1 संबंध: पूँजीगत परिसम्पत्ति कीमत निर्धारण मॉडल।
पूँजीगत परिसम्पत्ति कीमत निर्धारण मॉडल
प्रतिभूति बाजार रेखा (बैंगनी) और सीएपीएम का तीन वर्ष के मासिक आँकड़ों पर डॉव जोंस औद्योगिक औसत के लिए आकलन वित्त में, पूँजीगत परिसम्पत्ति कीमत निर्धारण मॉडल (capital asset pricing model सीएपीएम) का उपयोग किसी पूंजीगत परिसम्पत्ति के लिए सैद्धांतिक रूप से उपयुक्त वांछित प्रतिलाभ दर ज्ञात करने के लिए किया जाता है, जब इस परिसम्पत्ति को एक पहले से ही सुविशाखीकृत संविभाग (अच्छी तरह से डाईवर्सिफाईड पोर्टफोलियो) में जोड़ा जाना हो, तथा जबकि उस परिसम्पत्ति का अशाखनीय जोखिम (non-diversifiable risk) ज्ञात हो। इस मॉडल में परिसंपत्ति के अशाखनीय जोखिम (व्यवस्थात्मक जोखिम या बाज़ार जोखिम) जिसे वित्त क्षेत्र में प्रायः 'बीटा' (β) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, को गणना में लिया जाता है तथा बाजार के प्रत्याशित प्रतिलाभ व सैद्धांतिक जोखिम-मुक्त परिसंपत्ति के के प्रत्याशित प्रतिलाभ को भी। सीएपीएम का सुझाव है कि किसी निवेशक की शेयर पूंजी की लागत का निर्धारण 'बीटा' (β) से होता है। ” इस मॉडल का विस्तृत रूप द्वि-बीटा मॉडल है, जो कि उर्ध्वगामी बीटा को अधिगामी बीटा से भिन्न करता है। सीएपीएम की अवधारणा, हैरी मार्कोविट्ज़ द्वारा विशाखीकरण/विविधीकरण तथा आधुनिक संविभाग थियोरी पर पहले किए गए कार्य का विस्तार करते हुए, जैक ट्रेयनॉर (1961, 1962), विलियम शार्पे (1964), जॉन लिन्टनर (1965a,b) and जान मोसिन (1966) द्वारा स्वतंत्र रूप से प्रस्तुत की गई। 1990 में शार्पे, मार्कोविट्ज़ व मर्टन मिलर को संयुक्त रूप से वित्तीय अर्थशास्त्र में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फिशर ब्लैक (1972) ने सीएपीएम का एक और संस्करण, ब्लैक सीएपीएम या शून्य-बीटा सीएपीएम, विकसित किया जिसमें जोखिम-मुक्त परिसंपत्ति की मान्यता को खारिज किया गया था। empirical testing में यह संस्करण अधिक दृढ़ था तथा सीएपीएम की वैश्विक स्वीकृति में इसका प्रभावी योगदान रहा। मूल्य निर्धारण व पोर्टफोलियो चयन के कई आधुनिक तरीकों (जैसे अंतरपणन कीमत सिद्धांत व मर्टन पोर्टफोलियो समस्या, क्रमशः) के आगमन तथा अंतरपणन आनुभविक खामियों, के बावजूद अपनी साधारणता व विभिन्न प्रकार परिस्थितियों में उपयोगिता के कारण सीएपीएम अभी भी अधिक प्रचलित है। .
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