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कालदर्शक

सूची कालदर्शक

thumb कालदर्शक एक प्रणाली है जो समय को व्यवस्थित करने के लिये प्रयोग की जाती है। कालदर्शक का प्रयोग सामाजिक, धार्मिक, वाणिज्यिक, प्रशासनिक या अन्य कार्यों के लिये किया जा सकता है। यह कार्य दिन, सप्ताह, मास, या वर्ष आदि समयावधियों को कुछ नाम देकर की जाती है। प्रत्येक दिन को जो नाम दिया जाता है वह "तिथि" कहलाती है। प्राय: मास और वर्ष किसी खगोलीय घटना से सम्बन्धित होते हैं (जैसे चन्द्रमा या सूर्य का चक्र से) किन्तु यह सभी कैलेण्डरों के लिये जरूरी नहीं है। अनेक सभ्यताओं और समाजों ने अपने प्रयोग के लिये कोई न कोई कालदर्शक निर्मित किये थे जो प्राय: किसी दूसरे कालदर्शक से व्युत्पन्न थे। कालदर्शक एक भौतिक वस्तु (प्राय: कागज से निर्मित) भी है। कालदर्शक शब्द बहुधा इसी अर्थ में प्रयुक्त होता है। .

5 संबंधों: चन्द्रमा, चीनी कालदर्शक, पंचांग, सूर्य, हिजरी

चन्द्रमा

कोई विवरण नहीं।

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चीनी कालदर्शक

चीनी कालदर्शक (official Chinese name: Rural Calendar, alternately Former Calendar, Traditional Calendar, or Lunar Calendar) एक चान्द्रसौर कालदर्शक (lunisolar calendar) है जिसमें वार, मास और वर्ष की जानकारी खगोलीय परिघटनाओं के आधार पर दी गयी होती है। सबसे पहले इसका विकास किन राजवंश के समय में हुआ था। श्रेणी:कालदर्शक श्रेणी:चीन.

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पंचांग

अल्फ़ोंसीन तालिकाएँ, जो १३वीं शताब्दी के बाद यूरोप की मानक पंचांग बन गई पंचांग (अंग्रेज़ी: ephemeris) ऐसी तालिका को कहते हैं जो विभिन्न समयों या तिथियों पर आकाश में खगोलीय वस्तुओं की दशा या स्थिति का ब्यौरा दे। खगोलशास्त्र और ज्योतिषी में विभिन्न पंचांगों का प्रयोग होता है। इतिहास में कई संस्कृतियों ने पंचांग बनाई हैं क्योंकि सूरज, चन्द्रमा, तारों, नक्षत्रों और तारामंडलों की दशाओं का उनके धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में गहरा महत्व होता था। सप्ताहों, महीनों और वर्षों का क्रम भी इन्ही पंचांगों पर आधारित होता था। उदाहरण के लिए रक्षा बंधन का त्यौहार श्रवण के महीने में पूर्णिमा (पूरे चंद की दशा) पर मनाया जाता था।, Sunil Sehgal, pp.

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सूर्य

सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग १३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है। ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है जिसमें से १५ प्रतिशत अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, ३० प्रतिशत पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सी ऊर्जा पेड़-पौधे समुद्र सोख लेते हैं। इसकी मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी तरफ खींच कर रखती है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है। इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है। इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे दिखलाई पड़ते हैं। इन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई पड़ते हैं। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर २७ दिनों में अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करता है। जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। Barnhart, Robert K. (1995) The Barnhart Concise Dictionary of Etymology, page 776.

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हिजरी

हिजरी या इस्लामी पंचांग को (अरबी: التقويم الهجري; अत-तक्वीम-हिज़री; फारसी: تقویم هجری قمری ‎'तकवीम-ए-हिज़री-ये-क़मरी) जिसे हिजरी कालदर्शक भी कहते हैं, एक चंद्र कालदर्शक है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में प्रयोग होता है बल्कि इसे पूरे विश्व के मुस्लिम भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए प्रयोग करते हैं। यह चंद्र-कालदर्शक है, जिसमें वर्ष में बारह मास, एवं 354 या 355 दिवस होते हैं। क्योंकि यह सौर कालदर्शक से 11 दिवस छोटा है इसलिए इस्लामी धार्मिक तिथियाँ, जो कि इस कालदर्शक के अनुसार स्थिर तिथियों पर होतीं हैं, परंतु हर वर्ष पिछले सौर कालदर्शक से 11 दिन पीछे हो जाती हैं। इसे हिज्रा या हिज्री भी कहते हैं, क्योंकि इसका पहला वर्ष वह वर्ष है जिसमें कि हज़रत मुहम्मद की मक्का शहर से मदीना की ओर हिज्ऱत (प्रवास) हुई थी। हर वर्ष के साथ वर्ष संख्या के बाद में H जो हिज्र को संदर्भित करता है या AH (लैटिनः अन्नो हेजिरी (हिज्र के वर्ष में) लगाया जाता है।हिज्र से पहले के कुछ वर्ष (BH) का प्रयोग इस्लामिक इतिहास से संबंधित घटनाओं के संदर्भ मे किया जाता है, जैसे मुहम्म्द साहिब का जन्म लिए 53 BH। वर्तमान हिज्री़ वर्ष है 1430 AH. .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

कैलेण्डर, कैलेन्डर, कैलेंडरों

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