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गणकारिका

सूची गणकारिका

गणकारिका पाशुपत दर्शन का एक महत्वपूर्ण मौजूदा ग्रन्थ है। यह एक पुस्तिका है जो पाशुपत दर्शन के गणों के लिये दर्शन के सिद्धांतों और मुख्य विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन करता है। .

6 संबंधों: पाशुपत दर्शन, भारत, भारतविद, मिनोरु हारा, संस्कृत भाषा, हरदत्त

पाशुपत दर्शन

पाशुपत दर्शन का उल्लेख सर्वदर्शनसंग्रह में है। इसे 'नकुलीश पाशुपति दर्शन' भी कहते हैं। इस दर्शन में जीव मात्र को 'पशु' की संज्ञा दी गई है। सब जीवों के अधीश्वर 'पशुपति शिव' हैं। भगवान पशुपति ने बिना किसी कारण, साधन या सहायता के इस जगत् का निर्माण किया, इससे वे स्वतंत्र कर्त्ता हैं। हम लोगों से भी जो कार्य होते हैं उनके भी भूल कर्ता परमेश्वर ही हैं, इससे पशुपति सब कार्यों के करण स्वरुप हैं। इस दर्शन में मुक्ति दो प्रकार की कही गई है: एक तो सब दुःखों की अत्यंत निवृत्ति, दूसरी पारमैश्वर्य प्राप्ति। अन्य दार्शनिकों ने दुःख की अत्यंत निवृत्ति को ही 'मोक्ष' कहा है किंतु पाशुपत दर्शन कहता है कि केवल दुःख की निवृत्ति ही मुक्ति नहीं हैं, जब तक साथ ही पारमैश्वर्यप्राप्ति भी न हो तब तक केवल दुःखनिवृत्ति से क्या ? पारमैश्वर्य मुक्ति दो प्रकार की शक्तियों की प्राप्ति है— दृक् शक्ति और क्रिया शक्ति। दृक् शक्ति द्वारा सब वस्तुओं और विषयों का ज्ञान हो जाता है, चाहे वे सूक्ष्म से सूक्ष्म, दूर से दूर, व्यवहित से व्यवहित हों। इस प्रकार सर्वज्ञता प्राप्त हो जाने पर क्रिया शक्ति सिद्ध होती है जिसके द्वारा चाहे जिस बात की इच्छा हो वह तुरंत हो जाती है। उसकी इच्छा की देर रहती है। इन दोनों शक्तियों का सिद्ध हो जाना ही पारमैश्वर्य मुक्ति है। पूर्णप्रज्ञ आदि दार्शनिकों तथा भक्तों का यह कहना कि भगवद्-दासत्व की प्राप्ति ही मुक्ति है, विडंबना मात्र है। दासत्व किसी प्रकार का हो, बंधन ही है, उसे मुक्त (छुटकारा) नहीं कह सकते। इस दर्शन में प्रत्यक्ष, अनुमान और आगम ये तीन प्रमाण माने गए हैं। धर्मार्थसाधक व्यापार को 'विधि' कहते हैं। विधि दो प्रकार की होती है - 'व्रत' और 'द्वार'। भस्मस्नान, भस्मशयन, जप, प्रदक्षिणा, उपहार आदि को व्रत कहते हैं। शिव का नाम लेकर ठहाकर हँसना, गाल बजाना, गाना, नाचना, जप करना आदि 'उपहार' हैं। व्रत सबके सामने न करना चाहिए। 'द्वार' के अंतर्गत क्राथन, स्पंदन, मंदन, शृंगारण, अतित्करण और अवितदभाषण है। सुप्त न होकर भी सुप्त के से लक्षण प्रदर्शन को क्राथन; जैसे हवा के धक्के से शरीर झोंके खाता है उसी प्रकार झोंके खिलाने को स्पंदन; उन्नत्त के समान लड़खडा़ते हुए पैर रखने को मंदन, सुंदरी स्त्री देख वास्तव में कामार्त न होकर कामुकों की सी चेष्टा करने को शृंगारण; अनिवेकियों के समान लोकनिंदित कर्मों की चेष्टा को अवितत्करण तथा अर्थहीन और व्याहत शब्दों के उच्चारण को अवितदभाषण कहते हैं। चित्त द्वारा आत्मा और ईश्वर के संबंध का नाम 'योग' है। श्रेणी:भारतीय दर्शन श्रेणी:शैव धर्म श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारतविद

भारत की सभ्यता संस्कृति परम्परा भाषा रीति-रिवाज़ लोगों भूगोल आदि का अध्येता विशेषज्ञ विद्वान जो भारतीय भी हो सकता है - विदेशी मूल का अ-भारतीय भी.

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मिनोरु हारा

मिनोरु हारा को सन २००९ में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये विदेशी हैं। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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हरदत्त

हरदत्त नाम से मध्यकाल में संस्कृत के अनेक विद्वान हुए हैं-.

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