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गंडकी अंचल

सूची गंडकी अंचल

गण्डकी अंचल Gandaki Zone नेपाल के madhya पश्चिमी भाग में स्थित है। नेपाल में प्रान्त को अंचल की संज्ञा दी गई है। गंडकी अंचल के पूर्व में बागमती, दक्षिण में नारायणी व लुम्बिनी तथा पश्चिम में धवलागिरी अंचल व उत्तर में चिनका स्वसासीत क्षेत्र तिब्बत स्थित है। इस अंचल में अति सुन्दर पोखरा उपत्यका है। उत्तर में हिमालय की अति सुन्दर चोटीयाँ माछापुर्छ, अन्नपूर्णा, गणेश हिमाल तथा हिमचुली लगायत हैं। इस प्रान्त में कास्की,लमजुंग, तनहऊ, गोरखा, स्यांगजा व मनांग जिले हैं। अंचल के अन्य प्रमुख स्थल हैं- पोखरा, गोरखा, ब्यास नगर (दमोली), पुतली बजार (स्यांगजा), वालीगं, लेखनाथ नगर, चामे, बेसींसहर, खैरहनीटार, अँवुखैरनी, मनकामना तथा बन्दीपुर। श्रेणी:नेपाल के पूर्व शासन प्रणाली श्रेणी:पश्चिमांचल विकास क्षेत्र.

11 संबंधों: तनहुँ जिला, नेपाल, पश्चिमाञ्चल विकास क्षेत्र, पोखरा, मनांग जिला, लमजुंग जिला, स्यांजा जिला, गंडकी अंचल, गोरखा, गोरखा जिला, कास्की जिला

तनहुँ जिला

तनहुँ जिला नेपाल के पश्चिमांचल विकास क्षेत्र के गण्डकी अंचल में स्थित एक अत्याधिक उर्वर एवं घना वस्ती वाली जिला हैं। इस जिला की क्षेत्रफल १५४६ बर्ग कि॰मी॰ और जनसंख्या करिव ४ लाख हैं। इस जिला के पूर्व में चितवन और गोरखा उत्तर में कास्की और लमजुंग पश्चिम में स्यांजा दक्षिण में पाल्पा और नवलपरासी जिलाएं हैं। इस जिले का केन्द्र दमाैली (डमाैली) है, जाे मादी नदी के तटपर अवस्थित है। इसी जिले के चुँदी रम्घा ग्राम में १८१४ जुलाइ १० में नेपाली भाषा के अादिकवि भानुभक्त अाचार्यका जन्म हुअा था। .

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नेपाल

नेपाल, (आधिकारिक रूप में, संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल) भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित एक दक्षिण एशियाई स्थलरुद्ध हिमालयी राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है और दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत अवस्थित है। नेपाल के ८१ प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं। नेपाल विश्व का प्रतिशत आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। नेपाल की राजभाषा नेपाली है और नेपाल के लोगों को भी नेपाली कहा जाता है। एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की श्रृंखलाएं अवस्थित हैं। संसार का सबसे ऊँची १४ हिम श्रृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सागरमाथा एवरेस्ट (नेपाल और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगंज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगंज, वीरेन्द्रनगर, त्रिभुवननगर आदि है। वर्तमान नेपाली भूभाग अठारहवीं सदी में गोरखा के शाह वंशीय राजा पृथ्वी नारायण शाह द्वारा संगठित नेपाल राज्य का एक अंश है। अंग्रेज़ों के साथ हुई संधियों में नेपाल को उस समय (१८१४ में) एक तिहाई नेपाली क्षेत्र ब्रिटिश इंडिया को देने पड़े, जो आज भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा पश्चिम बंगाल में विलय हो गये हैं। बींसवीं सदी में प्रारंभ हुए जनतांत्रिक आन्दोलनों में कई बार विराम आया जब राजशाही ने जनता और उनके प्रतिनिधियों को अधिकाधिक अधिकार दिए। अंततः २००८ में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि माओवादी नेता प्रचण्ड के प्रधानमंत्री बनने से यह आन्दोलन समाप्त हुआ। लेकिन सेना अध्यक्ष के निष्कासन को लेकर राष्ट्रपति से हुए मतभेद और टीवी पर सेना में माओवादियों की नियुक्ति को लेकर वीडियो फुटेज के प्रसारण के बाद सरकार से सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रचण्ड को इस्तीफा देना पड़ा। गौरतलब है कि माओवादियों के सत्ता में आने से पहले सन् २००६ में राजा के अधिकारों को अत्यंत सीमित कर दिया गया था। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पांचवीं सबसे बड़ी सेना है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रही है। .

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पश्चिमाञ्चल विकास क्षेत्र

मध्यमांचल विकास क्षेत्र नेपाल का एक प्रान्त है जो नेपाल के पाँच विकास क्षेत्रों में से एक विकास क्षेत्र है। यह नेपाल के मध्य में स्थित है। इस के पूर्व में नेपाल का मध्यमांचल विकास क्षेत्र तथा पश्चिम में नेपाल का मध्य-पश्चिमांचल विकास क्षेत्र तथा उत्तर में चीन का तिब्बत तथा दक्षिण में भारत का उत्तर प्रदेश स्थित है। मध्यमांचल विकास क्षेत्र का मुख्यालय पोखरा में स्थित है। इस प्रान्त में ३ अंचल तथा १६ जिलें हैं। Category:नेपाल के पूर्व शासन प्रणाली.

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पोखरा

पोखरा घाट स्तिथ बहुत ही सुंधर नेपाल में एक जगह है। पोखरा नेपाल के पश्चिमांचल विकास क्षेत्र मैं अवस्थित एक नगर है। यह नगर गण्डकी अंचल का कास्की जिला के पोखरा घाटी मैं स्थित है। यह नेपाल का दूसरा बडा शहर है। पोखरा नेपाल के पश्चिमांचल विकास क्षेत्र, गण्डकी अंचल और कास्की जिला का सदरमुकाम है। .

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मनांग जिला

नेपाल के गंडकी प्रान्त का जिला। श्रेणी:नेपाल के जिले.

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लमजुंग जिला

लमजुंग जिला (नेपाली भाषा:लमजुंग जिल्ला) नेपाल के गंडकी अंचल का एक जिला। इस जिला का मुख्यालय बेंसीसहर है। .

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स्यांजा जिला

स्यांजा जिल्ला नेपाल के पश्चिमांचल विकास क्षेत्र के गण्डकी अंचल में स्थित एक अत्याधिक उर्वर एवं घना वस्ती समेटा हुआ जिल्ला हैं। इस जिल्ला का क्षेत्रफल १६६४ बर्ग कि॰मी॰ और जनसंख्या करिव ४ लाख हैं। इस जिल्ला के पूर्व में तनहुँ, उत्तर में कास्की, पश्चिम में पर्वत और गुल्मी जिल्लाएं हैं। .

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गंडकी अंचल

गण्डकी अंचल Gandaki Zone नेपाल के madhya पश्चिमी भाग में स्थित है। नेपाल में प्रान्त को अंचल की संज्ञा दी गई है। गंडकी अंचल के पूर्व में बागमती, दक्षिण में नारायणी व लुम्बिनी तथा पश्चिम में धवलागिरी अंचल व उत्तर में चिनका स्वसासीत क्षेत्र तिब्बत स्थित है। इस अंचल में अति सुन्दर पोखरा उपत्यका है। उत्तर में हिमालय की अति सुन्दर चोटीयाँ माछापुर्छ, अन्नपूर्णा, गणेश हिमाल तथा हिमचुली लगायत हैं। इस प्रान्त में कास्की,लमजुंग, तनहऊ, गोरखा, स्यांगजा व मनांग जिले हैं। अंचल के अन्य प्रमुख स्थल हैं- पोखरा, गोरखा, ब्यास नगर (दमोली), पुतली बजार (स्यांगजा), वालीगं, लेखनाथ नगर, चामे, बेसींसहर, खैरहनीटार, अँवुखैरनी, मनकामना तथा बन्दीपुर। श्रेणी:नेपाल के पूर्व शासन प्रणाली श्रेणी:पश्चिमांचल विकास क्षेत्र.

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गोरखा

इंग्लैण्ड के रक्षा मंत्रालय के बाहर स्थापित एक गोरखा की मूर्ति,हॉर्स गार्डस अवेन्यु, वेस्टमिन्सटर शहर, लण्डन. गोरखा (नेपाली: गोरखाली) नेपाल के लोग हैं। जिन्होने ये नाम 8 वीं शताब्दी के हिन्दू योद्धा संत श्री गुरु गोरखनाथ से प्राप्त किया था। उनके शिष्य बप्पा रावल ने राजकुमार कलभोज/राजकुमार शैलाधिश को जन्माया था, जिनका घर मेवाड़, राजस्थान (राजपुताना) में पाया गया था। बाद में बप्पा रावल के वंश सुदूर पूर्व के तरफ बढ़ें और गोरखा में अपना राज्य स्थापित किया और बाद में उन्होने नेपाल अधिराज्य को स्थापित किया। उस वंश में चितौड़गढ़ के मनमथ राणाजी राव के पुत्र भूपाल राणाजी राव नेपाल के रिडी पहुंचे। गोरखा जिला आधुनिक नेपाल के 75 जिलों में से एक है। खास्तोर्पे नेपाल के मध्य पश्चिम के पहाडी लडाकु जातिया जैसे कि मगर, गुरुंग, सुदुरपश्चिम के लडाकु जातिया जो कि खस/क्षेत्री और ठकुरी और पूर्व से किरात जातिया होति हैं। गोरखाली लोग अपने साहस और हिम्मत के लिए विख्यात हैं और वे नेपाली आर्मी और भारतीय आर्मी के गोरखा रेजिमेन्ट और ब्रिटिश आर्मी के गोरखा ब्रिगेज के लिए भी खुब जाने जाते हैं। गोरखालीयों को ब्रिटिश भारत के अधिकारियों ने मार्शल रेस की उपाधि दी थी। उनके अनुसार गोरखाली प्राकृतिक रूप से ही योद्धा होते हैं और युद्ध में आक्रामक होते हैं, वफादारी और साहस का गुण रखते हैं, आत्म निर्भर होते हैं, भौतिक रूप से मजबूत और फुर्तीले, सुव्यवस्थित होते हैं, लम्बे समय तक कड़ी मेहनत करने वाले, हठी लड़ाकू, मिलेट्री रणनीतिके होते हैं। ब्रिटिश भारतीय आर्मी में इन "मार्शल रेसेज़" को भारी मात्रा में भर्ती किया गया था। भारतीय आर्मी के भूतपूर्व चीफ ऑफ स्टाफ जनरल सैम मानेकशॉ ने एक बार प्रख्यात रूप से कहा था:- अर्थात: "यदि कोई कहता है कि मुझे मौत से डर नहीं लगता, वह या तो झूठ बोल रहा है या गोरखा है।" अंग्रेजों ने अपनी फौज में 1857 से पहले ही गोरखा सैनिकों को रखना आरम्भ कर दिया था। 1857 के भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इन्होंने ब्रिटिश सेना का साथ दिया था क्योंकि उस समय वे ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए अनुबंध पर काम करते थे। महाराजा रणजीत सिंह ने भी इन्हें अपनी सेना में स्थान दिया। अंग्रेजों के लिए गोरखों ने दोनों विश्वयुद्धों में अपने अप्रतिम साहस और युद्ध कौशल का परिचय दिया। पहले विश्व युद्ध में दो लाख गोरखा सैनिकों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से लगभग 20 हजार ने रणभूमि में वीरगति प्राप्त की। दूसरे विश्वयुद्ध में लगभग ढाई लाख गोरखा जवान सीरिया, उत्तर अफ्रीका, इटली, ग्रीस व बर्मा भी भेजे गए थे। उस विश्वयुद्ध में 32 हजार से अधिक गोरखों ने शहादत दी थी। भारत के लिए भी गोरखा जवानों ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ हुई सभी लड़ाइयों में शत्रु के सामने अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया था। गोरखा रेजिमेंट को इन युद्धों में अनेक पदको़ व सम्मानों से अलंकृत किया गया, जिनमें महावीर चक्र और परम वीर चक्र भी शामिल हैं। वर्तमान में हर वर्ष लगभग 1200-1300 नेपाली गोरखे भारतीय सेना में शामिल होते है। गोरखा राइफल्स में लगभग 80 हजार नेपाली गोरखा सैनिक हैं, जो कुल संख्या का लगभग 70 प्रतिशत है। शेष 30 प्रतिशत में देहरादून, दार्जिलिंग और धर्मशाला असम आदि के स्थानीय भारतीय गोरखे शामिल हैं। इसके अतिरिक्त रिटायर्ड गोरखा जवानों और असम राइफल्स में गोरखों की संख्या करीब एक लाख है। .

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गोरखा जिला

नेपाल के गंडकी प्रान्त का जिला। श्रेणी:नेपाल के जिले اسوقت یہ کمزور ریاست تھی.

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कास्की जिला

नेपाल के गंडकी प्रान्त का जिला। .

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