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कुरमाली लोक-कथायें

सूची कुरमाली लोक-कथायें

कुरमाली लोक-कथाये:- कुरमाली में लोक-कथाओं का विशाल भण्डार मिलता है। साधारणतः लोक-कथाओ का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन करना ही रहा है, परन्तु ये एक पूर्ण विकसित भाषा से कम शिक्षाप्रद, दार्शनिक भाव से ओत-प्रोत हैं। लोग रात को घर में खलियान के कुम्बा या धन्धौरा के चारो ओर जाड़े की लम्बी रात काटने के लिए कहानियां कहते हैं। कुरमाली लोक-कथाओ में अलौकिक और असंभव बातो की भरमार रहती है। एक उल्लेखनीय बात यह है कि जो लोक-कथायें अमेरिका, यूरोप एवं हमारे देश के अन्य लोक-भाषाओ में प्रचलित है, थोड़ा-बहुत अंतर के साथ कुरमाली में भी उपलब्ध है। कुरमाली के लोक-कथाओं को मुख्य रूप से तीन वर्गों में बांटा जा सकता है:- १. धार्मिक लोक-कथाएं- यथा ‘कर्मा-धर्मा’, तीन ठकुराइन, आर-नि-रहम, आदि। २. शिक्षा-प्रद लोक-कथाएं- यथा बुद्धिक-दाम, राइकस-आर-अमरी, गरखिया-आर-राजकुमारी, अटुकारा-राजा, मूंगा-मोती, करम-कापाड़, आदि। ३. मनोरंजन प्रधान लोक-कथाएं- यथा बाउना, बाड़ा-सियार, पुइतु-बुढा, सियारेक-चाउछाली, बेनिया-आर-चरवाहा आदि श्रेणी:झारखंड की भाषाएँ.

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