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केसमुत्ति सुत्त

सूची केसमुत्ति सुत्त

केसमुत्ति सुत्त या कालाम सुत्त तिपिटक के अंगुत्तर निकाय में स्थित भगवान बुद्ध के उपदेश का एक अंश हैं। बौद्ध धर्म के थेरवाद और महायान सम्प्रदाय के लोग प्रायः इसका उल्लेख बुद्ध के 'मुक्त चिंतन' के समर्थन के एक प्रमाण के रूप में करते हैं। केसमुत्तिसुत्त के अन्य भाषाओं में नाम इस प्रकार हैं-.

17 संबंधों: त्रिपिटक, थाई भाषा, थेरवाद, धम्म-सन्देश, पालि भाषा, पालि भाषा का साहित्य, बर्मी भाषा, बौद्ध धर्म, बोधिसत्व (नाटक), भदन्त आनन्द कौसल्यायन, भिक्षु जगदीश कश्यप, महायान, राहुल सांकृत्यायन, संस्कृत भाषा, केसरिया, अंगुत्तरनिकाय, उपदेश

त्रिपिटक

त्रिपिटक (पाली:तिपिटक; शाब्दिक अर्थ: तीन पिटारी) बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रंथ है जिसे सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, थेरवाद, बज्रयान, मूलसर्वास्तिवाद, नवयान आदि) मानते है। यह बौद्ध धर्म के प्राचीनतम ग्रंथ है जिसमें भगवान बुद्ध के उपदेश संग्रहीत है। यह ग्रंथ पालि भाषा में लिखा गया है और विभिन्न भाषाओं में अनुवादित है। इस ग्रंथ में भगवान बुद्ध द्वारा बुद्धत्त्व प्राप्त करने के समय से महापरिनिर्वाण तक दिए हुए प्रवचनों को संग्रहित किया गया है। त्रिपीटक का रचनाकाल या निर्माणकाल ईसा पूर्व 100 से ईसा पूर्व 500 है। .

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थाई भाषा

थाई भाषा (थाई: ภาษาไทย) थाईलैंड की मातृभाषा और राष्ट्रभाषा है और यहाँ के ९५% लोग यही भाषा बोलते हैं। .

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थेरवाद

थाई भिक्षु बर्मा के रंगून शहर में श्वेडागोन पगोडा थेरवाद या स्थविरवाद वर्तमान काल में बौद्ध धर्म की दो प्रमुख शाखाओं में से एक है। दूसरी शाखा का नाम महायान है। थेरवाद बौद्ध धर्म भारत से आरम्भ होकर दक्षिण और दक्षिण-पूर्व की ओर बहुत से अन्य एशियाई देशों में फैल गया, जैसे कि श्रीलंका, बर्मा, कम्बोडिया, वियतनाम, थाईलैंड और लाओस। यह एक रूढ़िवादी परम्परा है, अर्थात् प्राचीन बौद्ध धर्म जैसा था, उसी मार्ग पर चलने पर बल देता है। .

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धम्म-सन्देश

धम्म-सन्देश हिंदी भाषा में प्रकाशित होने वाली एक त्रैमासिक पत्रिका है। इसमें बौद्ध संस्कृति तथा साहित्य के विविध विषयों का सिलसिलेवार वर्णन प्रकाशित होता है। इसके संपादक प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान डॉ॰ प्रफुल्ल गडपाल हैं। श्रेणी:हिन्दी पत्रिका.

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पालि भाषा

ब्राह्मी तथा भाषा '''पालि''' है। पालि प्राचीन उत्तर भारत के लोगों की भाषा थी। जो पूर्व में बिहार से पश्चिम में हरियाणा-राजस्थान तक और उत्तर में नेपाल-उत्तरप्रदेश से दक्षिण में मध्यप्रदेश तक बोली जाती थी। भगवान बुद्ध भी इन्हीं प्रदेशो में विहरण करते हुए लोगों को धर्म समझाते रहे। आज इन्ही प्रदेशों में हिंदी बोली जाती है। इसलिए, पाली प्राचीन हिन्दी है। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में की एक बोली या प्राकृत है। इसको बौद्ध त्रिपिटक की भाषा के रूप में भी जाना जाता है। पाली, ब्राह्मी परिवार की लिपियों में लिखी जाती थी। .

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पालि भाषा का साहित्य

पालि साहित्य में मुख्यत: बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान् बुद्ध के उपदेशों का संग्रह है। किंतु इसका कोई भाग बुद्ध के जीवनकाल में व्यवस्थित या लिखित रूप धारण कर चुका था, यह कहना कठिन है। .

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बर्मी भाषा

बर्मी भाषा बोलने वाले क्षेत्र बर्मी भाषा (बर्मी भाषा में: မြန်မာဘာသာ / म्रन्माभासा), स्वतंत्र देश म्यांमार (बर्मा) की राजभाषा है। यह मुख्य रूप से ब्रह्मदेश (बर्मा का संस्कृत नाम) में बोली जाती है। म्यांमार की सीमा से सटे भारतीय राज्यों असम, मणिपुर एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भी कुछ लोग इस भाषा का प्रयोग करते हैं। .

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बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .

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बोधिसत्व (नाटक)

बोधिसत्त्व (नाटक) प्रसिद्ध इतिहासकार डी डी कौशाम्बी द्वारा रचित एक मराठी नाटक है। यह ग्रन्थ प्रथमतया 1945 में प्रकाशित हुआ था। इसकी प्रस्तावना दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर ने लिखी थी। इस नाटक में चार अंक हैं। .

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भदन्त आनन्द कौसल्यायन

डॉ॰ भदन्त आनन्द कौसल्यायन (5 जनवरी 1905 - 22 जून 1988) बौद्ध भिक्षु, पालि भाषा के मूर्धन्य विद्वान तथा लेखक थे। इसके साथ ही वे पूरे जीवन घूम-घूमकर राष्ट्रभाषा हिंदी का भी प्रचार प्रसार करते रहे। वे 10 साल राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के प्रधानमंत्री रहे। वे बीसवीं शती में बौद्ध धर्म के सर्वश्रेष्ठ क्रियाशील व्यक्तियों में गिने जाते हैं। .

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भिक्षु जगदीश कश्यप

भिक्खु जगदीश कश्यप (1908 - 28 जनवरी 1976) बौद्ध भिक्षु तथा पालि के विद्वान थे। उनका जन्म राँची में हुआ था। जन्म का नाम 'जगदीश नारायण' था। सन् १९३३ में उन्होने दीक्षा ली। .

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महायान

गन्धार से पहली सदी ईसवी में बनी महात्मा बुद्ध की मूर्ति महायान, वर्तमान काल में बौद्ध धर्म की दो प्रमुख शाखाओं में से एक है। दूसरी शाखा का नाम थेरवाद है। महायान बुद्ध धर्म भारत से आरम्भ होकर उत्तर की ओर बहुत से अन्य एशियाई देशों में फैल गया, जैसे कि चीन, जापान, कोरिया, ताइवान, तिब्बत, भूटान, मंगोलिया और सिंगापुर। महायान सम्प्रदाय कि आगे और उपशाखाएँ हैं, जैसे ज़ेन/चान, पवित्र भूमि, तियानताई, निचिरेन, शिन्गोन, तेन्दाई और तिब्बती बौद्ध धर्म।, Stuart Chandler, University of Hawaii Press, 2004, ISBN 978-0-8248-2746-5,...

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राहुल सांकृत्यायन

राहुल सांकृत्यायन जिन्हें महापंडित की उपाधि दी जाती है हिन्दी के एक प्रमुख साहित्यकार थे। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद् थे और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत/यात्रा साहित्य तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। वह हिंदी यात्रासहित्य के पितामह कहे जाते हैं। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। इसके अलावा उन्होंने मध्य-एशिया तथा कॉकेशस भ्रमण पर भी यात्रा वृतांत लिखे जो साहित्यिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। २१वीं सदी के इस दौर में जब संचार-क्रान्ति के साधनों ने समग्र विश्व को एक ‘ग्लोबल विलेज’ में परिवर्तित कर दिया हो एवं इण्टरनेट द्वारा ज्ञान का समूचा संसार क्षण भर में एक क्लिक पर सामने उपलब्ध हो, ऐसे में यह अनुमान लगाना कि कोई व्यक्ति दुर्लभ ग्रन्थों की खोज में हजारों मील दूर पहाड़ों व नदियों के बीच भटकने के बाद, उन ग्रन्थों को खच्चरों पर लादकर अपने देश में लाए, रोमांचक लगता है। पर ऐसे ही थे भारतीय मनीषा के अग्रणी विचारक, साम्यवादी चिन्तक, सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत, सार्वदेशिक दृष्टि एवं घुमक्कड़ी प्रवृत्ति के महान पुरूष राहुल सांकृत्यायन। राहुल सांकृत्यायन के जीवन का मूलमंत्र ही घुमक्कड़ी यानी गतिशीलता रही है। घुमक्कड़ी उनके लिए वृत्ति नहीं वरन् धर्म था। आधुनिक हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन एक यात्राकार, इतिहासविद्, तत्वान्वेषी, युगपरिवर्तनकार साहित्यकार के रूप में जाने जाते है। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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केसरिया

केसरिया चंपारण से ३५ किलोमीटर दूर दक्षिण साहेबगंज-चकिया मार्ग पर लाल छपरा चौक के पास अवस्थित है। यह पुरातात्विक महत्व का प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ एक वृहद् बौद्धकालीन स्तूप है जिसे केसरिया स्तूप के नाम से जाना जाता है। केसरिया एक महत्‍वपूर्ण बौद्ध स्‍थल है। यह चंपारण में स्थित एक छोटा सा शहर है जो गंडक नदी के किनारे बसा हुआ है। इसका इतिहास काफी पुराना व समृद्ध है। बौद्ध तीर्थस्‍थलों में इसका महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। बुद्ध ने वैशाली से कुशीनगर जाते हुए एक रात केसरिया में बिताई थी तथा लिच्‍छवियों को अपना भिक्षा-पात्र प्रदान किया था। कहा जाता है कि जब भगवान बुद्ध यहां से जाने लगे तो लिच्‍छवियों ने उन्‍हें रोकने का काफी प्रयास किया। लेकिन जब लिच्‍छवि नहीं माने तो भगवान बुद्ध ने उन्‍हें रोकने के लिए नदी में कृत्रिम बाढ़ उत्‍पन्‍न की। इसके पश्‍चात् ही भगवान बुद्ध यहां से जा पाने में सफल हो सके थे। सम्राट अशोक ने यहां एक स्‍तूप का निर्माण करवाया था। इसे विश्‍व का सबसे बड़ा स्‍तूप माना जाता है। विश्व विख्यात केसरिया बौद्ध स्तूप दर्शन महात्मा बुद्ध जब वैशाली से महापरिनिर्वाण ग्रहण करने कुशीनगर जा रहे थे तो बुद्ध एक दिन के लिए (केशपुत निगम) केसरिया में विश्राम किये थे। जिस स्थान पर बुद्ध अजातशत्रु आम्रपाली, आनंद और मंझिम संग ठहरे थे उसी जगह पर कुछ समय बाद मगध सम्राट अजातशत्रु ने स्मरण के रूप में स्तूप का निर्माण करवाया था। बौद्ध धर्म प्रचार हेतु संघमित्रा संग सम्राट अशोक ने (केशपुत निगम) केसरिया जाने के क्रम में सम्राट अशोक एवं संघमित्रा संग साहेबगंज के अशोक चैक पर चन्द लम्हों तक विश्राम किया था जो आज भी साहेबगंज के अशोक चैक बौद्ध परिपथ में आज भी अपने अतीत पर आँसू बहा रहा है। भारतीय पुरातत्व विभाग के लापरवाही का सूचक है। पुनः स्तूप का भव्य निर्माण कराया था। इसे विश्व का सबसे बड़ा केसरिया बौद्ध स्तूप माना जाता है। इस (केशपुत निगम) केसरिया में सम्राट अशोक ने इसलिए विश्व का सबसे बड़ा स्तूप का निर्माण कराने का उन्हें पूर्ण विश्वास एवं स्मरण था कि महात्मा बुद्ध का जन्म बुद्धत्व प्रति एवं महापरिनिर्वाण तीनों बुद्ध पूर्णिमा हीं था। इसलिए इस बौद्ध स्तूप 14000 फीट के क्षेत्र में फैला हुआ था और बौद्ध स्तूप की उँचाई 151 फीट था। अलेक्जेंडर कंनिघम के अनुसार स्तूप काफी उँचा था। यह केसरिया बौद्ध स्तूप केसरिया से दो मील दक्षिण में स्थित है। साहेबगंज से पश्चिम ने पांच मील की दूरी पर विश्वविख्यात केसरिया बौद्ध स्तूप, लाला छपरा मे स्थित है। देवभूमि को पूर्वजों ने देउरा हीं केसरिया, पूर्वी चम्पारण जिला अंतर्गत के समृद्ध इतिहास का सबसे चमकता सितारा है। जिसे सोने की मुर्गी कहा जा सकता है। वर्तमान मैं यहाँ पर ईंटों का विशाल खण्डहर का टीला है। इस जगह का महात्मा बुद्ध के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता था। भगवान केशरनाथ मंदिर पूर्वी चम्पारण जिला अन्तर्गत बटुक लिंग के रूप में स्थागित है। यह लिंग सभी शिवलिंगों मे केसरिया की सबसे अमूल्य निधि माना जाता है। यह शिवलिंग 1969 ई0 में नहर की खुदाई के दौरान मिला था। विद्वानों का मानना है कि विश्व का सबसे अनमोल शिवलिंग जिस प्रकार का जिक्र शिवपुराण में मिलता है। इसी कारण स्थानीय लोगों एवं बुद्धिजीवियों का मानना है कि यह शिवलिंग बहुत प्राचीन है। श्रावण मास में प्रत्येक दिन बेलपत्र, फुल, गंगाजल इत्यादि के अलावा गाय का शुद्ध ताजा दूध शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। दूध चढ़ते हीं शिवलिंग मे ज्योति मय प्रकाश का आगमन दिखता है। यह केसरिया का शिवलिंग वास्तविक है। इस शिवलिंग का वास्तविकता का प्रमाण साक्ष्य है। यह जीवन्त शिवलिंग माना जाता है। ठेकहाँ मठ के महाधिरा श्री श्री 108 कृष्ण मोहन दासजी कहना है कि यह शिवपूराण का विलुप्त बटुक शिवलिंग है जो स्वयं शिवशंकर भोलेनाथ जहाँ व्याप्त होते हैं। कैलेण्डरों में शिवजी के सामने जो लिंग दिखता है वही केसरिया का शिवलिंग साक्षात देख सकते हैं। केसरिया शिवालय में यही सत्य है। ठेकहाँ मठ:- केसरिया का प्राचीन काल में सांस्कृतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान था। केसरिया की यह सांस्कृतिक समृद्धता कत्र्ताराम धवलराम का ठेकहाँ मठ के माध्यम से प्रतिबंधित होती है। इस मठ का इतिहास ढ़ाई सौ वर्ष पुराना है। यह ठेकहाँ मठ केसरिया प्रखण्ड मुख्यालय से सात किलोमीटर एवं साहेबगंज से भी लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गांधी पुस्तकालय:- यह एक समृद्ध कर्मवीर गाँधी पुस्तकालय है। जैसा कि स्थानीय एवं बुद्धिजीवी लोग के साथ-साथ सभी लोग जानते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी सन् 1917 ई0 मैं नील की खेती के विरोध में सत्याग्रह करने के लिए आये थे उसी क्रम में केसरिया के पुस्तकालय की नींव रखी थी। उस समय गाँधीजी केसरिया भी बनाये थे। उस सत्याग्रह का केसरिया के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत में क्रांतिकारी लहर दौड़ गया था। आवागमन वायुमार्ग:- साहेबगंज - केसरिया का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा मुजफरपुर मे है। किन्तु आजकल मुजफरपुर के लिए कोई उड़ान उपलब्ध नही है। वायुयान से पटना तक आकर वहाँ से केसरिया बौद्ध स्तूप दर्शन हेतु जाया जा सकता है। सड़क मार्ग:- यह बिहार की राजधानी पटना से साहेबगंज होते हुए अच्छी सड़क मार्ग से केसरिया जुड़ा हुआ है। इसके अलावा बिहार के प्रत्येक जिलों से सड़क मार्ग से केसरिया बौद्ध स्तूप तक पहुँचा जा सकता है। रेलमार्ग:- ऽ केसरिया के सबसे निकट रेलवे स्टेशन मोतीपुर (मुजफरपुर) और चकिया पूर्वी चम्पारण जिला अन्तर्गत में है। ऽ हाजीपुर-साहेबगंज भाया केसरिया होते हुए सुगौली रेलमार्ग निर्माणाधीन है। एवं मोतीपुर से साहेबगंज जंक्शन में मिलाने की योजना प्रस्तावित है। के0 के0 जायसवाल अध्यक्ष केसरिया बौद्ध डेवलाॅपमेंट सेन्टर मो0-8210327294 / 8227942959 .

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अंगुत्तरनिकाय

अंगुत्तर निकाय एक महत्त्वपूर्ण बौद्ध ग्रंथ है। इसके अनुवादक भदंत आनंद कोशल्यायन हैं। इसको वर्तमान समय में महाबोधि सभा, कलकत्ता द्वारा प्रकाशित किया गया है। बौद्ध ग्रन्थ-बौद्धमतावल्बियों ने जिस साहित्य का सृजन किया, उसमें भारतीय इतिहास की जानकारी के लिए प्रचुर सामग्रियाँ निहित हैं। ‘त्रिपिटक’ इनका महान ग्रन्थ है। सुत, विनय तथा अमिधम्म मिलाकर ‘त्रिपिटक’ कहलाते हैं। बौद्ध संघ, मिक्षुओं तथा भिक्षुणियों के लिये आचरणीय नियम विधान विनय पिटक में प्राप्त होते हैं। सुत्त पिटक में बुद्धदेव के धर्मोपदेश हैं। गौतम निकायों में विभक्त हैं- इसमें से.

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उपदेश

उपदेश का अर्थ है- शिक्षा, सीख, नसीहत, हित की बात का कहना, दीक्षा या गुरुमन्त्र। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

कालाम सुत्त

निवर्तमानआने वाली
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