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गतिक परिसर

सूची गतिक परिसर

उच्च गतिक परिसर वाला एक दृष्य गतिक परिसर (Dynamic range, संक्षिप्त रूप: DR या DNR) किसी चर राशि के अधिकतम एवं न्यूनतम मानों के अनुपात को कहते हैं जो किसी युक्ति, उपकरण, यंत्र या अंग द्वारा ग्रहण किये जा सकते हैं। इसे या तो अनुपात के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है या अनुपात के लघुगणक (डेसीबेल और डबुलिंग्स) द्वारा अभिव्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिये मानव के कान एवं नेत्र की गतिक परिसर बहुत अधिक होती है (लगभग १०० डीबी और ९० डीबी क्रमशः)। 'गतिक परिसर' का उपयोग ध्वनि, संगीत, इलेक्ट्रॉनिकी, मापन, फोटोग्राफी आदि में होता है। अधिक गतिक परिसर वाले यंत्र, उपकरण और युक्तियाँ अच्छी मानी जातीं है। यदि कोई बहुमापी (मल्टीमीटर) कम से कम १ मिलीवोल्ट और अधिक से अधिक १००० वोल्ट का मापन कर सकता है तो कहेंगे कि इसकी गतिक परास १०००००० या १२० डीबी है। यदि कोई इलेक्ट्रानिक तुला कम से कम १ ग्राम तथा अधिक से अधिक १० किलो तौल सकती है तो उसका गतिक परिसर (१० किग्रा / १ ग्राम) .

7 संबंधों: मल्टीमीटर, मापन, सिगनल-रव अनुपात, विभेदन, आँख, इलैक्ट्रॉनिक्स, कान

मल्टीमीटर

बहुमापी या मल्टीमीटर एक ऐसा उपकरण है जो कई भौतिक राशियों (प्रायः धारा, वोल्टता, प्रतिरोध, निरन्तरता (कान्टिन्युटी) आदि) को मापने के काम में आता है। पहले एनालॉग मल्टीमीटर प्रचलन में आये किन्तु एलेक्ट्रानिक्स के विकास के साथ आजकल डिजिटल मल्टीमीटर (डी एम एम) भी खूब प्रचलन में आ गये हैं। .

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मापन

मापन के चार उपकरण किसी भौतिक राशि का परिमाण संख्याओं में व्यक्त करने को मापन कहा जाता है। मापन मूलतः तुलना करने की एक प्रक्रिया है। इसमें किसी भौतिक राशि की मात्रा की तुलना एक पूर्वनिर्धारित मात्रा से की जाती है। इस पूर्वनिर्धारित मात्रा को उस राशि-विशेष के लिये मात्रक कहा जाता है। उदाहरण के लिये जब हम कहते हैं कि किसी पेड़ की उँचाई १० मीटर है तो हम उस पेड़ की उचाई की तुलना एक मीटर से कर रहे होते हैं। यहाँ मीटर एक मानक मात्रक है जो भौतिक राशि लम्बाई या दूरी के लिये प्रयुक्त होता है। इसी प्रकार समय का मात्रक सेकण्ड, द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम आदि हैं। .

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सिगनल-रव अनुपात

विज्ञान और प्रौद्योगिकी में संकेत बाधानुपात या सिगनल-रव अनुपात (Signal-to-noise ratio; SNR या S/N) का उपयोग वांछित संकेत तथा अवांछित संकेत के मात्राओं की तुलना करने के लिए प्रयोग किया जाता है। संकेत शक्ति तथा रव-शक्ति के अनुपात को 'सिगनल-रव अनुपात' कहते हैं और इसे प्रायः डेसीबेल के रूप में अभिव्यक्त करते हैं। किसी प्रवर्धक से आने वाली संगीत की ध्वनि के सिगनल-रव अनुपात का मान कम होने का सीधा अर्थ यह है कि हमें संगीत का उतना आनन्द नहीं आयेगा जितना उसी संगीत को किसी अधिक सिगनल-रव अनुपात वाले प्रवर्धक से सुनने पर आता।.

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विभेदन

विभेदन (Resolution) शब्द का उपयोग कई क्षेत्रों में और कुछ अलग-अलग अर्थों में भी होता है। नीचे कुछ सम्बन्धित क्षेत्र/शब्द दिये गये हैं- .

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आँख

मानव आँख का पास से लिया गया चित्र मानव नेत्र का योजनात्मक आरेख आँख या नेत्र जीवधारियों का वह अंग है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील है। यह प्रकाश को संसूचित करके उसे तंत्रिका कोशिकाओ द्वारा विद्युत-रासायनिक संवेदों में बदल देता है। उच्चस्तरीय जन्तुओं की आँखें एक जटिल प्रकाशीय तंत्र की तरह होती हैं जो आसपास के वातावरण से प्रकाश एकत्र करता है; मध्यपट के द्वारा आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की तीव्रता का नियंत्रण करता है; इस प्रकाश को लेंसों की सहायता से सही स्थान पर केंद्रित करता है (जिससे प्रतिबिम्ब बनता है); इस प्रतिबिम्ब को विद्युत संकेतों में बदलता है; इन संकेतों को तंत्रिका कोशिकाओ के माध्यम से मस्तिष्क के पास भेजता है। .

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इलैक्ट्रॉनिक्स

तल पर जुड़ने वाले (सरफेस माउंट) एलेक्ट्रानिक अवयव विज्ञान के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रॉनिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार के माध्यमों (निर्वात, गैस, धातु, अर्धचालक, नैनो-संरचना आदि) से होकर आवेश (मुख्यतः इलेक्ट्रॉन) के प्रवाह एवं उन पर आधारित युक्तिओं का अध्ययन करता है। प्रौद्योगिकी के रूप में इलेक्ट्रॉनिकी वह क्षेत्र है जो विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों (प्रतिरोध, संधारित्र, इन्डक्टर, इलेक्ट्रॉन ट्यूब, डायोड, ट्रान्जिस्टर, एकीकृत परिपथ (IC) आदि) का प्रयोग करके उपयुक्त विद्युत परिपथ का निर्माण करने एवं उनके द्वारा विद्युत संकेतों को वांछित तरीके से बदलने (manipulation) से संबंधित है। इसमें तरह-तरह की युक्तियों का अध्ययन, उनमें सुधार तथा नयी युक्तियों का निर्माण आदि भी शामिल है। ऐतिहासिक रूप से इलेक्ट्रॉनिकी एवं वैद्युत प्रौद्योगिकी का क्षेत्र समान रहा है और दोनो को एक दूसरे से अलग नही माना जाता था। किन्तु अब नयी-नयी युक्तियों, परिपथों एवं उनके द्वारा सम्पादित कार्यों में अत्यधिक विस्तार हो जाने से एलेक्ट्रानिक्स को वैद्युत प्रौद्योगिकी से अलग शाखा के रूप में पढाया जाने लगा है। इस दृष्टि से अधिक विद्युत-शक्ति से सम्बन्धित क्षेत्रों (पावर सिस्टम, विद्युत मशीनरी, पावर इलेक्ट्रॉनिकी आदि) को विद्युत प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत माना जाता है जबकि कम विद्युत शक्ति एवं विद्युत संकेतों के भांति-भातिं के परिवर्तनों (प्रवर्धन, फिल्टरिंग, मॉड्युलेश, एनालाग से डिजिटल कन्वर्शन आदि) से सम्बन्धित क्षेत्र को इलेक्ट्रॉनिकी कहा जाता है। .

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कान

मानव व अन्य स्तनधारी प्राणियों मे कर्ण या कान श्रवण प्रणाली का मुख्य अंग है। कशेरुकी प्राणियों मे मछली से लेकर मनुष्य तक कान जीववैज्ञानिक रूप से समान होता है सिर्फ उसकी संरचना गण और प्रजाति के अनुसार भिन्नता का प्रदर्शन करती है। कान वह अंग है जो ध्वनि का पता लगाता है, यह न केवल ध्वनि के लिए एक ग्राहक (रिसीवर) के रूप में कार्य करता है, अपितु शरीर के संतुलन और स्थिति के बोध में भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है। "कान" शब्द को पूर्ण अंग या सिर्फ दिखाई देने वाले भाग के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है। अधिकतर प्राणियों में, कान का जो हिस्सा दिखाई देता है वह ऊतकों से निर्मित एक प्रालंब होता है जिसे बाह्यकर्ण या कर्णपाली कहा जाता है। बाह्यकर्ण श्रवण प्रक्रिया के कई कदमो मे से सिर्फ पहले कदम पर ही प्रयुक्त होता है और शरीर को संतुलन बोध कराने में कोई भूमिका नहीं निभाता। कशेरुकी प्राणियों मे कान जोड़े मे सममितीय रूप से सिर के दोनो ओर उपस्थित होते हैं। यह व्यवस्था ध्वनि स्रोतों की स्थिति निर्धारण करने में सहायक होती है। .

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