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गुसांईजी

सूची गुसांईजी

नागौर जिले के जुन्जाला गाँव में स्थित गुसाईंजी मंदिर गुसाईंजी हिन्दुओं के देवता हैं। इनका एक प्रासिद्ध मंदिर नागौर जिले के जुन्जाला गाँव में स्थित है। यद्यपि गुसाईंजी हिन्दुओं के देवता हैं परन्तु मुसलमान भी इनको मानते हैं। एक समय राजा बलि इस धरती पर राज करता था। राजा बलि ने अश्वमेघ यग्य और अग्नि होम किए। उसने इस तरह ९९ यज्ञ संपन्न कर दिए। राजा बलि का यश चारों और फैलने लगा और वह इन्द्रलोक का राजा बनने की सोचने लगा। राजा बलि ने १०० वें यज्ञ का आयोजन रखा और इसके लिए निमंन्त्रण भेजे.

3 संबंधों: बलि, वामनावतार, कुरुक्षेत्र

बलि

बलि (sacrifice) के दो रूप हैं। वैदिक पंचमहायज्ञ के अंतर्गत जो भूतयज्ञ हैं, वे धर्मशास्त्र में बलि या बलिहरण या भूतबलि शब्द से अभिहित होते हैं। दूसरा पशु आदि का बलिदान है। विश्वदेव कर्म करने के समय जो अन्नभाग अलग रख लिया जाता है, वह प्रथमोक्त बलि है। यह अन्न भाग देवयज्ञ के लक्ष्यभूत देव के प्रति एवं जल, वृक्ष, गृहपशु तथा इंद्र आदि देवताओं के प्रति उत्सृष्ट (समर्पित) होता है। गृह्यसूत्रों में इस कर्म का सविस्तार प्रतिपादन है। बलि रूप अन्नभाग अग्नि में छोड़ा नहीं जाता, बल्कि भूमि में फेंक दिया जाता है। इस प्रक्षेप क्रिया के विषय में मतभेद है। स्मार्त पूजा में पूजोपकरण (जिससे देवता की पूजा की जाती है) भी बलि कहलाता है (बलि पूजोपहार: स्यात्‌)। यह बलि भी देव के पति उत्सृष्ट होती है। देवता के उद्देश्य में छाग आदि पशुओं का जो हनन किया जाता है वह बलिदान कहलाता है (बलिउएतादृश उत्सर्ग योग्य पशु)। तंत्र आदि में महिष, छाग, गोधिका, शूकर, कृष्णसार, शरभ, हरि (वानर) आदि अनेक पशुओं को बलि के रूप में माना गया है। इक्षु, कूष्मांड आदि नानाविध उद्भिद् और फल भी बलिदान माने गए हैं। बलि के विषय में अनेक विधिनिषेध हैं। बलि को बलिदानकाल में पूर्वाभिमुख रखना चाहिए और खंडधारी बलिदानकारी उत्तराभिमुख रहेगा - यह प्रसिद्ध नियम है। बलि योग्य पशु के भी अनेक स्वरूप लक्षण कहे गए हैं। पंचमहायज्ञ के अंतर्गत बलि के कई अवांतर भेद कहे गए हैं - आवश्यक बलि, काम्यबलि आदि इस प्रसंग में ज्ञातव्य हैं। कई आचार्यों ने छागादि पशुओं के हनन को तामसपक्षीय कर्म माना है, यद्यपि तंत्र में ऐसे वचन भी हैं जिनसे पशु बलिदान को सात्विक भी माना गया है। कुछ ऐसी पूजाएँ हैं जिनमें पशु बलिदान अवश्य अनुष्ठेय होता है। वीरतंत्र, भावचूड़ामणि, यामल, तंत्रचूड़ामणि, प्राणतोषणी, महानिर्वाणतंत्र, मातृकाभेदतंत्र, वैष्णवीतंत्र, कृत्यमहार्णव, वृहन्नीलतंत्र, आदि ग्रंथों में बलिदान (विशेषकर पशुबलिदान) संबंधी चर्चा है। .

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वामनावतार

वामन कुएँ से पानी निकालने जाते हुए वामन विष्णु के पाँचवे तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे। इसके साथ ही यह विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे जो मानव रूप में प्रकट हुए — अलबत्ता बौने ब्राह्मण के रूप में। इनको दक्षिण भारत में उपेन्द्र के नाम से भी जाना जाता है। .

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कुरुक्षेत्र

कुरुक्षेत्र(Kurukshetra) हरियाणा राज्य का एक प्रमुख जिला और उसका मुख्यालय है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा अम्बाला, यमुना नगर, करनाल और कैथल से घिरा हुआ है तथा दिल्ली और अमृतसर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलमार्ग पर स्थित है। इसका शहरी इलाका एक अन्य एटिहासिक स्थल थानेसर से मिला हुआ है। यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल है। माना जाता है कि यहीं महाभारत की लड़ाई हुई थी और भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश यहीं ज्योतिसर नामक स्थान पर दिया था। यह क्षेत्र बासमती चावल के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। .

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