लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

कुम्भन दास

सूची कुम्भन दास

भक्तिकाल मे कृष्णभक्ति धारा का विशेष महत्त्व है। पुष्तिमार्ग के प्रवर्तक बल्ल्भाचार्य के शिष्यों में कुम्भनदास का योगदान इस लिये ज्यादा है कि उन्होंने कृष्णभक्ति को राज भक्ति से अधिक महत्त्व दिया। वे मुगल बादशाह अकबर के समकालीन थे। कहते हैं, एक बार अकबर ने उन्हें फतेहपुर सीकरी आमंत्रित किया, कुम्भनदास को इससे बहुत ग्लानि महसूस हुई। इस भाव को उन्होंने अपनी कविता में इस तरह व्यक्त किया है- सन्तन को कहा सीकरी सों काम, आवत जात पनहिया टूटी, बिसर गयो हरि नाम। अर्थात्, सन्तों को सीकरी से क्या लेना-देना, राजा के यहां आने-जाने में जूता घिसा अर्थात थकान हुई अलग, ईश्वर का नाम भी याद ना रहा। वे लिखते हैं - जिनके मुख देखे दुख उपजत, तिन्को करना परी प्रनाम। अर्थात्, जिनका मुंह देखना भी कष्टप्रद है, उनको प्रणम करना पडता है। राजा के प्रति ऐसी विरक्ति सामान्य बात है क्या? .

0 संबंधों

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »