1 संबंध: तापन, संवातन तथा वातानुकूलन।
तापन, संवातन तथा वातानुकूलन
तापन (हीटिंग) और संवातन (वेंटिलेशन) युगों से भोजन और जीवन के साथ-साथ तापन की समस्या भी मनुष्य के मस्तिष्क को उलझाती रही है। शीत प्रदेशों में तो इसका महत्व है ही, अनेक उष्ण प्रदेशों में भी शीतकाल में तापन अनिवार्य हो जाता है। किंतु भोजन की भाँति इसके लिये मनुष्य को बाहर की ओर नहीं देखना पड़ा, क्योंकि यह शरीर स्वयं ही ऊष्मा का स्रोत है और यदि शरीर से निकलनेवाली ऊष्मा को सुरक्षित रखने के लिये आवश्यक उपाय कर लिए जाएँ तो मनुष्य की तापन समस्या हल हो जाती है। .
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