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कार्ल सेगन

सूची कार्ल सेगन

कार्ल सेगन (9 नवम्बर 1934 - 20 दिसम्बर 1996) प्रसिद्ध यहूदी खगोलशास्त्री और खगोल रसायनशास्त्री थे जिन्होंने खगोल शास्त्र, खगोल भौतिकी और खगोल रसायनशास्त्र को लोकप्रिय बनाया। इन्होंने पृथ्वी से इतर ब्रह्माण्ड में जीवन की खोज करने के लिए सेटी नामक संस्था की स्थापना भी की। इन्होंने अनेक विज्ञान संबंधी पुस्तकें भी लिखी हैं। ये 1980 के बहुदर्शित टेलिविजन कार्यक्रम कॉसमॉस: ए पर्सनल वॉयेज (ब्रह्माण्ड: एक निजी यात्रा) के प्रस्तुतकर्ता भी थे। इन्होंने इस कार्यक्रम पर आधारित कॉसमॉस नामक पुस्तक भी लिखी। अपने जीवनकाल में सेगन ने 600 से भी अधिक वैज्ञानिक शोधपत्र और लोकप्रिय लेख लिखे और 20 से अधिक पुस्तकें लिखी। अपनी कृतियों में ये अकसर मानवता, वैज्ञानिक पद्धति और संशयी अनुसंधान पर जोर देते थे। .

26 संबंधों: चार्ल्स डार्विन, नासा, नास्तिकता, न्यूयॉर्क, बिग बैंग सिद्धांत, मानव का विकास, शिकागो विश्वविद्यालय, सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इन्टेलीजेन्स, संयुक्त राज्य, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, वैज्ञानिक विधि, वॉयेजर द्वितीय, वॉयेजर प्रथम, खगोल शास्त्र, खगोलभौतिकी, गुरुत्वाकर्षण, ग्रह विज्ञान, आस्तिक, क्रम-विकास, कॉर्नेल विश्वविद्यालय, अल्बर्ट आइंस्टीन, अज्ञेयवाद, १९३४, १९९६, २००५, ९ नवम्बर

चार्ल्स डार्विन

चार्ल्स डार्विन चार्ल्स डार्विन (१२ फरवरी, १८०९ – १९ अप्रैल १८८२) ने क्रमविकास (evolution) के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उनका शोध आंशिक रूप से १८३१ से १८३६ में एचएमएस बीगल पर उनकी समुद्र यात्रा के संग्रहों पर आधारित था। इनमें से कई संग्रह इस संग्रहालय में अभी भी उपस्थित हैं। डार्विन महान वैज्ञानिक थे - आज जो हम सजीव चीजें देखते हैं, उनकी उत्पत्ति तथा विविधता को समझने के लिए उनका विकास का सिद्धान्त सर्वश्रेष्ठ माध्यम बन चुका है। संचार डार्विन के शोध का केन्द्र-बिन्दु था। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक जीवजाति का उद्भव (Origin of Species (हिंदी में - 'ऑरिजिन ऑफ स्पीसीज़')) प्रजातियों की उत्पत्ति सामान्य पाठकों पर केंद्रित थी। डार्विन चाहते थे कि उनका सिद्धान्त यथासम्भव व्यापक रूप से प्रसारित हो। डार्विन के विकास के सिद्धान्त से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार विभिन्न प्रजातियां एक दूसरे के साथ जुङी हुई हैं। उदाहरणतः वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि रूस की बैकाल झील में प्रजातियों की विविधता कैसे विकसित हुई। .

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नासा

नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (हिन्दी अनुवाद:राष्ट्रीय वैमानिकी और अन्तरिक्ष प्रबंधन; National Aeronautics and Space Administration) या जिसे संक्षेप में नासा (NASA) कहते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की शाखा है जो देश के सार्वजनिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों व एरोनॉटिक्स व एरोस्पेस संशोधन के लिए जिम्मेदार है। फ़रवरी 2006 से नासा का लक्ष्य वाक्य "भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण, वैज्ञानिक खोज और एरोनॉटिक्स संशोधन को बढ़ाना" है। 14 सितंबर 2011 में नासा ने घोषणा की कि उन्होंने एक नए स्पेस लॉन्च सिस्टम के डिज़ाइन का चुनाव किया है जिसके चलते संस्था के अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में और दूर तक सफर करने में सक्षम होंगे और अमेरिका द्वारा मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया कदम साबित होंगे। नासा का गठन नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम के अंतर्गत 19 जुलाई 1948 में इसके पूर्वाधिकारी संस्था नैशनल एडवाइज़री कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (एनसीए) के स्थान पर किया गया था। इस संस्था ने 1 अक्टूबर 1948 से कार्य करना शुरू किया। तब से आज तक अमेरिकी अंतरिक्ष अन्वेषण के सारे कार्यक्रम नासा द्वारा संचालित किए गए हैं जिनमे अपोलो चन्द्रमा अभियान, स्कायलैब अंतरिक्ष स्टेशन और बाद में अंतरिक्ष शटल शामिल है। वर्तमान में नासा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को समर्थन दे रही है और ओरायन बहु-उपयोगी कर्मीदल वाहन व व्यापारिक कर्मीदल वाहन के निर्माण व विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। संस्था लॉन्च सेवा कार्यक्रम (एलएसपी) के लिए भी जिम्मेदार है जो लॉन्च कार्यों व नासा के मानवरहित लॉन्चों कि उलटी गिनती पर ध्यान रखता है। .

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नास्तिकता

नास्तिकता अथवा नास्तिकवाद या अनीश्वरवाद (English: Atheism), वह सिद्धांत है जो जगत् की सृष्टि करने वाले, इसका संचालन और नियंत्रण करनेवाले किसी भी ईश्वर के अस्तित्व को सर्वमान्य प्रमाण के न होने के आधार पर स्वीकार नहीं करता। (नास्ति .

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न्यूयॉर्क

यह लेख न्यूयॉर्क प्रांत के बारे में है। शहर के लिए देखे - न्यूयॉर्क शहर, अन्य विकल्प के लिए देखे न्यूयॉर्क (बहुविकल्पी) न्यूयॉर्क (New York) पूर्वोत्तर संयुक्त राज्य अमेरिका में एक राज्य है। न्यूयॉर्क उन तेरह उपनिवेश में से एक था जिसने संयुक्त राज्य का गठन किया था। राज्य के सबसे बड़े शहर न्यूयॉर्क शहर, में राज्य की 40% से अधिक आबादी रहती हैं। राज्य की दो-तिहाई जनसंख्या न्यू यॉर्क महानगरीय क्षेत्र में रहती है, और करीब 40% लोग लांग आईलैंड में रहते हैं। राज्य और शहर का नाम 17 वीं सदी के ड्यूक ऑफ यॉर्क यानी के इंग्लैंड के भावी राजा जेम्स द्वितीय के ऊपर रखा गया है। न्यूयॉर्क शहर संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और एक वैश्विक शहर है। न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय है। इसे दुनिया के सांस्कृतिक, वित्तीय और मीडिया राजधानी के रूप में वर्णित किया गया है और साथ ही यह दुनिया का आर्थिक रूप से सबसे शक्तिशाली शहर है। अन्य बड़े शहर हैं बफ़ेलो, रोचेस्टर, योंकर्स, और सिरैक्यूज़, जबकि राज्य की राजधानी अल्बानी है। राज्य की सीमा न्यू जर्सी और पेन्सिलवेनिया से दक्षिण में और कनेक्टिकट, मैसाचुसेट्स और वरमॉण्ट से पूर्व में लगती है। न्यूयार्क में यूरोपीय लोगों के आगमन से पहले कई सौ वर्षों तक अल्गोनक्वियन और इरक़ुओअन बोलने वाले मूल अमेरिकी जनजातियां बसी हुई थी। आने वाले पहले यूरोपीय लोग फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों थे। 1609 में इस क्षेत्र पर डच के लिए हेनरी हडसन द्वारा दावा किया गया, जिन्होंने एक न्यू नीदरलैंड नाम से कॉलोनी बसाई। 1664 में इंग्लैंड ने डच से कॉलोनी लेकर उस पर का कब्जा कर लिया। 2016 के अनुमान के मुताबिक राज्य की जनसंख्या 1,97,45,289 हैं। इस हिसाब से इसका सभी राज्यों में चौथा स्थान हुआ। क्षेत्र के मामले में इसका स्थान 27वां है। लगभग 70% जनता सिर्फ अंग्रेजी बोलती है, 15% स्पेनी, 3% चीनी, बाकी अन्य। श्रेणी:संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य.

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बिग बैंग सिद्धांत

महाविस्फोट प्रतिरूप के अनुसार, यह ब्रह्मांड अति सघन और ऊष्म अवस्था से विस्तृत हुआ है और अब तक इसका विस्तार चालू है। एक सामान्य धारणा के अनुसार अंतरिक्ष स्वयं भी अपनी आकाशगंगाओं सहित विस्तृत होता जा रहा है। ऊपर दर्शित चित्र ब्रह्माण्ड के एक सपाट भाग के विस्तार का कलात्मक दृश्य है। ब्रह्मांड का जन्म एक महाविस्फोट के परिणामस्वरूप हुआ। इसी को महाविस्फोट सिद्धान्त या बिग बैंग सिद्धान्त कहते हैं।।अमर उजाला।। श्य़ामरत्न पाठक, तारा भौतिकविद, जिसके अनुसार से लगभग बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में था।।बीबीसी हिन्दी।। बीबीसी संवाददाता, लंदन:ममता गुप्ता और महबूब ख़ान उस समय मानवीय समय और स्थान जैसी कोई अवधारणा अस्तित्व में नहीं थी।।हिन्दुस्तान लाइव।।२७ अक्टूबर, २००९ महाविस्फोट सिद्धांत के अनुसार लगभग १३.७ अरब वर्ष पूर्व इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है। सारी भौतिक मान्यताएं इस एक ही घटना से परिभाषित होती हैं जिसे महाविस्फोट सिद्धांत कहा जाता है। महाविस्फोट नामक इस महाविस्फोट के धमाके के मात्र १.४३ सेकेंड अंतराल के बाद समय, अंतरिक्ष की वर्तमान मान्यताएं अस्तित्व में आ चुकी थीं। भौतिकी के नियम लागू होने लग गये थे। १.३४वें सेकेंड में ब्रह्मांड १०३० गुणा फैल चुका था और क्वार्क, लैप्टान और फोटोन का गर्म द्रव्य बन चुका था। १.४ सेकेंड पर क्वार्क मिलकर प्रोटॉन और न्यूट्रॉन बनाने लगे और ब्रह्मांड अब कुछ ठंडा हो चुका था। हाइड्रोजन, हीलियम आदि के अस्तित्त्व का आरंभ होने लगा था और अन्य भौतिक तत्व बनने लगे थे। महाविस्फोट सिद्धान्त के आरंभ का इतिहास आधुनिक भौतिकी में जॉर्ज लिमेत्री ने लिखा हुआ है। लिमेत्री एक रोमन कैथोलिक पादरी थे और साथ ही वैज्ञानिक भी। उनका यह सिद्धान्त अल्बर्ट आइंसटीन के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आधारित था। महाविस्फोट सिद्धांत दो मुख्य धारणाओं पर आधारित होता है। पहला भौतिक नियम और दूसरा ब्रह्माण्डीय सिद्धांत। ब्रह्माण्डीय सिद्वांत के मुताबिक ब्रह्मांड सजातीय और समदैशिक (आइसोट्रॉपिक) होता है। १९६४ में ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्गस ने महाविस्फोट के बाद एक सेकेंड के अरबें भाग में ब्रह्मांड के द्रव्यों को मिलने वाले भार का सिद्धांत प्रतिपादित किया था, जो भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के बोसोन सिद्धांत पर ही आधारित था। इसे बाद में 'हिग्गस-बोसोन' के नाम से जाना गया। इस सिद्धांत ने जहां ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों पर से पर्दा उठाया, वहीं उसके स्वरूप को परिभाषित करने में भी मदद की।। दैट्स हिन्दी॥।१० सितंबर, २००८। इंडो-एशियन न्यूज सर्विस। .

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मानव का विकास

चार्ल्स डार्विन की "ओरिजिन ऑव स्पीशीज़" नामक पुस्तक के पूर्व साधारण धारणा यह थी कि सभी जीवधारियों को किसी दैवी शक्ति (ईश्वर) ने उत्पन्न किया है तथा उनकी संख्या, रूप और आकृति सदा से ही निश्चित रही है। परंतु उक्त पुस्तक के प्रकाशन (सन् 1859) के पश्चात् विकासवाद ने इस धारणा का स्थान ग्रहण कर लिया और फिर अन्य जंतुओं की भाँति मनुष्य के लिये भी यह प्रश्न साधारणतया पूछा जाने लगा कि उसका विकास कब और किस जंतु अथवा जंतुसमूह से हुआ। इस प्रश्न का उत्तर भी डार्विन ने अपनी दूसरी पुस्तक "डिसेंट ऑव मैन" (सन् 1871) द्वारा देने की चेष्टा करते हुए बताया कि केवल वानर (विशेषकर मानवाकार) ही मनुष्य के पूर्वजों के समीप आ सकते हैं। दुर्भाग्यवश धार्मिक प्रवृत्तियोंवाले लोगों ने डार्विन के उक्त कथन का त्रुटिपुर्ण अर्थ (कि वानर स्वयं ही मानव का पूर्वज है) लगाकर, न केवल उसका विरोध किया वरन् जनसाधारण में बंदरों को ही मनुष्य का पूर्वज होने की धारणा को प्रचलित कर दिया, जो आज भी अपना स्थान बनाए हुए है। यद्यपि डार्विन मनुष्य विकास के प्रश्न का समाधान न कर सके, तथापि इन्होंने दो गूढ़ तथ्यों की ओर प्राणिविज्ञानियों का ध्यान आकर्षित किया: (1) मानवाकार कपि ही मनुष्य के पूर्वजों के संबंधी हो सकते हैं और (2) मानवाकार कपियों तथा मनुष्य के विकास के बीच में एक बड़ी खाईं है, जिसे लुप्त जीवाश्मों (fossils) की खोज कर के ही कम किया जा सकता है। यह प्रशंसनीय है कि डार्विन के समय में मनुष्य के समान एक भी जीवाश्म उपलब्ध न होते हुए भी, उसने भूगर्भ में छिपे ऐसे अवशेषों की उपस्थिति की भविष्यवाणी की जो सत्य सिद्ध हुई। अभी तक की खोज के अनुसार होमो सेपियन्स का उद्धव 2 लाख साल पहले पूर्वी अफ्रीका का माना जाता रहा है, लेकिन नई खोज के मुताबिक 3 लाख साल पहले ही होमो सेपिन्यस के उत्तर अफ्रीका में विकास के सबूत मौजूद है। .

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शिकागो विश्वविद्यालय

अमरीका का यह विश्वविद्यालय इलिनॉय के शिकागो शहर में स्थित है। इसमें चार ग्रेजुएट डिविजन्स हैं और छह प्रोफेशनल स्कूल, जिनमें 2211 फैकल्टी मैम्बर्स काम कर रहे हैं। इसमें इस समय 15000 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें 18 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं। .

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सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इन्टेलीजेन्स

SETI@home, के लिये बने एक स्क्रीनसेवर का स्क्रीनशॉट। ये एक वितरित संगणन परियोजना थी, जिसमें लोगों ने स्वेच्छा से अपने खाली पड़े कंप्यूटरों को परा-पार्थिव बुद्धिमता चिह्नों की खोज हेतु दान किये थे। सेटी (अंग्रेज़ी:सर्च फॉर एक्स्ट्रा-टेरेस्ट्रियल इंटेलीजेंस) अमरीका में सुदूर ब्रह्मांड में जीवन की खोज करने की सामूहिक क्रिया-कलापों को कहते हैं। तलाशने के काम में लगा है। इस कार्य के लिए सेटी रेडियो संकेतों का प्रयोग करता है। इसके अलावा, ऑप्टीकल दूरदर्शी और अन्य विधियों को प्रयोग किए जाने की भी सिफारिशें की गई हैं। सेटी अपने प्रयासों में व्यस्त रहता है और किसी अन्य ग्रह पर बौद्धिक जीवन के बारे में सूचनाओं की खोज करता रहता है। विश्व की शक्तिशाली वेधशालाओं और दूरदर्शियों की मदद से सेटी ब्रह्मांड के कोने कोने से आने वाले रेडियो संप्रेषणों को एकत्रित कर उनका विश्लेषण करती है। अभी तक अभी तक की गणना के अनुसार ब्रह्मांड में हम अकेले हैं।। हिन्दुस्तान लाईव। १८ अप्रैल २०१० एक पृथ्वी स्थित सिस्टम से दिखती माइक्रोवेव विंडो। स्रोत:नासा रिपोर्ट: SP-419: अंतरिक्ष में निर्वात होने के कारण वह अपने आप में कोई विशेष शक्तिशाली रेडियो संकेतवाहक नहीं है। सेटी के वैज्ञानिकों के अनुसार यदि सुदूर अंतरिक्ष में कोई अनजान सभ्यता पृथ्वी से भेजे गए रेडियो संकेतों को पकड़ती है तो उसे उत्तर में अंतरिक्ष में सूचनाएं छोड़नी चाहिए जैसे कि हम रेडियो और टीवी स्टेशनों के माध्यम से सूचनाएं छोड़ते हैं। यदि अंतरिक्ष में कोई सभ्यता है तो उनके लिए इन संदेशों को पकड़ना भी अच्छा-खासा चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। इनका मानना है कि जिस तरह से हमारे पास कई लाख प्रकाश वर्ष की दूरी तक अपने संदेश पहुंचाने की क्षमता और तकनीक है वैसी ही तकनीक किसी दूसरे ग्रह के लोगों (यदि कोई हैं तो) के पास भी हो सकती है। जैसे पृथ्वी से रेडियो, टीवी, राडार के संकेत निकलकर अंतरिक्ष में फैलते हैं वैसे ही अन्य ग्रहों के रेडियो संकेत भी अंतरिक्ष में होंगे। इन संकेतों को पकड़कर दूसरी दुनिया के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं। सेटी द्वारा हो रहे इस अध्ययन को आरंभ में अमरीका ने वित्तीय मदद दी लेकिन बाद में इसे बन्द कर दिया। सेटी के अनेक शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि किसी बाहरी सभ्यता की खोज के लिए हमें मध्यम आवृत्ति भेजी जानी चाहिए और सौरमंडल से बाहर भेजा जाने वाला कोई भी संदेश अंतरिक्ष में किसी एक स्थान पर स्थित ही रहना चाहिए। इसके लिए सेटी के खगोलविदों ने विशालकाय सुपरकंप्यूटरों द्वारा संदेशों को स्कैन करने का काम किया है, जिसके बाद अंतत:यह कार्य एक विकेंद्रीकृत कंप्यूटिंग नेटवर्क, SETI@home को दे दिया गया। वैसे अभी तक किसी अन्य खगोलीय सभ्यता के कोई लक्षण सामने नहीं आए हैं। अनेक खगोलविदों के अनुसार कोई भी बाहरी सभ्यता रेडियो संदेशों का आदान-प्रदान नहीं करेगी, चूंकि बहुत संभव है कि वह पृथ्वी की सभ्यता से कहीं आगे होगी। इसलिए खगोलविद् अंतरिक्ष में लेजर किरणों की भी खोज कर रहे हैं। यदि अंतरिक्ष में सूचनाएं भेजने का यह प्रयास अंतत: विफल रहता है तो सेटी को कोई यान ही भेजना पड़ेगा, जो इससे भी कहीं कठिन कार्य होगा। .

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संयुक्त राज्य

संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S. Census Bureau, database as of August 2010, excluding the U.S. Minor Outlying Islands.

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हार्वर्ड विश्वविद्यालय

250px हार्वर्ड विश्वविद्यालय अमेरिका के मैसाचुसैट्स शहर के कैंब्रिज में स्थित एक निजी विश्वविद्यालय है, जो इवी लीग का सदस्य है। इसकी स्थापना 1636 में औपनिवेशिक मैसाचुसैट्स कानून के तहत हुआ। हार्वर्ड अमेरिका में उच्च शिक्षा का सबसे पुराना संस्थान है और वर्तमान में इसकी दस शैक्षणिक ईकाईयां हैं। यह अमेरिका का पहला और सबसे पुराना निगम है। शुरुआत में यह न्यू कॉलेज या द कॉलेज ऑफ न्यू टाऊन के नाम से जाना जाता था। 13 मार्च 1639 को इसका नाम बदलकर हार्वर्ड कॉलेज रखा गया.

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वैज्ञानिक विधि

वैज्ञानिक विधि (चित्र में टेक्स्ट फ्रेंच भाषा में है) विज्ञान, प्रकृति का विशेष ज्ञान है। यद्यपि मनुष्य प्राचीन समय से ही प्रकृति संबंधी ज्ञान प्राप्त करता रहा है, फिर भी विज्ञान अर्वाचीन काल की ही देन है। इसी युग में इसका आरंभ हुआ और थोड़े समय के भीतर ही इसने बड़ी उन्नति कर ली है। इस प्रकार संसार में एक बहुत बड़ी क्रांति हुई और एक नई सभ्यता का, जो विज्ञान पर आधारित है, निर्माण हुआ। ब्रह्माण्ड के परीक्षण का सम्यक् तरीका भी धीरे-धीरे विकसित हुआ। किसी भी चीज के बारे में यों ही कुछ बोलने व तर्क-वितर्क करने के बजाय बेहतर है कि उस पर कुछ प्रयोग किये जांय और उसका सावधानी पूर्वक निरीक्षण किया जाय। इस विधि के परिणाम इस अर्थ में सार्वत्रिक हैं कि कोई भी उन प्रयोगों को पुनः दोहरा कर प्राप्त आंकडों की जांच कर सकता है। सत्य को असत्य व भ्रम से अलग करने के लिये अब तक आविष्कृत तरीकों में वैज्ञानिक विधि सर्वश्रेष्ठ है। संक्षेप में वैज्ञानिक विधि निम्न प्रकार से कार्य करती है.

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वॉयेजर द्वितीय

वायेजर द्वितीय एक अमरीकी मानव रहित अंतरग्रहीय शोध यान था जिसे वायेजर १ से पहले २० अगस्त १९७७ को अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया था। यह काफी कुछ अपने पूर्व संस्करण यान वायेजर १ के समान ही था, किन्तु उससे अलग इसका यात्रा पथ कुछ धीमा है। इसे धीमा रखने का कारण था इसका पथ युरेनस और नेपचून तक पहुंचने के लिये अनुकूल बनाना। इसके पथ में जब शनि ग्रह आया, तब उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण यह युरेनस की ओर अग्रसर हुआ था और इस कारण यह भी वायेजर १ के समान ही बृहस्पति के चन्द्रमा टाईटन का अवलोकन नहीं कर पाया था। किन्तु फिर भी यह युरेनस और नेपच्युन तक पहुंचने वाला प्रथम यान था। इसकी यात्रा में एक विशेष ग्रहीय परिस्थिति का लाभ उठाया गया था जिसमे सभी ग्रह एक सरल रेखा मे आ जाते है। यह विशेष स्थिति प्रत्येक १७६ वर्ष पश्चात ही आती है। इस कारण इसकी ऊर्जा में बड़ी बचत हुई और इसने ग्रहों के गुरुत्व का प्रयोग किया था। .

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वॉयेजर प्रथम

वोयेजर प्रथम अंतरिक्ष यान एक ७२२ कि.ग्रा का रोबोटिक अंतरिक्ष प्रोब था। इसे ५ सितंबर, १९७७ को लॉन्च किया गया था। वायेजर १ अंतरिक्ष शोध यान एक ८१५ कि.ग्रा वजन का मानव रहित यान है जिसे हमारे सौर मंडल और उसके बाहर की खोज के लिये प्रक्षेपित किया गया था। यह अभी भी (मार्च २००७) कार्य कर रहा है। यह नासा का सबसे लम्बा अभियान है। इस यान ने गुरू और शनि ग्रहों की यात्रा की है और यह यान इन महाकाय ग्रहों के चन्द्रमा की तस्वीरें भेजने वाला पहला शोध यान है। वायेजर १ मानव निर्मित सबसे दूरी पर स्थित वस्तु है और यह पृथ्वी और सूर्य दोनों से दूर अनंत अंतरिक्ष में अभी भी गतिशील है। न्यू हॉराइज़ंस शोध यान जो इसके बाद छोड़ा गया था, वायेजर १ की तुलना में कम गति से चल रहा है इसलिये वह कभी भी वायेजर १ को पीछे नहीं छोड़ पायेगा। .

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खगोल शास्त्र

चन्द्र संबंधी खगोल शास्त्र: यह बडा क्रेटर है डेडलस। १९६९ में चन्द्रमा की प्रदक्षिणा करते समय अपोलो ११ के चालक-दल (क्रू) ने यह चित्र लिया था। यह क्रेटर पृथ्वी के चन्द्रमा के मध्य के नज़दीक है और इसका व्यास (diameter) लगभग ९३ किलोमीटर या ५८ मील है। खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होने वाली घटनाओं का अवलोकन, विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या (explanation) की जाती है। यह वह अनुशासन है जो आकाश में अवलोकित की जा सकने वाली तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरंभ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन करता है। बीसवीं शताब्दी के दौरान, व्यावसायिक खगोल शास्त्र को अवलोकिक खगोल शास्त्र तथा काल्पनिक खगोल तथा भौतिक शास्त्र में बाँटने की कोशिश की गई है। बहुत कम ऐसे खगोल शास्त्री है जो दोनो करते है क्योंकि दोनो क्षेत्रों में अलग अलग प्रवीणताओं की आवश्यकता होती है, पर ज़्यादातर व्यावसायिक खगोलशास्त्री अपने आप को दोनो में से एक पक्ष में पाते है। खगोल शास्त्र ज्योतिष शास्त्र से अलग है। ज्योतिष शास्त्र एक छद्म-विज्ञान (Pseudoscience) है जो किसी का भविष्य ग्रहों के चाल से जोड़कर बताने कि कोशिश करता है। हालाँकि दोनों शास्त्रों का आरंभ बिंदु एक है फिर भी वे काफ़ी अलग है। खगोल शास्त्री जहाँ वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करते हैं जबकि ज्योतिषी केवल अनुमान आधारित गणनाओं का सहारा लेते हैं। .

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खगोलभौतिकी

खगोलभौतिकी (Astrophysics) खगोल विज्ञान का वह अंग है जिसके अंतर्गत खगोलीय पिंडो की रचना तथा उनके भौतिक लक्षणों का अध्ययन किया जाता है। कभी-कभी इसे 'ताराभौतिकी' भी कह दिया जाता है हालाँकि वह खगोलभौतिकी की एक प्रमुख शाखा है जिसमें तारों का अध्ययन किया जाता है। .

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गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है। गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटेशन) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है। .

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ग्रह विज्ञान

ग्रह विज्ञान यानी ग्रहों, उपग्रहों एवं सौर मंडल का वैज्ञानिक अध्ययन| इस विज्ञान में इन पिंडों की उत्पत्ति, भौतिक एवं रासायनिक संरचना, उनकी गति, आपसी निर्भरता और उनसे जुड़े हुए अन्य सभी पहलुओं का अध्ययन शामिल है। कैसिनी द्वारा ली गयी शनि के उपग्रह टाईटन की तस्वीर श्रेणी:खगोलशास्त्र.

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आस्तिक

भारतीय दर्शन में आस्तिक शब्द तीन अर्थों में प्रयुक्त हुआ है-.

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क्रम-विकास

आनुवांशिकता का आधार डीएनए, जिसमें परिवर्तन होने पर नई जातियाँ उत्पन्न होती हैं। क्रम-विकास या इवोलुशन (English: Evolution) जैविक आबादी के आनुवंशिक लक्षणों के पीढ़ी दर पीढ़ी परिवर्तन को कहते हैं। क्रम-विकास की प्रक्रियायों के फलस्वरूप जैविक संगठन के हर स्तर (जाति, सजीव या कोशिका) पर विविधता बढ़ती है। पृथ्वी के सभी जीवों का एक साझा पूर्वज है, जो ३.५–३.८ अरब वर्ष पूर्व रहता था। इसे अंतिम सार्वजानिक पूर्वज कहते हैं। जीवन के क्रम-विकासिक इतिहास में बार-बार नयी जातियों का बनना (प्रजातिकरण), जातियों के अंतर्गत परिवर्तन (अनागेनेसिस), और जातियों का विलुप्त होना (विलुप्ति) साझे रूपात्मक और जैव रासायनिक लक्षणों (जिसमें डीएनए भी शामिल है) से साबित होता है। जिन जातियों का हाल ही में कोई साझा पूर्वज था, उन जातियों में ये साझे लक्षण ज्यादा समान हैं। मौजूदा जातियों और जीवाश्मों के इन लक्षणों के बीच क्रम-विकासिक रिश्ते (वर्गानुवंशिकी) देख कर हम जीवन का वंश वृक्ष बना सकते हैं। सबसे पुराने बने जीवाश्म जैविक प्रक्रियाओं से बने ग्रेफाइट के हैं, उसके बाद बने जीवाश्म सूक्ष्मजीवी चटाई के हैं, जबकि बहुकोशिकीय जीवों के जीवाश्म बहुत ताजा हैं। इस से हमें पता चलता है कि जीवन सरल से जटिल की तरफ विकसित हुआ है। आज की जैव विविधता को प्रजातिकरण और विलुप्ति, दोनों द्वारा आकार दिया गया है। पृथ्वी पर रही ९९ प्रतिशत से अधिक जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं। पृथ्वी पर जातियों की संख्या १ से १.४ करोड़ अनुमानित है। इन में से १२ लाख प्रलेखित हैं। १९ वीं सदी के मध्य में चार्ल्स डार्विन ने प्राकृतिक वरण द्वारा क्रम-विकास का वैज्ञानिक सिद्धांत दिया। उन्होंने इसे अपनी किताब जीवजाति का उद्भव (१८५९) में प्रकाशित किया। प्राकृतिक चयन द्वारा क्रम-विकास की प्रक्रिया को निम्नलिखित अवलोकनों से साबित किया जा सकता है: १) जितनी संतानें संभवतः जीवित रह सकती हैं, उस से अधिक पैदा होती हैं, २) आबादी में रूपात्मक, शारीरिक और व्यवहारिक लक्षणों में विविधता होती है, ३) अलग-अलग लक्षण उत्तर-जीवन और प्रजनन की अलग-अलग संभावना प्रदान करते हैं, और ४) लक्षण एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी को दिए जाते हैं। इस प्रकार, पीढ़ी दर पीढ़ी आबादी उन शख़्सों की संतानों द्वारा प्रतिस्थापित हो जाती है जो उस बाईओफीसिकल परिवेश (जिसमें प्राकृतिक चयन हुआ था) के बेहतर अनुकूलित हों। प्राकृतिक वरण की प्रक्रिया इस आभासी उद्देश्यपूर्णता से उन लक्षणों को बनती और बरकरार रखती है जो अपनी कार्यात्मक भूमिका के अनुकूल हों। अनुकूलन का प्राकृतिक वरण ही एक ज्ञात कारण है, लेकिन क्रम-विकास के और भी ज्ञात कारण हैं। माइक्रो-क्रम-विकास के अन्य गैर-अनुकूली कारण उत्परिवर्तन और जैनेटिक ड्रिफ्ट हैं। .

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कॉर्नेल विश्वविद्यालय

कॉर्नेल विश्वविद्यालय अमरीका के न्यू यॉर्क राज्य में स्थित एक निजी आइवी लीग अनुसन्धान विश्वविद्यालय है। .

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अल्बर्ट आइंस्टीन

अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein; १४ मार्च १८७९ - १८ अप्रैल १९५५) एक विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् थे जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E .

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अज्ञेयवाद

अज्ञेयवाद (एग्नॉस्टिसिज्म / English: Agnosticism) ज्ञान मीमांसा का विषय है, यद्यपि उसका कई पद्धतियों में तत्व दर्शन से भी संबंध जोड़ दिया गया है। इस सिद्धांत की मान्यता है कि जहाँ विश्व की कुछ वस्तुओं का निश्चयात्मक ज्ञान संभव है, वहाँ कुछ ऐसे तत्व या पदार्थ भी हैं जो अज्ञेय हैं, अर्थात् जिनका निश्चयात्मक ज्ञान संभव नहीं है। अज्ञेयवाद, संदेहवाद से भिन्न है; संदेहवाद या संशयवाद के अनुसार विश्व के किसी भी पदार्थ का निश्चयात्मक ज्ञान संभव नहीं है। भारतीय दर्शन के संभवतः किसी भी संप्रदाय को अज्ञेयवादी नहीं कहा जा सकता। वस्तुतः भारत में कभी भी संदेहवाद एवं अज्ञेयवाद का व्यवस्थित प्रतिपादन नहीं हुआ। नैयायिक सर्वज्ञेयवादी हैं और नागार्जुन तथा श्रीहर्ष जेसे मुक्तिवादी भी पारिश्रमिक अर्थ में संशयवादी अथवा अज्ञेयवादी नहीं कहे जा सकते। एग्नास्टिसिज्म शब्द का सर्वप्रथम आविष्कार और प्रयोग सन् 1870 में टॉमस हेनरी हक्सले (1825-1895) द्वारा हुआ। अंग्रेजी जीवविज्ञानी थॉमस हेनरी हक्सले ने 1869 में "अज्ञेय" शब्द का उच्चारण किया था। पहले के विचारकों ने हालांकि लिखा था कि 5 वीं शताब्दी ई.पू.

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१९३४

1934 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९९६

१९९६ निम्न रूप से नामित किया गया था.

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२००५

2005 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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९ नवम्बर

९ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३१३वॉ (लीप वर्ष में ३१४ वॉ) दिन है। साल में अभी और ५२ दिन बाकी है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

कार्ल सागान, कार्ल सैगन

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