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ग्वानिडीन

सूची ग्वानिडीन

ग्वानिडीन (Guanidine) एक रासायनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र HNC(NH2)2 है। यह रंगहीन ठोस है जो ध्रुवीय विलायकों में विलेय है। यह प्रबल क्षार है जो प्लास्टिक एवं विस्फोटकों के निर्माण में प्रयुक्त होता है। यह मूत्र में सामान्य रूप से पाया जाता है और प्रोटीन के उपापचय से बनता है। श्रेणी:रासायनिक यौगिक.

7 संबंधों: प्लास्टिक, मूत्र, रासायनिक यौगिक, रासायनिक सूत्र, विलायक, विस्फोटक, क्षार

प्लास्टिक

विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक से निर्मित घरेलू वस्तुएँ प्लास्टिक (Plastic), शंश्लेषित अथवा अर्धशंश्लेषित कार्बनिक ठोस पदार्थों के एक बड़े समूह का सामान्य नाम है। इससे बहुत सारे औद्योगिक उत्पाद निर्मित होते हैं। प्लास्टिक प्रायः उच्च अणुभार वाले बहुलक होते हैं जिनमें मूल्य कम करने या अधिक कार्यक्षम बनाने के लिये कुछ अन्य पदार्थ भी मिश्रित किये जा सकते है। प्लास्टिक पदार्थ और प्लास्टिक (पदार्थों के एक गुण) अलग-अलग हैं। एक गुण के रूप में प्लास्टिक उन पदार्थों की विशेषता का द्योतक है जो अधिक खींचने या तानने (विकृति पैदा करने) से स्थायी रूप से अपना रूप बदल देते हैं और अपने मूल स्वरूप में नहीं लौट पाते। .

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मूत्र

मानव का मूत्र-तंत्र मूत्र, मानव और अन्य कशेरुकी जीवों मे वृक्क (गुर्दे) द्वारा स्रावित एक तरल अपशिष्ट उत्पाद है। कोशिकीय चयापचय के परिणामस्वरूप कई अपशिष्ट यौगिकों का निर्माण होता है, जिनमे नाइट्रोजन की मात्रा अधिक हो स्कती है और इनका रक्त परिसंचरण तंत्र से निष्कासन अति आवश्यक होता है। आयुर्वेद अनुसार मूत्र को तीन प्रकार के मलो में शामिल किया है एवं शरीर मे इसका प्रमाण 4 अंजली माना गया है । .

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रासायनिक यौगिक

दो या अधिक तत्व जब भार के अनुसार एक निश्चित अनुपात में रासायनिक बन्ध द्वारा जुड़कर जो पदार्थ बनाते हैं उसे रासायनिक यौगिक (chemical compound) कहते हैं। उदाहरण के लिये जल, साधारण नमक, गंधक का अम्ल आदि रासायनिक यौगिक हैं। .

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रासायनिक सूत्र

रासायनिक सूत्र (chemical formula) किसी रासायनिक यौगिक को इस प्रकार निरूपित करता है जिससे पता चलता है कि वह यौगिक किन-किन तत्वों के कितने-कितने परमाणुओं से मिलकर बना है। सामान्य प्रयोग में प्रायः अणुसूत्र (molecular formula) के लिये भी 'रासायनिक सूत्र' का ही प्रयोग कर दिया जाता है। उदाहरण: मिथेन का अणुसूत्र प्रा.उ4 (CH4) है जो इंगित करता है कि मिथेन का अणु कार्बन एवं हाइड्रोजन के परमाणुओं से मिलकर बना है तथा मिथेन के एक अणु में कार्बन का एक परमाणु व हाइड्रोजन के चार परमाणु होते हैं। परन्तु इस सूत्र से यह पता नहीं चलता कि कार्बन का एक परमाणु व हाइड्रोजन के ये चार परमाणु किस प्रकार व्यवस्थित हैं। अर्थात ये एक ही समतल में हैं या त्रिबिम में हैं; इनके बंधों के बीच कितना कोण है; बन्धों की लम्बाई कितनी है, आदि का अणुसूत्र से कुछ भी ज्ञान नहीं होता। कई प्रकार के रासायनिक सूत्र उपयोग किये जाते हैं जिनकी अलग-अलग उपयोगिता है और अलग-अलग जटिलता भी। बढ़ते हुए जटिलता के क्रम में ये हैं - आनुभविक सूत्र, अणुसूत्र, संरचना सूत्र। .

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विलायक

विलायक एक ऐसे पदार्थ को कहते है, जिसका उपयोग विलयन बनाने में अत्यधिक मात्रा में किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि नमक को पानी में डाला जाये तो पानी अधिक होने के कारण पानी एक विलायक कहलायेगा लेकिन उन दोनों के घुलने के कारण वह एक विलयन बन जाता है। अतः विलायक वे पदार्थ होते हैं जिनमें किसी भी विलेय को घोला जाता है। सामान्यतः एक विलायक तरल अवस्था में होता है किंतु यह ठोस अथैया गैस भी हो सकता है। जैविक विलायकों के सामान्य उपयोग रंग तरलक (तारपीन), नाखूनी हटाने वाला तरल और गोंद विलायक (एसीटोन, मिथाइल एसिटेट, इथाइल एसिटेट) के प्रमुख उपयोग दाग धब्बे हटाने के लिए (पेट्रोल ईथर) अपमार्जक (साइट्रस टेरपेन्स) और इत्र (इथेनॉल) आदि हैं। .

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विस्फोटक

विस्फोटक (explosives) कुछ यौगिक या मिश्रण ऐसे होते हैं जिनमें आग लगाने पर या अघात करने पर बड़े धमाके के साथ वे विस्फुटित होते हैं। धमाके का कारण बड़े अल्प काल में बहुत बड़ी मात्रा में गैसों का बनना होता है। ऐसे पदार्थों को "विस्फोटक" कहते हैं। आज बहुत बड़ी मात्रा में विस्फोटकों का निर्माण होता है। .

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क्षार

क्षार एक ऐसा पदार्थ है, जिसको जल में मिलाने से जल का pHमान 7.0 से अधिक हो जाता है। ब्रंस्टेड और लोरी के अनुसार, क्षार एक ऐसा पदार्थ है जो अम्लीय पदार्थों को OH- दान करते हैं। क्षारक वास्तव में वे पदार्थ हैं जो अम्ल के साथ मिलकर लवण और जल बनाते हैं। उदाहरणत:, जिंक आॅक्साइड सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ मिलकर ज़िंक सल्फेट और जल बनाता है। दाहक सोडा (कॉस्टिक सोडा), सल्फ़्यूरिक अम्ल के साथ मिलकर सोडियम सल्फेट और जल बनाता है। धातुओं के आॅक्साइड सामान्यत: क्षारक हैं। पर इसके अपवाद भी हैं। क्षारकों में धातुओं के आॅक्साइड और हाइड्राॅक्साइड हैं, पर सुविधा के लिए तत्वों के कुछ ऐसे समूह भी रखे गए हैं जो अम्लों के साथ मिलकर बिना जल बने ही लवण बनाते हैं। ऐसे क्षारकों में अमोनिया, हाइड्राॅक्सिलएमीन और फाॅस्फीन हैं। द्रव अमोनिया में घुल जाता है पर फिनोल्फथैलीन से कोई रंग नहीं देता। अत: कहाँ तक यह क्षारक कहा जा सकता है, यह बात संदिग्ध है। यद्यपि ऊपर की क्षारक की परिभाषा बड़ी असंतोषप्रद है, तथापि इससे अच्छी परिभाषा नहीं दी जा सकी है। क्षारक (बेस) और क्षार (ऐल्कैली) पर्यायवाची शब्द नहीं हैं। सब क्षार क्षारक हैं पर सब क्षारक क्षार नहीं हैं। क्षार-धातुओं के आॅक्साइड, जैसे सोडियम आॅक्साइड, जल में घुलकर हाइड्राॅक्साइड बनाते हैं। ये प्रबल क्षारकीय होते हैं। क्षारीय मृदाधातुओं के आक्साइड, जैसे कैल्सियम आॅक्साइड, जल में अल्प विलेय और अल्प क्षारीय होते हैं। अन्य धातुओं के आॅक्साइड जल में नहीं घुलते और उनके हाइड्राॅक्साइड परोक्ष रीतियों से ही बनाए जाते हैं। धातुओं के आॅक्साइड और हाइड्राॅक्साइड क्षारक होते हैं। क्षार धातुओं के आॅक्साइड जल में शीघ्र घुल जाते हैं। कुछ धातुओं के आॅक्साइड जल में कम विलेय होते हैं और कुछ धातुओं के आॅक्साइड जल में ज़रा भी विलेय नहीं हैं। कुछ अधातुओं के हाइड्राइड, जैसे नाइट्रोजन और फाॅस्फोरस के हाइड्राइड (क्रमश: अमोनिया और फाॅस्फीन) भी भस्म होते हैं। .

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