नकारात्मक प्रभाव के बावजूद जबरदस्त और अनियंत्रित शराब सेवन द्वारा इसकी चारित्रिक विशेषता बतायी गयी है। अन्य मादक पदार्थों की लत की तरह, चिकित्साशास्त्र में मद्यव्यसनिता को चिकित्सा योग्य बीमारी के रूप परिभाषित किया गया है। "मद्यव्यसनिता" शब्द का प्रयोग व्यापक रूप से 1849 में मैग्नस हस द्वारा किया गया है, लेकिन औषधिशास्त्र में 1960 के दशक में डीएसएम III (DSM III) में इस शब्द की जगह "शराब का अपप्रयोग" और शराब पर निर्भरता" जैसी शब्दावली का प्रयोग किया गया है। इसी प्रकार 1979 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक विशेषज्ञ समिति ने इसकी नैदानिक स्थिति को देखते हुए मद्यव्यसनिता शब्द के उपयोग को पसंद नहीं किया और इसे "शराब निर्भरता सिंड्रोम" की श्रेणी में रखे जाने को वरीयता दी.

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मांस

मांस के विभिन्न प्रकार मांस का कीमा मांस, माँस या गोश्त उन जीव ऊतकों और मुख्यतः मांसपेशियों को कहते हैं, जिनका सेवन भोजन के रूप में किया जाता है। मांस शब्द, को आम बोलचाल और व्यावसायिक वर्गीकरण के आधार पर भूमि पर रहने वाले पशुओं के गोश्त के संदर्भ मे प्रयोग किया जाता है (मुख्यत: कशेरुकी: स्तनधारी, पक्षी और सरीसृप), जलीय मतस्य जीवों का मांस मछली की श्रेणी में जबकि अन्य समुद्री जीव जैसे कि क्रसटेशियन, मोलस्क आदि समुद्री भोजन की श्रेणी में आते हैं। वैसे यह वर्गीकरण पूर्णत: लागू नहीं होता और कई समुद्री स्तनधारी जीवों को कभी मांस तो कभी मछली माना जाता है। पोषाहार की दृष्टि से मानव के भोजन में मांस, प्रोटीन, वसा और खनिजों का एक आम और अच्छा स्रोत है। सभी पशुओं और पौधों से प्राप्त भोजनों में, मांस को सबसे उत्तम के साथ सबसे अधिक विवादास्पद खाद्य पदार्थ भी माना जाता है। जहां पोषण की दृष्टि से मांस एक पोषाहार हैं वहीं विभिन्न धर्म इसके सेवन से अपने अनुयायियों को दूर रहने की सलाह देते हैं। जो पशु पूर्ण रूप से अपने भोजन के लिए मांस पर निर्भर होते हैं उन्हें मांसाहारी कहा जाता है, इसके विपरीत, वनस्पति खाने वाले पशुओं को शाकाहारी कहते हैं। जो पौधे छोटे जीवों और कीड़े का सेवन करते हैं मांसभक्षी पादप कहलाते है। .

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मिलावट

धनलोलुप और भ्रष्टाचारी व्यवसायियों द्वारा खाद्य पदार्थों में अशुद्ध, सस्ती अथवा अनावश्यक वस्तुओं के मिश्रण को अपमिश्रण या अपद्रव्यीकरण या मिलावट कहते हैं। छोटे-बड़े अनेक खाद्य व्यापारी अधिक लाभ के लोभवश नाना प्रकार की युक्तियों से घटिया वस्तु को बढ़िया बताकर ऊँचे दाम पर बेचने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार का कुत्सित व्यापार समाज के सभी वर्गो में न्यूनाधिक मात्रा में व्याप्त है, जिससे जनता को उचित मूल्य देने पर भी घटिया खाद्य सामग्री मिलती है और उससे स्वास्थ्य की हानि भी होती है। .

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शपथ

शपथ (oath) का पारम्परिक अर्थ है - किसी सत्य (तथ्य) या किसी प्रतिग्या का इस प्रकार कथन कि वह पवित्र लगे। .

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शराब

सफेद मदिरा लाल मदिरा मदिरा, सुरा या शराब अल्कोहलीय पेय पदार्थ है। रम, विस्की, चूलईया, महुआ, ब्रांडी, जीन, बीयर, हंड़िया, आदि सभी एक है क्योंकि सबमें अल्कोहल होता है। हाँ, इनमें एलकोहल की मात्रा और नशा लाने कि अपेक्षित क्षमता अलग-अलग जरूर होती है परन्तु सभी को हम 'शराब' ही कहते है। कभी-कभी लोग हड़िया या बीयर को शराब से अलग समझते हैं जो कि बिलकुल गलत है। दोनों में एल्कोहल तो होता ही है। शराब अक्सर हमारे समाज में आनन्द के लिए पी जाती है। ज्यादातर शुरूआत दोस्तों के प्रभाव या दबाव के कारण होता है और बाद में भी कई अन्य कारणों से लोग इसका सेवन जारी रखते है। जैसे- बोरियत मिटाने के लिए, खुशी मनाने के लिए, अवसाद में, चिन्ता में, तीव्र क्रोध या आवेग आने पर, आत्माविश्वास लाने के लिए या मूड बनाने के लिए आदि। इसके अतिरिक्त शराब के सेवन को कई समाज में धार्मिक व अन्य सामाजिक अनुष्ठानों से भी जोड़ा जाता है। परन्तु कोई भी समाज या धर्म इसके दुरूपयोग की स्वीकृति नहीं देता है। .

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सत्य

सत्य (truth) के अलग-अलग सन्दर्भों में एवं अलग-अलग सिद्धान्तों में सर्वथा भिन्न-भिन्न अर्थ हैं। .

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हिपोक्रीत्ज़ की शपथ

हिपोक्रीत्ज़ की शपथ (Hippocratic Oath) ऐतिहासिक रूप से चिकित्सकों एवं चिकित्सा व्यसायियों द्वारा ली जाने वाली शपथ है। माना जाता है कि यह हिपोक्रीत्ज़ द्वारा लिखी गयी है। यह आयोनिक ग्रीक में लिखा गया है। इस शपथ का हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है- .

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वैद्य

आयुर्वेद या अन्य पारम्परिक चिकित्साप्रणाली का अभ्यास करने वाले चिकित्सकों को वैद्य या वैद्यराज कहते हैं। 'वैद्य' का शाब्दिक अर्थ है, 'विद्या से युक्त'। आधुनिक 'डॉक्टर' इसका पर्याय है। अधिक अनुभवी वैद्यों को 'वैद्यराज' कहते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के अपने निजी वैद्य हुआ करते थे जिन्हें 'राजवैद्य' कहते थे।.

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गाय

अभारतीय गाय जर्सीगाय गाय एक महत्त्वपूर्ण पालतू जानवर है जो संसार में प्राय: सर्वत्र पाई जाती है। इससे उत्तम किस्म का दूध प्राप्त होता है। हिन्दू, गाय को 'माता' (गौमाता) कहते हैं। इसके बछड़े बड़े होकर गाड़ी खींचते हैं एवं खेतों की जुताई करते हैं। भारत में वैदिक काल से ही गाय का विशेष महत्त्व रहा है। आरंभ में आदान प्रदान एवं विनिमय आदि के माध्यम के रूप में गाय उपयोग होता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गोसंख्या से की जाती थी। हिन्दू धार्मिक दृष्टि से भी गाय पवित्र मानी जाती रही है तथा उसकी हत्या महापातक पापों में की जाती है।; गाय व भैंस में गर्भ से संबन्धित जानकारी.

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गुरु

यह पृष्ठ गुरु शब्द के बारे में है। यदि आप मणिरत्नम द्वारा निर्मित फिल्म के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां जाएं -गुरु (फिल्म) ज्ञान गुरु है। आजकल भारत में सांसारिक अथवा पारमार्थिक ज्ञान देने वाले व्यक्ति को गुरु कहा जाता है। इनकी पांच श्रेणिया हैं। १.शिक्षक - जो स्कूलों में शिक्षा देता है। २.आचार्य - जो अपने आचरण से शिक्षा देता है। ३.कुलगुरु - जो वर्णाश्रम धर्म के अनुसार संस्कार ज्ञान देता है। ४.दीक्षा गुरु - जो परम्परा का अनुसरण करते हुए अपने गुरु के आदेश पर आध्यात्मिक उन्नति के लिए मंत्र दीक्षा देते हैं। ५. गुरु -वास्तव में यह शब्द समर्थ गुरु अथवा परम गुरु के लिए आया है। गुरु का अर्थ है भारी.

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आशीर्वाद

(संस्कृत.

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चरक शपथ

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