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खरगोन

सूची खरगोन

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34 संबंधों: ऊन, मध्य प्रदेश, चालुक्य, देजला, देवास, धार, नन्हेश्वर, नर्मदा नदी, बड़वानी, बड़वानी ज़िला, बड़वाह, बालकृष्ण पाटीदार, बकावां, बुरहानपुर, मण्डलेश्वर, मध्य प्रदेश, महाभारत, महाराष्ट्र, महेश्वर, माण्डू, मालवा, मुग़ल साम्राज्य, यूनाइटेड किंगडम, रामायण, रावेरखेड़ी, सातवाहन, सिरवेल महादेव, सिंधिया, होलकर, खण्डवा, खरगोन ज़िला, इन्दौर, कनिष्क, असीरगढ़, उबदी

ऊन, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के खरगोन जिला में स्थित यह स्थान खरगोन से 14 कि॰मी॰ दूरी पर है। परमार-कालीन शिव-मंदिर तथा जैन मंदिरों के लिये यह स्थान प्रसिद्ध है। एक बहुत प्राचीन लक्ष्मी-नारायण मंदिर भी यहां स्थित है। खजुराहो के अलावा केवल यहीं परमार-कालीन प्राचीन मंदिर हैं। .

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चालुक्य

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देजला

देजला मध्य प्रदेश के खारगोन जिला में स्थित एक स्थान है। कुंदा नदी पर एक बड़ा बांध है जिससे लगभग 8000 हेक्टेयर में सिंचाई होती है। श्रेणी:खरगोन श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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देवास

देवास भारत के मध्य प्रदेश का एक शहर है। यह इन्दौर से लगभग ३५ किमी उत्तर में स्थित है। यहाँ की माता की टेकरी पर चामुण्डा माता और तुलजा भवानी माता के प्रसिद्ध मन्दिर हैं जिसके दर्शन के लिये लोग दूर-दूर से आते हैं। देवास एक औद्योगिक नगर है। लोक मान्यता है कि यहाँ देवी माँ के दो स्वरूप अपनी जागृत अवस्था में हैं। इन दोनों स्वरूपों को छोटी माँ और बड़ी माँ के नाम से जाना जाता है। बड़ी माँ को तुलजा भवानी और छोटी माँ को चामुण्डा देवी का स्वरूप माना गया है। यहाँ के पुजारी बताते हैं कि बड़ी माँ और छोटी माँ के मध्य बहन का रिश्ता था। एक बार दोनों में किसी बात पर विवाद हो गया। विवाद से क्षुब्द दोनों ही माताएँ अपना स्थान छोड़कर जाने लगीं। बड़ी माँ पाताल में समाने लगीं और छोटी माँ अपने स्थान से उठ खड़ी हो गईं और टेकरी छोड़कर जाने लगीं। माताओं को कुपित देख माताओं के साथी (माना जाता है कि बजरंगबली माता का ध्वज लेकर आगे और भेरूबाबा माँ का कवच बन दोनों माताओं के पीछे चलते हैं) हनुमानजी और भेरूबाबा ने उनसे क्रोध शांत कर रुकने की विनती की। इस समय तक बड़ी माँ का आधा धड़ पाताल में समा चुका था। वे वैसी ही स्थिति में टेकरी में रुक गईं। वहीं छोटी माता टेकरी से नीचे उतर रही थीं। वे मार्ग अवरुद्ध होने से और भी कुपित हो गईं और जिस अवस्था में नीचे उतर रही थीं, उसी अवस्था में टेकरी पर रुक गईं। इस तरह आज भी माताएँ अपने इन्हीं स्वरूपों में विराजमान हैं। यहाँ के लोगों का मानना है कि माताओं की ये मूर्तियाँ स्वयंभू हैं और जागृत स्वरूप में हैं। सच्चे मन से यहाँ जो भी मन्नत माँगी जाती है, हमेशा पूरी होती है। इसके साथ ही देवास के संबंध में एक और लोक मान्यता यह है कि यह पहला ऐसा शहर है, जहाँ दो वंश राज करते थे- पहला होलकर राजवंश और दूसरा पँवार राजवंश। बड़ी माँ तुलजा भवानी देवी होलकर वंश की कुलदेवी हैं और छोटी माँ चामुण्डा देवी पँवार वंश की कुलदेवी। टेकरी में दर्शन करने वाले श्रद्धालु बड़ी और छोटी माँ के साथ-साथ भेरूबाबा के दर्शन अनिवार्य मानते हैं। नवरात्र के दिन यहाँ दिन-रात लोगों का ताँता लगा रहता है। इन दिनों यहाँ माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। .

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धार

प्राचीन काल में धार नगरी के नाम से विख्यात मध्य प्रदेश के इस शहर की स्थापना परमार राजा भोज ने की थी। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से यह मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर है। यह मध्यकालीन शहर पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है। बेरन पहाड़ियों से घिर इस शहर को झीलों और हरे-भरे वृक्षों ने आच्छादित कर रखा है। धार के प्राचीन शहर में अनेक हिन्दू और मुस्लिम स्मारकों के अवशेष देखे जा सकते हैं। एक जमाने में मालवा की राजधानी रहा यह शहर धार किला और भोजशाला मन्‍दीर की वजह से पर्याप्त संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में सफल रहता है। साथ ही इसके आसपास अनेक ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को रिझाने में कामयाब होते हैं। धार जिला तीन भौगोलिक खंडों में फैला हुआ है जो क्रमशः उत्तर में मालवा, विंध्यांचल रेंज मध्य क्षेत्र में तथा दक्षिण में नर्मदा घाटी। हालांकि घाटी पुनः दक्षिण-पश्चिम की पहाड़ियों द्वारा बंद होती है। धार जिला भारत के सांस्कृतिक मानचित्र में प्रारंभ से ही रहा है। लोगों ने अपने आपको ललित कला, चित्रकारी, नक्काशी, संगीत व नृत्य इत्यादि में संलिप्त रखा था। इस संपूर्ण जिले में बहुत से धार्मिक स्थल हैं, जहां वार्षिक मेलों के आयोजन में हजारों लोग एकत्र होते हैं। धार जिला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पहले यह धार नगरी के नाम से जाना जाता था। 1857 स्वतंत्रता की लड़ाई में भी धार महत्वपूर्ण केंद्र था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने धार के किले पर अपना कब्जा कर लिया था। दूसरी ओर बाग भी राष्ट्रीय महत्व का स्थान है। बाग नदी के किनारे स्थित गुफाएं ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। यहां पर 5वीं और 6वीं शताब्दी की चित्रकला भी है। यहां भारतीय चित्रकला का अनूठा नजारा देखने को मिलता है। यहां की बौद्धकला भारत ही नहीं एशिया में भी प्रसिद्ध है। .

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नन्हेश्वर

नन्हेश्वर मध्य प्रदेश के खारगोन जिला में स्थित एक स्थान है। खरगोन से 20 कि॰मी॰ दूर यह स्थान भी प्रचीन शिव-मंदिर के लिये प्रसिद्ध है। खरगोन से सिरवेल महादेव जाते समय यह स्थान रास्ते में है। श्रेणी:खरगोन श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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नर्मदा नदी

'''नर्मदा''' और भारत की अन्य नदियाँ नर्मदा नदी का प्रवाह क्षेत्र नर्मदा, जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। यह अपने उद्गम से पश्चिम की ओर 1,221 किमी (815.2 मील) चल कर खंभात की खाड़ी, अरब सागर में जा मिलती है। नर्मदा मध्य भारत के मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। महाकाल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। इसकी लम्बाई प्रायः 1310 किलोमीटर है। यह नदी पश्चिम की तरफ जाकर खम्बात की खाड़ी में गिरती है। इस नदी के किनारे बसा शहर जबलपुर उल्लेखनीय है। इस नदी के मुहाने पर डेल्टा नहीं है। जबलपुर के निकट भेड़ाघाट का नर्मदा जलप्रपात काफी प्रसिद्ध है। इस नदी के किनारे अमरकंटक, नेमावर, गुरुकृपा आश्रम झीकोली, शुक्लतीर्थ आदि प्रसिद्ध तीर्थस्थान हैं जहाँ काफी दूर-दूर से यात्री आते रहते हैं। नर्मदा नदी को ही उत्तरी और दक्षिणी भारत की सीमारेखा माना जाता है। .

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बड़वानी

बड़वानी, मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले का मुख्यालय और नगरपालिका है।यह नगर नर्मदा नदी के बाँए किनारे पर स्थित है। पहले यह बड़वानी रियासत की राजधानी था। यहाँ जाने के लिए केवल सड़क मार्ग से ही जाया जा सकता है। यह एक जैन तीर्थ स्थल भी है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के नगर.

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बड़वानी ज़िला

बड़वानी ज़िला भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। ज़िला मुख्यालय बड़वानी में है। ज़िले का क्षेत्रफल 5,427 किमी² तथा जनसंख्या 1,385,881 (2011 जनगणना) है। यह ज़िला मध्य प्रदेश के दक्षिण पश्चिम में स्थित है, नर्मदा नदी इसकी उत्तरी सीमा बनाती है। सेंधवा इसका प्रसिद्ध नगर है। यह कपास के लिये प्रसिद्ध है। यह एक तहसील भी है। जिले का सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है यहाँ के किले का ऐतिहासिक महत्व है। बड़वानी नगर से 8 किलोमीटर दूर सतपुड़ा की पहाड़ियों में भगवान ऋषभदेव की 84 फ़ीट की एक पत्थर से निर्मित प्रतिमा पहाड़ों से निकली है। जो बावनगजा के नाम से प्रसिद्ध है। तथा यहाँ पर धान उद्यान केंद्र है बड़वानी ज़िले की तहसील:- 1.

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बड़वाह

बड़वाह मध्य प्रदेश के खरगोन जिला में स्थित एक स्थान है। ये जुड़वां शहर नर्मदा के दोनो ओर बसे हैं। उत्तर की ओर बड़वाह तथा दक्षिण की ओर सनावद है। ॐकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के लिये यहां से ही जाना पड़ता है। पुनासा में इंदिरा सागर जल-विद्युत परियोजना जाने क लिये भी सनावद के पास है। बड़वाह से मण्डलेश्वर, महेश्वर तथा धामनोद जाया जा सकता है। विश्वप्रसिद्ध लाल मिर्ची की मण्डी बैड़िया, सनावद के पास है। श्रेणी:खरगोन श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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बालकृष्ण पाटीदार

श्री बालकृष्ण पाटीदार का जन्म 5 अगस्त, 1953 को खरगोन जिले के टेमला ग्राम में हुआ। बाऊजी पाटीदार के पुत्र श्री बालकृष्ण पाटीदार मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त हैं। श्री पाटीदार का संबंध कृषि क्षेत्र से है। कृषि एवं समाज सेवा में भी पाटीदार की विशेष रूचि है। श्री पाटीदार विगत कई वर्षों से पाटीदार समाज के जिला अध्यक्ष हैं। वर्ष 1990-1993 में मध्यप्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम के संचालक, वर्ष 1992-93 में कृषि उपज मंडी समिति खरगोन के अध्यक्ष, वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष रहे हैं। वर्ष 2008 में तेरहवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी बोर्ड के सदस्य रहे। श्री पाटीदार सन 2013 में बारहवीं विधानसभा के लिये खरगोन (185) निर्वाचन क्षेत्र से दूसरी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए है। श्री पाटीदार को 3 फरवरी 2018 को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्री-मंडल में राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया है। .

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बकावां

बकावां मध्य प्रदेश के खरगोन जिला का एक कस्बा है। महान पेशवा बाजीराव की समाधी रावेरखेड़ी में स्थित है। उत्तर भारत के लिए एक अभियान के समय उनकी मृत्यु यहीं नर्मदा किनारे हो गई थी। बकावां में नर्मदा के पत्थरों को तराश कर शिव-लिंग बनाए जाते हैं। श्रेणी:खरगोन श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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बुरहानपुर

बुरहानपुर भारत के मध्य प्रदेश का एक प्रमुख शहर है। बुरहानपुर मध्य प्रदेश में ताप्ती नदी के किनारे पर स्थित एक नगर है। यह ख़ानदेश की राजधानी था। इसको चौदहवीं शताब्दी में ख़ानदेश के फ़ारूक़ी वंश के सुल्तान मलिक अहमद के पुत्र नसीर द्वारा बसाया गया। .

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मण्डलेश्वर

मण्डलेश्वर मध्य प्रदेश के खरगोन जिला का एक शहर है। महेश्वर से 8 कि॰मी॰ दूर यह शहर भी नर्मदा के किनारे ही बसा है। नर्मदा पर जल-विद्युत परियोजना व बांध का निर्माण हुआ है। यहां से समीप ही चोली नामक स्थान पर अत्यंत प्राचीन शिव-मंदिर है जहां पर बहुत भव्य शिव-लिंग स्थित है। यहाँ मंडन मिश्र व आदि गुरु शंकराचार्य के मध्य शास्त्रार्थ हुआ था जिले में इस नगर को शैक्षणिक केन्द्र का रुतबा हासिल है ॥ सरदार पटेल महाविद्यालय, सरदार पटेल इंजिनियरिंग कॉलेज सहित अनेक संस्थाएँ मण्डलेश्वर को विकास की राह पर ले जा रही है ॥ पर्यटन के लिएँ यह स्थान सर्वथा उपयुक्त है ॥ अनेक मंदिर व सुन्दर घाट, नर्मदा तट पर सूर्योदय व सूर्यास्त के दृश्य अत्यंत मनमोहक होते है ॥ प्राचीन मन्दिरो का नगर आपकी यात्रा का मजा दुगुना कर देगा ॥ श्रेणी:खरगोन श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हो गया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2010-11 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीत लिया। .

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र भारत का एक राज्य है जो भारत के दक्षिण मध्य में स्थित है। इसकी गिनती भारत के सबसे धनी राज्यों में की जाती है। इसकी राजधानी मुंबई है जो भारत का सबसे बड़ा शहर और देश की आर्थिक राजधानी के रूप में भी जानी जाती है। और यहाँ का पुणे शहर भी भारत के बड़े महानगरों में गिना जाता है। यहाँ का पुणे शहर भारत का छठवाँ सबसे बड़ा शहर है। महाराष्ट्र की जनसंख्या सन २०११ में ११,२३,७२,९७२ थी, विश्व में सिर्फ़ ग्यारह ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या महाराष्ट्र से ज़्यादा है। इस राज्य का निर्माण १ मई, १९६० को मराठी भाषी लोगों की माँग पर की गयी थी। यहां मराठी ज्यादा बोली जाती है। मुबई अहमदनगर पुणे, औरंगाबाद, कोल्हापूर, नाशिक नागपुर ठाणे शिर्डी-अहमदनगर आैर महाराष्ट्र के अन्य मुख्य शहर हैं। .

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महेश्वर

महेश्वर का किला महेश्वर शहर मध्य प्रदेश के खरगोन जिला में स्थित है। महेश्वर शहर हैहयवंशी राजा सहस्रार्जुन, जिसने रावण को पराजित किया था, राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन अपनी ५०० रानियों के साथ नर्मदा नदी में जलक्रीड़ा करते हुए नदी के बहाव को अपनी एक हजार भुजाओं से रोक लिया था, उसी समय रावण अपने पुष्पक विमान में आकाश मार्ग से वहां पहुंचे व् सूखी नदी के स्थान को देखकर रावण की शिवपूजा करने की इच्छा मन में हुई ! जब रावण ने बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा शुरू की तो राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन जी ने जलक्रीड़ा समाप्त होने के उपरांत जल छोड़ दिया जिस कारण रावण की पूजा नहीं हो सकी व् पानी में बहने लगा इस पर क्रोधित हो जब राजराजेश्वर से रावण ने युद्ध करना चाहा तो रावण को हार स्वीकार करनी पड़ी व् राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन ने उसे बंदी बना लिया पुराणों में वर्णन है की राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन की रानियाँ रावण के दस शीशों पर दीपक जलाती थीं क्योंकि दीपक राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन को अति प्रिय थे ! आज भी महेश्वर में स्थित श्री राज राजेश्वर मंदिर में अखंड ११ दीपक ज्योति पुरातनकाल से प्रज्जवल्लित है व् मंदिर में श्रद्धालु देसी घी- प्रसाद के साथ अवश्य चढातें है ! श्री राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन जी के वंशज हैहयवंशी क्षत्रिय समुदाय के लोग महेश्वर को तीर्थ स्थल मानते है ! ऋषि जमदग्नि को प्रताड़ित करने के कारण उनके पुत्र परषुराम से युद्ध करना पड़ा, राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र अवतार थे दोनों का युद्ध खत्म होने को नहीं आ रहा था, तब भगवान दत्तात्रेय के सम्मुख सहस्त्रार्जुन जी ने पश्चाताप करने का प्रस्ताब रखा ! भगवान दत्तात्रेय के कहने पर राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन महेश्वर में स्थित भगवान शंकर के मंदिर में स्थापित शिवलिंग में समा गए! कालांतर में महान देवी अहिल्याबाई होल्कर की भी राजधानी रहा है। नर्मदा नदी के किनारे बसा यह शहर अपने बहुत ही सुंदर व भव्य घाट तथा माहेश्वरी साड़ियों के लिये प्रसिद्ध है। घाट पर अत्यंत कलात्मक मंदिर हैं जिनमे से राजराजेश्वर मंदिर प्रमुख है। आदिगुरु शंकराचार्य तथा पंडित मण्डन मिश्र का प्रसिद्ध शास्त्रार्थ यहीं हुआ था। यह जिले की एक तहसील का मुख्यालय भी है। इस शहर को महिष्मती नाम से भी जाना जाता था। महेश्वर का रामायण और महाभारत में भी उल्लेख है। देवी अहिल्याबाई होलकर के कालखंड में बनाए गए यहाँ के घाट सुंदर हैं और इनका प्रतिबिंब नदी में और खूबसूरत दिखाई देता है। महेश्वर इंदौर से ही सबसे नजदीक है। इंदौर विमानतल महेश्वर से 91 किलोमीटर की दूरी पर है। इंदौर से 90 की.मी.

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माण्डू

माण्डू या माण्डवगढ़, धार जिले के माण्डव क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन शहर है। यह भारत के पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है। यह धार शहर से 35 किमी दूर स्थित है। यह 11 वीं शताब्दी में, माण्डू तारागंगा या तरंगा राज्य का उपभाग था। यहाँ परमारों के काल मे इसे प्रसिद्धि प्राप्त हुई और फिर १३ वीं शताब्दी में, यह क्षेत्र मुस्लिम शासकों के अंतर्गत आ गया, जहाँ से इसका स्वर्णकाल प्रारम्भ हो गया। विन्ध्याचल पर्वत शृंखला में स्थित होने के कारण इसका सुरक्षा कि दृस्टि से बहुत अधिक महत्व था। आज यह एक पर्यटक स्थल के रूप मे प्रशिद्ध है। जहाँ हजारों कि संख्या में सैलानी यहाँ के दर्शनीय स्थलों जैसे जहाज महल, हिन्डोला महल, शाही हमाम और वास्तुकला के उत्कृष्टतम उदाहरण आकर्षक नक्काशीदार गुम्बद को देखने आते है। इसकी इन्दौर शहर से दुरी १०० किमी है। .

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मालवा

1823 में बने एक एक ऐतिहासिक मानचित्र में मालवा को दिखाया गया है। विंध्याचल का दृश्य, यह मालवा की दक्षिणी सीमा को निर्धारित करता है। इससे इस क्षेत्र की कई नदियां निकली हैं। मालवा, ज्वालामुखी के उद्गार से बना पश्चिमी भारत का एक अंचल है। मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग तथा राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग से गठित यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई रहा है। मालवा का अधिकांश भाग चंबल नदी तथा इसकी शाखाओं द्वारा संचित है, पश्चिमी भाग माही नदी द्वारा संचित है। यद्यपि इसकी राजनीतिक सीमायें समय समय पर थोड़ी परिवर्तित होती रही तथापि इस छेत्र में अपनी विशिष्ट सभ्यता, संस्कृति एंव भाषा का विकास हुआ है। मालवा के अधिकांश भाग का गठन जिस पठार द्वारा हुआ है उसका नाम भी इसी अंचल के नाम से मालवा का पठार है। इसे प्राचीनकाल में 'मालवा' या 'मालव' के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी.

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मुग़ल साम्राज्य

मुग़ल साम्राज्य (फ़ारसी:, मुग़ल सलतनत-ए-हिंद; तुर्की: बाबर इम्परातोरलुग़ु), एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया। 1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊँचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया - इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था। उस समय 40 लाख किमी² (15 लाख मील²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था। 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई। उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया। 1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला। इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था। मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं। .

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यूनाइटेड किंगडम

वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैं: इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स. यह एक संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है जिसकी राजधानी लंदन में सरकार बैठती है, लेकिन इसमें तीन न्यागत राष्ट्रीय प्रशासन हैं, बेलफ़ास्ट, कार्डिफ़ और एडिनबर्ग, क्रमशः उत्तरी आयरलैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड की राजधानी.जर्सी और ग्वेर्नसे द्वीप समूह, जिन्हें सामूहिक रूप से चैनल द्वीप कहा जाता है और मैन द्वीप (आईल ऑफ मान), यू के की राजत्व निर्भरता हैं और UK का हिस्सा नहीं हैं। इसके इलावा, UK के चौदह समुद्रपार निर्भर क्षेत्र हैं, ब्रिटिश साम्राज्य, जो १९२२ में अपने चरम पर था, दुनिया के तकरीबन एक चौथाई क्षेत्रफ़ल को घेरता था और इतिहास का सबसे बड़ा साम्रज्य था। इसके पूर्व उपनिवेशों की भाषा, संस्कृति और कानूनी प्रणाली में ब्रिटिश प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है। प्रतीकत्मक सकल घरेलू उत्पाद द्वारा दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समानता के हिसाब से सातवाँ बड़ा देश होने के साथ ही, यूके एक विकसित देश है। यह दुनिया का पहला औद्योगिक देश था और 19वीं और 20वीं शताब्दियों के दौरान विश्व की अग्रणी शक्ति था, लेकिन दो विश्व युद्धों की आर्थिक लागत और 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में साम्राज्य के पतन ने वैश्विक मामलों में उसकी अग्रणी भूमिका को कम कर दिया फिर भी यूके अपने सुदृढ़ आर्थिक, सांस्कृतिक, सैन्य, वैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभाव के कारण एक प्रमुख शक्ति बना हुआ है। यह एक परमाणु शक्ति है और दुनिया में चौथी सर्वाधिक रक्षा खर्चा करने वाला देश है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट धारण करता है और राष्ट्र के राष्ट्रमंडल, जी8, OECD, नाटो और विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है। .

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रामायण

रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके २४,००० श्लोक हैं। यह हिन्दू स्मृति का वह अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा कही गयी। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। .

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रावेरखेड़ी

इस स्थान पर महान मराठा योद्धा बाजीराव पेशवा की समाधी है यह स्थान नर्मदा किनारे पर बडवाह के पास स्थित है|.

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सातवाहन

सातवाहन प्राचीन भारत का एक राजवंश था। इसने ईसापूर्व २३० से लेकर दूसरी सदी (ईसा के बाद) तक केन्द्रीय दक्षिण भारत पर राज किया। यह मौर्य वंश के पतन के बाद शक्तिशाली हुआ था। इनका उल्लेख ८वीं सदी ईसापूर्व में मिलता है। अशोक की मृत्यु (सन् २३२ ईसापूर्व) के बाद सातवाहनों ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया था। सीसे का सिक्का चलाने वाला पहला वंश सातवाहन वंश था, और वह सीसे का सिक्का रोम से लाया जाता था। .

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सिरवेल महादेव

सिरवेल महादेव मध्य प्रदेश के खारगोन जिला में स्थित एक स्थान है। खरगोन से 55 कि॰मी॰ दूर इस स्थान के बारे मे मान्यता है कि रावण ने महादेव शिव को अपने दसों सर यहीं अर्पण किये थे। इसीलिये यह नाम पड़ा है। यह स्थान महाराष्ट्र की सीमा से बहुत ही पास है। महाशिवरात्रि पर म.प्र.

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सिंधिया

सिंधिया भारत में एक शाही मराठा वंश है। इस वंश मे ग्वालियर राज्य के १८वीं और १९वीं शताब्दी में शासक शामिल है। .

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होलकर

होलकर राजवंश मल्हार राव से प्रारंभ हुआ जो १७२१ में पेशवा की सेवा में शामिल हुए और जल्दी ही सूबेदार बने। होल्कर वंश के लोग 'होलगाँव' के निवासी होने से 'होलकर' कहलाए। अतः पूरे भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में इस जाती को अलग अलग नाम से जाना जाता है परंतु यह एक ही जाती है इनके नाम अलग अलग है पूरे भारत में इनकी एक ही पहचान हैधनगर नाम से यह सब जातियां जानी जाती है जैसे(1) पाल (2)बघेल(3) गाडरी(4) गडरिया (5)होलकर (6)गायरी उन्होने और उनके वंशजों ने मराठा राजा और बाद में १८१८ तक मराठा महासंघ के एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में मध्य भारत में इंदौर पर शासन किया और बाद में भारत की स्वतंत्रता तक ब्रीटिश भारत की एक रियासत रहे। होलकर वंश उन प्रतिष्ठित राजवंशों मे से एक था जिनका नाम शासक के शीर्षक से जुडा, जो आम तौर पर महाराजा होल्कर या 'होलकर महाराजा' के रूप में जाना जाता था, जबकि पूरा शीर्षक 'महाराजाधिराज राज राजेश्वर सवाई श्री (व्यक्तिगत नाम) होलकर बहादुर, महाराजा ऑफ़ इंदौर' था। .

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खण्डवा

खंडवा भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। समुद्र तल से 900 मीटर की ऊंचाई पर है। यह जिला नर्मदा और ताप्‍ती नदी घाटी के मध्य बसा है। 6200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले खंडवा की सीमाएं बेतूल, होशंगाबाद, बुरहानपुर, खरगोन और देवस से मिलती हैं। ओमकारेश्‍वर यहां का लोकप्रिय और पवित्र दर्शनीय स्‍थल है। इसे भारत के 12 ज्योतिर्लिगों में शुमार किया जाता है। इसके अलावा घंटाघर, दादा धुनीवाले दरबार, हरसुद,मूँदी, सिद्धनाथ मंदिर और वीरखाला रूक यहां के अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। .

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खरगोन ज़िला

खरगोन भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य का जिला है। इसका मुख्यालय खारगोन है। .

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इन्दौर

इन्दौर (अंग्रेजी:Indore) जनसंख्या की दृष्टि से भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा शहर है। यह इन्दौर ज़िला और इंदौर संभाग दोनों के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। इंदौर मध्य प्रदेश राज्य की वाणिज्यिक राजधानी भी है। यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है। इंदौर भारत का एकमात्र शहर है, जहाँ भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM इंदौर) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT इंदौर) दोनों स्थापित हैं। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी से १९० किमी पश्चिम में स्थित है। भारत की जनगणना,२०११ के अनुसार २१६७४४७ की आबादी सिर्फ ५३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वितरित है। यह मध्यप्रदेश में सबसे अधिक घनी आबादी वाले प्रमुख शहर है। यह भारत में के तहत आता है। इंदौर मेट्रोपोलिटन एरिया (शहर व आसपास के इलाके) की आबादी राज्य में २१ लाख लोगों के साथ सबसे बड़ी है। इंदौर अपने स्थापना के इतिहास में १६वीं सदी क डेक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में अपने निशान पाता है। मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम के मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। और मल्हारराव होलकर को वहाँ का सुबेदार बनाया गया। जो आगे चल कर होलकर राजवंश की स्थापना की। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था जो की उस समय (एक दुर्लभ उच्च रैंक) थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। इंदौर के रूप में सेवा की राजधानी मध्य भारत १९५० से १९५६ तक। इंदौर एक वित्तीय जिले के समान, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में कार्य करता है। और भारत का तीसरा सबसे पुराने शेयर बाजार, मध्यप्रदेश स्टॉक एक्सचेंज इंदौर में स्थित है। यहाँ का अचल संपत्ति (रीयल एस्टेट) बज़ार, मध्य भारत में सबसे महंगा है। यह एक औद्योगिक शहर है। यहाँ लगभग ५,००० से अधिक छोटे-बडे उद्योग हैं। यह सारे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वित्त पैदा करता है। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ४०० से अधिक उद्योग हैं और इनमे १०० से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्योग हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग व्यावसायिक वाहन बनाने वाले व उनसे सम्बन्धित उद्योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश की प्रमुख वितरण केन्द्र और व्यापार मंडीयाँ है। यहाँ मालवा क्षेत्र के किसान अपने उत्पादन को बेचने और औद्योगिक वर्ग से मिलने आते है। यहाँ के आस पास की ज़मीन कृषि-उत्पादन के लिये उत्तम है और इंदौर मध्य-भारत का गेहूँ, मूंगफली और सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है। यह शहर, आस-पास के शहरों के लिए प्रमुख खरीददारी का केन्द्र भी है। इन्दौर अपने नमकीनों व खान-पान के लिये भी जाना जाता है। प्र.म. नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन में १०० भारतीय शहरों को चयनित किया गया है जिनमें से इंदौर भी एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी मिशन के पहले चरण के अंतर्गत बीस शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा और इंदौर भी इस प्रथम चरण का हिस्सा है। 'स्वच्छ सर्वेक्षण २०१७' के परिणामों के अनुसार इन्दौर भारत का सबसे स्वच्छ नगर है। .

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कनिष्क

कनिष्क प्रथम (Κανηϸκι, Kaneshki; मध्य चीनी भाषा: 迦腻色伽 (Ka-ni-sak-ka > नवीन चीनी भाषा: Jianisejia)), या कनिष्क महान, द्वितीय शताब्दी (१२७ – १५० ई.) में कुषाण राजवंश का भारत का एक महान् सम्राट था। वह अपने सैन्य, राजनैतिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धियों तथा कौशल हेतु प्रख्यात था। इस सम्राट को भारतीय इतिहास एवं मध्य एशिया के इतिहास में अपनी विजय, धार्मिक प्रवृत्ति, साहित्य तथा कला का प्रेमी होने के नाते विशेष स्थान मिलता है। कुषाण वंश के संस्थापक कुजुल कडफिसेस का ही एक वंशज, कनिष्क बख्त्रिया से इस साम्राज्य पर सत्तारूढ हुआ, जिसकी गणना एशिया के महानतम शासकों में की जाती है, क्योंकि इसका साम्राज्य तरीम बेसिन में तुर्फन से लेकर गांगेय मैदान में पाटलिपुत्र तक रहा था जिसमें मध्य एशिया के आधुनिक उजबेकिस्तान तजाकिस्तान, चीन के आधुनिक सिक्यांग एवं कांसू प्रान्त से लेकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और समस्त उत्तर भारत में बिहार एवं उड़ीसा तक आते हैं। पर कुषाण।अभिगमन तिथि: १५ फ़रवरी, २०१७ इस साम्राज्य की मुख्य राजधानी पेशावर (वर्तमान में पाकिस्तान, तत्कालीन भारत के) गाँधार प्रान्त के नगर पुरुषपुर में थी। इसके अलावा दो अन्य बड़ी राजधानियां प्राचीन कपिशा में भी थीं। उसकी विजय यात्राओं तथा बौद्ध धर्म के प्रति आस्था ने रेशम मार्ग के विकास तथा उस रास्ते गांधार से काराकोरम पर्वतमाला के पार होते हुए चीन तक महायान बौद्ध धर्म के विस्तार में विशेष भूमिका निभायी। पहले के इतिहासवेत्ताओं के अनुसार कनिष्क ने राजगद्दी ७८ ई० में प्राप्त की, एवं तभी इस वर्ष को शक संवत् के आरम्भ की तिथि माना जाता है। हालांकि बाद के इतिहासकारों के मतानुसार अब इस तिथि को कनिष्क के सत्तारूढ़ होने की तिथि नहीं माना जाता है। इनके अनुमानानुसार कनिष्क ने सत्ता १२७ ई० में प्राप्त की थी। .

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असीरगढ़

असीरगढ़ मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित एक गांव है। असीरगढ का ऐतिहासिक क़िला बहुत प्रसिद्ध है। असीरगढ़ क़िला बुरहानपुर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में सतपुड़ा पहाड़ियों के शिखर पर समुद्र सतह से 250 फ़ुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह क़िला आज भी अपने वैभवशाली अतीत की गुणगाथा का गान मुक्त कंठ से कर रहा है। इसकी तत्कालीन अपराजेयता स्वयं सिद्ध होती है। इसकी गणना विश्व विख्यात उन गिने चुने क़िलों में होती है, जो दुर्भेद और अजेय, माने जाते थे। इतिहासकारों ने इसका 'बाब-ए-दक्खन' (दक्षिण द्वार) और 'कलोद-ए-दक्खन' (दक्षिण की कुँजी) के नाम से उल्लेख किया है, क्योंकि इस क़िले पर विजय प्राप्त करने के पश्चात दक्षिण का द्वार खुल जाता था, और विजेता का सम्पूर्ण ख़ानदेश क्षेत्र पर अधिपत्य स्थापित हो जाता था। इस क़िले की स्थापना कब और किसने की यह विश्वास से नहीं कहा जा सकता। इतिहासकार स्पष्ट एवं सही राय रखने में विवश रहे हैं। कुछ इतिहासकार इस क़िले का महाभारत के वीर योद्धा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा की अमरत्व की गाथा से संबंधित करते हुए उनकी पूजा स्थली बताते हैं। बुरहानपुर के 'गुप्तेश्वर  महादेव मंदिर' के समीप से एक सुंदर सुरंग है, जो असीरगढ़ तक लंबी है। ऐसा कहा जाता है कि, पर्वों के दिन अश्वत्थामा ताप्ती नदी में स्नान करने आते हैं, और बाद में 'गुप्तेश्वर' की पूजा कर अपने स्थान पर लौट जाते हैं। .

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उबदी

परिचय - उबदी म.प्र.

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