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कन्फ़्यूशियस

सूची कन्फ़्यूशियस

कन्फ्यूशियस का सन् १९२२ में बना चित्र (चित्रकार ई.टी.सी. वरनर) शानदोंग प्रांत में स्थित कन्फ़्यूशियस की समाधि जिस समय भारत में भगवान महावीर और बुद्ध धर्म के संबध में नए विचार रख रहें थे, चीन में भी एक सुधारक का जन्म हुआ, जिसका नाम कन्फ़्यूशियस था। उस समय चीन में झोऊ राजवंश का बसंत और शरद काल चल रहा था। समय के साथ झोऊ राजवंश की शक्ति शिथिल पड़ने के कारण चीन में बहुत से राज्य कायम हो गये, जो सदा आपस में लड़ते रहते थे, जिसे झगड़ते राज्यों का काल कहा जाने लगा। अतः चीन की प्रजा बहुत ही कष्ट झेल रही थी। ऐसे समय में चीन वासियों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने हेतु महात्मा कन्फ्यूशियस का आविर्भाव हुआ। .

12 संबंधों: चीन, झगड़ते राज्यों का काल, झोऊ राजवंश, बसंत और शरद काल, महावीर, मंत्री, यीशु, शानदोंग, संगीत, सौ विचारधाराएँ, गौतम बुद्ध, इतिहास

चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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झगड़ते राज्यों का काल

३५० ईसापूर्व में झगड़ते राज्यों की स्थिति झगड़ते राज्यों के काल से एक लोहे की और दो कांसे की तलवारें झगड़ते राज्यों का काल (चीनी:战国时代, झांगुओ शिदाई; अंग्रेज़ी: Warring States Period) प्राचीन चीन के पूर्वी झोऊ राजवंश काल के दुसरे भाग को कहते हैं, जो लौह युग में लगभग ४७५ ईसापूर्व से २२१ ईसापूर्व तक चला। पूर्वी झोऊ राजकाल में इस से पहले बसंत और शरद काल आया था। झगड़ते राज्यों के काल के बाद २२१ ईसापूर्व में चिन राजवंश का काल आया जिन्होनें चीन को फिर से एक व्यवस्था में संगठित किया। ध्यान रखने योग्य बात है कि पूर्वी झोऊ काल में वैसे तो झोऊ सम्राट को सर्वोच्च कहा जाता था, लेकिन यह सिर्फ़ नाम मात्र ही था - सारी शक्तियाँ वास्तव में भिन्न राज्यों के राजाओं-जागीरदारों के पास थीं। 'झगड़ते राज्यों के काल' का नाम हान राजवंश के दौरान लिखे गए 'झगड़ते राज्यों का अभिलेख' नामक इतिहास-ग्रन्थ से लिया गया है। इस बात पर विवाद है कि 'बसंत और शरद काल' किस समय ख़त्म हुआ और 'झगड़ते राज्यों का काल' कब शुरू हुआ, लेकिन बहुत से इतिहासकार जिन (Jìn) नामक राज्य के वहाँ की तीन शक्तिशाली परिवारों के बीच के विभाजन को इस काल की आरंभिक घटना मानते हैं और यह ४०३ ईसापूर्व में हुआ था।, P. J. Ivanhoe, Bryan William Van Norden, Hackett Publishing, 2005, ISBN 978-0-87220-780-6,...

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झोऊ राजवंश

चीन के झोऊ राजवंश का इलाक़ा (लाल रंग) पश्चिमी झोऊ युग में बना कांसे का एक समारोहिक बर्तन झोऊ राजवंश (चीनी: 周朝, झोऊ चाओ; पिनयिन अंग्रेज़ीकरण: Zhou dynasty) प्राचीन चीन में १०४६ ईसापूर्व से २५६ ईसापूर्व तक राज करने वाला एक राजवंश था। हालांकि झोऊ राजवंश का राज चीन के किसी भी अन्य राजवंश से लम्बे काल के लिए चला, वास्तव में झोऊ राजवंश के शाही परिवार ने, जिसका पारिवारिक नाम 'जी' (姬, Ji) था, चीन पर स्वयं राज केवल ७७१ ईसापूर्व तक किया। झोऊ राजवंश के इस १०४६ से ७७१ ईसापूर्व के काल को, जब जी परिवार का चीन पर निजी नियंत्रण था, पश्चिमी झोऊ राजवंश काल कहा जाता है। ७७१ ईसापूर्व के बाद के काल को पूर्वी झोऊ राजवंश काल कहा जाता है।, Dr John A.G. Roberts, Palgrave Macmillan, 2011, ISBN 978-0-230-34536-2,...

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बसंत और शरद काल

पूर्वी झोऊ काल के बसंत और शरद काल की रियासतें बसंत और शरद काल में बना एक कांसे का बर्तन (हेनान संग्राहलय में) ची राज्य के नरेश जिंग के मक़बरे में बलि किये गए घोड़ों के अस्ति-पिंजर बसंत और शरद काल (चीनी:春秋时代, चुन च्यु शी दाई; अंग्रेज़ी: Spring and Autumn Period) प्राचीन चीन के पूर्वी झोऊ राजवंश काल के पहले भाग को कहते हैं, जो ७७१ ईसापूर्व से ४७६ ईसापूर्व तक चला, हालाँकि कभी-कभी ४०३ ईसापूर्व को इस काल का अंत माना जाता है। इस काल से सम्बंधित चीनी सभ्यता का क्षेत्र ह्वांग नदी घाटी के मैदान में, शानदोंग प्रायद्वीप में और इनके कुछ नज़दीकी इलाक़ों में स्थित था। इस काल का 'बसंत और शरद' वाला नाम 'बसंत और शरद के वृतान्त' नामक ऐतिहासिक ग्रन्थ से आता है, जिसमें लू (鲁国, Lu) नाम के राज्य की दास्तान दर्ज है, जो प्रसिद्ध धार्मिक दार्शनिक कन्फ़्यूशियस का घर भी था।, Metropolitan Museum of Art (New York, N.Y.), Ballantine Books, 1980, ISBN 978-0-345-29051-9,...

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महावीर

भगवान महावीर जैन धर्म के चौंबीसवें (२४वें) तीर्थंकर है। भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था। तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गये। १२ वर्षो की कठिन तपस्या के बाद उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ जिसके पश्चात् उन्होंने समवशरण में ज्ञान प्रसारित किया। ७२ वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस दौरान महावीर स्वामी के कई अनुयायी बने जिसमें उस समय के प्रमुख राजा बिम्बिसार, कुनिक और चेटक भी शामिल थे। जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर-जयंती तथा उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है। जैन ग्रन्थों के अनुसार समय समय पर धर्म तीर्थ के प्रवर्तन के लिए तीर्थंकरों का जन्म होता है, जो सभी जीवों को आत्मिक सुख प्राप्ति का उपाय बताते है। तीर्थंकरों की संख्या चौबीस ही कही गयी है। भगवान महावीर वर्तमान अवसर्पिणी काल की चौबीसी के अंतिम तीर्थंकर थे और ऋषभदेव पहले। हिंसा, पशुबलि, जात-पात का भेद-भाव जिस युग में बढ़ गया, उसी युग में भगवान महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया। उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है– अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य। उन्होंने अनेकांतवाद, स्यादवाद और अपरिग्रह जैसे अद्भुत सिद्धांत दिए।महावीर के सर्वोदयी तीर्थों में क्षेत्र, काल, समय या जाति की सीमाएँ नहीं थीं। भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। दुनिया की सभी आत्मा एक-सी हैं इसलिए हम दूसरों के प्रति वही विचार एवं व्यवहार रखें जो हमें स्वयं को पसंद हो। यही महावीर का 'जीयो और जीने दो' का सिद्धांत है। .

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मंत्री

मंत्री आधुनिक राष्ट्रीय या क्षेत्रीय सरकारों का प्रमुख पद है। भारत में प्राचीनकाल में राजा को विविध विषयों पर सलाह देने के लिये नियुक्त व्यक्ति को मंत्री या सचिव कहा जाता था। .

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यीशु

एक मोजेक यीशु या यीशु मसीहईसा, यीशु और मसीह नाम हेतु पूरी चर्चा इस लेख के वार्ता पृष्ठ पर है। प्रचलित मान्यता के विरुद्ध, ईसा एक इस्लामी शब्दावली है, व "यीशु" सही ईसाई शब्दावली है। तथा मसीह एक उपादि है। विस्तृत चर्चा वार्ता पृष्ठ पर देखें। (इब्रानी:येशुआ; अन्य नाम:ईसा मसीह, जीसस क्राइस्ट), जिन्हें नासरत का यीशु भी कहा जाता है, ईसाई धर्म के प्रवर्तक हैं। ईसाई लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र और ईसाई त्रिएक परमेश्वर का तृतीय सदस्य मानते हैं। ईसा की जीवनी और उपदेश बाइबिल के नये नियम (ख़ास तौर पर चार शुभसन्देशों: मत्ती, लूका, युहन्ना, मर्कुस पौलुस का पत्रिया, पत्रस का चिट्ठियां, याकूब का चिट्ठियां, दुनिया के अंत में होने वाले चीजों का विवरण देने वाली प्रकाशित वाक्य) में दिये गये हैं। यीशु मसीह को इस्लाम में ईसा कहा जाता है, और उन्हें इस्लाम के भी महानतम पैग़म्बरों में से एक माना जाता है। .

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शानदोंग

शानदोंग (山东, Shandong) जनवादी गणराज्य चीन के पूर्वी तट पर स्थित एक प्रांत है। इस प्रान्त ने चीन के इतिहास में एक अहम केन्द्रीय भूमिका निभाई है। चीनी सभ्यता यहीं पीली नदी के अंतिम भाग में जन्मी थी। यह चीन में ताओ धर्म, बौद्ध धर्म और कुन्फ़्यूशियसी धर्म के लिए एक अति-महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक भूमि रही है। शानदोंग का ताई पर्वत ताओ धर्म के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक है और यहाँ ३,००० से पूजा चलती आ रही है। प्रान्त की राजधानी जीनान से दक्षिण में चीन के सबसे पुराने बौद्ध स्थल हैं। चूफ़ू शहर कनफ़्यूशियस का जन्मस्थान है। उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम जाने वाले बहुत से मार्गों पर स्थित होने से शानदोंग आर्थिक नज़रिए से हमेशा केन्द्रीय रहा है। १९वीं सदी में शुरू हुई राजनैतिक अस्थिरता और आर्थिक मुश्किलों के बाद वर्तमान में शानदोंग प्रान्त चीन के सबसे विकसित और बड़ी आबादी वाले प्रान्तों में से एक है।, David Leffman, Martin Zatko, Penguin, 2011, ISBN 978-1-4053-8908-2 .

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संगीत

नेपाल की नुक्कड़ संगीत-मण्डली द्वारा पारम्परिक संगीत सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि करे, संगीत कहलाती है। गायन, वादन व नृत्य ये तीनों ही संगीत हैं। संगीत नाम इन तीनों के एक साथ व्यवहार से पड़ा है। गाना, बजाना और नाचना प्रायः इतने पुराने है जितना पुराना आदमी है। बजाने और बाजे की कला आदमी ने कुछ बाद में खोजी-सीखी हो, पर गाने और नाचने का आरंभ तो न केवल हज़ारों बल्कि लाखों वर्ष पहले उसने कर लिया होगा, इसमें संदेह नहीं। गान मानव के लिए प्राय: उतना ही स्वाभाविक है जितना भाषण। कब से मनुष्य ने गाना प्रारंभ किया, यह बतलाना उतना ही कठिन है जितना कि कब से उसने बोलना प्रारंभ किया। परंतु बहुत काल बीत जाने के बाद उसके गान ने व्यवस्थित रूप धारण किया। जब स्वर और लय व्यवस्थित रूप धारण करते हैं तब एक कला का प्रादुर्भाव होता है और इस कला को संगीत, म्यूजिक या मौसीकी कहते हैं। .

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सौ विचारधाराएँ

कन्फ़्यूशियस ताओवादी दार्शनिक सौ विचारधाराएँ (सरल चीनी: 诸子百家, पारम्परिक चीनी: 諸子百家, झूज़ी बाईजिआ; अंग्रेज़ी: Hundred Schools of Thought) प्राचीन चीन में ७७० ईसापूर्व से २२१ ईसापूर्व के बसंत और शरद काल और झगड़ते राज्यों के काल में पनपने वाले दार्शनिकों और नई विचारधाराओं को कहते हैं। इसे युग को चीनी दर्शनशास्त्र का सुनहरा काल समझा जाता है। हालांकि इस समय में चीन में बहुत राजनैतिक अस्थिरता थी और बहुत से राज्य आपस में ख़ून-ख़राबे वाले युद्ध लड़ते रहते थे, फिर भी चीन का बुद्धिजीवी वातावरण बहुत आज़ाद था और चिंतन करने वालों को अपने विचार खुलकर प्रकट करने का बहुत अवसर मिलता था।, Lee Dian Rainey, John Wiley and Sons, 2010, ISBN 978-1-4051-8841-8,...

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गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। उनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थी जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश एवं सत्य दिव्य ज्ञान खोज में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बन गए। .

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इतिहास

बोधिसत्व पद्मपनी, अजंता, भारत। इतिहास(History) का प्रयोग विशेषत: दो अर्थों में किया जाता है। एक है प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाएँ और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा। इतिहास शब्द (इति + ह + आस; अस् धातु, लिट् लकार अन्य पुरुष तथा एक वचन) का तात्पर्य है "यह निश्चय था"। ग्रीस के लोग इतिहास के लिए "हिस्तरी" (history) शब्द का प्रयोग करते थे। "हिस्तरी" का शाब्दिक अर्थ "बुनना" था। अनुमान होता है कि ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो। इस प्रकार इतिहास शब्द का अर्थ है - परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह (जैसे कि लोक कथाएँ), वीरगाथा (जैसे कि महाभारत) या ऐतिहासिक साक्ष्य। इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है। या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है।Whitney, W. D. (1889).

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कनफ़्यूशियस, कनफ्यूसियस, कन्फ्यूशियस, कुन्फ़्यूशियस, कॉन्फ़्यूशियस, कॉंगफूशी

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