लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

काशीपुर, उत्तराखण्ड

सूची काशीपुर, उत्तराखण्ड

काशीपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उधम सिंह नगर जनपद का एक महत्वपूर्ण पौराणिक एवं औद्योगिक शहर है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित काशीपुर जनसंख्या के मामले में कुमाऊँ का तीसरा और उत्तराखण्ड का छठा सबसे बड़ा नगर है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार काशीपुर नगर की जनसंख्या १,२१,६२३, जबकि काशीपुर तहसील की जनसंख्या २,८३,१३६ है। यह नगर भारत की राजधानी, नई दिल्ली से लगभग २४० किलोमीटर, और उत्तराखण्ड की अंतरिम राजधानी, देहरादून से लगभग २०० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काशीपुर को पुरातन काल से गोविषाण या उज्जयनी नगरी भी कहा जाता रहा है, और हर्ष के शासनकाल से पहले यह नगर कुनिन्दा, कुषाण, यादव, और गुप्त समेत कई राजवंशों के अधीन रहा है। इस जगह का नाम काशीपुर, चन्दवंशीय राजा देवी चन्द के एक पदाधिकारी काशीनाथ अधिकारी के नाम पर पड़ा, जिन्होंने इसे १६-१७ वीं शताब्दी में बसाया था। १८ वीं शताब्दी तक यह नगर कुमाऊँ राज्य में रहा, और फिर यह नन्द राम द्वारा स्थापित काशीपुर राज्य की राजधानी बन गया। १८०१ में यह नगर ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आया, जिसके बाद इसने १८१४ के आंग्ल-गोरखा युद्ध में कुमाऊँ पर अंग्रेजों के कब्जे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। काशीपुर को बाद में कुमाऊँ मण्डल के तराई जिले का मुख्यालय बना दिया गया। ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र की अर्थव्यस्था कृषि तथा बहुत छोटे पैमाने पर लघु औद्योगिक गतिविधियों पर आधारित रही है। काशीपुर को कपड़े और धातु के बर्तनों का ऐतिहासिक व्यापार केंद्र भी माना जाता है। आजादी से पहले काशीपुर नगर में जापान से मखमल, चीन से रेशम व इंग्लैंड के मैनचेस्टर से सूती कपड़े आते थे, जिनका तिब्बत व पर्वतीय क्षेत्रों में व्यापार होता था। बाद में प्रशासनिक प्रोत्साहन और समर्थन के साथ काशीपुर शहर के आसपास तेजी से औद्योगिक विकास हुआ। वर्तमान में नगर के एस्कॉर्ट्स फार्म क्षेत्र में छोटी और मझोली औद्योगिक इकाइयों के लिए एक इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल एस्टेट निर्माणाधीन है। भौगोलिक रूप से काशीपुर कुमाऊँ के तराई क्षेत्र में स्थित है, जो पश्चिम में जसपुर तक तथा पूर्व में खटीमा तक फैला है। कोशी और रामगंगा नदियों के अपवाह क्षेत्र में स्थित काशीपुर ढेला नदी के तट पर बसा हुआ है। १८७२ में काशीपुर नगरपालिका की स्थापना हुई, और २०११ में इसे उच्चीकृत कर नगर निगम का दर्जा दिया गया। यह नगर अपने वार्षिक चैती मेले के लिए प्रसिद्ध है। महिषासुर मर्दिनी देवी, मोटेश्वर महादेव तथा मां बालासुन्दरी के मन्दिर, उज्जैन किला, द्रोण सागर, गिरिताल, तुमरिया बाँध तथा गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब काशीपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। .

147 संबंधों: चण्डीगढ़, चन्द राजवंश, चम्पावत, चैती देवी मन्दिर, काशीपुर, चीन, ढेला नदी, तराई क्षेत्र, तिब्बत, द ट्रिब्यून (चंडीगढ़), द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, दिल्ली, दिल्ली सल्तनत, द्रोणाचार्य, द्वापर युग, देहरादून, निर्दलीय (राजनेता), नजीबाबाद, नई दिल्ली, नवभारत टाइम्स, नगीना (तहसील), बिजनौर, नैनीताल, नैनीताल तहसील, नैनीताल जिला, नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, पंतनगर विमानक्षेत्र, पीलीभीत जिला, बद्री दत्त पाण्डेय, बरेली, बाजपुर, बाजपुर तहसील, बिजनौर, बिजनेस स्टैंडर्ड, ब्रिटिश राज, बौद्ध धर्म, बैजनाथ, उत्तराखण्ड, भारत, भारत की शिक्षा प्रणाली, भारत की जनगणना २०११, भारतीय प्रबन्धन संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर, भारतीय मानक ब्यूरो, भारतीय रेल, भारतीय जनता पार्टी, भारतीय आम चुनाव, 2014, भगत सिंह कोश्यारी, भीम, मलेरिया, महापौर, मानसून, मुरादाबाद, ..., मुरादाबाद जिला, मुग़ल साम्राज्य, मैन्चेस्टर, मोटेश्वर महादेव मन्दिर, राधेहरि राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर तहसील, रामनगर, उत्तराखण्ड, रामपुर जिला, रामगंगा नदी, राष्ट्रीय राजमार्ग (भारत), रुड़की, रुद्रपुर, लालकुआँ, लखनऊ, लंदन, शाहजहाँपुर जिला, शिव, शिवालिक, शिक्षा का माध्यम, श्रीनगर, उत्तराखण्ड, शीत ऋतु, सितारगंज तहसील, सिख धर्म, सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, संयुक्त प्रांत, सुहागा, हरिद्वार, हर्षवर्धन, हिन्दू धर्म, हिन्दी, ह्वेन त्सांग, जसपुर तहसील, जसपुर, उत्तराखण्ड, जापान, जागेश्‍वर, जैन धर्म, जैसलमेर, जोशीमठ, ईसाई धर्म, वाराणसी, विजय बहुगुणा, वेबदुनिया, खच्चर, खटीमा, खटीमा तहसील, गुप्त राजवंश, गुमानी पन्त, ग्रीष्म ऋतु, गोरखा युद्ध, आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय जलवायु, आस्तिक, आगरा, इलाहाबाद, इस्लाम, इंडिया टीवी, इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, इंग्लैण्ड, कत्यूरी राजवंश, कपिल सिब्बल, काठगोदाम, कानपुर, काशीपुर तहसील, काशीपुर नगर निगम, काशीपुर राज्य, काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन, काशीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड, काशीपुर का चैती मेला, कांग्रेस, काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस, किच्छा, किच्छा तहसील, कुणिंद, कुमाऊँ मण्डल, कुमाऊँ राज्य, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची, कुमाऊँनी भाषा, कुषाण राजवंश, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, कोपेन जलवायु वर्गीकरण, कोशी नदी (उत्तराखण्ड), अन्य पिछड़ा वर्ग, अमर उजाला, अल्मोड़ा, उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम, उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड परिवहन निगम, उत्तराखण्ड सरकार, उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद्, उत्तराखण्ड विधानसभा, उत्तराखण्ड के नगरों की सूची, उत्तराखण्ड के मुख्यमन्त्रियों की सूची, उत्तरकाशी, उधम सिंह नगर जिला सूचकांक विस्तार (97 अधिक) »

चण्डीगढ़

चण्डीगढ़, (पंजाबी: ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ), भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो दो भारतीय राज्यों, पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। इसके नाम का अर्थ है चण्डी का किला। यह हिन्दू देवी दुर्गा के एक रूप चण्डिका या चण्डी के एक मंदिर के कारण पड़ा है। यह मंदिर आज भी शहर में स्थित है। इसे सिटी ब्यूटीफुल भी कहा जाता है। चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र में मोहाली, पंचकुला और ज़ीरकपुर आते हैं, जिनकी २००१ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या ११६५१११ (१ करोड़ १६ लाख) है। भारत की लोकसभा में प्रतिनिधित्व हेतु चण्डीगढ़ के लिए एक सीट आवण्टित है। वर्तमान सोलहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी की श्रीमति किरण खेर यहाँ से साँसद हैं। इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप ‘चंडिका’ के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। नवोदय टाइम्स इस शहर के निर्माण में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी निजी रुचि रही है, जिन्होंने नए राष्ट्र के आधुनिक प्रगतिशील दृष्टिकोण के रूप में चंडीगढ़ को देखते हुए इसे राष्ट्र के भविष्य में विश्वास का प्रतीक बताया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शहरी योजनाबद्धता और वास्तु-स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध यह शहर आधुनिक भारत का प्रथम योजनाबद्ध शहर है।, चंडीगढ़ के मुख्य वास्तुकार फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर हैं, लेकिन शहर में पियरे जिएन्नरेट, मैथ्यु नोविकी एवं अल्बर्ट मेयर के बहुत से अद्भुत वास्तु नमूने देखे जा सकते हैं। शहर का भारत के समृद्ध राज्यों और संघ शसित प्रदेशों की सूची में अग्रणी नाम आता है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय ९९,२६२ रु (वर्तमान मूल्य अनुसार) एवं स्थिर मूल्य अनुसार ७०,३६१ (२००६-०७) रु है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और चण्डीगढ़ · और देखें »

चन्द राजवंश

कलि कुमाऊँ का किला और और राजधानी, चम्पावत, १८१५ चन्द राजवंश भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल का एक मध्यकालीन रघुवंशी राजपूत राजवंश था, जिन्होंने इस क्षेत्र पर ११वीं शताब्दी में कत्यूरी राजवंश के ह्रास के बाद से और १८वीं शताब्दी में अंगेज़ो के आगमन तक शासन किया। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और चन्द राजवंश · और देखें »

चम्पावत

चम्पावत भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिले का मुख्यालय है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहाँ पर है। यह कस्बा समुद्र तल से १६१५ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चम्पावत कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चम्पावत में देखे जा सकते हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और चम्पावत · और देखें »

चैती देवी मन्दिर, काशीपुर

चैती देवी मन्दिर (जिसे माता बालासुन्दरी मन्दिर भी कहा जाता है) उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में काशीपुर कस्बेे में कुँडेश्वरी मार्ग पर स्थित है। यह स्थान महाभारत से भी सम्बन्धित रहा है और इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। यहां प्रतिवर्ष चैत्र मास की नवरात्रि में चैती मेला (जिसे चैती का मेला भी कहा जाता है) का आयोजन किया जाता है। यह धार्मिक एवं पौराणिक रूप से ऐतिहासिक स्थान है और पौराणिक काल में इसे गोविषाण नाम से जाना जाता था। मेले के अवसर पर दूर-दूर से यहाँ श्रद्धालु आते हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और चैती देवी मन्दिर, काशीपुर · और देखें »

चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और चीन · और देखें »

ढेला नदी

ढेला रामगंगा की सहायक नदी है। यह उत्तराखण्ड की काशीपुर तहसील के उत्तर में उदय होती है, तथा काशीपुर नगर के दाएं से होकर बहती है। तहसील ठाकुरद्वारा में यह उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और फिर मुरादाबाद नगर के पास रामगंगा में मिल जाती है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और ढेला नदी · और देखें »

तराई क्षेत्र

तराई क्षेत्र भारत, नेपाल एवं भूटान में स्थित हिमालय के आधार के दक्षिण में स्थित क्षेत्रों को कहते हैं। यह क्षेत्र पश्चिम में यमुना नदी से लेकर पूरब में ब्रह्मपुत्र नदी तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में भूमि नम है तथा इस क्षेत्र में घास के मैदान एवं वन हैं। तराई क्षेत्र के उत्तरी भाग भाभर क्षेत्र कहलाता है। तराई क्षेत्र की भूमि के अन्दर मिट्टी और बालू की एक के बाद एक परते हैं। यहाँ पर जल-स्तर बहुत उपर है। इस क्षेत्र की नदियों में मानसून के समय प्राय: बाढ़ आ जाती है। तराई क्षेत्र के नीचे (दक्षिण में) गंगा-यमुना-ब्रह्मपुत्र का मैदानी क्षेत्र स्थित है। तराई का अर्थ समतल भूमि होता है। और अर्थ मधेस भी होता है। पिछले 1 दशक में नेपालमे तराई मधेश नाम से 1 दर्जन से भी अधिक राजनितिक दल दर्ता हुए है। उनमे से अधिकतर अभी के नेपालके सम्भिधान सभा में प्रतिनिधित्व करते है। कुछ मधेसी दल के नाम:मधेसी फोरम, तराई मधेश लोकतांत्रिक पार्टी, सद्भावना पार्टी, तराई मधेश राष्टीय अभियान। उनका मुद्दा मधेशियो हक अधिकार संबिधान सभा से सुनिश्चित करवाना है। मधेश के लोग राजनितिक रूप से पिछड़े है। नेपाली सेना मधेसी की उपस्थिति 2% से भी कम है। और यही स्थिति कुटनीतिक पदों पर भी है। मधेसी लोग अधिकतर भारत के यूपी विहार मूल के है। उसकेवाद अन्य राज्य से सम्बंधित है जैसे बंगाल पंजाब राजस्थान का नंबर आता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और तराई क्षेत्र · और देखें »

तिब्बत

तिब्बत का भूक्षेत्र (पीले व नारंगी रंगों में) तिब्बत के खम प्रदेश में बच्चे तिब्बत का पठार तिब्बत (Tibet) एशिया का एक क्षेत्र है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसे पारम्परिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का अधिकार है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहाँ के लोगों का धर्म बौद्ध धर्म की तिब्बती बौद्ध शाखा है तथा इनकी भाषा तिब्बती है। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहाँ के राजनैतिक व धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली और वे अब तक भारत में सुरक्षित हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और तिब्बत · और देखें »

द ट्रिब्यून (चंडीगढ़)

द ट्रिब्यून एक अंग्रेजी भाषा का भारतीय दैनिक समाचार पत्र है जो चंडीगढ़, नई दिल्ली, जालंधर, देहरादून और बठिंडा से प्रकाशित होता है। यह २ फ़रवरी १८८१ को, लाहौर (अब पाकिस्तान में) में एक परोपकारी सरदार दयाल सिंह मजीठिया द्वारा स्थापित किया गया था। यह ट्रस्ट पांच न्यासियों द्वारा चलाया जाता है.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और द ट्रिब्यून (चंडीगढ़) · और देखें »

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस भारत में प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। यह चेन्नई, कोयंबटूर, हैदराबाद, बैंगलोर, कोच्ची व भुवनेश्वर में प्रकाशित होता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और द न्यू इंडियन एक्सप्रेस · और देखें »

दिल्ली

दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और दिल्ली · और देखें »

दिल्ली सल्तनत

सन् 1210 से 1526 तक भारत पर शासन करने वाले पाँच वंश के सुल्तानों के शासनकाल को दिल्ली सल्तनत (دلی سلطنت) या सल्तनत-ए-हिन्द/सल्तनत-ए-दिल्ली कहा जाता है। ये पाँच वंश ये थे- गुलाम वंश (1206 - 1290), ख़िलजी वंश (1290- 1320), तुग़लक़ वंश (1320 - 1414), सैयद वंश (1414 - 1451), तथा लोधी वंश (1451 - 1526)। इनमें से चार वंश मूलतः तुर्क थे जबकि अंतिम वंश अफगान था। मोहम्मद ग़ौरी का गुलाम कुतुब-उद-दीन ऐबक, गुलाम वंश का पहला सुल्तान था। ऐबक का साम्राज्य पूरे उत्तर भारत तक फैला था। इसके बाद ख़िलजी वंश ने मध्य भारत पर कब्ज़ा किया परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप को संगठित करने में असफल रहा। इस सल्तनत ने न केवल बहुत से दक्षिण एशिया के मंदिरों का विनाश किया साथ ही अपवित्र भी किया,रिचर्ड ईटन (2000),, Journal of Islamic Studies, 11(3), pp 283-319 पर इसने भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली सल्तनत मुस्लिम इतिहास के कुछ कालखंडों में है जहां किसी महिला ने सत्ता संभाली। १५२६ में मुगल सल्तनत द्वारा इस इस साम्राज्य का अंत हुआ। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और दिल्ली सल्तनत · और देखें »

द्रोणाचार्य

द्रोणाचार्य ऋषि भरद्वाज तथा घृतार्ची नामक अप्सरा के पुत्र तथा धर्नुविद्या में निपुण परशुराम के शिष्य थे। कुरू प्रदेश में पांडु के पाँचों पुत्र तथा धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों के वे गुरु थे। महाभारत युद्ध के समय वह कौरव पक्ष के सेनापति थे। गुरु द्रोणाचार्य के अन्य शिष्यों में एकलव्य का नाम उल्लेखनीय है। उसने गुरुदक्षिणा में अपना अंगूठा द्रोणाचार्य को दे दिया था। कौरवो और पांडवो ने द्रोणाचार्य के आश्रम मे ही अस्त्रो और शस्त्रो की शिक्षा पायी थी। अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। वे अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाना चाहते थे। महाभारत की कथा के अनुसार महर्षि भरद्वाज एकबार नदी ने स्नान करने गए। स्नान के समाप्ति के बाद उन्होंने देखा की अप्सरा घृताची नग्न होकर स्नान कर रही है। यह देखकर वह कामातुर हो परे और उनके शिश्न से बीर्ज टपक पड़ा। उन्हीने ये बीर्ज एक द्रोण कलश में रखा, जिससे एक पुत्र जन्मा। दूसरे मत से कामातुर भरद्वाज ने घृताची से शारीरिक मिलान किया, जिनकी योनिमुख द्रोण कलश के मुख के समान थी। द्रोण (दोने) से उत्पन्न होने का कारण उनका नाम द्रोणाचार्य पड़ा। अपने पिता के आश्रम में ही रहते हुये वे चारों वेदों तथा अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान में पारंगत हो गये। द्रोण के साथ प्रषत् नामक राजा के पुत्र द्रुपद भी शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तथा दोनों में प्रगाढ़ मैत्री हो गई। उन्हीं दिनों परशुराम अपनी समस्त सम्पत्ति को ब्राह्मणों में दान कर के महेन्द्राचल पर्वत पर तप कर रहे थे। एक बार द्रोण उनके पास पहुँचे और उनसे दान देने का अनुरोध किया। इस पर परशुराम बोले, "वत्स! तुम विलम्ब से आये हो, मैंने तो अपना सब कुछ पहले से ही ब्राह्मणों को दान में दे डाला है। अब मेरे पास केवल अस्त्र-शस्त्र ही शेष बचे हैं। तुम चाहो तो उन्हें दान में ले सकते हो।" द्रोण यही तो चाहते थे अतः उन्होंने कहा, "हे गुरुदेव! आपके अस्त्र-शस्त्र प्राप्त कर के मुझे अत्यधिक प्रसन्नता होगी, किन्तु आप को मुझे इन अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा-दीक्षा देनी होगी तथा विधि-विधान भी बताना होगा।" इस प्रकार परशुराम के शिष्य बन कर द्रोण अस्त्र-शस्त्रादि सहित समस्त विद्याओं के अभूतपूर्व ज्ञाता हो गये। शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात द्रोण का विवाह कृपाचार्य की बहन कृपी के साथ हो गया। कृपी से उनका एक पुत्र हुआ। यह महाभारत का वह महत्त्वपूर्ण पात्र बना जिसका नाम अश्वत्थामा था। द्रोणाचार्य ब्रह्मास्त्र का प्रयोग जानते थे जिसके प्रयोग करने की विधि उन्होंने अपने पुत्र अश्वत्थामा को भी सिखाई थी। द्रोणाचार्य का प्रारंभिक जीवन गरीबी में कटा उन्होंने अपने सहपाठी द्रु, पद से सहायता माँगी जो उन्हें नहीं मिल सकी। एक बार वन में भ्रमण करते हुए गेंद कुएँ में गिर गई। इसे देखकर द्रोणाचार्य का ने अपने धनुषर्विद्या की कुशलता से उसको बाहर निकाल लिया। इस अद्भुत प्रयोग के विषय में तथा द्रोण के समस्त विषयों मे प्रकाण्ड पण्डित होने के विषय में ज्ञात होने पर भीष्म पितामह ने उन्हें राजकुमारों के उच्च शिक्षा के नियुक्त कर राजाश्रय में ले लिया और वे द्रोणाचार्य के नाम से विख्यात हुये। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और द्रोणाचार्य · और देखें »

द्वापर युग

द्वापर मानवकाल के तृतीय युग को कहते हैं। यह काल कृष्ण के देहान्त से समाप्त होता है। ब्रह्मा का एक दिवस 10,000 भागों में बंटा होता है, जिसे चरण कहते हैं: चारों युग 4 चरण (1,728,000 सौर वर्ष)सत युग 3 चरण (1,296,000 सौर वर्ष) त्रेता युग 2 चरण (864,000 सौर वर्ष)द्वापर युग 1 चरण (432,000 सौर वर्ष)कलि युग यह चक्र ऐसे दोहराता रहता है, कि ब्रह्मा के एक दिवस में 1000 महायुग हो जाते हैं श्रेणी:हिन्दू काल गणना.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और द्वापर युग · और देखें »

देहरादून

यह लेख देहरादून नगर पर है। विस्तार हेतु देखें देहरादून जिला। देहरादून (Dehradun), देहरादून जिले का मुख्यालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली से २३० किलोमीटर दूर दून घाटी में बसा हुआ है। ९ नवंबर, २००० को उत्तर प्रदेश राज्य को विभाजित कर जब उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था, उस समय इसे उत्तराखण्ड (तब उत्तरांचल) की अंतरिम राजधानी बनाया गया। देहरादून नगर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इसका विस्तृत पौराणिक इतिहास है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और देहरादून · और देखें »

निर्दलीय (राजनेता)

राजनीति में निर्दलीय अथवा निर्दल उम्मीदवार अथवा स्वतंत्र उम्मीदवार राजनीतिक दल असम्बद्ध व्यक्ति के लिए प्रयुक्त शब्द है। श्रेणी:राजनीतिक शब्दावली.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और निर्दलीय (राजनेता) · और देखें »

नजीबाबाद

नजीबाबाद उत्तर प्रदेश के बिजनौर ज़िले में स्थित एक नगर है। नजीबाबाद को मुग़ल सम्राट-अहमदशाह के समकालीन नवाब नज़ीबुद्दौला ने 1750 ई. में बसाया था। नजीबाबाद मालन नदी से कुछ दूर पर गढ़वाल की तराई में स्थित है। नज़ीबुद्दौला एक सफल कूटनीतिज्ञ था और मुग़ल साम्राज्य की तत्कालीन राजनीति में इसका काफ़ी दख़ल था। इसका मक़बरा नजीबाबाद में स्थित है। 1857 के विद्रोह में नज़ीबुद्दौला के उत्तराधिकारी नवाब दुंदू खाँ ने अंग्रेजों के विरुद्ध बग़ावत की थी, जिसके कारण उसकी रियासत ज़ब्त कर ली गई और उसका एक भाग रामपुर रियासत को दे दिया गया। नजीबाबाद जिला बिजनौर की तहसील है। तहसील नजीबाबाद में ग्राम: अल्हैयारपुर, कायरी फूल, खलीलपुर, गुढा, गाजीपुर, गोविन्दपुर, चाण्डत तुर्क, चांडत जट, दहीरपुर, नकीपुर रामराय, नरायनपुर, नरूल्लापुर बादली, नूरुलदहरपुर, बुडगरी, ब्रहमजीतपुर चन्दा, बाकरपुर जयराम, बादशाहपुरमाईदास, भगवानपुर, भागूवाला, मलकपुर, मौ.अलीपुरवीरभानA, रामकायरी, राहतपुर खुर्द, लालपुरशौजीमल, शाहपुर सुक्खा, सबलगढ, सभाचन्दपुर केशो, सराये जलाल, सरायेजलाल (अ0ह0), सलेमपुर, सुगंरपुर, सुल्तानपुर सादात, अकबरपुर आवला, अकबरपुर चौगावां, अकबराबाद, अगुपुरा प्यारा, अनवर पुर चतर, अब्दुल्लापुर, अब्बुल फजलपुर खास, अबुलफजलपुर तबेला, अमान नगर, अमानुल्लापुर, अमीपुर माईदास, अरगूपुरा, अरजानीपुर, अलावलपुर नैनू, अलीपुरा, अशरफपुर, अहमद पुर मजीद, अहमदपुर सादात, असदुल्लापुर, असलमपुर झोझा, आजमपुर गाजी, आजमपुर मौ.अली, आजमपुर यार मौहम्मद, आजमाबाद, आरफपुर खजूरी, आलमपुर, आलमपुर आसूं, आलमपुर गंगा, आसू नंगली औरंगजेबपुर फाजिल औरंगजेबपुर महमूद औरंगपुर नन्दलाल औरंगपुर फत्तेखां औरंगपुर फत्ता औरंगपुर बसन्ता औरंगपुर भिक्कू औरंगपुर हृदय औरंगाबाद औरंजेबपुर गुलाल, औंरगजेबपुर चन्दा, इब्राहीमपुर जमालुद्दीन, इब्राहीमपुर बावन, इब्राहीमपुर राजू Z.A, इब्राहीमपुर वहाऊद्दीन, इब्राहीमपुरराजू अ0, इस्लामपुर बेगा, इस्लामपुर मीरा, इस्लामपुर शाह अली, इस्लामपुर हटटू, इस्लामपुर सादात, इस्लामपुर साहू, इस्सेपुर, उमरपुर, ऊमरी, कुतुबपुर, कुतुबपुर नंगली, कुम्हैड़ा, केशोपुर, कनकपुर, कमालपुर, करमस खेडी, करौली, कल्याणपुर, कल्हैडी A, कल्हैडी BA, कला नंगली, कलापुर बुर्जुग, कवलनैन पुर, कादरपुर तय्यब, कामगारपुर, कामराजपुर, काशीरामपुर, कोटावाली, कौडॢया, खटाई, खतीरका, खुशहालपुर मडका, खसौर, खेडा, खैरपुर जालीका, खैरूल्लापुर B.A., खैरूल्लापुरA, खानपुर, खानपुर शर्फुदीन (अ0ह0), खानपुरशर्फुदीन हुसैन, गजरौला, गढमलपुर, गनौरा, गुजरपुर आसू, गुजरपुरा, गुलाम अलीपुर राजू, गुलामअलीपुरनाथा, गुनियापुर, गाजीपुर, गाजीपुर हिदायत, गोकलपुर सुन्दर, गोपालखेडी, गोपालपुर, गोयला ए., गोयला B.A., गौसपुर एतमाली, गौसपुर राये, गौसपुर बिला एतमाली, गांगूवाला, घघेडी, चतरभोजपुर कुशल, चतरुवाला, चन्दगोयला, चन्दपुरा, चन्दौक, चमरौला, चाहसलूनो, छापर, ज्वाला चन्डी, ज्वाली लाला, जगदीशपुर, जगदीसपुर, जटपुरा, जटपुरा खास, जटपुरा भौंडा, जफरपुर, जफरुल्लापुर, जम्हीरी, जमालपुर खोको, जलालपुर सुल्तान, जलालाबाद, जुल्फकारपुर, जहानपुर, जहांनाबाद, जसपुर, जसवन्तपुर, जादोपुर, जाफरपुर, जाफराबाद, जालपुर, जालबपुर गूदड, जीतपुर खास, जीवनपुर, झक्काकी, टोडरपुर, टोडा, डूंगरपुर, ढाकी साधो, तर्करुबपुर इसराजखेडीA, तकर्रूबपुरइसराजखेडी, तकीपुर हरवंश, तरीकमपुर, तरीकमपुर दरगो, तेली नंगली, तैय्यबपुर गौरवा, ताजपुर, तातारपुर लालू, ताहरपुर इशहाक, थापल, दूधला, दूधली, दुल्हापुर, दयालपुर ज्ञानपुर, दरगोपुर, दरियापुर, दाऊदपुर नन्हेडा, दाऊदपुर हाजी, दानियालपुर, धनसीनी, धनौरा, धनौरी कुवंर, धर्मपुर, धर्मपुर धन्सी, धर्मपुर भगवान, धर्मपुर भोजा, धर्मागढी (गैर आबाद), न्यामतपुर, नजीबपुर सादात, नजीबाबाद, नजीमपुर, नन्दपुर, नूरपुर डहरा, नूरमपुर, नसरुल्लापुर, नसीरपुर मिठारी, नेकपुर, नंगला इस्लाम, नंगला उभ्भन, नंगला पिथौरा, नंगला हरदास, नंगला सेम्भल, नारायणपुर इच्छा बी0 ए0, नारायणपुरइच्छाA, नारायनपुर रतन, नौरंगपुर, नौरोजपुर, नांगल, नीबपुर, पदारथपुर, परतापपुर, पर्वतपुर मखदूमपुर, पुरनपुर गढी-, पुरूषोत्तमपुर, पून्डरी खुर्द, पूरनपुर गढ़ी बी.ए., पूरनपुर नरोत्तम, पृथीपुर, प्रेमपुर, पाडला, पाडली, पीपलसाना, फैजाबाद, फजलपुर खास, फजलपुर पर्वत, फजलपुर भोया, फजलपुर मान, फजलपुर हैबत, फजलपुर हबीब, फजलपुरफतेउल्ला, फतहउल्लापुर, फतहपुर राजाराम, फतेहऊल्लापुर दुर्ग, फरजपुर, बढापुर, बरकातपुर, बरखुरदारपुरगोपाल, बरमपुर, बशीरपुर, बुडगरा, बूङपुर नैन सिह, बूढपुर मुफ्ती, बूलचन्दपुर, बहादरपुर, बहादरपुरशर्फुददीन, बसेड़ा, बसेडी, बेगमपुर भौनावाला, बेगमपुर रुपचन्द, बेगमपुर शादी, बेहड़ा चौहान, बैवलवाला, बाकरपुर, बादशाहपुर खोशी, बंशगोपालपुर, बीतरा, बीरुवाला, भगवानवाला, भटौली, भदौला, भनेड़ा, भरैका, भोगपुर, भोजपुर, मथुरापुर मोर, मदसूदनपुर देवीदास, मन्सूरपुर बेगुनाह, मनुपुरा, मनोहर वाला, मल्हपुर, मलूकवाली, मुकन्दपुर गोपाल, मुकन्दपुर रामू, मुकीमपुर दुनिया, मुकीमपुर पदारथ, मुबारकपुर, मुबारकपुर खोशा, मुबारकपुर मीरा, मुबारकपुर राठे, मुबारकपुर हरदास, मुबारकपुर सहारन, मुबारकपुरहरबल्लभ, मुरशदपुर, मुस्तफापुर, मुस्तफापुर आंसू, मुस्तफापुरनौआबाद, मुस्वीखानपुर, मुस्सेपुर, महेशपुर, मूंगरपुर, महमूदपुर, महमसापुर, महलकी, महारायपुर शेख, महावतपुर गौरवा, महावतपुर दलपत, महावतपुर नाथा A, महावतपुर नाथा BA, महावतपुर बिल्लौच, मेदूवाला, मेमन सादात, मंडावली, मानपुर, मायापुरी, मालीपुर, मोचीपुरा, मोटाढाक, मोथला, मोमिनपुर दासू, मोमिनपुर लालू, मोमिनपुर लाला, मोहिउद्दीनपुर, मौ.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और नजीबाबाद · और देखें »

नई दिल्ली

नई दिल्ली भारत की राजधानी है। यह भारत सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के केंद्र के रूप में कार्य करता है। नई दिल्ली दिल्ली महानगर के भीतर स्थित है, और यह दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के ग्यारह ज़िलों में से एक है। भारत पर अंग्रेज शासनकाल के दौरान सन् 1911 तक भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) था। अंग्रेज शासकों ने यह महसूस किया कि देश का शासन बेहतर तरीके से चलाने के लिए कलकत्ता की जगह यदि दिल्‍ली को राजधानी बनाया जाए तो बेहतर होगा क्‍योंकि य‍ह देश के उत्तर में है और यहां से शासन का संचालन अधिक प्रभावी होगा। इस पर विचार करने के बाद अंग्रेज महाराजा जॉर्ज पंचम ने देश की राजधानी को दिल्‍ली ले जाने के आदेश दे दिए। वर्ष 2011 में दिल्ली महानगर की जनसंख्या 22 लाख थी। दिल्ली की जनसंख्या उसे दुनिया में पाँचवीं सबसे अधिक आबादी वाला, और भारत का सबसे बड़ा महानगर बनाती है। क्षेत्रफल के अनुसार भी, दिल्ली दुनिया के बड़े महानगरों में से एक है। मुम्बई के बाद, वह देश का दूसरा सबसे अमीर शहर है, और दिल्ली का सकल घरेलू उत्पाद दक्षिण, पश्चिम और मध्य एशिया के शहरों में दूसरे नम्बर पर आता है। नई दिल्ली अपनी चौड़ी सड़कों, वृक्ष-अच्छादित मार्गों और देश के कई शीर्ष संस्थानो और स्थलचिह्नों के लिए जानी जाती है। 1911 के दिल्ली दरबार के दौरान, 15 दिसम्बर को शहर की नींव भारत के सम्राट, जॉर्ज पंचम ने रखी, और प्रमुख ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लुट्यन्स और सर हर्बर्ट बेकर ने इसकी रूपरेखा तैयार की। ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन द्वारा 13 फ़रवरी 1931 को नई दिल्ली का उद्घाटन हुआ। बोलचाल की भाषा में हालाँकि दिल्ली और नयी दिल्ली यह दोनों नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधिकार क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए के प्रयोग किये जाते हैं, मगर यह दो अलग-अलग संस्था हैं और नयी दिल्ली, दिल्ली महानगर का छोटा सा हिस्सा है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और नई दिल्ली · और देखें »

नवभारत टाइम्स

नवभारत टाइम्स दिल्ली और मुंबई से प्रकाशित होने वाला एक दैनिक समाचार पत्र है। इसकी प्रकाशक कम्पनी बेनेट, कोलमैन एवं कम्पनी है, जो द टाइम्स ऑफ इंडिया, द इकोनॉमिक्स टाइम्स, महाराष्ट्र टाइम्स जैसे दैनिक अखबारों एवं फ़िल्मफ़ेर व फेमिना जैसी पत्रिकाओं का प्रकाशन भी करती है। नवभारत टाइम्स इस समूह के सबसे पुराने प्रकाशनों में से एक है। दिल्ली में करीब 4.23 लाख की प्रसार संख्या और 19.7 लाख की पाठक संख्या के साथ यह अखबार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में छाया हुआ है। हिन्दी मुम्बई में चौथे नम्बर की भाषा मानी जाती है, इसके बावजूद ग्रेटर मुम्बई क्षेत्र में नवभारत टाइम्स की प्रसार संख्या 1.3 लाख और पाठक संख्या 4.7 लाख है। इन दोनों शहरों में शुरू से ही नवभारत टाइम्स प्रथम स्थान पर है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और नवभारत टाइम्स · और देखें »

नगीना (तहसील), बिजनौर

यह तहसील बिजनौर जिला, उत्तर प्रदेश में स्थित है। 2011 में हुई भारत की जनगणना के अनुसार इस तहसील में 539 गांव हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और नगीना (तहसील), बिजनौर · और देखें »

नैनीताल

नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन नगर है। यह नैनीताल जिले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है। देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और नैनीताल · और देखें »

नैनीताल तहसील

नैनीताल तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जनपद की एक तहसील है। नैनीताल जनपद के मध्य में स्थित इस तहसील के मुख्यालय नैनीताल नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में धारी तहसील, पश्चिम में रामनगर तथा कालाढूंगी तहसील, उत्तर में बेतालघाट और कोश्याकुटौली तहसील, तथा दक्षिण में लालकुआँ और हल्द्वानी तहसील है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और नैनीताल तहसील · और देखें »

नैनीताल जिला

नैनीताल जिला भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। जिले का मूख्यालय नैनीताल है। नैनीताल जिला, कुमाऊँ मण्डल में स्थित है और इसके उत्तर में अल्मोड़ा जिला और दक्षिण में उधमसिंहनगर जिला है। हल्द्वानी इस जिले में सबसे बड़ा नगर है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और नैनीताल जिला · और देखें »

नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्री के.सी.सिंह बाबा वर्तमान लोकसभा में यहाँ से सांसद हैं। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सदस्य हैं। श्रेणी:उत्तराखण्ड के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र · और देखें »

पंतनगर विमानक्षेत्र

पंतनगर विमानक्षेत्र पंतनगर में स्थित है। इसका ICAO कोडहै VIPT और IATA कोड है PGH। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां कस्टम्स विभाग उपस्थित नहीं है। इसका रनवे पेव्ड है। इसकी प्रणाली यांत्रिक हाँ है। इसकी उड़ान पट्टी की लंबाई 3600 फी.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और पंतनगर विमानक्षेत्र · और देखें »

पीलीभीत जिला

पीलीभीत भारतीय के उत्तर प्रदेश प्रांत का एक जिला है, जिसका मुख्यालय पीलीभीत है। इस जिले की साक्षरता - ६१% है, समुद्र तल से ऊँचाई -१७१ मीटर और औसत वर्षा - १४०० मि.मी.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और पीलीभीत जिला · और देखें »

बद्री दत्त पाण्डेय

बद्री दत्त पांडे (जन्म 15 फरवरी 1882, कनखल हरिद्वार) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। सात वर्ष की आयु में उनके माता-पिता का निधन हो गया। बद्री दत्त पांडे मूल रूप से अल्मोड़ा के रहने वाले थे। इसलिए माता-पिता के निधन के बाद वह अल्मोड़ा आ गए। अल्मोड़ा में ही उन्होंने पढ़ाई की। 1903 में उन्होंने नैनीताल में एक स्कूल में शिक्षण कार्य किया। कुछ समय बाद देहरादून में उनकी सरकारी नौकरी लग गई, लेकिन जल्दी ही उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और पत्रकारिता में आ गए। उन्होंने 1903 से 1910 तक देहरादून में लीडर नामक अखबार में काम किया। 1913 में उन्होंने अल्मोड़ा अखबार की स्थापना की। उन्होंने इस अखबार के जरिए स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने का काम किया। इसी कारण कई बार अंग्रेज अफसर इस अखबार के प्रकाशन पर रोक लगा देते थे। अल्मोड़ा अखबार को ही उन्होंने शक्ति अखबार का रूप दिया। शक्ति साप्ताहिक अखबार आज भी लगातार प्रकाशित हो रहा है। 1921 में कुली बेगार आंदोलन में बीडी पांडे की भूमिका को हमेशा याद किया जाता है। उन्हें कुमाऊं केसरी की उपाधि से भी नवाजा गया। बद्री दत्त पांडे 1921 में एक साल, 1930 में 18 माह, 1932 में एक साल, 1941 में तीन माह जेल में रहे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्हें जेल भेजा गया। आजादी के बाद भी अल्मोड़ा में रहकर वह सामाजिक कार्यों में सक्रियता से हिस्सा लेते रहे। 1957 में दूसरी लोकसभा के लिए हुए चुनाव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हरगोविंद पंत चुने गए, लेकिन कुछ ही माह में उनका निधन हो गया। इसके बाद सितंबर 1957 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बद्री दत्त पांडे को प्रत्याशी बनाया और वह विजयी हुए। बद्री दत्त पांडे बहुत बेबाक माने जाते थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को मिलने वाली पेंशन आदि का लाभ भी नहीं लिया। 1962 के चीन युद्ध के समय अपने सारे मेडल, पुरस्कार आदि सरकार को भेंट कर दिए। 13 फरवरी 1965 को पंडित बद्रीदत्त पाण्डेय का निधन हो गया। श्रेणी:1882 में जन्मे लोग श्रेणी:१९६५ में निधन श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता सेनानी.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और बद्री दत्त पाण्डेय · और देखें »

बरेली

बरेली उत्तरी भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के बरेली जिले में स्थित एक शहर है। यह उत्तर प्रदेश में आठवां सबसे बड़ा महानगर, और भारत का ५०वां सबसे बड़ा शहर है। रामगंगा नदी के तट पर बसा यह शहर रोहिलखंड के ऐतिहासिक क्षेत्र की राजधानी था। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और बरेली · और देखें »

बाजपुर

बाजपुर, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और बाजपुर · और देखें »

बाजपुर तहसील

बाजपुर तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय बाजपुर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में गदरपुर तहसील, पश्चिम में काशीपुर तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की कालाढूंगी तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का रामपुर जिला है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और बाजपुर तहसील · और देखें »

बिजनौर

बिजनौर भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। हिमालय की उपत्यका में स्थित बिजनौर को जहाँ एक ओर महाराजा दुष्यन्त, परमप्रतापी सम्राट भरत, परमसंत ऋषि कण्व और महात्मा विदुर की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है, वहीं आर्य जगत के प्रकाश स्तम्भ स्वामी श्रद्धानन्द, अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक डॉ॰ आत्माराम, भारत के प्रथम इंजीनियर राजा ज्वालाप्रसाद आदि की जन्मभूमि होने का सौभाग्य भी प्राप्त है। साहित्य के क्षेत्र में जनपद ने कई महत्त्वपूर्ण मानदंड स्थापित किए हैं। कालिदास का जन्म भले ही कहीं और हुआ हो, किंतु उन्होंने इस जनपद में बहने वाली मालिनी नदी को अपने प्रसिद्ध नाटक 'अभिज्ञान शाकुन्तलम्' का आधार बनाया। अकबर के नवरत्नों में अबुल फ़जल और फैज़ी का पालन-पोषण बास्टा के पास हुआ। उर्दू साहित्य में भी जनपद बिजनौर का गौरवशाली स्थान रहा है। क़ायम चाँदपुरी को मिर्ज़ा ग़ालिब ने भी उस्ताद शायरों में शामिल किया है। नूर बिजनौरी जैसे विश्वप्रसिद्ध शायर इसी मिट्टी से पैदा हुए। महारनी विक्टोरिया के उस्ताद नवाब शाहमत अली भी मंडावर,बिजनौर के निवासी थे, जिन्होंने महारानी को फ़ारसी की पढ़ाया। संपादकाचार्य पं. रुद्रदत्त शर्मा, बिहारी सतसई की तुलनात्मक समीक्षा लिखने वाले पं. पद्मसिंह शर्मा और हिंदी-ग़ज़लों के शहंशाह दुष्यंत कुमार,विख्यात क्रांतिकारी चौधरी शिवचरण सिंह त्यागी, पैजनियां - भी बिजनौर की धरती की देन हैं। वर्तमान में महेन्‍द्र अश्‍क देश विदेश में उर्दू शायरी के लिए विख्‍यात हैं। धामपुर तहसील के अन्‍तर्गत ग्राम किवाड में पैदा हुए महेन्‍द्र अश्‍क आजकल नजीबाबाद में निवास कर रहे हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और बिजनौर · और देखें »

बिजनेस स्टैंडर्ड

बिजनेस स्टैंडर्ड भारत में प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। यह मुंबई, नई दिल्ली, कोलकाता, बैंगलोर, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, पुणे, लखनऊ, भुवनेश्वर व कोच्ची में प्रकाशित होता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और बिजनेस स्टैंडर्ड · और देखें »

ब्रिटिश राज

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और ब्रिटिश राज · और देखें »

बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और बौद्ध धर्म · और देखें »

बैजनाथ, उत्तराखण्ड

बैजनाथ उत्तराखण्ड राज्य के बागेश्वर जनपद में गोमती नदी के किनारे एक छोटा सा नगर है। यह अपने प्राचीन मंदिरों के लिए विख्यात है, जिन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रूप में मान्यता प्राप्त है। बैजनाथ उन चार स्थानों में से एक है, जिन्हें भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत 'शिव हेरिटेज सर्किट' से जोड़ा जाना है। बैजनाथ को प्राचीनकाल में "कार्तिकेयपुर" के नाम से जाना जाता था, और तब यह कत्यूरी राजवंश के शासकों की राजधानी थी। कत्यूरी राजा तब गढ़वाल, कुमाऊँ तथा डोटी क्षेत्रों तक राज करते थे। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और बैजनाथ, उत्तराखण्ड · और देखें »

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और भारत · और देखें »

भारत की शिक्षा प्रणाली

भारत के स्कूली बच्चे .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और भारत की शिक्षा प्रणाली · और देखें »

भारत की जनगणना २०११

भारत की जनगणना 2011 भारत की जनगणना २०११, जनगणना आयुक्त सी.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और भारत की जनगणना २०११ · और देखें »

भारतीय प्रबन्धन संस्थान

भारतीय प्रबन्धन संस्थान (आई आई एम) भारत के सर्वोत्तम प्रबंधन संस्थान हैं। प्रबन्धन की शिक्षा के अतिरिक्त ये अनुसंधान व सलाह (कांसल्टेंसी) का कार्य भी करते हैं। वर्तमान में ६ भारतीय प्रबन्धन संस्थान हैं जो बंगलुरू, अहमदाबाद, कोलकाता, लखनऊ, इन्दौर तथा कोझीकोड में स्थित हैं। ये प्रबन्धन में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा की उपाधि प्रदान करते हैं जो एम बी ए के समतुल्य है। इन संस्थानों में प्रवेश अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली प्रवेश परीक्षा कामन ऐडमिशन टेस्ट (सी ए टी) के आधार पर होता है। यह परीक्षा दुनिया की सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी परिक्षाओं में से है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और भारतीय प्रबन्धन संस्थान · और देखें »

भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर

भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर के अलावा बीस अन्य स्थानों में स्थित है। यह प्रबंधन शिक्षा का उच्च श्रेणी का संस्थान है। इन्हें सम्मिलित रूप से भारतीय प्रबंधन संस्थान कहा जाता है। श्रेणी:भारतीय प्रबंधन संस्थान श्रेणी:काशीपुर के शिक्षण संस्थान.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर · और देखें »

भारतीय मानक ब्यूरो

भारतीय मानक ब्यूरो (The Bureau of Indian Standards (BIS)) भारत में राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने वाली संस्था है। यह उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। पहले इसका नाम ' भारतीय मानक संस्थान ' (Indian Standards Institution / ISI) था जिसकी स्थापना सन् १९४७ में हुई थी। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और भारतीय मानक ब्यूरो · और देखें »

भारतीय रेल

यार्ड में खड़ी एक जनशताब्दी रेल। भारतीय रेल (आईआर) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क तथा एकल सरकारी स्वामित्व वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह १६० वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, जिसके १३ लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल देश की मूल संरचनात्‍मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्‍ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्‍ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है। अर्थव्यस्था में अंतर्देशीय परिवहन का रेल मुख्य माध्यम है। यह ऊर्जा सक्षम परिवहन मोड, जो बड़ी मात्रा में जनशक्ति के आवागमन के लिए बड़ा ही आदर्श एवं उपयुक्त है, बड़ी मात्रा में वस्तुओं को लाने ले जाने तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। यह देश की जीवनधारा है और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्‍थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है। यह जीवन स्तर सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि का विकासशील त्वरित करने में सहायता करता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और भारतीय रेल · और देखें »

भारतीय जनता पार्टी

भारतीय जनता पार्टी (संक्षेप में, भाजपा) भारत के दो प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक हैं, जिसमें दूसरा दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है। यह राष्ट्रीय संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के मामले में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और प्राथमिक सदस्यता के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा दल है।.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और भारतीय जनता पार्टी · और देखें »

भारतीय आम चुनाव, 2014

भारत में सोलहवीं लोक सभा के लिए आम चुनाव ७ अप्रैल से १२ मई २०१४ तक ९ चरणों में हुए। मतगणना १६ मई को हुई। इसके लिए भारत की सभी संसदीय क्षेत्रों में वोट डाले गये। वर्तमान में पंद्रहवी लोक सभा का कार्यकाल ३१ मई २०१४ को ख़त्म हो रहा है। ये चुनाव अब तक के इतिहास में सबसे लंबा कार्यक्रम वाला चुनाव था। यह पहली बार होगा, जब देश में ९ चरणों में लोकसभा चुनाव हुए। निर्वाचन आयोग के अनुसार ८१.४५ करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। सभी नौ चरणों में औसत मतदान ६६.३८% के आसपास रहा जो भारतीय आम चुनाव के इतिहास में सबसे उच्चतम है। चुनाव के परिणाम १६ मई को घोषित किये गये। ३३६ सीटों के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सबसे बड़ा दल और २८२ सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने ५९ सीटों पर और कांग्रेस ने ४४ सीटों पर जीत हासिल की।, Election Commission of India बीजेपी ने केवल 31.0% वोट जीते, जो आजादी के बाद से भारत में बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए पार्टी का सबसे कम हिस्सा है, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का संयुक्त वोट हिस्सा 38.5% था। 1984 के आम चुनाव के बाद बीजेपी और उसके सहयोगियों ने सबसे बड़ी बहुमत वाली सरकार बनाने का अधिकार जीता, और यह चुनाव पहली बार हुआ जब पार्टी ने अन्य पार्टियों के समर्थन के बिना शासन करने के लिए पर्याप्त सीटें जीती हैं। आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सबसे खराब हार थी। भारत में आधिकारिक विपक्षी दल बनने के लिए, एक पार्टी को लोकसभा में 10% सीटें (54 सीटें) हासिल करनी होंगी; हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस नंबर को हासिल करने में असमर्थ थी। इस तथ्य के कारण, भारत एक आधिकारिक विपक्षी पार्टी के बिना बना हुआ है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और भारतीय आम चुनाव, 2014 · और देखें »

भगत सिंह कोश्यारी

भगत सिंह कोश्यारी भारत की राजनीति में उत्तर भारत का एक परिचित नाम है, जो भारतीय जनता पार्टी से सम्बधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे उत्तराखण्ड राज्य के द्वितीय सफल मुख्यमन्त्री तथा उत्तराखण्ड विधानसभा में 2002 से 2007 तक विपक्ष के शीर्ष नेता रह चुके हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और भगत सिंह कोश्यारी · और देखें »

भीम

हिन्दू धर्म के महाकाव्य महाभारत के अनुसार भीम पाण्डवों में दूसरे स्थान पर थे। वे पवनदेव के वरदान स्वरूप कुन्ती से उत्पन्न हुए थे, लेकिन अन्य पाण्डवों के विपरीत भीम की प्रशंसा पाण्डु द्वारा की गई थी। सभी पाण्डवों में वे सर्वाधिक बलशाली और श्रेष्ठ कद-काठी के थे एवं युधिष्ठिर के सबसे प्रिय सहोदर थे। उनके पौराणिक बल का गुणगान पूरे काव्य में किया गया है। जैसे:- "सभी गदाधारियों में भीम के समान कोई नहीं है और ऐसा भी कोई को गज की सवारी करने में इतना योग्य हो और बल में तो वे दस हज़ार हाथियों के समान है। युद्ध कला में पारंगत और सक्रिय, जिन्हे यदि क्रोध दिलाया जाए जो कई धृतराष्ट्रों को वे समाप्त कर सकते हैं। सदैव रोषरत और बलवान, युद्ध में तो स्वयं इन्द्र भी उन्हें परास्त नहीं कर सकते।" वनवास काल में इन्होने अनेक राक्षसों का वध किया जिसमे बकासुर एवं हिडिंब आदि प्रमुख हैं एवं अज्ञातवास में विराट नरेश के साले कीचक का वध करके द्रौपदी की रक्षा की। यह गदा युद़्ध में बहुत ही प्रवीण थे एवं बलराम के शिष़्य थे। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में राजाओं की कमी होने पर उन्होने मगध के शासक जरासंघ को परास्त करके ८६ राजाओं को मुक्त कराया। द्रौपदी के चीरहरण का बदला लेने के लिए उन्होने दुःशासन की क्षाती फाड कर उसका रक्त पान किया। महाभारत के युद्ध में भीम ने ही सारे कौरव भाईयों का वध किया था। इन्ही के द्वारा दुर्योधन के वध के साथ ही महाभारत के युद्ध का अंत हो गया। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और भीम · और देखें »

मलेरिया

मलेरिया या दुर्वात एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है। प्रत्येक वर्ष यह ५१.५ करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा १० से ३० लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है जिनमें से अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका के युवा बच्चे होते हैं। मलेरिया को आमतौर पर गरीबी से जोड़ कर देखा जाता है किंतु यह खुद अपने आप में गरीबी का कारण है तथा आर्थिक विकास का प्रमुख अवरोधक है। मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग प्लास्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है। केवल चार प्रकार के प्लास्मोडियम (Plasmodium) परजीवी मनुष्य को प्रभावित करते है जिनमें से सर्वाधिक खतरनाक प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) माने जाते हैं, साथ ही प्लास्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) तथा प्लास्मोडियम मलेरिये (Plasmodium malariae) भी मानव को प्रभावित करते हैं। इस सारे समूह को 'मलेरिया परजीवी' कहते हैं। मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्तहीनता (एनीमिया) के लक्षण उभरते हैं (चक्कर आना, साँस फूलना, द्रुतनाड़ी इत्यादि)। इसके अलावा अविशिष्ट लक्षण जैसे कि बुखार, सर्दी, उबकाई और जुखाम जैसी अनुभूति भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाएं मच्छर काटने से बचाती हैं, तो कीटनाशक दवा के छिडकाव तथा स्थिर जल (जिस पर मच्छर अण्डे देते हैं) की निकासी से मच्छरों का नियंत्रण किया जा सकता है। मलेरिया की रोकथाम के लिये यद्यपि टीके/वैक्सीन पर शोध जारी है, लेकिन अभी तक कोई उपलब्ध नहीं हो सका है। मलेरिया से बचने के लिए निरोधक दवाएं लम्बे समय तक लेनी पडती हैं और इतनी महंगी होती हैं कि मलेरिया प्रभावित लोगों की पहुँच से अक्सर बाहर होती है। मलेरिया प्रभावी इलाके के ज्यादातर वयस्क लोगों मे बार-बार मलेरिया होने की प्रवृत्ति होती है साथ ही उनमें इस के विरूद्ध आंशिक प्रतिरोधक क्षमता भी आ जाती है, किंतु यह प्रतिरोधक क्षमता उस समय कम हो जाती है जब वे ऐसे क्षेत्र मे चले जाते है जो मलेरिया से प्रभावित नहीं हो। यदि वे प्रभावित क्षेत्र मे वापस लौटते हैं तो उन्हे फिर से पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए। मलेरिया संक्रमण का इलाज कुनैन या आर्टिमीसिनिन जैसी मलेरियारोधी दवाओं से किया जाता है यद्यपि दवा प्रतिरोधकता के मामले तेजी से सामान्य होते जा रहे हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और मलेरिया · और देखें »

महापौर

महापौर किसी नगर के प्रशासक को कहते हैं। कई बार महापौर का चुनाव उस नगर में रहने वाले लोगों द्वारा किया जाता है और अन्य कई बार, एक केंद्रीय सरकारी समिति यह निर्णय लेती है की किसी नगर का महापौर कौन होगा। बहुत से संघीय देशों जैसे जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका में महापौर नगर-राज्य की सरकार का प्रमुख भी होता है। In श्रेणी:समाजशास्त्र.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और महापौर · और देखें »

मानसून

जब ITCZ(उष्ण कटिबंधीय संरक्षित क्षेत्र)से जब व्यापारिक एवं समाॅगी हवाये ऊपर की ओर कोरियोलिस बल के कारण भारत के राज्य केरल मे 2महिना 10दिन मे मानसून पहुंचता है जो कि यहां सबसे पहले सबसे बाद मे भी मानसून यही होता है लेकिन भारत मे सबसे ज्यादा मानसून मासिनराम(मेघालय) मे होती है जो कि वहा पर औषतन बरसात 11873मिमी॰ की होती है । तमिलनाडु के नागरकायल (कन्याकुमारी के पास) में मानसून के बादल मानसून मूलतः हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है। इस शब्द का प्रथम प्रयोग ब्रिटिश भारत में (वर्तमान भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) एवं पड़ोसी देशों के संदर्भ में किया गया था। ये बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली बड़ी मौसमी हवाओं के लिये प्रयोग हुआ था, जो दक्षिण-पश्चिम से चलकर इस क्षेत्र में भारी वर्षाएं लाती थीं। हाइड्रोलोजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा कराती है। यहां ये उल्लेखनीय है, कि मॉनसून हवाओं का अर्थ अधिकांश समय वर्षा कराने से नहीं लिया जाना चाहिये। इस परिभाषा की दृष्टि से संसार के अन्य क्षेत्र, जैसे- उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, उप-सहारा अफ़्रीका, आस्ट्रेलिया एवं पूर्वी एशिया को भी मानसून क्षेत्र की श्रेणी में रखा जा सकता है। ये शब्द हिन्दी व उर्दु के मौसम शब्द का अपभ्रंश है। मॉनसून पूरी तरह से हवाओं के बहाव पर निर्भर करता है। आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मॉनसून आता है।.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और मानसून · और देखें »

मुरादाबाद

मुरादाबाद भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक नगर है जो कि पीतल हस्तशिल्प के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है। रामगंगा नदी के तट पर स्थित मुरादाबाद पीतल पर की गई हस्तशिल्प के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसका निर्यात केवल भारत में ही नहीं अपितु अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और मध्य पूर्व एशिया आदि देशों में भी किया जाता है। अमरोहा, गजरौला और तिगरी आदि यहाँ के प्रमुख पयर्टन स्थलों में से हैं।http://moradabad.nic.in/ रामगंगा और गंगा यहाँ की दो प्रमुख नदियाँ हैं। मुरादाबाद विशेष रूप से प्राचीन समय की हस्तकला, पीतल के उत्पादों पर की रचनात्मकता और हॉर्न हैंडीक्राफ्ट के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह जिला बिजनौर जिला के उत्तर, बदायूँ जिला के दक्षिण, रामपुर जिला के पूर्व और ज्योतिबा फुले नगर जिला के पश्चिम से घिरा हुआ है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और मुरादाबाद · और देखें »

मुरादाबाद जिला

मुरादाबाद शहर के लालबाग नामक स्थान पर श्री काली देवी जी का प्राचीन सिद्धपीठ श्री काली माता मन्दिर स्थित है । लगभग 400 वर्ष पूर्व ब्रिटिश शासन से भी पहले इस स्थान पर नागा बाबा मिश्री गिरी जी ने जो की बंगाल से आये थे, पूजा - पाठ के लिए रामगंगा के तट पर एक मठ का निर्माण करवाया । कालान्तर में नागा बाबा मिश्री गिरी जी के ब्रह्मलीन होने (गौलोकवास) के उपरान्त यह स्थान श्री श्री 1008 मिश्री गिरि जी का टीला प्राचीन सिद्धपीठ श्री काली माता के मन्दिर के रुप में विकसित हुआ । तभी से इस स्थान पर श्री काली माता के दो मन्दिर प्रमुख रूप से स्थित हैं जिन्हें क्रमश: छोटी काली माँ तथा बड़ी काली माँ के नाम से जाना जाता है । इन मन्दिरों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ काली के अन्य मन्दिरों की भाँति पशु - बलि इत्यादि कर्मकाण्डों का प्रचलन नहीं है। बल्कि यहाँ बलि के स्थान पर नारियल चड़ाये जाते है । यहाँ की पूजा सात्विक है । इन दोनों मन्दिरों के निकट प्राचीन समय से वर्तमान में हुए 29 महात्माओं (नागा साधुओं) की समाधियाँ हैं एवं कुछ अन्य साधूओं को जल समाधि दी गयी थी। तथा प्राचीनकाल से आज तक सर्वप्रथम आरती माँ नौ देवी (छोटी काली माँ, जो रामगंगा से निकली थी) की होती है यह मन्दिर नीचे बना हुआ है अतः इस मन्दिर के बराबर में वर्तमान मे गुरुद्वारा स्थापित है। तत्पश्चात टीले पर विराजमान बड़ी काली माँ की आरती होती है, प्राचीनकाल मे नीचे मन्दिर से आरती होने के बाद यह आरती जमीन में बनीं सुरंग (गुफा) से गुजरकर ऊपर टीले वाली माँ काली की आरती के लिये जाया करती थी, परन्तु अब मन्दिर के बराबर में बनें गुरुद्वारे के Basement के कारण इस सुरंग को बंद कर दिया गया है। नौ देवी माँ की प्रतिमा के बराबर में माँ कामाख्या देवी का श्री विग्रह एवं शिवलिंग रूप मे नागा साधू जी की समाधि है एवं शनि देव शिला,नवग्रह देव, श्री वृहस्पतिदेव, हनुमान जी,श्री राम दरवार, शिव परिवार और गौशाला आदि स्थापित है। बड़ी काली माँ की प्रतिमा के साथ सिंह (शेर) है एवं पीछे सरस्वती माँ एवं दुर्गा जी का श्री विग्रह स्थापित है एवं साथ ही साथ श्री बटुक भैरवनाथ जी, कालका माई का धूना, श्री गुरुदत्तात्रेय जी का श्री विग्रह और गौशाला स्थापित है। श्री काली माता मन्दिर रामगंगा के तट पर स्थित है एवं मन्दिर के बराबर मे शमशान घाट है जिसमे महादेव जी का श्री विग्रह है। शमशान घाट के बराबर मे श्री महाकाल भैरवनाथ मन्दिर है जिसमे भैरोनाथ जी के साथ-साथ माँ तारारानी, माँ सरस्वती,संजीवनी बूटी लिये हनुमान जी एवं गुरु गौरखनाथ जी मुख्य रूप से विराजित है, श्री काली माता मन्दिर के सामने सिद्धपीठ श्री बाला जी हठीले हनुमान मन्दिर स्थापित है जिसमे श्री बाला जी महाराज जी के साथ-साथ माता अंजनी, माँ शेरावाली, श्री सीताराम जी, हनुमान जी, हाथी पर सवार गुरु वृहस्पतिदेव जी, श्री शिव परिवार और श्री भैरवनाथ जी मुख्य रूप से सुशोभित है एवं इन मन्दिरो के साथ ही साथ यहाँ श्री संतोषी माता मन्दिर, गंगा मन्दिर, महर्षि दयानंद सरस्वती आश्रम जो की डंडी साधुओं के द्वारा बनबाया गया था और यहाँ कामधेनु गौ माता का मन्दिर व गुरुद्वारा आदि है । लालबाग स्थित काली माता मन्दिर के बारे में मान्यता है कि भक्तगण यदि पवित्र हृदय से माँ की उपासना करें, तो उन्हें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है । इसी मान्यतावश यहाँ विभिन्न पर्वों पर हजारों की संख्या में लोग श्री काली माँ की उपासना के लिए आते हैं । एवं यहाँ दूर दूर से श्रद्धालु आकर बच्चो के मुन्डन भी करवाते है। यह मन्दिर पंच दशनाम् जुना अखाड़ा 13 मढ़ी श्री श्री 1008 मिश्री गिरि जी का टीला प्राचीन सिद्धपीठ श्री काली माता मन्दिर लालबाग मुरादाबाद के नाम से प्रसिद्ध है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और मुरादाबाद जिला · और देखें »

मुग़ल साम्राज्य

मुग़ल साम्राज्य (फ़ारसी:, मुग़ल सलतनत-ए-हिंद; तुर्की: बाबर इम्परातोरलुग़ु), एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया। 1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊँचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया - इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था। उस समय 40 लाख किमी² (15 लाख मील²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था। 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई। उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया। 1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला। इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था। मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और मुग़ल साम्राज्य · और देखें »

मैन्चेस्टर

मैनचेस्टर इंग्लैंड के ग्रेटर मैनचेस्टर क्षेत्र में एक नगर और महानगरीय बोरो है। १८५३ में इसे नगर का दर्जा दिया गया। २००७ में यहाँ की कुल जनसंख्या ४,५८,१०० थी जबकी ग्रेटर मैनचेस्टर महानगरीय क्षेत्र की कुल जनसंख्या २५,६२,२०० थी। श्रेणी:अमेरिका के शहर.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और मैन्चेस्टर · और देखें »

मोटेश्वर महादेव मन्दिर

मोटेश्वर महादेव मंदिर भारत के उत्तरी राज्य उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर तहसील में स्थित एक मन्दिर है। यहां के चैती मैदान में महादेव नगर के किनारे चैती मंदिर स्थित यह मंदिर महाभारत कालीन बताया जाता है और इसका शिवलिंग बारहवां उप ज्योतिर्लिंग माना जाता है। शिवलिंग की मोटाई अधिक होने के कारण यह मोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शिव ने कहा कि जो भक्त कांवड़ कंधे पर रखकर हरिद्वार से गंगा जल लाकर यहां चढ़ाएगा, उसे मोक्ष मिलेगा। इसी मान्यता के कारण लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर यहा लोग कांवड़ चढ़ाते हैं। मोटेश्वर महादेव मंदिर दूसरी मंजिल पर है। इस शिवलिंग के चारों ओर तांबे का फर्श बना है और इसे जागेश्वर के एक कारीगर ने बनाया था। शिवलिंग की मोटाई अधिक होने के कारण इसे कोई अपने दोनों हाथों से घेर नहीं पाता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और मोटेश्वर महादेव मन्दिर · और देखें »

राधेहरि राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय

राधेहरि राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय उत्तराखण्ड राज्य के काशीपुर नगर में स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय से संबद्ध एक कॉलेज है। यह काशीपुर शहर से लगभग 3 किमी दूर नैनीताल रोड पर स्थित है। यह कुमाऊं विश्वविद्यालय के सबसे बड़े कॉलेजों में एक है, जहां स्नातक तथा परास्नातक पाठ्यक्रमों का आयोजन वाणिज्य, मानविकी व विज्ञान संकायों के तहत किया जाता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और राधेहरि राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय · और देखें »

रामनगर तहसील

रामनगर तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जनपद की एक तहसील है। नैनीताल जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय रामनगर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में कालाढूंगी तहसील, पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य का बिजनौर जिला, और गढ़वाल जनपद की कोटद्वार तहसील, उत्तर में नैनीताल और अल्मोड़ा जनपद की सल्ट तहसील, तथा दक्षिण में उधम सिंह नगर जनपद की जसपुर, और काशीपुर तहसील है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और रामनगर तहसील · और देखें »

रामनगर, उत्तराखण्ड

रामनगर, उत्तराखण्ड, भारत के नैनीताल ज़िले में स्थित एक कस्बा और नगर निगम बोर्ड है। यह जिला मुख्यालय नैनीताल से ६५ किमी और देश की राजधानी दिल्ली से लगभग २६० किमी की दूरी पर स्थित है। रामनगर, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के लिए प्रसिद्ध है। यह कस्बा इस राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेशद्वार है। आसपास के अन्य प्रसिद्ध स्थल हैं गर्जिया देवी मन्दिर और सीता बनी मन्दिर। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और रामनगर, उत्तराखण्ड · और देखें »

रामपुर जिला

रामपुर ज़िला भारत के उत्तरप्रदेश राज्य का मुरादाबाद विभाग का एक जिला है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और रामपुर जिला · और देखें »

रामगंगा नदी

रामगंगा नदी भारत की प्रमुख तथा पवित्र नदियों में से एक हैं। स्कंदपुराण के मानसखण्ड में इसका उल्लेख रथवाहिनी के नाम से हुआ है। उत्तराखण्ड के हिमालयी पर्वत श्रृंखलाओं के कुमाऊँ मण्डल के अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले के दूनागिरी (पौराणिक नाम द्रोणगिरी) के विभिन्न प्राकृतिक जलस्रोत निकलकर कई गधेरों अर्थात लघु सरिताओं के रूप में तड़ागताल पहुंचते हैं। इस झील का कोई मुहाना नहीं है। चन्द कदमों की दूरी के उपरान्त स्वच्छ स्वेत धवल सी भूगर्भ से निकलती है और इसी अस्तित्व में प्रकट होकर रामगंगा नाम से पुकारी जाती है। दूसरी ओर गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले के अन्तर्गत ग्वालदम तथा दूधातोली के मध्यवर्ती क्षेत्र के कई गधेरों के ताल नामक गॉंव के समीप मिलने पर रामगंगा कहलाती है। यहीं से रामगंगा का उद्गम होता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और रामगंगा नदी · और देखें »

राष्ट्रीय राजमार्ग (भारत)

भारत के राजमार्ग भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग, भारत की केन्द्रीय सरकार द्वारा संस्थापित और सम्भाले जानी वाली लंबी दूरी की सड़के है। मुख्यतः यह सड़के 2 पंक्तियो की है, प्रत्येक दिशा में जाने के लिए एक पंक्ति। भारत के राजमार्गो की कुल दूरी लगभग 58,000 किमी है, जिसमे से केवल 4,885 किमी की सड़को के मध्य पक्का विभाजन बनाया गया है। राजमार्गो की लंबाई भारत के सड़को का मात्र 2% है, लेकिन यह कुल यातायात का लगभग 40% भार उठाते है। 1995 में पास संसदीय विदेहक के तहत इन राजमार्गो को बनाने और रख-रखाव के लिए निजी संस्थानो की हिस्सेदारी को मंजूरी दी गई। हाल के समय में इन राजमार्गो का तेजी से विकास हुआ जिनके तहत भारत के शहर और कस्बो के बीच यातायात के समय में गिरावट आई। कुछ शहरो के बीच 4 और 6 पंक्तियों के राजमार्गो का भी विकास हुआ। भारत का सबसे बड़ा राजमार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग ७ (NH7) है, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर को भारत के दक्षिणी कोने, तमिलनाडु के कन्याकुमारी शहर के साथ जोड़ता है। इसकी लंबाई 2369 किमी है। सबसे छोटा राजमार्ग 5 किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग NH71B (NH71B) है,। काफ़ी सारे राजमार्गों का अभी भी विकास हो रहा है। ज्यादतर राजमार्गों को कंक्रीट का नहीं बनाया गया है। मुम्बई पुणे एक्सप्रेस-वे इसका एक अपवाद है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और राष्ट्रीय राजमार्ग (भारत) · और देखें »

रुड़की

रुड़की, भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर और नगरपालिका परिषद है। इसे रुड़की छावनी के नाम से भी जाना जाता है और यह देश की सबसे पुरानी छावनियों में से एक है और १८५३ से बंगाल अभियांत्रिकी समूह (बंगाल सैप्पर्स) का मुख्यालय है। यह नगर गंग नहर के तट पर राष्ट्रीय राजमार्ग ५८ पर देहरादून और दिल्ली के मध्य स्थित है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और रुड़की · और देखें »

रुद्रपुर

रुद्रपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद का एक नगर है। जनसंख्या के आधार पर यह कुमाऊँ का दूसरा, जबकि उत्तराखण्ड का पांचवां सबसे बड़ा नगर है। इस नगर की स्थापना कुमाऊँ के राजा रुद्र चन्द ने सोलहवीं शताब्दी में की थी, और तब यह तराई क्षेत्र के लाट (अधिकारी) का निवास स्थल हुआ करता था। यह दिल्ली तथा देहरादून से २५० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रुद्रपुर उत्तराखण्ड का एक प्रमुख औद्योगिक और शैक्षणिक केंद्र होने के साथ साथ उधम सिंह नगर जनपद का मुख्यालय भी है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और रुद्रपुर · और देखें »

लालकुआँ

लालकुआँ उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित एक नगर है। यह कुमाऊँ मण्डल के अंतर्गत आता है। लालकुआँ बिड़ला समूह की एक बड़ी पेपर मिल (सेंचुरी पल्प एंड पेपर) के लिए प्रसिद्ध है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और लालकुआँ · और देखें »

लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और लखनऊ · और देखें »

लंदन

लंदन (London) संयुक्त राजशाही और इंग्लैंड की राजधानी और सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। ग्रेट ब्रिटेन द्वीप के दक्षिण पूर्व में थेम्स नदी के किनारे स्थित, लंदन पिछली दो सदियों से एक बड़ा व्यवस्थापन रहा है। लंदन राजनीति, शिक्षा, मनोरंजन, मीडिया, फ़ैशन और शिल्पी के क्षेत्र में वैश्विक शहर की स्थिति रखता है। इसे रोमनों ने लोंड़िनियम के नाम से बसाया था। लंदन का प्राचीन अंदरुनी केंद्र, लंदन शहर, का परिक्षेत्र 1.12 वर्ग मीटर (2.9 किमी2) है। 19वीं शताब्दी के बाद से "लंदन", इस अंदरुनी केंद्र के आसपास के क्षेत्रों को मिला कर एक महानगर के रूप में संदर्भित किया जाने लगा, जिनमें मिडलसेक्स, एसेक्स, सरे, केंट, और हर्टफोर्डशायर आदि शमिल है। जिसे आज ग्रेटर लंदन नाम से जानते है, एवं लंदन महापौर और लंदन विधानसभा द्वारा शासित किया जाता हैं। कला, वाणिज्य, शिक्षा, मनोरंजन, फैशन, वित्त, स्वास्थ्य देखभाल, मीडिया, पेशेवर सेवाओं, अनुसंधान और विकास, पर्यटन और परिवहन में लंदन एक प्रमुख वैश्विक शहर है। यह दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र के रूप में ताज पहनाया गया है और दुनिया में पांचवां या छठा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र जीडीपी है। लंदन एक है विश्व सांस्कृतिक राजधानी। यह दुनिया का सबसे अधिक का दौरा किया जाने वाला शहर है, जो अंतरराष्ट्रीय आगमन द्वारा मापा जाता है और यात्री ट्रैफिक द्वारा मापा जाने वाला विश्व का सबसे बड़ा शहर हवाई अड्डा है। लंदन विश्व के अग्रणी निवेश गंतव्य है, किसी भी अन्य शहर की तुलना में अधिक अंतरराष्ट्रीय खुदरा विक्रेताओं और अल्ट्रा हाई-नेट-वर्थ वाले लोगों की मेजबानी यूरोप में लंदन के विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा संस्थानों का सबसे बड़ा केंद्र बनते हैं। 2012 में, लंदन तीन बार आधुनिक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने वाला पहला शहर बन गया। लंदन में लोगों और संस्कृतियों की विविधता है, और इस क्षेत्र में 300 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं। इसकी 2015 कि अनुमानित नगरपालिका जनसंख्या (ग्रेटर लंदन के समरूपी) 8,673,713 थी, जो कि यूरोपीय संघ के किसी भी शहर से सबसे बड़ा, और संयुक्त राजशाही की आबादी का 12.5% ​​हिस्सा है। 2011 की जनगणना के अनुसार 9,787,426 की आबादी के साथ, लंदन का शहरी क्षेत्र, पेरिस के बाद यूरोपीय संघ में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला है। शहर का महानगरीय क्षेत्र यूरोपीय संघ में 13,879,757 जनसंख्या के साथ सबसे अधिक आबादी वाला है, जबकि ग्रेटर लंदन प्राधिकरण के अनुसार शहरी-क्षेत्र की आबादी के रूप में 22.7 मिलियन है। 1831 से 1925 तक लंदन विश्व के सबसे अधिक आबादी वाला शहर था। लंदन में चार विश्व धरोहर स्थल हैं: टॉवर ऑफ़ लंदन; किऊ गार्डन; वेस्टमिंस्टर पैलेस, वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी और सेंट मार्गरेट्स चर्च क्षेत्र; और ग्रीनविच ग्रीनविच वेधशाला (जिसमें रॉयल वेधशाला, ग्रीनविच प्राइम मेरिडियन, 0 डिग्री रेखांकित, और जीएमटी को चिह्नित करता है)। अन्य प्रसिद्ध स्थलों में बकिंघम पैलेस, लंदन आई, पिकैडिली सर्कस, सेंट पॉल कैथेड्रल, टावर ब्रिज, ट्राफलगर स्क्वायर, और द शर्ड आदि शामिल हैं। लंदन में ब्रिटिश संग्रहालय, नेशनल गैलरी, प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, टेट मॉडर्न, ब्रिटिश पुस्तकालय और वेस्ट एंड थिएटर सहित कई संग्रहालयों, दीर्घाओं, पुस्तकालयों, खेल आयोजनों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों का घर है। लंदन अंडरग्राउंड, दुनिया का सबसे पुराना भूमिगत रेलवे नेटवर्क है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और लंदन · और देखें »

शाहजहाँपुर जिला

शाहजहाँपुर जिला (अंग्रेजी: Shahjahanpur district) भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है जिसका मुख्यालय शाहजहाँपुर है। यह एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जिसकी पुष्टि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा यहाँ के कुछ उत्साही व प्रमुख व्यक्तियों के माध्यन से कराये गये उत्खनन में मिले सिक्कों, बर्तनों व अन्य बस्तुओं के सर्वेक्षण से हुई है। उत्तर वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय की वस्तुस्थितियों तक इस जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सदैव ही चर्चा में रही है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सन् १८५७ के प्रथम स्वातन्त्र्य समर से लेकर १९२५ के काकोरी काण्ड तथा १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन तक इस जिले की प्रमुख भूमिका रही है। इसे शहीद गढ़ या शहीदों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। शाहजहांपुर को 2018 में उत्तर प्रदेश का 17 वां नगर निगम का दर्जा मिला है । .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और शाहजहाँपुर जिला · और देखें »

शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और शिव · और देखें »

शिवालिक

शिवालिक श्रेणी या बाह्य हिमालय भी कहा जाता है) हिमालय पर्वत का सबसे दक्षिणी तथा भौगोलिक रूप से युवा भाग है जो पश्चिम से पूरब तक फैला हुआ है। यह हिमायल पर्वत प्रणाली के दक्षिणतम और भूगर्भ शास्त्रीय दृष्टि से, कनिष्ठतम पर्वतमाला कड़ी है। इसकी औसत ऊंचाई 850-1200 मीटर है और इसकी कई उपश्रेणियां भी हैं। यह 1600 कि॰मी॰ तक पूर्व में तिस्ता नदी, सिक्किम से पश्चिमवर्त नेपाल और उत्तराखंड से कश्मीर होते हुए उत्तरी पाकिस्तान तक जाते हैं। सहारनपुर, उत्तर प्रदेश से देहरादून और मसूरी के पर्वतों में जाने हेतु मोहन दर्रा प्रधान मार्ग है। पूर्व में इस श्रेणी को हिमालय से दक्षिणावर्ती नदियों द्वारा, बड़े और चौड़े भागों में काटा जा चुका है। मुख्यत यह हिमालय पर्वत की बाह्यतम, निम्नतम तथा तरुणतम श्रृंखला हैं। उत्तरी भारत में ये पहाड़ियाँ गंगा से लेकर व्यास तक २०० मील की लंबाई में फैली हुई हैं और इनकी सर्वोच्च ऊंचाई लगभग ३,५०० फुट है। गंगा नदी से पूर्व में शिवालिक सदृश संचरना पाटली, पाटकोट तथा कोटह को कालाघुंगी तक हिमालय को बाह्य श्रृंखला से पृथक्‌ करती है। ये पहाड़ियाँ पंजाब में होशियारपुर एवं अंबाला जिलों तथा हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले को पार कर जाती है। इस भाग की शिवालिक श्रृंखला अनेक नदियों द्वारा खंडित हो गई है। इन नदियों में पश्चिम में घग्गर सबसे बड़ी नदी है। घग्गर के पश्चिम में ये पहाड़ियाँ दीवार की तरह चली गई हैं और अंबाला को सिरसा नदी की लंबी एवं तंग घाटी से रोपड़ तक, जहाँ पहाड़ियों को सतलुज काटती है, अलग करती हैं। व्यास नदी की घाटी में ये पहाड़ियाँ तरंगित पहड़ियों के रूप में समाप्त हो जाती हैं। इन पहड़ियों की उत्तरी ढलान की चौरस सतहवाली घाटियों को दून कहते हैं। ये दून सघन, आबाद एवं गहन कृष्ट क्षेत्र हैं। सहारनपुर और देहरादून को जोड़नेवाली सड़क मोहन दर्रे से होकर जाती है। भूवैज्ञानिक दृष्टि से शिवालिक पहाड़ियाँ मध्य-अल्प-नूतन से लेकर निम्न-अत्यंत-नूतन युग के बीच में, सुदूर उत्तर में, हिमालय के उत्थान के समय पृथ्वी की हलचल द्वारा दृढ़ीभूत, वलित एवं भ्रंशित हुई हैं। ये मुख्यत: संगुटिकाश्म तथा बलुआ पत्थर से निर्मित है और इनमें स्तनी वर्ग के प्राणियों के प्रचुर जीवाश्म मिले हैं .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और शिवालिक · और देखें »

शिक्षा का माध्यम

किसी शिक्षण संस्थान में जो भाषा शिक्षण के लिये प्रयोग की जाती है, उसे उस संस्थान की शिक्षा का माध्यम (medium of instruction) कहते हैं। अधिकांश विकसित देशों में मातृभाषा ही प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक का माध्यम है। किन्तु ब्रिटेन और फ्रांस के उपनिवेश रहे देशों में अभी भी मातृभाषा के बजाय अंग्रेजी या फ्रेंच शिक्षा के माध्यम हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और शिक्षा का माध्यम · और देखें »

श्रीनगर, उत्तराखण्ड

पौराणिक काल से ही उत्तराखंड राज्य स्थित श्रीनगर का प्राचीन शहर, जो बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है, निरंतर बदलाव के बाद भी अपने अस्तित्व को बचाये रखा है। श्रीपुर या श्रीक्षेत्र उसके बाद नगर के बदलाव सहित श्रीनगर, टिहरी के अस्तित्व में आने से पहले एकमात्र शहर था। वर्ष 1680 में यहां की जनसंख्या 7,000 से अधिक थी तथा यह एक वाणिज्यिक केंद्र जो बाजार के नाम से जाना जाता था, पंवार वंश का दरबार बना। कई बार विनाशकारी बाढ़ का सामना करने के बाद अंग्रेजों के शासनकाल में एक सुनियोजित शहर के रूप में उदित हुआ और अब गढ़वाल का सर्वश्रेष्ठ शिक्षण केंद्र है। विस्थापन एवं स्थापना के कई दौर से गुजरने की कठिनाई के बावजूद इस शहर ने कभी भी अपना उत्साह नहीं खोया और बद्री एवं केदार धामों के रास्ते में तीर्थयात्रियों की विश्राम स्थली एवं शैक्षणिक केंद्र बना रहा है और अब भी वह स्वरूप विद्यमान है। श्रीनगर के स्थानीय आकर्षणों तथा आस-पास के घूमने योग्य स्थान यहां के समृद्ध इतिहास से जुड़े हैं। चूकि यह गढ़वाल के पंवार राजवंश के राजाओं की राजधानी थी, इसलिए श्रीनगर उन दिनों सांस्कृतिक तथा राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र था, जिसे यहां के लोग गौरव से याद करते है। पौराणिक तौर पर यह आदी शंकराचार्य से भी जुड़ा है। इस शहर के अतीत से आज तक में कई नाटकीय परिवर्तन हुए हैं, जहां अब गढ़वाल विश्वविद्यालय के केम्पस तथा कई खोज संस्थान हैं। यहां की महत्ता इस तथ्य में भी है कि आप यहां से बद्रीनाथ तथा केदारनाथ की यात्रा आसानीपूर्वक कर सकते हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और श्रीनगर, उत्तराखण्ड · और देखें »

शीत ऋतु

शीत ऋतु अथवा शिशिर ऋतु वर्ष की एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः निम्न रहता है। साल की अन्य प्रमुख ऋतु हैं - गृष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, वसन्त ऋतु। शीत ऋतु, भारत में यह नवम्बर से फरवरी तक होती है। अन्य देशों में यह अलग समयों पर हो सकती है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और शीत ऋतु · और देखें »

सितारगंज तहसील

सितारगंज तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के पूर्वी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय सितारगंज नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में खटीमा तहसील, पश्चिम में किच्छा तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की हल्द्वानी तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का पीलीभीत जिला है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और सितारगंज तहसील · और देखें »

सिख धर्म

सिख धर्म (सिखमत और सिखी भी कहा जाता है; पंजाबी: ਸਿੱਖੀ) एक एकेश्वरवादी धर्म है। इस धर्म के अनुयायी को सिख कहा जाता है। सिखों का धार्मिक ग्रन्थ श्री आदि ग्रंथ या ज्ञान गुरु ग्रंथ साहिब है। आमतौर पर सिखों के 10 सतगुर माने जाते हैं, लेकिन सिखों के धार्मिक ग्रंथ में 6 गुरुओं सहित 30 भगतों की बानी है, जिन की सामान सिख्याओं को सिख मार्ग पर चलने के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता ह। सिखों के धार्मिक स्थान को गुरुद्वारा कहते हैं। 1469 ईस्वी में पंजाब में जन्मे नानक देव ने गुरमत को खोजा और गुरमत की सिख्याओं को देश देशांतर में खुद जा जा कर फैलाया था। सिख उन्हें अपना पहला गुरु मानते हैं। गुरमत का परचार बाकि 9 गुरुओं ने किया। 10वे गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ये परचार खालसा को सोंपा और ज्ञान गुरु ग्रंथ साहिब की सिख्याओं पर अम्ल करने का उपदेश दिया। संत कबीर, धना, साधना, रामानंद, परमानंद, नामदेव इतियादी, जिन की बानी आदि ग्रंथ में दर्ज है, उन भगतों को भी सिख सत्गुरुओं के सामान मानते हैं और उन कि सिख्याओं पर अमल करने कि कोशिश करते हैं। सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे एक-ओंकार कहते हैं। उनका मानना है कि ईश्वर अकाल और निरंकार है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और सिख धर्म · और देखें »

सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान

हिमालय पर्वत की उत्पत्ति के पश्चात उसके दक्षिण तथा प्राचीन शैलों से निर्मित प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर में, दोनो उच्च स्थलों से निकलने वाली नदियों सिंधु गंगा ब्रह्मपुत्र आदि द्वारा जमा की गई जलोढ मिट्टि जे जमाव से उत्तर के विधाल मैदान का निर्माण हुआ हैं। यह मैदान धनुषाकार रूप में ३२०० किलोमीटर की लम्बाई में भारत के ७.५ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर विस्तृत हैं। मूलत: यह एक भू-अभिनति गर्त है जिसका निर्माण मुख्य रूप से हिमालय पर्वतमाला निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण में लगभग ६-४ करोड़ वर्ष पहले हुआ था। तब से इसे हिमालय और प्रायद्वीप से निकलने वाली नदियाँ अपने साथ लाए हुए अवसादों से पाट रही हैं। इन मैदानों में जलोढ़ की औसत गहराई १००० से २००० मीटर है। उत्तरी भारत का मैदान सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा बहाकर लाए गए जलोढ़ निक्षेप से बना है। इस मैदान की पूर्व से पश्चिम लंबाई लगभग ३२०० किलो मीटर है। इसकी औसत चौड़ाई १५० से ३००० किलोमीटर है। जलोढ़ निक्षेप की अधकतम गहराई १००० से २००० मीटर है। उत्तर से दक्षिण दिशा में इन मैदानों को तीन भागों में बाँट सकते हैं भाभर, तराई और जलोढ़ मैदान। जलोढ़ मैदान को आगे दो भागों में बाँटा जाता है- खादर और बाँगर। भाभर ८ से १० किलोमीटर चौड़ाई की पतली पट्टी है जो शिवालिक गिरिपाद के समानांतर फैली हुई है। उसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार, जैसे- बड़े शैल और गोलाश्म जमा कर देती हैं और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती हैं। भाभर के दक्षिण में तराई क्षेत्र है जिसकी चौड़ाई १० से २० किलोमीटर है। भाभर क्षेत्र में लुप्त नदियाँ इस प्रदेश में ध्रातल पर निकल कर प्रकट होती हैं और क्योंकि इनकी निश्चित वाहिकाएँ नहीं होती, ये क्षेत्र अनूप बन जाता है, जिसे तराई कहते हैं। यह क्षेत्र प्राकॄतिक वनस्पति से ढका रहता है और विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों का घर है। तराई से दक्षिण में मैदान है जो पुराने और नए जलोढ़ से बना होने के कारण बाँगर और खादर कहलाता है। इस मैदान में नदी की प्रौढ़ावस्था में बनने वाली अपरदनी और निक्षेपण स्थलाकॄतियाँ, जैसे- बालू-रोधका, विसर्प, गोखुर झीलें और गुंफित नदियाँ पाई जाती हैं। ब्रह्मपुत्र घाटी का मैदान नदीय द्वीप और बालू-रोधकाओं की उपस्थिति के लिए जाना जाता है। यहाँ ज्यादातर क्षेत्र में समय पर बाढ़ आती रहती है और नदियाँ अपना रास्ता बदल कर गुंफित वाहिकाएँ बनाती रहती हैं। उत्तर भारत के मैदान में बहने वाली विशाल नदियाँ अपने मुहाने पर विश्व के बड़े-बड़े डेल्टाओं का निर्माण करती हैं, जैसे- सुंदर वन डेल्टा। सामान्य तौर पर यह एक सपाट मैदान है जिसकी समुद्र तल से औसत ऊँचाई ५० से १०० मीटर है। हरियाणा और दिल्ली राज्य सिंधु और गंगा नदी तंत्रों के बीच जल-विभाजक है। ब्रह्मपुत्र नदी अपनी घाटी में उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है। परंतु बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले धुबरी के समीप यह नदी दक्षिण की ओर ९०° मुड़ जाती है। ये मैदान उपजाई…जलोढ़ मिट्टी से बने हैं। जहाँ कई प्रकार की फसलें, जैसे-गेहूँ, चावल, गन्ना और जूट उगाई जाती हैं। अत: यहाँ जनसंख्या का घनत्व ज्यादा है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान · और देखें »

संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध

संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध (अंग्रेजी: United Provinces of Agra and Oudh; उच्चारण: यूनाईटेड प्राॅविन्सेज़ ऑफ ऐग्रा ऐण्ड औध) ब्रिटिश भारत में स्वाधीनता से पूर्व एकीकृत प्रान्त का नाम था जो 22 मार्च 1902 को आगरा व अवध नाम की दो प्रेसीडेंसी को मिलाकर बनाया गया था। उस समय सामान्यतः इसे संयुक्त प्रान्त (अंग्रेजी में यू॰पी॰) के नाम से भी जानते थे। यह संयुक्त प्रान्त लगभग एक शताब्दी 1856 से 1947 तक अस्तित्व में बना रहा। इसका कुल क्षेत्रफल वर्तमान भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के संयुक्त क्षेत्रफल के बराबर था। जिसे आजकल उत्तर प्रदेश या अंग्रेजी में यू॰पी॰ कहते हैं उसमें ब्रिटिश काल के दौरान रामपुर व टिहरी गढ़वाल जैसी स्वतन्त्र रियासतें भी शामिल थीं। 25 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान की घोषणा से एक दिन पूर्व सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इन सभी रियासतों को मिलाकर इसे उत्तर प्रदेश नाम दिया था। 3 जनवरी 1921 को जो राज्य पूर्णत: ब्रिटिश भारत का अंग बन गया था उसे स्वतन्त्र भारत में 20वीं सदी के जाते-जाते सन् 2000 में पुन: विभाजित कर उत्तरांचल (और बाद में उत्तराखण्ड) राज्य को स्थापित किया गया। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध · और देखें »

संयुक्त प्रांत

संयुक्त प्रांत या 'युनाइटेड प्रोविंसेस्' (United Provinces) ब्रिटिशकालीन भारत में तथा भारत के स्वतंत्र होने के बाद तक एक प्रमुख प्रान्त था। यह १ अप्रैल १९३७ को अस्तित्व में आया जब तत्कालीन अंग्रेजों ने 'युनाइटेड प्रोविंसेस' को छोटा किया। इसके अन्तर्गत लगभग वही भूभाग आता था जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड को मिलाकर बनता है। स्वतंत्रत होने पर सन् १९४७ में बनारस, रामपुर और टेहरी-गढ़वाल की रियासतें भी 'युनाइटेड प्रोविंसेस' में मिला ली गयीं। २५ जनवरी १९५० को इसका नाम बदलकर 'उत्तर प्रदेश' कर दिया गया। सन् २००० में इसी से उत्तरांचल (अब 'उत्तराखण्ड') नामक प्रदेश का निर्माण हुआ। उत्तर प्रदेश, जनसंख्या में भारत का सबसे बड़ा राज्य है। श्रेणी:ब्रिटिशकालीन भारत श्रेणी:भारत में ब्रिटिश शासन श्रेणी:उत्तर प्रदेश का इतिहास.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और संयुक्त प्रांत · और देखें »

सुहागा

बोरेक्स का क्रिस्टल सुहागा (Na2B4O7·10H2O; संस्कृत: सुभग; अंग्रेजी: Borax) टांकण (बोरॉन) का एक यौगिक, खनिज तथा बोरिक अम्ल का लवण है। इसे 'क्षारातु बोरेट', 'सोडियम टेट्राबोरेट', या 'डाईसोडियम टेट्राबोरेट' भी कहते हैं। प्राय: यह मुलायम सफेद पाउडर के रूप में मिलता है जो पानी में आसानी से घुल जाता है। सुहागा तिब्बत, लद्दाख और कश्मीर में बहुत मिलता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और सुहागा · और देखें »

हरिद्वार

हरिद्वार, उत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले का एक पवित्र नगर तथा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ है। यह नगर निगम बोर्ड से नियंत्रित है। यह बहुत प्राचीन नगरी है। हरिद्वार हिन्दुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है। ३१३९ मीटर की ऊंचाई पर स्थित अपने स्रोत गोमुख (गंगोत्री हिमनद) से २५३ किमी की यात्रा करके गंगा नदी हरिद्वार में मैदानी क्षेत्र में प्रथम प्रवेश करती है, इसलिए हरिद्वार को 'गंगाद्वार' के नाम से भी जाना जाता है; जिसका अर्थ है वह स्थान जहाँ पर गंगाजी मैदानों में प्रवेश करती हैं। हरिद्वार का अर्थ "हरि (ईश्वर) का द्वार" होता है। पश्चात्कालीन हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार, हरिद्वार वह स्थान है जहाँ अमृत की कुछ बूँदें भूल से घड़े से गिर गयीं जब God Dhanwantari उस घड़े को समुद्र मंथन के बाद ले जा रहे थे। ध्यातव्य है कि कुम्भ या महाकुम्भ से सम्बद्ध कथा का उल्लेख किसी पुराण में नहीं है। प्रक्षिप्त रूप में ही इसका उल्लेख होता रहा है। अतः कथा का रूप भी भिन्न-भिन्न रहा है। मान्यता है कि चार स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरी थीं। वे स्थान हैं:- उज्जैन, हरिद्वार, नासिक और प्रयाग। इन चारों स्थानों पर बारी-बारी से हर १२वें वर्ष महाकुम्भ का आयोजन होता है। एक स्थान के महाकुम्भ से तीन वर्षों के बाद दूसरे स्थान पर महाकुम्भ का आयोजन होता है। इस प्रकार बारहवें वर्ष में एक चक्र पूरा होकर फिर पहले स्थान पर महाकुम्भ का समय आ जाता है। पूरी दुनिया से करोड़ों तीर्थयात्री, भक्तजन और पर्यटक यहां इस समारोह को मनाने के लिए एकत्रित होते हैं और गंगा नदी के तट पर शास्त्र विधि से स्नान इत्यादि करते हैं। एक मान्यता के अनुसार वह स्थान जहाँ पर अमृत की बूंदें गिरी थीं उसे हर की पौड़ी पर ब्रह्म कुण्ड माना जाता है। 'हर की पौड़ी' हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाता है और पूरे भारत से भक्तों और तीर्थयात्रियों के जत्थे त्योहारों या पवित्र दिवसों के अवसर पर स्नान करने के लिए यहाँ आते हैं। यहाँ स्नान करना मोक्ष प्राप्त करवाने वाला माना जाता है। हरिद्वार जिला, सहारनपुर डिवीजनल कमिशनरी के भाग के रूप में २८ दिसम्बर १९८८ को अस्तित्व में आया। २४ सितंबर १९९८ के दिन उत्तर प्रदेश विधानसभा ने 'उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक, १९९८' पारित किया, अंततः भारतीय संसद ने भी 'भारतीय संघीय विधान - उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २०००' पारित किया और इस प्रकार ९ नवम्बर २०००, के दिन हरिद्वार भारतीय गणराज्य के २७वें नवगठित राज्य उत्तराखंड (तब उत्तरांचल), का भाग बन गया। आज, यह अपने धार्मिक महत्त्व के अतिरिक्त भी, राज्य के एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र के रूप में, तेज़ी से विकसित हो रहा है। तेज़ी से विकसित होता औद्योगिक एस्टेट, राज्य ढांचागत और औद्योगिक विकास निगम, SIDCUL (सिडकुल), भेल (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) और इसके सम्बंधित सहायक इस नगर के विकास के साक्ष्य हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और हरिद्वार · और देखें »

हर्षवर्धन

हर्षवर्धन का साम्राज्य हर्ष का टीला हर्षवर्धन (590-647 ई.) प्राचीन भारत में एक राजा था जिसने उत्तरी भारत में अपना एक सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया था। वह हिंदू सम्राट् था जिसने पंजाब छोड़कर शेष समस्त उत्तरी भारत पर राज्य किया। शशांक की मृत्यु के उपरांत वह बंगाल को भी जीतने में समर्थ हुआ। हर्षवर्धन के शासनकाल का इतिहास मगध से प्राप्त दो ताम्रपत्रों, राजतरंगिणी, चीनी यात्री युवान् च्वांग के विवरण और हर्ष एवं बाणभट्टरचित संस्कृत काव्य ग्रंथों में प्राप्त है। शासनकाल ६०६ से ६४७ ई.। वंश - थानेश्वर का पुष्यभूति वंश। उसके पिता का नाम 'प्रभाकरवर्धन' था। राजवर्धन उसका बड़ा भाई और राज्यश्री उसकी बड़ी बहन थी। ६०५ ई. में प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के पश्चात् राजवर्धन राजा हुआ पर मालव नरेश देवगुप्त और गौड़ नरेश शंशांक की दुरभिसंधि वश मारा गया। हर्षवर्धन 606 में गद्दी पर बैठा। हर्षवर्धन ने बहन राज्यश्री का विंध्याटवी से उद्धार किया, थानेश्वर और कन्नौज राज्यों का एकीकरण किया। देवगुप्त से मालवा छीन लिया। शंशाक को गौड़ भगा दिया। दक्षिण पर अभियान किया पर आंध्र पुलकैशिन द्वितीय द्वारा रोक दिया गया। उसने साम्राज्य को सुंदर शासन दिया। धर्मों के विषय में उदार नीति बरती। विदेशी यात्रियों का सम्मान किया। चीनी यात्री युवेन संग ने उसकी बड़ी प्रशंसा की है। प्रति पाँचवें वर्ष वह सर्वस्व दान करता था। इसके लिए बहुत बड़ा धार्मिक समारोह करता था। कन्नौज और प्रयाग के समारोहों में युवेन संग उपस्थित था। हर्ष साहित्य और कला का पोषक था। कादंबरीकार बाणभट्ट उसका अनन्य मित्र था। हर्ष स्वयं पंडित था। वह वीणा बजाता था। उसकी लिखी तीन नाटिकाएँ नागानंद, रत्नावली और प्रियदर्शिका संस्कृत साहित्य की अमूल्य निधियाँ हैं। हर्षवर्धन का हस्ताक्षर मिला है जिससे उसका कलाप्रेम प्रगट होता है। गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद भारत में (मुख्यतः उत्तरी भाग में) अराजकता की स्थिति बना हुई थी। ऐसी स्थिति में हर्ष के शासन ने राजनैतिक स्थिरता प्रदान की। कवि बाणभट्ट ने उसकी जीवनी हर्षचरित में उसे चतुःसमुद्राधिपति एवं सर्वचक्रवर्तिनाम धीरयेः आदि उपाधियों से अलंकृत किया। हर्ष कवि और नाटककार भी था। उसके लिखे गए दो नाटक प्रियदर्शिका और रत्नावली प्राप्त होते हैं। हर्ष का जन्म थानेसर (वर्तमान में हरियाणा) में हुआ था। थानेसर, प्राचीन हिन्दुओं के तीर्थ केन्द्रों में से एक है तथा ५१ शक्तिपीठों में एक है। यह अब एक छोटा नगर है जो दिल्ली के उत्तर में हरियाणा राज्य में बने नये कुरुक्षेत्र के आस-पडोस में स्थित है। हर्ष के मूल और उत्पत्ति के संर्दभ में एक शिलालेख प्राप्त हुई है जो कि गुजरात राज्य के गुन्डा जिले में खोजी गयी है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और हर्षवर्धन · और देखें »

हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और हिन्दू धर्म · और देखें »

हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और हिन्दी · और देखें »

ह्वेन त्सांग

ह्वेन त्सांग का एक चित्र ह्वेन त्सांग एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था। वह हर्षवर्द्धन के शासन काल में भारत आया था। वह भारत में 15 वर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उसके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और ह्वेन त्सांग · और देखें »

जसपुर तहसील

जसपुर तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय जसपुर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में काशीपुर तहसील, पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य का बिजनौर जिला, उत्तर में नैनीताल जनपद की रामनगर तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का मुरादाबाद जिला है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और जसपुर तहसील · और देखें »

जसपुर, उत्तराखण्ड

जसपुर, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के ऊधमसिंहनगर जिले में स्थित एक नगर और नगरपालिका बोर्ड है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और जसपुर, उत्तराखण्ड · और देखें »

जापान

जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और जापान · और देखें »

जागेश्‍वर

जागेश्‍वर,भारत के उत्तर प्रदेश की दूसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 1957 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के 168 - किशनपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और जागेश्‍वर · और देखें »

जैन धर्म

जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और जैन धर्म · और देखें »

जैसलमेर

जैसलमेर भारत के राजस्थान प्रांत का एक शहर है। भारत के सुदूर पश्चिम में स्थित धार के मरुस्थल में जैसलमेर की स्थापना भारतीय इतिहास के मध्यकाल के प्रारंभ में ११७८ ई. के लगभग यदुवंशी भाटी के वंशज रावल-जैसल द्वारा की गई थी। रावल जैसल के वंशजों ने यहाँ भारत के गणतंत्र में परिवर्तन होने तक बिना वंश क्रम को भंग किए हुए ७७० वर्ष सतत शासन किया, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना है। जैसलमेर राज्य ने भारत के इतिहास के कई कालों को देखा व सहा है। सल्तनत काल के लगभग ३०० वर्ष के इतिहास में गुजरता हुआ यह राज्य मुगल साम्राज्य में भी लगभग ३०० वर्षों तक अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सक्षम रहा। भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना से लेकर समाप्ति तक भी इस राज्य ने अपने वंश गौरव व महत्व को यथावत रखा। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात यह भारतीय गणतंत्र में विलीन हो गया। भारतीय गणतंत्र के विलीनकरण के समय इसका भौगोलिक क्षेत्रफल १६,०६२ वर्ग मील के विस्तृत भू-भाग पर फैला हुआ था। रेगिस्तान की विषम परिस्थितियों में स्थित होने के कारण यहाँ की जनसंख्या बींसवीं सदी के प्रारंभ में मात्र ७६,२५५ थी। जैसलमेर जिले का भू-भाग प्राचीन काल में ’माडधरा’ अथवा ’वल्लभमण्डल’ के नाम से प्रसिद्ध था। महाभारत के युद्ध के बाद बड़ी संख्या में यादव इस ओर अग्रसर हुए व यहां आ कर बस गये। यहां अनेक सुंदर हवेलियां और जैन मंदिरों के समूह हैं जो 12वीं से 15वीं शताब्‍दी के बीच बनाए गए थे। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और जैसलमेर · और देखें »

जोशीमठ

जोशीमठ उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर है। यहां ८वीं सदी में धर्मसुधारक आदि शंकराचार्य को ज्ञान प्राप्त हुआ और बद्रीनाथ मंदिर तथा देश के विभिन्न कोनों में तीन और मठों की स्थापना से पहले यहीं उन्होंने प्रथम मठ की स्थापना की। जाड़े के समय इस शहर में बद्रीनाथ की गद्दी विराजित होती है जहां नरसिंह के सुंदर एवं पुराने मंदिर में इसकी पूजा की जाती है। बद्रीनाथ, औली तथा नीति घाटी के सान्निध्य के कारण जोशीमठ एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है तथा अध्यात्म एवं साहसिकता का इसका मिश्रण यात्रियों के लिए वर्षभर उत्तेजना स्थल बना रहता है। जोशीमठ में आध्यात्मिता की जड़े गहरी है तथा यहां की संस्कृति भगवान विष्णु की पौराणिकता के इर्द-गिर्द बनी है। प्राचीन नरसिंह मंदिर जो उन्हे समर्पित है - उन्हे नमन तथा उनकी लोकप्रियता को दर्षाती है - लोगों का सालोंभर यहां लगातार आना रहता है। ऐतिहासिक तौर पर, जोशीमठ सदियों से वैदिक शिक्षा तथा ज्ञान का एक ऐसा केन्द्र जिसकी स्थापना 8वीं सदी में आदी शंकराचार्य ने की थी। यहां शहर की परिवेश तथा जलवायु निश्चित रूप से धार्मिक मान्यताओं से अधिकांशतः प्राचीन तथा पूजित स्थल हैं। शहर के आस-पास घूमने योग्य स्थानों में औली, उत्तराखंड का मुख्य स्की रिसॉर्ट शामिल है। जोशीमठ की यात्रा हमारे देश की संस्कृतिक विरासत का गहन दृश्य उपस्थित करेगा। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और जोशीमठ · और देखें »

ईसाई धर्म

'''ईद्भास/क्रॉस''' - यह ईसाई धर्म का निशान है ईसाई धर्म (अन्य प्रचलित नाम:मसीही धर्म व क्रिश्चियन धर्म) एक इब्राहीमीChristianity's status as monotheistic is affirmed in, amongst other sources, the Catholic Encyclopedia (article ""); William F. Albright, From the Stone Age to Christianity; H. Richard Niebuhr; About.com,; Kirsch, God Against the Gods; Woodhead, An Introduction to Christianity; The Columbia Electronic Encyclopedia; The New Dictionary of Cultural Literacy,; New Dictionary of Theology,, pp.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और ईसाई धर्म · और देखें »

वाराणसी

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और वाराणसी · और देखें »

विजय बहुगुणा

विजय बहुगुणा (जन्म: २८ फ़रवरी १९४७) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से हैं। २०१२ से २०१४ तक वह उत्तराखण्ड राज्य के सातवें मुख्यमंत्री रह चुके हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और विजय बहुगुणा · और देखें »

वेबदुनिया

वेबदुनिया एक भारतीय समाचार जालस्थल है। यह हिन्दी के साथ साथ तमिल, मलयालम, तेलुगू आदि भाषाओं में उपलब्ध है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और वेबदुनिया · और देखें »

खच्चर

खच्चर, एक गधे और घोड़ी के मिलन से उत्पन्न एक संकर संतान है। यह बेसर के समान है जिसका जन्म एक घोड़े और गधी के मिलन के परिणामस्वरूप होता है। घोड़ा और गधा विभिन्न प्रजाति हैं और इनमें गुणसूत्रों की संख्या भी भिन्न होती है। जहाँ गधे में 62 गुणसूत्र होते हैं वहीं घोड़ों में इनकी संख्या 64 होती है। खच्चर को आमतौर पर बोझा ढोने के काम में लाया जाता है। औद्योगीकरण से पहले खच्चर सामान को लाने ले जाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाया करते थे। सभी नर खच्चर बंध्य होते हैं, जबकि मादा खच्चर कुछ दुर्लभ मौकों पर गर्भधारण कर सकती हैं। खच्चर का आकार इसको जन्म देने वाली घोड़ी के आकार पर निर्भर करता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और खच्चर · और देखें »

खटीमा

खटीमा भारत के उत्तराखण्ड राज्य के ऊधमसिंह नगर जिले में स्थित एक नगर निगम बोर्ड है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और खटीमा · और देखें »

खटीमा तहसील

खटीमा तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के पूर्वी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय खटीमा नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में नेपाल, पश्चिम में सितारगंज तहसील, उत्तर में चम्पावत जनपद की श्री पूर्णागिरी तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का पीलीभीत जिला है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और खटीमा तहसील · और देखें »

गुप्त राजवंश

गुप्त राज्य लगभग ५०० ई इस काल की अजन्ता चित्रकला गुप्त राजवंश या गुप्त वंश प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंशों में से एक था। मौर्य वंश के पतन के बाद दीर्घकाल तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। कुषाण एवं सातवाहनों ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया। मौर्योत्तर काल के उपरान्त तीसरी शताब्दी इ. में तीन राजवंशो का उदय हुआ जिसमें मध्य भारत में नाग शक्‍ति, दक्षिण में बाकाटक तथा पूर्वी में गुप्त वंश प्रमुख हैं। मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनस्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है। गुप्त साम्राज्य की नींव तीसरी शताब्दी के चौथे दशक में तथा उत्थान चौथी शताब्दी की शुरुआत में हुआ। गुप्त वंश का प्रारम्भिक राज्य आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार में था। गुप्त वंश पर सबसे ज्यादा रिसर्च करने वाले इतिहासकार डॉ जयसवाल ने इन्हें जाट बताया है।इसके अलावा तेजराम शर्माhttps://books.google.co.in/books?id.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और गुप्त राजवंश · और देखें »

गुमानी पन्त

गुमानी पन्त (जन्म: फरवरी १७७० -) काशीपुर राज्य के राजकवि थे। वे संस्कृत और हिन्दी के कवि थे। वे कुमाऊँनी तथा नेपाली के प्रथम कवि थे। कुछ लोग उन्हें खड़ी बोली का प्रथम कवि भी मानते हैं। ग्रियर्सन ने अपनी पुस्तक लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया में गुमानी जी को कुर्मांचल प्राचीन कवि माना है। डॉ॰ भगत सिंह के अनुसार कुमाँऊनी में लिखित साहित्य की परंपरा १९वीं शताब्दी से मिलती हैं और यह परंपरा प्रथम कवि गुमानी पंत से लेकर आज तक अविच्छिन्न रूप से चली आ रही है। इन दो दृष्टांतों से यह सिद्ध हो जाता है कि गुमानी जी ही प्राचीनतम कवि थे। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और गुमानी पन्त · और देखें »

ग्रीष्म ऋतु

ग्रीष्म ऋतु, वर्ष की छह ऋतओं में से एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः उच्च रहता है। साल की अन्य प्रमुख ऋतु हैं - शीत ऋतु, वर्षा ऋतु, वसन्त ऋतु। भारत में यह अप्रैल से जुलाई तक होती है। अन्य देशों में यह अलग समयों पर हो सकती है। ज्येष्ठ और आशाढ़ के महीने ग्रीष्म ऋतु के होते हैं। इन मासों में सूर्य की किरणें इतनी तेज होती हैं कि प्रातः काल में भी उन्हें सहन करना सरल नहीं होता। गर्मी इतनी अधिक होती है कि बार बार स्नान करने में आनंद आता है। शर्बत और ठंडा पानी पीने की इच्छा होती है। प्यास बुझाए नहीं बुझती। पानी जितना पिओ, उतना थोड़ा है। लू इतनी प्रचंड होती है कि उन्हें घर से बाहर निकलने का मन ही नहीं करता।गर्मियों में दिन लम्बे होते हैं और रातें छोटी। चलना फिरना भी इस मौसम में कष्टदायक हो जाता है। समय कटते नहीं कटता। मकान की दीवारें तक तप जाती हैं। पंखे भी गर्म हवा उगलने लगते हैं। कूलर के बिना गुजारा होना मुश्किल हो जाता है। गर्मी से हमें लाभ भी बहुत हैं। यदि गर्मी अच्छी पड़ती है तो वर्षा भी खूब होती है। गर्मी के कारण ही अनाज पकता है और खाने योग्य बनता है। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी के कारण विषैले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इस ऋतु में आम, लीची आदि अनेक रसीले फल भी होते हैं। इनका स्वाद निराला होता है। भारत में सामान्यतया 15 मार्च से 15 जून तक ग्रीष्म मानी जाती है। इस समय तक सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, जिससे सम्पूर्ण देश में तापमान में वृद्धि होने लगती है। इस समय सूर्य के कर्क रेखा की ओर अग्रसर होने के साथ ही तापमान का अधिकतम बिन्दु भी क्रमशः दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता जाता है और मई के अन्त में देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग में यह 48 सें.गे.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और ग्रीष्म ऋतु · और देखें »

गोरखा युद्ध

सन् १८१४ से १८१६ चला अंग्रेज-नेपाल युद्ध (गोरखा युद्ध) उस समय के नेपाल अधिराज्य (वर्तमान संघीय लोकतांत्रिक गण राज्य) और ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के बीच में हुआ था। जिसका परिणाम सुगौली संधि में हुई और नेपाल ने अपना एक-तिहाई भूभाग ब्रिटिश हुकुमत को देना पडा। इस युद्धसे अमर सिंह थापा, बलभद्र कुँवर एवम् भक्ति थापाके सौर्य, पराक्रम एवम् राष्ट्रप्रेमके कहानी अंग्रेजी राज्योमे प्रचलित हुआ था। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और गोरखा युद्ध · और देखें »

आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय जलवायु

संसार के ''आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय जलवायु '' क्षेत्र आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय जलवायु (अंग्रेज़ी:Humid subtropical climate) (कोप्पन जलवायु वर्गीकरण Cwa के अनुसार) पृथ्वी पर एक जलवायु क्षेत्र होता है, जिसमें उष्ण, आर्द्र ग्रीष्म काल एवं ठंडे शीतकाळ होते हैं। इस प्रकार के जलवायु में मौसम की विस्तृत श्रेणी आती है और शब्द- अर्ध-कटिबंधीय शीतकालीन जलवायु के लिये एक मिथ्या नाम हो सकता है। इस क्षेत्र के अधिकांश स्थानों सभी ऋतुओं में अच्छी मात्रा में वर्षा (और क्भी हिमपात भी) हो सकती है। इसके साथ पछवा हवाएं अच्छे आंधी-तूफान भी पश्चिम से पूर्व की ओर ला सकती हैं। अधिकांश ग्रीष्मकालीन वर्षाएं दामिनी कड़कने के संग आंधियां और कई बार कटिबन्धीय तूफान या चक्रवात आदि भी लाती हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय जलवायु · और देखें »

आस्तिक

भारतीय दर्शन में आस्तिक शब्द तीन अर्थों में प्रयुक्त हुआ है-.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और आस्तिक · और देखें »

आगरा

आगरा उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक महानगर, ज़िला शहर व तहसील है। विश्व का अजूबा ताजमहल आगरा की पहचान है और यह यमुना नदी के किनारे बसा है। आगरा २७.१८° उत्तर ७८.०२° पूर्व में यमुना नदी के तट पर स्थित है। समुद्र-तल से इसकी औसत ऊँचाई क़रीब १७१ मीटर (५६१ फ़ीट) है। आगरा उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और आगरा · और देखें »

इलाहाबाद

इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और इलाहाबाद · और देखें »

इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और इस्लाम · और देखें »

इंडिया टीवी

इंडिया टीवी एक हिन्दी टी वी चैनल है। यह एक समाचार चैनल है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और इंडिया टीवी · और देखें »

इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र भारत की राजधानी एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का प्रधान अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र है। यह नई दिल्ली नगर केन्द्र से लगभग १६ कि॰मी॰(10 मील) दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है। भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी के नाम पर बना यह भारत का व्यस्ततम विमानक्षेत्र है। |वेबदुनिया। । नई दिल्ली। रविवार, 13 मार्च 2011(10:53IST। अभिगमन तिथि: २४ नवम्बर २०१२ हवाई अड्डे के नवीनतम टर्मिनल-३ के चालू हो जाने के बाद से ४ करोड़ ६० लाख यात्री क्षमता तथा वर्ष २०३० तक की अनुमानित यात्री क्षमता १० करोड़ के साथ यह भारत के साथ-साथ पूरे दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापार संबंधी विमानन केन्द्र बन गया है। भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई के छत्रपति शिवाजी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र के साथ इसके आंकड़े मिलाकर देखें तो ये दोनों दक्षिण एशिया के आधे से अधिक विमान यातायात को वहन करते हैं। इस विमानक्षेत्र के संचालक दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डयल) इसे विश्व का अगला अन्तर्राष्ट्रीय ट्रांज़िट हब बनाने के प्रयास कर रहा है। लगभग ५,२२० एकड़ (२,११० हेक्टेयर) की भू-संपदा में विस्तृत, दिल्ली विमानक्षेत्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिये प्राथमिक नागर विमानन हब (केन्द्र) है। सर्वप्रथम इसका संचालन भारतीय वायु सेना के पास था, जिसके बाद उसने इसका प्रबंधन दायित्व भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को सौंप दिया। मई २००६ से हवाई अड्डे का प्रबंधन दिल्ली अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के पास आया। डायल जीएमआर समूह के नेतृत्व में एक संयुक्त उद्यम (ज्वाइन्ट वेन्चर) है। डायल ही विमानक्षेत्र के आगे हो रहे विस्तार एवं आधुनिकीकरण के लिये भी उत्तरदायी है। इस निजीकरण का भरपूर विरोध भाविप्रा कर्मचारियों ने किया, किन्तु अन्ततः ३ मई २००६ को यह प्रबंधन स्थानांतरण संपन्न हो गया। वर्ष २००१-१२ में विमानक्षेत्र से ३५८.८ लाख यात्रियों की आवाजाही संपन्न हुई और यहां के विस्तार कार्यक्रम योजना के अनुसार इसकी क्षमता वर्ष २०३० तक १० करोड़ यात्री तक हो जायेगी। यहां के नये टर्मिनल भवन के २०१० के राष्ट्रमंडल खेलों से पूर्व निर्माण के बाद ही इसकी वार्षिक ३४० लाख यात्रियों की क्षमता है। यहां का टर्मिनल-३ विश्व का ८वां सबसे बड़ा यात्री टर्मिनल है। सितंबर २००८ में यहां ४.४३ कि.मी लंबी नयी उड़ानपट्टी (रनवे-३) का उद्घाटन हुआ था। इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र को २०१० में एयरपोर्ट काउन्सिल इन्टरनेशनल द्वारा १५०-२५० लाख यात्री श्रेणी में विश्व का चौथा सर्वोत्तम विमानक्षेत्र, एवं एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सर्वाधिक प्रगति वाला विमानक्षेत्र होने का सम्मान मिला था। वर्ष २०११ में विमानक्षेत्र को इसी परिषद द्वारा पुनः २.५-४ करोड़ यात्री क्षमता श्रेणी में विश्व का दूसरा सर्वोत्तम विमानक्षेत्र होने का गौरव मिला था। यह स्थान कोरिया के इंचेयन अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र के बाद था। इसके अलावा वर्ष २०११ में ही यह विमानक्षेत्र विश्व का ३४वाँ व्यस्ततम विमानक्षेत्र बना जिसकी यात्री आवागमन संख्या ३,४७,२९,४६७ रही एवं पिछले वर्ष के मुकाबले यातायात में इसने १७.८% की बढ़ोत्तरी भी दर्ज की। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र · और देखें »

इंग्लैण्ड

इंग्लैण्ड (अंग्रेज़ी: England), ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है। यह यूनाइटेड किंगडम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी यूनाइटेड किंगडम में शामिल हैं। यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इसकी राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है। इंग्लैंड के इतिहास में सबसे स्वर्णिम काल उसका औपनिवेशिक युग है। अठारहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी के मध्य तक ब्रिटिश साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा और शकितशाली साम्राज्य हुआ करता था जो कई महाद्वीपों में फैला हुआ था और कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। उसी समय पूरे विश्व में अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी छाप छोड़ी जिसकी वज़ह से यह आज भी विश्व के सबसे अधिक लोगों द्वारा बोले व समझे जाने वाली भाषा है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और इंग्लैण्ड · और देखें »

कत्यूरी राजवंश

कत्यूरी राजवंश भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक मध्ययुगीन राजवंश था जिनके बारे में में माना जाता है कि वे अयोध्या के शालिवाहन शासक के वंशज हैं और इसलिए वे सूर्यवंशी हैं। तथापि, बहुत से इतिहासकार उन्हें कुनिन्दा शासकों से जोड़ते हैं और खस मूल से भी, जिनका कुमाऊँ क्षेत्र पर ६ठीं से ११वीं सदी तक शासन था। कत्यूरी राजाओं को गिरीराज चक्रचूड़ामणि की उपाधी प्राप्त थी। उनकी पहली राजधानी जोशीमठ में थी, जो जल्द ही कार्तिकेयपुर में स्थानांतरित कर दी गई थी। कत्यूरी राजवंश भी शक वंशावली के माने जाते हैं, जैसे राजा शालिवाहन, को भी शक वंश से माना जाता है। तथापि, बद्री दत्त पाण्डेय जैसे इतिहासकारों का मानना है कि कत्यूरी, अयोध्या से आए थे। उन्होंने अपने राज्य को 'कूर्मांचल' कहा, अर्थात 'कूर्म की भूमि', कूर्म भगवान विष्णु का दूसरा अवतार था, जिससे इस स्थान को इसका वर्तमान नाम, कुमाऊँ मिला। कत्युरी राजा का कुलदेवता स्वामी कार्तिकेय (मोहन्याल) नेपाल के बोगटान राज्य मे विराजमान है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कत्यूरी राजवंश · और देखें »

कपिल सिब्बल

कपिल सिब्बल श्री कपिल सिब्बल को भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में मानव संसाधन मंत्रालय में मंत्री बनाया गया। कपिल सिब्बल दिल्ली के चाँदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, एवं चौदहवीं लोकसभा के गठन के बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल में विज्ञान एवं तकनीकी मामलों के साथा साथ भू वैज्ञानिक मामलों के कैबिनेट मंत्री रहे। कपिल सिब्बल ने 2016 हिंदी फिल्म शोरगुल के लिए गीत "तेरे बिना" और "मस्त हवा" के गीतों को लिखा है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कपिल सिब्बल · और देखें »

काठगोदाम

काठगोदाम भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित हल्द्वानी नगर के अंतर्गत स्थित एक क्षेत्र है। इसे ऐतिहासिक तौर पर कुमाऊँ का द्वार कहा जाता रहा है। यह छोटा सा नगर पहाड़ के पाद प्रदेश में बसा है। गौला नदी इसके दायें से होकर हल्द्वानी बाजार की ओर बढ़ती है। पूर्वोतर रेलवे का यह अन्तिम स्टेशन है। यहाँ से बरेली, लखनऊ तथा आगरा के लिए छोटी लाइन की रेल चलती है। काठगोदाम से नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत और पिथौरागढ़ के लिए केएमओयू की बसें जाती है। कुमाऊँ के सभी अंचलों के लिए यहाँ से बसें जाती हैं। १९०१ में काठगोदाम ३७५ की जनसंख्या वाला एक छोटा सा गाँव था। १९०९ तक इसे रानीबाग़ के साथ जोड़कर नोटिफ़िएड एरिया घोषित कर दिया गया। काठगोदाम-रानीबाग़ १९४२ तक स्वतंत्र नगर के रूप में उपस्थित रहा, जिसके बाद इसे हल्द्वानी नोटिफ़िएड एरिया के साथ जोड़कर नगर पालिका परिषद् हल्द्वानी-काठगोदाम का गठन किया गया। २१ मई २०११ को हल्द्वानी-काठगोदाम को नगर पालिका परिषद से नगर निगम घोषित किया गया, और फिर इसके विस्तार को देखते हुए इसका नाम बदलकर नगर निगम हल्द्वानी कर दिया गया। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और काठगोदाम · और देखें »

कानपुर

कानपुर भारतवर्ष के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। यह नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ८० किलोमीटर पश्चिम स्थित यहाँ नगर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए चर्चित ब्रह्मावर्त (बिठूर) के उत्तर मध्य में स्थित ध्रुवटीला त्याग और तपस्या का संदेश दे रहा है। यहाँ की आबादी लगभग २७ लाख है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कानपुर · और देखें »

काशीपुर तहसील

काशीपुर तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय काशीपुर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में बाजपुर तहसील, पश्चिम में जसपुर तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की रामनगर तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का मुरादाबाद जिला है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और काशीपुर तहसील · और देखें »

काशीपुर नगर निगम

नगर निगम काशीपुर उत्तराखण्ड के नगर काशीपुर को नियंत्रित करने वाला नागरिक निकाय है। इसकी स्थापना २०१३ में तत्कालीन काशीपुर नगरपालिका के उन्नयन द्वारा हुई थी। उषा चौधरी काशीपुर की निवर्तमान महापौर हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और काशीपुर नगर निगम · और देखें »

काशीपुर राज्य

काशीपुर राज्य (1777-1801), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य था। इसकी स्थापना 1777 में कुमाऊं राज्य के एक अधिकारी, नंद राम ने की थी। वर्ष 1801 में काशीपुर को शिव लाल द्वारा कम्पनी को सौंप दिया गया था, जिसके बाद यह उत्तर-पश्चिमी प्रान्त में एक राजस्व विभाजन बन गया। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और काशीपुर राज्य · और देखें »

काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन

काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन उत्तराखण्ड राज्य के ऊधम सिंह नगर जनपद का एक रेलवे स्टेशन है, जो काशीपुर नगर में स्थित है। इसका स्टेशन कोड "KPV" है। काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन रेल नेटवर्क द्वारा रामनगर, काठगोदाम, मुरादाबाद, बरेली, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, चंडीगढ़, आगरा, जैसलमेर, हरिद्वार और दिल्ली से जुड़ा है। यह रेलवे स्टेशन भारतीय रेल के उत्तर पूर्वी रेलवे क्षेत्र के इज्जतनगर मण्डल के प्रशासनिक नियंत्रण में है। काशीपुर शहर के लिए कई नए रेल लिंक प्रस्तावित हैं, जिनमें काशीपुर-नजीबाबाद रेलवे लाइन तथा रामनगर-चौखुटिया रेल लिंक प्रमुख हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन · और देखें »

काशीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड

काशीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। उधमसिंहनगर जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 117,999 मतदाता थे। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और काशीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड · और देखें »

काशीपुर का चैती मेला

चैती मेला (जिसे चैती का मेला भी कहा जाता है) क्षेत्र का प्रसिद्ध मेला है। इसका आयोजन नैनीताल जिले में काशीपुर में प्रतिवर्ष चैत्र मास की नवरात्रि में आयोजित किया जाता है। यह धार्मिक एवं पौराणिक रूप से ऐतिहासिक स्थान है। काशीपुर में कुँडेश्वरी मार्ग पर स्थित यह स्थान महाभारत से भी सम्बन्धित रहा है और यहीं बालासुन्दरी देवी का मन्दिर है जो इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। मेले के अवसर पर दूर-दूर से यहाँ श्रद्धालु आते हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और काशीपुर का चैती मेला · और देखें »

कांग्रेस

कांग्रेस का आशय इन सब से है।.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कांग्रेस · और देखें »

काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस

भोपाल के विद्यालय में विद्यार्थी काउन्सिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस (ICSE) भारत का एक निजी, गैर-सरकारी शिक्षा बोर्ड है। यह बोर्ड १९५६ में आंग्ल-भारतीय शिक्षा हेतु हुई एक अन्तर्राज्यीय बैठक में संगठित किया गया था। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है। यह भारत में दो परीक्षाएं संचालित करता है.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस · और देखें »

किच्छा

किच्छा भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उधमसिंहनगर जिले में स्थित एक नगर निगम बोर्ड है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और किच्छा · और देखें »

किच्छा तहसील

किच्छा तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय किच्छा नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में सितारगंज तहसील, पश्चिम में गदरपुर तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की लालकुआँ तथा हल्द्वानी तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का बरेली जिला है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और किच्छा तहसील · और देखें »

कुणिंद

कुणिंद भारत का एक प्रख्यात प्राचीन जनसमूह जिसका पहली और चौथी शती ई. के बीच अपना महत्वपूर्ण गणराज्य था। महाभारत में इसका उल्लेख पैशाच, अंबष्ठ और बर्बर नामक पर्वतीय जातियों के साथ हुआ है और कहा गया है कि वे शैलोद नदी के दोनों तटों पर निवास करते थे। उनका प्रदेश काफी विस्तृत था और उनके कई सौ कुल थे। उन्होंने युधिष्ठिर को राजसूय यज्ञ के समय पिपीलिका सुवर्ण भेंट किया था। कुणिदों का उल्लेख रामायण और पुराणों में भी हुआ है। वराहमिहिर के कथनानुसार के उत्तरपूर्व के निवासी थे। उन्होंने इनका उल्लेख कश्मीर, कुलूत और सैरिन्ध के साथ किया है। टालमी ने की इनकी चर्चा की है। उसके कथनानुसार ये लोग विपाशा (व्यास), शतद्रु (सतलज), यमुना और गंगा नदियों के उद्गम प्रदेश में रहते थे। इस प्रकार साहित्यिक सूत्रों के अनुसार ये लोग हिमालय के पंजाब और उत्तरप्रदेश से सटे निचले हिस्से में रहते थे। संभवत: कुमायूँ और गढ़वाल का क्षेत्र इनके अधिकार में था। इन लोगों के गणराज्य के जो सिक्के मिले हैं उनसे ज्ञात होता है कि वे लोग अपना शासन भगवान्‌ चित्रेश्वर (शिव) के नाम पर करते थे। चित्रेश्वर शिव: (भू-लिंग) का मंदिर कुमाऊँ में चित्रशिला नामक स्थान में आज भी विद्यमान है। ऐसा भी जान पड़ता है कि इस गणतंत्रीय राज्य ने राजतंत्र का रूप धारण कर लिया था। सिक्कों पर अमोघभूति नामक महाराज का उल्लेख मिलता है। श्रेणी:प्राचीन भारत.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कुणिंद · और देखें »

कुमाऊँ मण्डल

यह लेख कुमाऊँ मण्डल पर है। अन्य कुमाऊँ लेखों के लिए देखें कुमांऊॅं उत्तराखण्ड के मण्डल कुमाऊँ मण्डल भारत के उत्तराखण्ड राज्य के दो प्रमुख मण्डलों में से एक हैं। अन्य मण्डल है गढ़वाल। कुमाऊँ मण्डल में निम्न जिले आते हैं:-.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कुमाऊँ मण्डल · और देखें »

कुमाऊँ राज्य

कुमाऊँ राज्य, जिसे कूर्मांचल भी कहा जाता था, चन्द राजवंश द्वारा शासित एक पर्वतीय राज्य था, जिसका विस्तार वर्तमान भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में था। राज्य की स्थापना ७०० में सोम चन्द ने की थी। प्रारम्भ में यह केवल वर्तमान चम्पावत जनपद तक ही सीमित था। उसके बाद सोम चन्द ने सुई पर आक्रमण कर उसे अपने राज्य में मिला लिया। सर्वप्रथम राजा त्रिलोक चन्द ने छखाता पर आक्रमण कर पश्चिम की ओर राज्य का विस्तार किया। उसके बाद गरुड़ ज्ञान चन्द ने तराई-भाभर, उद्यान चन्द ने चौगरखा, रत्न चन्द ने सोर और कीर्ति चन्द ने बारहमण्डल, पाली तथा फल्दाकोट क्षेत्रों को राज्य में मिला लिया। १५६३ में बालो कल्याण चन्द ने राजधानी चम्पावत से आलमनगर स्थानांतरित कर नगर का नाम अल्मोड़ा रखा, और गंगोली तथा दानपुर पर अधिकार स्थापित किया। उनके बाद उनके पुत्र रुद्र चन्द ने अस्कोट और सिरा को पराजित कर राज्य को उसके चरम पर पहुंचा दिया। सत्रहवीं शताब्दी में कुमाऊँ में चन्द शासन का स्वर्ण काल चला, परन्तु अट्ठारवीं शताब्दी आते आते उनकी शक्ति क्षीण होने लगी। १७४४ में रोहिल्लों के तथा १७७९ में गढ़वाल के हाथों पराजित होने के बाद चन्द राजाओं की शक्ति पूरी तरह बिखर गई थी। फलतः गोरखों ने अवसर का लाभ उठाकर हवालबाग के पास एक साधारण मुठभेड़ के बाद सन्‌ १७९० ई. में अल्मोड़ा पर अपना अधिकार कर लिया। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कुमाऊँ राज्य · और देखें »

कुमाऊँ विश्वविद्यालय

कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल, उत्तराखण्ड में स्थित है। विश्वविद्यालय की स्थापना १ मार्च १९७३ में उप्र राज्य अधिनियम के अन्तर्गत हुई थी। विश्वविद्यालय के दो कैम्पस है नैनीताल और अल्मोड़ा में और पूरे कुमाऊँ क्षेत्र में २७ महाविद्यालय इससे संबद्धीकृत हैं। भीमताल में एक और कैम्पस बनाया जा रहा है, जो व्यवसायिक, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा की माँग को पूरा करेगा। उत्कृष्ट शिक्षण और उच्च गुणवत्ता शोध के साथ-साथ चौतरफा विकास इस विध्वविद्यालय का ध्येय है और मुख्य बल कुमाऊँ क्षेत्र पर है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कुमाऊँ विश्वविद्यालय · और देखें »

कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची

कुमाऊं विश्वविद्यालय का प्रतीक चिह्न निम्नलिखित सूची कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से सम्बद्ध राजकीय महाविद्यालयों की है: .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची · और देखें »

कुमाऊँनी भाषा

कुमांऊँनी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाने वाली एक बोली है। इस बोली को हिन्दी की सहायक पहाड़ी भाषाओं की श्रेणी में रखा जाता है। कुमांऊँनी भारत की ३२५ मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक है और २६,६०,००० (१९९८) से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। उत्तराखण्ड के निम्नलिखित जिलों - अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत, ऊधमसिंह नगर के अतिरिक्त असम, बिहार, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब, तथा हिमाचल प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में भी बोली जाती है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कुमाऊँनी भाषा · और देखें »

कुषाण राजवंश

कुषाण प्राचीन भारत के राजवंशों में से एक था। कुछ इतिहासकार इस वंश को चीन से आए युएझ़ी लोगों के मूल का मानते हैं। कुछ विद्वानो इनका सम्बन्ध रबातक शिलालेख पर अन्कित शब्द गुसुर के जरिये गुर्जरो से भी बताते हैं। सर्वाधिक प्रमाणिकता के आधार पर कुषाण वन्श को चीन से आया हुआ माना गया है। लगभग दूसरी शताब्दी ईपू के मध्य में सीमांत चीन में युएझ़ी नामक कबीलों की एक जाति हुआ करती थी जो कि खानाबदोशों की तरह जीवन व्यतीत किया करती थी। इसका सामना ह्युगनु कबीलों से हुआ जिसने इन्हें इनके क्षेत्र से खदेड़ दिया। ह्युगनु के राजा ने ह्यूची के राजा की हत्या कर दी। ह्यूची राजा की रानी के नेतृत्व में ह्यूची वहां से ये पश्चिम दिशा में नये चरागाहों की तलाश में चले। रास्ते में ईली नदी के तट पर इनका सामना व्ह्सुन नामक कबीलों से हुआ। व्ह्सुन इनके भारी संख्या के सामने टिक न सके और परास्त हुए। ह्यूची ने उनके चरागाहों पर अपना अधिकार कर लिया। यहां से ह्यूची दो भागों में बंट गये, ह्यूची का जो भाग यहां रुक गया वो लघु ह्यूची कहलाया और जो भाग यहां से और पश्चिम दिशा में बढा वो महान ह्यूची कहलाया। महान ह्यूची का सामना शकों से भी हुआ। शकों को इन्होंने परास्त कर दिया और वे नये निवासों की तलाश में उत्तर के दर्रों से भारत आ गये। ह्यूची पश्चिम दिशा में चलते हुए अकसास नदी की घाटी में पहुँचे और वहां के शान्तिप्रिय निवासिओं पर अपना अधिकार कर लिया। सम्भवतः इनका अधिकार बैक्ट्रिया पर भी रहा होगा। इस क्ष्रेत्र में वे लगभग १० वर्ष ईपू तक शान्ति से रहे। चीनी लेखक फान-ये ने लिखा है कि यहां पर महान ह्यूची ५ हिस्सों में विभक्त हो गये - स्यूमी, कुई-शुआंग, सुआग्म,,। बाद में कुई-शुआंग ने क्यु-तिसी-क्यो के नेतृत्व में अन्य चार भागों पर विजय पा लिया और क्यु-तिसी-क्यो को राजा बना दिया गया। क्यु-तिसी-क्यो ने करीब ८० साल तक शासन किया। उसके बाद उसके पुत्र येन-काओ-ट्चेन ने शासन सम्भाला। उसने भारतीय प्रान्त तक्षशिला पर विजय प्राप्त किया। चीनी साहित्य में ऐसा विवरण मिलता है कि, येन-काओ-ट्चेन ने ह्येन-चाओ (चीनी भाषा में जिसका अभिप्राय है - बड़ी नदी के किनारे का प्रदेश जो सम्भवतः तक्षशिला ही रहा होगा)। यहां से कुई-शुआंग की क्षमता बहुत बढ़ गयी और कालान्तर में उन्हें कुषाण कहा गया। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कुषाण राजवंश · और देखें »

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (अंग्रेज़ी:Central Board of Secondary Education या CBSE) भारत की स्कूली शिक्षा का एक प्रमुख बोर्ड है। भारत के अन्दर और बाहर के बहुत से निजी विद्यालय इससे सम्बद्ध हैं। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं - शिक्षा संस्थानों को अधिक प्रभावशाली ढंग से लाभ पहुंचाना, उन विद्यार्थियों की शैक्षिक आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी होना जिनके माता-पिता केन्द्रीय सरकार के कर्मचारी हैं और निरंतर स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत हों। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में शिक्षा का माध्यम हिन्दी या अंग्रेजी हो सकता है। इसमें कुल ८९७ केन्द्रीय विद्यालय, १७६१ सरकारी विद्यालय, ५८२७ स्वतंत्र विद्यालय, ४८० जवाहर नवोदय विद्यालय और १४ केन्द्रीय तिब्बती विद्यालय सम्मिलित हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। १८ फ़रवरी २०१० इसका ध्येय वाक्य है - असतो मा सद्गमय (हे प्रभु ! हमे असत्य से सत्य की ओर ले चलो।)-के.मा.शि.बोर्ड। वर्ल्ड प्रेस .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड · और देखें »

कोपेन जलवायु वर्गीकरण

कोपेन जलवायु वर्गीकरण जलवायु आकलन के लिए प्रयोग किया जाने वाला सबसे अधिक प्रयोगनीय मौसम वर्गीकरण है। इसका विकास जर्मन मौसमवेत्ता व्लादिमिर कोपेन ने १९०० में किया था। इसके बाद उन्होंने ही इसमें १९१८ और १९३६ में बहुत से बदलाव किये थे। इस वर्गीकरण का आधार यह तथ्य है, कि स्थानीय वनस्पति ही मौसम की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति है। अतए मौसम के क्षेत्रों की सीमाएं वनस्पति क्षेत्रों को ध्यान में रखकर की गईं हैं। यह औसत वार्षिक एवं मासिक तापमान एवं वर्षा एवं वर्षाकाल को ध्यान में रखकर बनाया गया है।इन्होंने अपने वर्गीकरणवर्गीकरण में तापमान तथा वर्षा को प्रमुख आधार माना .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कोपेन जलवायु वर्गीकरण · और देखें »

कोशी नदी (उत्तराखण्ड)

कोशी नदी उत्तर भारत की प्रमुख तथा पवित्र नदियों में से एक हैं। स्कंदपुराण के मानसखण्ड में इस नदी का उल्लेख कौशिकी के नाम से हुआ है। यह उत्तराखण्ड के कुमांऊॅं क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण नदी है। यह रामगंगा की सहायक नदी है। नदी के तट पर कैर तथा शीशम के जंगल पाए जाते हैं। कोशी नदी की लम्बाई १६८ किलोमीटर है तथा इसका अपवाह क्षेत्र लगभग ३४६ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और कोशी नदी (उत्तराखण्ड) · और देखें »

अन्य पिछड़ा वर्ग

भारतीय सरकार की इमारत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) एक वर्ग है, जो जातियाँ वर्गीकृत करने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रयुक्त एक सामूहिक शब्द है। यह अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के साथ-साथ भारत की जनसंख्या के कई सरकारी वर्गीकरण में से एक है 'भारतीय संविधान में ओबीसी "सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों 'के रूप में वर्णित किया जाता है, और भारत सरकार उनके सामाजिक और शैक्षिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए हैं - उदाहरण के लिए, ओबीसी सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 27% आरक्षण के हकदार हैं। जातियों और समुदायों के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक कारकों के आधार पर जोड़ा या हटाया जा सकता है 'और इनको।सामाजिक न्याय और अधिकारिता भारतीय मंत्रालय द्वारा बनाए रखा ओबीसी की सूची, गतिशील है। 1985 तक, पिछड़ा वर्ग के मामलों में गृह मंत्रालय में पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के बाद देखा गया था। कल्याण की एक अलग मंत्रालय अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों से संबंधित मामलों के लिए भाग लेने के लिए (सामाजिक एवं अधिकारिता मंत्रालय को) 1985 में स्थापित किया गया था। अन्य पिछड़े वर्गों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण से संबंधित कार्यक्रमों के कार्यान्वयन, और अन्य पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम और राष्ट्रीय आयोग के कल्याण के लिए गठित दो संस्थानों से संबंधित मामले है ' .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और अन्य पिछड़ा वर्ग · और देखें »

अमर उजाला

अमर उजाला हिन्दी का एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र है। इसका प्रारम्भ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक शहर आगरा से १८ अप्रैल सन १९४८ को हुआ था। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और अमर उजाला · और देखें »

अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा दिल्ली से ३६५ किलोमीटर और देहरादून से ४१५ किलोमीटर की दूरी पर, कुमाऊँ हिमालय श्रंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की कुल जनसंख्या ३५,५१३ है। अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद ने १५६८ में की थी। महाभारत (८ वीं और ९वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊं राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और अल्मोड़ा · और देखें »

उत्तर प्रदेश

आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश · और देखें »

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) उत्तर प्रदेश राज्य की सड़क परिवहन की सरकारी कंपनी है। यह अंतर्राज्यीय एवं उ.प्र.

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम · और देखें »

उत्तर प्रदेश सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार भारत में एक लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राज्य सरकार है जिसमें भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्य के नियुक्त संवैधानिक प्रमुख के रूप में राज्यपाल हैं। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को पांच साल की अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है और मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति कराता है, जो राज्य के विधायी शक्तियों के साथ-साथ कार्यकारी शक्तियों के साथ निहित हैं। राज्यपाल राज्य का एक औपचारिक प्रमुख बना रहता है, जबकि मुख्यमंत्री और उनकी परिषद दिन-प्रतिदिन सरकारी कार्यों के लिए जिम्मेदार होती हैं। भारतीय राजनीति पर यूपी की प्रभावी सरकार है और सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय संसद के लिए सबसे अधिक संख्या में लोकसभा सीटों को भेजता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश सरकार · और देखें »

उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उत्तराखण्ड · और देखें »

उत्तराखण्ड परिवहन निगम

उत्तराखंड परिवहन निगम, जिसे यूटीसी भी कहा जाता है, उत्तराखंड राज्य की सरकारी स्वामित्व वाली बस सेवा है। उत्तराखंड परिवहन निगम अपनी १४१९ बसें उत्तराखंड के शहरों के बीच, और अन्य राज्यों, जैसे हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और जम्मू और कश्मीर के शहरों तक चलाता है। निगम की बसें हर दिन ३,५०,००० किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करती है, और १,००,००० से अधिक लोगों की यात्रा आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। यह टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा भी प्रदान करता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उत्तराखण्ड परिवहन निगम · और देखें »

उत्तराखण्ड सरकार

उत्तराखण्ड सरकार, उत्तराखण्ड, भारत की राज्य सरकार को कहते हैं। स्थानीय तौर पर राज्य सरकार भी कह दिया जाता है। यह उत्तराखण्ड राज्य का सर्वोच्च शासन प्राधिकरण है। इसमें राज्यपाल, कार्यकारिणी, न्यायपालिका और वैधानिक शाखा सम्मिलित हैं। भारत के अन्य राज्यों के समान ही, उत्तराखण्ड राज्य का प्रमुख राज्यपाल होता है, जिसकी नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति केन्द्र सरकार से विमर्श कर करता है। राज्यपाल का पद केवल आनुष्ठानिक है। मुख्यमंत्री राज्य सरकार का मुखिया होता है और जिसके पास अधिकांश कार्यकारिणी शक्तियाँ होती हैं। देहरादून राज्य की राजधानी है, जहाँ पर राज्य विधासभा और सचिवालय स्थित हैं। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल में स्थित है और जिसका न्यायक्षेत्र पूरा उत्तराखणड राज्य है। उत्तराखण्ड की वर्तमान एकविधाई विधानसभा में ७० सदस्य हैं जिन्हें विधायक कहा जाता है। सरकार का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है या फिर सरकार को पाँव वर्षों से पहले भी भंग किया जा सकता है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उत्तराखण्ड सरकार · और देखें »

उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद्

उत्तराखण्ड जहाम उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद है। उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद्, उत्तराखण्ड सरकार के अधीन शिक्षा विभाग की एक संस्था है, जिसका कार्य राज्य के माध्यमिक विद्यालय के छात्रों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करना तथा हाई स्कूल एवं इण्टरमीडिएट स्तर की वार्षिक परिषदीय परीक्षाएँ आयोजित कराना है। इसकी स्थापना 2001 में की गयी तथा रामनगर में इसका मुख्यालय है। वर्तमान में 10,000 से अधिक स्कूल परिषद् से संबद्ध हैं। परिषद् प्रतिवर्ष 1300 से अधिक परीक्षा केन्द्रों पर 300,000 से अधिक परीक्षार्थियों के लिए वार्षिक परीक्षाएँ संपन्न कराती है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद् · और देखें »

उत्तराखण्ड विधानसभा

उत्तराखण्ड विधानसभा भारत के उत्तराखण्ड राज्य की विधानसभा को कहते है। यह विधानसभा एकविधाई है और इसमें कुल विधायक संख्या ७० है तथा एक सदस्य नामांकित होता है जो आंग्ल-भारतीय होना चाहिए। उत्तराखण्ड विधान सभा भवन राज्य की राजधानी देहरादून में स्थित है। २०१७ में हुए चुनावों के बाद वर्तमान विधानसभा में ५७ विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ा दल है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उत्तराखण्ड विधानसभा · और देखें »

उत्तराखण्ड के नगरों की सूची

उत्तराखण्ड के नगर नामक इस सूची में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के सभी नगरों की ज़िलेवार सूची दी गई है, जो वर्णमालानुसार क्रमित है। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उत्तराखण्ड के नगरों की सूची · और देखें »

उत्तराखण्ड के मुख्यमन्त्रियों की सूची

उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री, उत्तर भारत के राज्य उत्तराखण्ड का प्रमुख होता होता है। यहाँ पर उत्तराखण्ड राज्य के मुख्यमंत्रियों की सूची दी गई है। सन 2000 में उत्तर प्रदेश पर्वतीय जिलों को अलग कर के उत्तराखण्ड राज्य बनाया गया था। इस राज्य में अब तक 7 मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जिनमे से चार भारतीय जनता पार्टी से व शेष तीन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से हैं। नित्यानन्द स्वामी राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उत्तराखण्ड के मुख्यमन्त्रियों की सूची · और देखें »

उत्तरकाशी

उत्तरकाशी ऋषिकेश से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शहर है, जो उत्तरकाशी जिले का मुख्यालय है। यह शहर भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ है। उत्तरकाशी धार्मिक दृष्‍िट से भी महत्‍वपूर्ण शहर है। यहां भगवान विश्‍वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां एक तरफ जहां पहाड़ों के बीच बहती नदियां दिखती हैं वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर घने जंगल भी दिखते हैं। यहां आप पहाड़ों पर चढ़ाई का लुफ्त भी उठा सकते हैं। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उत्तरकाशी · और देखें »

उधम सिंह नगर जिला

उधमसिंहनगर भारतीय राज्य उत्तरांचल का एक जिला है। जिले का मुख्यालय रुद्रपुर है। उधमसिंह नगर पहले नैनीताल जिले में था। लेकिन अक्टूबर 1995 में इसे अलग जिला बना दिया गया। इस जिले का नाम स्वर्गीय उधम सिंह के नाम पर रखा गया है। उधम सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। जलियांवाला बाग हत्याकांड होने के पश्चात् इन्होंने ही जनरल डायर की हत्या की थी। .

नई!!: काशीपुर, उत्तराखण्ड और उधम सिंह नगर जिला · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

काशीपुर (उत्तराखण्ड)

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »