6 संबंधों: जड़त्वाघूर्ण, घूर्णन, गतिपालक चक्र, गतिपालक चक्र में ऊर्जा भण्डारण, गतिज ऊर्जा, कोणीय वेग।
जड़त्वाघूर्ण
रस्सी पर करतब दिखाने वाला नट रस्सी पर संतुलन बनाये रखने के लिए एक लम्बी लाठी (रॉड) का प्रयोग करता है। इसके कारण लाठी सहित उसका जडत्वाघूर्ण बहुत अधिक हो जाता है और चलते समय उत्पन्न थोड़े-थोड़े असंतुलित बलों को आसानी से संतुलित कर लेता है। किसी पिण्ड की घूर्णन की दर के परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध की माप उस पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण (Moment of inertia) कहलाता है। किसी पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण उसके आकार-प्रकार एवं उसके अन्दर द्रव्यमान के वितरण की प्रकृति पर निर्भर करता है। स्थानान्तरण गति में जो कार्य द्रव्यमान का है वही कार्य घूर्णन गति में जड़त्वाघूर्ण का होता है। जड़त्वाघूर्ण के प्रतीक के लिये I या कभी-कभी J का प्रयोग किया जाता है। जड़त्वाघूर्ण की अवधारणा का उल्लेख सबसे पहले यूलर (Euler) ने सन् १७३० में अपनी पुस्तक ' Theoria motus corporum solidorum seu rigidorum ' में किया था। .
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घूर्णन
अक्ष पर घूर्णन करती हुई पृथ्वी घूर्णन करते हुए तीन छल्ले भौतिकी में किसी त्रिआयामी वस्तु के एक स्थान में रहते हुए (लट्टू की तरह) घूमने को घूर्णन (rotation) कहते हैं। यदि एक काल्पनिक रेखा उस वस्तु के बीच में खींची जाए जिसके इर्द-गिर्द वस्तु चक्कर खा रही है तो उस रेखा को घूर्णन अक्ष कहा जाता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन करती है। .
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गतिपालक चक्र
गतिपालक चक्र यद्यपि इंजनों के शाफ्ट (लाल रंग) को पिस्टनों से मिलने वाली ऊर्जा लगातार नहीं आती बल्कि रूक-रूक कर आती है फिर भी क्रैंक शाफ्ट पर लगे गतिपालक चक्र के कारण शाफ्ट की गति को लगभग एकसमान बनी रहती है। गतिपालक चक्र या फ्लाईह्वील (flywheel) एक घूर्णन करने वाला वाला चक्र (पहिया) है जिसका उपयोग अनेक यन्त्रों में किया जाता है। घूमते हुए इस चक्र में घूर्णन की गतिज ऊर्जा संग्रहित होती है जिसके कारण यन्त्र पर लगने वाले लोड के अचानक परिवर्तन से भी इसकी गति पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। डिजाइन के समय गतिपालक चक्र का जड़त्वाघूर्ण भी अधिक रखा जाता है ताकि उसके घूर्णन की गतिज ऊर्जा एवं कोणीय संवेग अधिक रहें क्योंकि इनके अधिक रहने से यह चक्र अपने कोणीय वेग में परिवर्तन का विरोध आसानी से कर पाता है। गतिपालक चक्र में संग्रहित गतिज ऊर्जा उसके जड़त्वाघूर्ण एवं कोणीय वेग के वर्ग के गुणनफल के समानुपाती होती है। गतिपालक चक्र में ऊर्जा संग्रहित करने के लिये इस पर किसी बाहरी स्रोत के द्वारा बलाघूर्ण लगाकर इसका कोणीय वेग बढ़ाकर किया जाता है। इसके विपरीत यदि घूमते हुए किसी चक्र पर इसकी गति के विपरीत दिशा में बलाघूर्ण लगाया जाय तो यह अपनी ऊर्जा उस यान्त्रिक लोड को दे देता है जो इस पर उल्टी दिशा में बलाघूर्ण लगा रहा हो। श्रेणी:यन्त्र.
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गतिपालक चक्र में ऊर्जा भण्डारण
बेलनाकार गतिपालक-चक्र एवं रोटर की समुच्चय (असेम्बली) गतिपालक चक्र में ऊर्जा भण्डारण (Flywheel energy storage (FES)), ऊर्जा भण्डारण की वह विधि है जिसमें ऊर्जा का भण्डारण एक गतिपालक चक्र की घूर्णी ऊर्जा के रूप में किया जाता है। इसके लिये गतिपालक चक्र का कोणीय वेग धीरे-धीरे बढ़ाकर उसे अधिकतम चाल तक ले जाते हैं और इतनी ऊर्जा उसे देते रहते हैं कि उसकी चाल नियत बनी रहे। जब ऊर्जा की जरूरत होती है तब इस गतिज ऊर्जा को अन्य ऊर्जा में बदल लिया जाता है (उदाहरण के लिये, उससे एक विद्युत जनित्र जोड़कर उससे विद्युत शक्ति पैदा कर ली जाती है।)। जब इससे ऊर्जा ली जाती है तो इसकी चाल कम हो जाती है जिसे पुनः त्वरित करते हुए बढ़ाकर अधिकतम चाल तक पहुँचा दिया जाता है। .
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गतिज ऊर्जा
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है। इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है। यदि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा E हो तो उसे विरामावस्था में लाने के लिये E के बराबर ऋणात्मक कार्य करना पड़ेगा। गतिज ऊर्जा (रेखीय गति) .
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कोणीय वेग
कोणीय वेग समय के साथ ध्रुवांतर द्वारा घुमे गए कोण की दर को कोणीय वेग कहते हैं। इसका संकेत \omega है। यदि समय \mathbf में ध्रुवोत्तर कोण \mathbf से घूम गया हो, तो- \omega .
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