लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

क्रिप्टोगैम

सूची क्रिप्टोगैम

क्रिप्टोगैम (cryptogam; वैज्ञानिक नाम: Cryptogamae) उन पादपों (व्यापक अर्थ में, साधारण अर्थ में नहीं) को कहते हैं जिनमें प्रजनन बीजाणुओं (spores) की सहायता से होता है। ग्रीक भाषा में 'क्रिप्टोज' का अर्थ 'गुप्त' तथा 'गैमीन' का अर्थ 'विवाह करना' है। अर्थात् क्रिप्टोगैम पादपों में बीज उत्पन्न नहीं होता। क्रिप्टोगैम को कभी-कभी 'थैलोफाइटा', 'निम्न पादम' (lower plants), तथा 'बीजाणु पादप' (spore plants) आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है। क्रिप्टोगैम समूह पुष्पोद्भिद (Phanerogamae या Spermatophyta) समूह के 'विलोम समूह' है। क्रिप्टोगैम में शैवाल (algae), लाइकेन (lichens), मॉस (mosses) और फर्न (ferns) आते हैं। एक समय क्रिप्टोगैम को पादप जगत में एक समूह के रूप में मान्यता थी। कार्ल लिनियस ने पादपों के अपने वर्गीकरण में सम्पूर्ण पादप जगत को २४ वर्गों में बाँटा था जिसमें से एक 'क्रिप्टोगैमिया' था जिसको पुनः चार गणों में विभाजित किया गया था - शैवाल, मस्सी (Musci) या ब्रायोफाइट, फिलिसेस या फर्न तथा कवक। आधुनिक वर्गिकी ने क्रिप्टोगैम को पादप जगत में स्थान नहीं दिया है क्योंकि समझा गया कि क्रिप्टोगैम कई असंगत समूहो का जमघट मात्र है। वर्तमान वर्गिकी के अनुसार क्रिप्टोगैम में आने वाले केवल कुछ पादपों को ही पादप जगत में स्थान दिया गया है, सभी को नहीं। विशेषतः कवक (फंजाई) को एक अलग जगत के रूप में स्वीकार किया गया है और उन्हें पादपों के बजाय जन्तुओं का निकट सम्बन्धी माना जाता है। इसी प्रकार कुछ शैवालों को अब जीवाणुओं का सम्बन्धी मान लिया गया है। .

16 संबंधों: थैलोफाइटा, पादप वर्गीकरण, पुष्पोद्भिद, फर्न, बीज, बीजाणु, यूनानी भाषा, लाइकेन, शैवाल, हरिता, जनन, जीवाणु, वर्गिकी, विषाणु, खमीर, कार्ल लीनियस

थैलोफाइटा

थैलोफाइटा (Thallophyta) पहले पादप जगत के एक प्रभाग (division) के रूप में मान्य था किन्तु अब वह वर्गीकरण निष्प्रभावी हो गया है। थैलोफाइटा के अन्तर्गत कवक, शैवाल और लाइकेन आते थे। कभी-कभी जीवाणु (बैक्टीरिया) और मिक्सोमाइकोटा (Myxomycota) को भी इसमें शामिल कर लिया जाता था। इनके जनन तंत्र अस्पष्ट होते हैं। इसलिये इन्हें क्रिप्टोगैम (cryptogamae) भी कहते हैं। अब 'थैलोफाइटा' को शैवाल, बैक्टीरिया, कवक, लाइकेन आदि असंगत जीवों का समूह माना जाता है। इस समूह में वे पादप आते हैं जिनका शरीर सुपरिभाषित (well-differentiated) नहीं होता। (thallus .

नई!!: क्रिप्टोगैम और थैलोफाइटा · और देखें »

पादप वर्गीकरण

पादप वर्गिकी (Plant Taxonomy) के अन्तर्गत पृथ्वी पर मिलने वाले पौधों की पहचान तथा पारस्परिक समानताओं व असमानताओं के आधार पर उनका वर्गीकरण किया जाता है। विश्व में अब तक विभिन्न प्रकार के पौधों की लगभग 4.0 लाख जातियाँ ज्ञात है जिनमें से लगभग 70% जातियाँ पुष्पीय पौधों की है। प्राचीनकाल में मनुष्य द्वारा पौधों का वर्गीकरण उनकी उपयोगिता जैसे भोजन के रूप में, रेशे प्रदान करने वाले, औषधि प्रदान करने वाले आदि के आधार पर किया गया था लेकिन बाद में पौधों को उनके आकारिकीय लक्षणों (morphological characters) जैसे पादप स्वभाव, बीजपत्रों की संख्या, पुष्पीय भागों की संरचना आदि के आधार पर किया जाने लगा। वर्तमान में पौधों के आकारिकीय लक्षणों के साथ-साथ भौगोलिक वितरण, शारीरिक लक्षणों (Anatomical characters), रासायनिक संगठन, आण्विक लक्षणों (molecular characters) आदि को भी वर्गिकी में प्रयुक्त किया जाता है। इस प्रकार पादप वर्गिकी के उपयुक्त आधारों के अनुसार निम्न प्रकार के बिन्दु स्पष्ट हो जाते है -.

नई!!: क्रिप्टोगैम और पादप वर्गीकरण · और देखें »

पुष्पोद्भिद

सूर्यमुखी, पुष्पोद्भिद है। पुष्पोद्भिद या फेनेरोगैम (Phanerogams या spermatophytes) वे पादप हैं जो बीज पैदा करते हैं। श्रेणी:वनस्पति विज्ञान gffhhgfg Gffg.

नई!!: क्रिप्टोगैम और पुष्पोद्भिद · और देखें »

फर्न

फर्न पर्णांग या फर्न एक अपुष्पक पौधा है। इसको जड़, तना, पत्ती तीन-भागों में बाँटा जा सकता है। यह बीजाणुधानियों से बीजाणु उत्पन्न करता है। इसीसे नये पौधों की उत्पत्ति होती है। वे बीजाणुधानियाँ पत्तियों में पाई जाती हैं जो ध्यानपूर्वक देखने पर दिखाई देती हैं। .

नई!!: क्रिप्टोगैम और फर्न · और देखें »

बीज

विभिन्न पौधों के बीज बीज की परिभाषा बीज एक परिपक्व बीजाण्ड है,जो निषेचन के बाद क्रियाशिल होता है,बीज उचित परिस्थितिया जैसे जल,वायु,सूर्य प्रकास आदि मिलने पर क्रियाशिल होता है। .

नई!!: क्रिप्टोगैम और बीज · और देखें »

बीजाणु

कवक द्वारा बीजाणु प्रकीर्णित किये जा रहे हैं बीजाणु (spore) जनन-संरचना है। यह प्रकीर्णन के लिये तथा विषम परिस्थितियों में भी दीर्घकाल तक जीवित रहने के लिये अनुकूलित है। बीजाणु बहुत से जीवाणु, पादप, एल्गी, कवक तथा कुछ प्रोटोजोआ आदि के जीवनचक्र का महत्वपूर्ण भाग है। बीजाणुओं और बीजों में मुख्य अन्तर उनके प्रकीर्णक ईकाइयों (dispersal units) में होता है। बीजों में संचित भोज्यस्रोतों की तुलना में बीजाणुओं में बहुत कम भोज्यस्रोत संचित होता है। श्रेणी:वनस्पतियों में जनन श्रेणी:जनन.

नई!!: क्रिप्टोगैम और बीजाणु · और देखें »

यूनानी भाषा

यूनानी या ग्रीक (Ελληνικά या Ελληνική γλώσσα), हिन्द-यूरोपीय (भारोपीय) भाषा परिवार की स्वतंत्र शाखा है, जो ग्रीक (यूनानी) लोगों द्वारा बोली जाती है। दक्षिण बाल्कन से निकली इस भाषा का अन्य भारोपीय भाषा की तुलना में सबसे लंबा इतिहास है, जो लेखन इतिहास के 34 शताब्दियों में फैला हुआ है। अपने प्राचीन रूप में यह प्राचीन यूनानी साहित्य और ईसाईयों के बाइबल के न्यू टेस्टामेंट की भाषा है। आधुनिक स्वरूप में यह यूनान और साइप्रस की आधिकारिक भाषा है और करीबन 2 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। लेखन में यूनानी अक्षरों का उपयोग किया जाता है। यूनानी भाषा के दो ख़ास मतलब हो सकते हैं.

नई!!: क्रिप्टोगैम और यूनानी भाषा · और देखें »

लाइकेन

लाइकेन से आच्छादित वृक्ष लाइकेन (Lichen) निम्न श्रेणी की ऐसी छोटी वनस्पतियों का एक समूह है, जो विभिन्न प्रकार के आधारों पर उगे हुए पाए जाते हैं। इन आधारों में वृक्षों की पत्तियाँ एवं छाल, प्राचीन दीवारें, भूतल, चट्टान और शिलाएँ मुख्य हैं। यद्यपि ये अधिकतर धवल रंग के होते हैं, तथापि लाल, नारंगी, बैंगनी, नीले एवं भूरे तथा अन्य चित्ताकर्षक रंगों के लाइकेन भी पाए जाते हैं। इनकी वृद्धि की गति मंद होती है एंव इनके आकार और बनावट में भी पर्याप्त भिन्नता रहती है। .

नई!!: क्रिप्टोगैम और लाइकेन · और देखें »

शैवाल

एक शैवाल लौरेंशिया शैवाल (Algae /एल्गी/एल्जी; एकवचन:एल्गै) सरल सजीव हैं। अधिकांश शैवाल पौधों के समान सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते हैं अर्थात् स्वपोषी होते हैं। ये एक कोशिकीय से लेकर बहु-कोशिकीय अनेक रूपों में हो सकते हैं, परन्तु पौधों के समान इसमें जड़, पत्तियां इत्यादि रचनाएं नहीं पाई जाती हैं। ये नम भूमि, अलवणीय एवं लवणीय जल, वृक्षों की छाल, नम दीवारों पर हरी, भूरी या कुछ काली परतों के रूप में मिलते हैं। .

नई!!: क्रिप्टोगैम और शैवाल · और देखें »

हरिता

वन में मॉस चट्टान पर हरिता (मॉस) हरिता या मॉस (Moss) अपुष्पक पादप है। ब्रायोफाइटा वर्ग के इस प्रचलित पौधे में वास्तविक जड़ों का अभाव रहता है। यह सामान्यतः १ से १० से.

नई!!: क्रिप्टोगैम और हरिता · और देखें »

जनन

जनन (Reproduction) द्वारा कोई जीव (वनस्पति या प्राणी) अपने ही सदृश किसी दूसरे जीव को जन्म देकर अपनी जाति की वृद्धि करता है। जन्म देने की इस क्रिया को जनन कहते हैं। जनन जीवितों की विशेषता है। जीव की उत्पत्ति किसी पूर्ववर्ती जीवित जीव से ही होती है। निर्जीव पिंड से सजीव की उत्पत्ति नहीं देखी गई है। संभवत: विषाणु (Virus) इसके अपवाद हों (देखें, स्वयंजनन, Abiogenesis)। जनन के दो उद्देश्य होते हैं एक व्यक्तिविशेष का संरक्षण और दूसरा जाति की शृंखला बनाए रखना। दोनों का आधार पोषण है। पोषण से ही संरक्षण, वृद्धि और जनन होते हैं। जीवधारियों के अंतअंतहेलनस्पति और प्राणी दोनों आते हैं। दोनों में ही जैविक घटनाएँ घटित होती है। दोनों की जननविधियों में समानता है, पर सूक्ष्म विस्तार में अंतर अवश्य है। अत: उनका विचार अलग अलग किया जा रहा है। .

नई!!: क्रिप्टोगैम और जनन · और देखें »

जीवाणु

जीवाणु जीवाणु एक एककोशिकीय जीव है। इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छड़, आदि आकार की हो सकती है। ये अकेन्द्रिक, कोशिका भित्तियुक्त, एककोशकीय सरल जीव हैं जो प्रायः सर्वत्र पाये जाते हैं। ये पृथ्वी पर मिट्टी में, अम्लीय गर्म जल-धाराओं में, नाभिकीय पदार्थों में, जल में, भू-पपड़ी में, यहां तक की कार्बनिक पदार्थों में तथा पौधौं एवं जन्तुओं के शरीर के भीतर भी पाये जाते हैं। साधारणतः एक ग्राम मिट्टी में ४ करोड़ जीवाणु कोष तथा १ मिलीलीटर जल में १० लाख जीवाणु पाए जाते हैं। संपूर्ण पृथ्वी पर अनुमानतः लगभग ५X१०३० जीवाणु पाए जाते हैं। जो संसार के बायोमास का एक बहुत बड़ा भाग है। ये कई तत्वों के चक्र में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, जैसे कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन के स्थरीकरण में। हलाकि बहुत सारे वंश के जीवाणुओं का श्रेणी विभाजन भी नहीं हुआ है तथापि लगभग आधी प्रजातियों को किसी न किसी प्रयोगशाला में उगाया जा चुका है। जीवाणुओं का अध्ययन बैक्टिरियोलोजी के अन्तर्गत किया जाता है जो कि सूक्ष्म जैविकी की ही एक शाखा है। मानव शरीर में जितनी भी मानव कोशिकाएं है, उसकी लगभग १० गुणा संख्या तो जीवाणु कोष की ही है। इनमें से अधिकांश जीवाणु त्वचा तथा अहार-नाल में पाए जाते हैं। हानिकारक जीवाणु इम्यून तंत्र के रक्षक प्रभाव के कारण शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। कुछ जीवाणु लाभदायक भी होते हैं। अनेक प्रकार के परजीवी जीवाणु कई रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे - हैजा, मियादी बुखार, निमोनिया, तपेदिक या क्षयरोग, प्लेग इत्यादि.

नई!!: क्रिप्टोगैम और जीवाणु · और देखें »

वर्गिकी

300px मूलतः जीव-जन्तुओं के वर्गीकरण को वर्गिकी (टैक्सोनॉमी) या 'वर्गीकरण विज्ञान' कहते थे। किन्तु आजकल इसे व्यापक अर्थ में प्रयोग किया जाता है और जीव-जन्तुओं के वर्गीकरण सहित इसे ज्ञान के विविध क्षेत्रों में प्रयोग में लाया जाता है। अतः वस्तुओं व सिद्धान्तों (और लगभग किसी भी चीज) का भी वर्गीकरण किया जा सकता है। 'वर्गिकी' शब्द दो अर्थो में प्रयुक्त होता है -.

नई!!: क्रिप्टोगैम और वर्गिकी · और देखें »

विषाणु

विषाणु अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुशुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित मध्यम या धारक के संपर्क में आता है उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है। विषाणु का अंग्रेजी शब्द वाइरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है। सर्वप्रथम सन १७९६ में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि चेचक, विषाणु के कारण होता है। उन्होंने चेचक के टीके का आविष्कार भी किया। इसके बाद सन १८८६ में एडोल्फ मेयर ने बताया कि तम्बाकू में मोजेक रोग एक विशेष प्रकार के वाइरस के द्वारा होता है। रूसी वनस्पति शास्त्री इवानोवस्की ने भी १८९२ में तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते समय विषाणु के अस्तित्व का पता लगाया। बेजेर्निक और बोर ने भी तम्बाकू के पत्ते पर इसका प्रभाव देखा और उसका नाम टोबेको मोजेक रखा। मोजेक शब्द रखने का कारण इनका मोजेक के समान तम्बाकू के पत्ते पर चिन्ह पाया जाना था। इस चिन्ह को देखकर इस विशेष विषाणु का नाम उन्होंने टोबेको मोजेक वाइरस रखा। विषाणु लाभप्रद एवं हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। जीवाणुभोजी विषाणु एक लाभप्रद विषाणु है, यह हैजा, पेचिश, टायफायड आदि रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मानव की रोगों से रक्षा करता है। कुछ विषाणु पौधे या जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं एवं हानिप्रद होते हैं। एचआईवी, इन्फ्लूएन्जा वाइरस, पोलियो वाइरस रोग उत्पन्न करने वाले प्रमुख विषाणु हैं। सम्पर्क द्वारा, वायु द्वारा, भोजन एवं जल द्वारा तथा कीटों द्वारा विषाणुओं का संचरण होता है परन्तु विशिष्ट प्रकार के विषाणु विशिष्ट विधियों द्वारा संचरण करते हैं। .

नई!!: क्रिप्टोगैम और विषाणु · और देखें »

खमीर

खमीर खमीर एक कवक है। यह शर्करायुक्त कार्बनिक पदार्थ में बहुतायत से पाये जाने वाला विशेष प्रकार का कवक है। यह फूल विहीन पौधा है। शरीर मूल, तना एवं पत्ति में विभक्त नहीं होता है। इसकी लगभग १५०० जातियाँ हैं।Kurtzman, C.P., Fell, J.W. 2006.

नई!!: क्रिप्टोगैम और खमीर · और देखें »

कार्ल लीनियस

कार्ल लीनियस (लैटिन: Carolus Linnaeus) या कार्ल वॉन लिने (२३ मई १७०७ - १० जनवरी १७७८) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं। .

नई!!: क्रिप्टोगैम और कार्ल लीनियस · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »