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व्यंग-चित्रकार

सूची व्यंग-चित्रकार

कार्टूनिस्ट या व्यंग चित्रकार उस व्यक्ति को कहा जाता है जिसके चित्र हास्य या व्यंग पर आधारित होते हैं। कार्टूनिस्ट अपने चित्रों या कार्टून में व्यक्ति विशेष के चेहरे, हाव-भाव, चरित्र, वेश-भूषा, कथानक और संवाद के माध्यम व्यंग या हास्य का समायोजन करता है। कार्टूनिस्ट को कई श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है जैसे: समाचार पत्र या पत्रिका में कार्य करने वाले राजनैतिक कार्टूनिस्ट या सम्पादकीय कार्टूनिस्ट, कार्टून श्रंखला या कॉमिक स्ट्रिप बनाने वाले कार्टूनिस्ट, तथा एनिमेशन फिल्मों के लिए कार्य करने वाले कार्टूनिस्ट। .

29 संबंधों: चन्दर, चंद्रशेखर हाडा, त्र्यम्बक शर्मा, देवांशु वत्स, पवन (कार्टूनकार), प्राण, बाल ठाकरे, मारियो मिरांडा, मंजुल, यूसुफ़ मुन्ना, रंगा, शेखर गुरेरा, सतीश आचार्य, सलाम, सुधीर तैलंग, हरिओम तिवारी, हास्य, जसपाल भट्टी, आबिद सुरती, आर के लक्ष्मण, इरफ़ान ख़ान (कार्टूनिस्ट), इस्माईल लहरी, कार्टूनिस्ट नीरद, कार्टूनिस्ट्स क्लब ऑफ इंडिया, काक (कार्टूनिस्ट), कुट्टी, के शंकर पिल्लई, अभिषेक तिवारी, अजित नैनन

चन्दर

तारा चन्दर एक कार्टूनकार हैं। .

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चंद्रशेखर हाडा

कार्टूनिस्ट चंद्रशेखर हाडा का जन्म २ अगस्त १९६५ को बरखेडा मध्यप्रदेश में हुआ। एक फर्म में उप प्रबन्धक रह्ते फ्रीलान्स कार्टूनिंग की। चंद्रशेखर हाडा का पहला कार्टून नवभारत में छपा। स्वदेश, जनसत्ता, नईदुनिया, कादम्बिनी, साप्ताहिक हिंदुस्तान, पंजाब केसरी, मिलाप आदि पत्र-पत्रिकाओं में नियमित कार्टून छपते रहे हैं। पिछले १७ वर्षों से दैनिक भास्कर ग्रुप में कार्यरत हैं। इनदिनों जयपुर राजस्थान में हैं। श्रेणी:भारतीय कार्टूनिस्ट श्रेणी:1965 में जन्मे लोग.

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त्र्यम्बक शर्मा

त्र्यम्बक शर्मा त्र्यम्बक शर्मा (५ सितम्बर १९७०) भारत के युवा कार्टूनिस्ट हैं। उन्हें विशेष रूप से कार्टून आधारित एकमात्र मासिक पत्रिका कार्टून वाच के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। शंकर्स वीकली के बाद भारत में कार्टून पत्रिका प्रारंभ करने वाले त्र्यम्बक शर्मा का जन्म छत्तीसगढ़ में और शिक्षा दुर्ग-भिलाई और रायपुर में हुई। भिलाई के कल्याण महाविद्यालय से विज्ञान में स्नातक होने के बाद त्र्यम्बक ने रायपुर से पत्रकारिता में स्नातक डिग्री प्राप्त की। कार्टून वाच पत्रिका के प्रकाशन के चलते वे सपरिवार रायपुर में ही बस गए। त्र्यम्बक कार्टूनिस्ट की नज़र से उन्होंने तीन वर्ष रायपुर के सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ी दैनिक़ द हितवाद मे तथा एक वर्ष हिंदी दैनिक देशबंधु में मे बतौर संवाददाता कार्य भी किया। रायपुर में दैनिक नवभारत में काम करते हुए उन्होंने १९९१ में दैनिक कार्टून बनाना प्रारंभ किया। १९९२ से उनके कार्टून दैनिक भास्कर के रायपुर संस्करण में प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित होना प्रारंभ हुए। १९९६ में उन्होंने दैनिक भास्कर की नौकरी छोड़कर मासिक पत्रिका कार्टून वाच का प्रकाशन रायपुर से आरम्भ किया। कार्टून वाच राजनीतिक और सामाजिक कार्टूनों पर आधारित भारत की एक मात्र हिंदी कार्टून मासिक पत्रिका है। यह पत्रिका जहाँ पुराने कार्टूनिस्टों के कार्टूनों का पुनः प्रकाशन करती है वहीं नए कार्टूनिस्टों की प्रतिभा को सामने लाने का लिए भी मंच प्रदान करती है। देश-विदेश में अपनी प्रदर्शनियाँ करने वाले त्र्यंबक रायपुर में एक कार्टून संग्रहालय बनाने में लगे हैं। .

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देवांशु वत्स

युवा लेखक, कार्टूनिस्ट और चित्रकथाकार.

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पवन (कार्टूनकार)

पवन भारत के एक युवा कार्टूनकार हैं। वे बिहार के उन चंद कार्टूनिस्टों में से हैं, जिन्होंने कार्टून कला को बिहार में आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया। वे हिन्दुस्तान नामक हिन्दी समाचारपत्र के लिए कार्टून बनाते हैं। 13 साल की उम्र में कार्टून बनाने के लिए घर से भागने वाले पवन को कार्टून बनाना और बच्चों को कार्टून सीखाना- दो ही काम सबसे ज्यादा पसंद है। 1997 में जब उन्होंने कई अखबारों के लिए कार्टून बनाना शुरू किया तो अपने कम सैलरी के बावजूद कुछ पैसे बचाकर पेंसिल-कागज और एक चटाई को मोटरसाईकिल पर बांधे निकल जाते। कहीं पटना और आसपास के किसी भी जिले में। कहीं भी चटाई बिछ जाती, बच्चों को बुला कार्टून बनाना सीखाने लगते। एक तरफ कार्टून को उसके अभिजात्यपन से नीचे लाकर आम लोगों में लोकप्रिय बनाना और दूसरी तरफ इस कला को सुविधाविहिन बच्चों औऱ हाथों तक पहुंचाना- दोनों ही स्तर पर पवन लगातार काम कर रहे हैं। मीडिया में पवन के कार्टून ख़ास महत्व रखते हैं, बल्कि पवन के कार्टून ने आज राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर पहचान बना ली है। समाचार पत्रों के अलावा पत्र-पत्रिकाओं के साथ विभिन्न मीडिया इकाइयों में भी पवन के कार्टून छाये। पवन के कार्टूनों ने ख़ास संरचना के बलबूते अपनी पहचान बनायी है। कार्टूनिस्ट पवन अपनी सद्यः प्रकाशित पुस्तक “कार्टूनों की दुनिया” से इन दिनों ख़ासे चर्चे में है। क़रीब ढ़ाई सौ से ज़्यादा, पवन के कार्टूनों को लेकर प्रभात प्रकाशन ने कार्टूनों को पुस्तकबद्ध किया है। देशज शैली में, पवन ने गंभीर बातों को सहज शब्दों में अपने कार्टून में जगह दी है। पवन के पात्रों में जहाँ लालू, नीतीश सहित अन्य राजनेता है वहीं, आम आदमी भी शामिल है। कार्टूनों में पवन मगही से लेकर भोजपुरी संवादों को पिरोते हैं। मसलन विधानसभा चुनाव में “लालटेन भुकभुकाय नमः” और “बाबा वेल्नटाइन” और “नये साल के जश्न में शराब पीकर लोटपोट होने वाले को बंदरों” के साथ संवाद करते कार्टून है। पवन के कार्टून जन सुविधाओं पर भी केंद्रीत है। कुड़ा-कचड़ा और देश की समस्याओं पर पवन ने कार्टूनों को गंभीरता से बनाया है। .

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प्राण

प्राण हिन्दू दर्शनों, जैसे योगदर्शन और आयुर्वेद इत्यादि में जीवनी शक्ति को कहा गया है। कुछ प्रसंगों में इसे सूर्य से उत्पन्न और पूरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त शक्ति के रूप में भी वर्णित किया गया है। आयुर्वेद, तन्त्र इत्यादि में पाँच प्रकार के प्राण बताये गये हैं: .

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बाल ठाकरे

बालासाहेब केशव ठाकरे (२३ जनवरी १९२६ - १७ नवम्बर २०१२) भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के प्रसिद्ध राजनेता थे जिन्होने शिव सेना के नाम से एक प्रखर हिन्दू राष्ट्रवादी दल का गठन किया था। उन्हें लोग प्यार से बालासाहेब भी कहते थे। वे मराठी में सामना नामक अखबार निकालते थे। इस अखबार में उन्होंने अपनी मृत्यु से कुछ दिन पूर्व अपने सम्पादकीय में लिखा था-"आजकल मेरी हालत चिन्ताजनक है किन्तु मेरे देश की हालत मुझसे अधिक चिन्ताजनक है; ऐसे में भला मैं चुप कैसे बैठ सकता हूँ?" उनके अनुयायी उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहते थे। ठाकरे ने अपने जीवन का सफर एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया था। पहले वे अंग्रेजी अखबारों के लिये कार्टून बनाते थे। बाद में उन्होंने सन १९६० में मार्मिक के नाम से अपना एक स्वतन्त्र साप्ताहिक अखबार निकाला और अपने पिता केशव सीताराम ठाकरे के राजनीतिक दर्शन को महाराष्ट्र में प्रचारित व प्रसारित किया। सन् १९६६ में उन्होंने शिव सेना की स्थापना की। मराठी भाषा में सामना के अतिरिक्त उन्होंने हिन्दी भाषा में दोपहर का सामना नामक अखबार भी निकाला। इस प्रकार महाराष्ट्र में हिन्दी व मराठी में दो-दो प्रमुख अखबारों के संस्थापक बाला साहब ही थे। खरी-खरी बात कहने और विवादास्पद बयानों के कारण वे मृत्यु पर्यन्त अखबार की सुर्खियों में बने रहे। १७ नवम्बर २०१२ को मुम्बई में अपने मातोश्री आवास पर दोपहर बाद ३ बजकर ३३ मिनट पर उन्होंने अन्तिम साँस ली। .

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मारियो मिरांडा

१९९८ में पद्मश्री और २००२ में पद्मभूषण प्राप्त करने वाले मारियो डी मिरांडा का जन्म दमन में हुआ। मारियो मिरांडा के कार्टून वर्षों से द टाइम्स ऑफ़ इंडिया और इकोनोमिक टाइम्स में प्रकाशित होते आए हैं। मारियो को विशेष तौर पर इलेस्ट्रेटेड वीकली के लिए बनाये इनके कार्टून्स के लिए जाना जाता है। इन्होनें दो दशक तक गोआ के जीवन शैली को कैनवस पर हमारे लिये लाया। इनके कार्टून्स में विशेषकर मिस फोन्सेन्का को हमेशा मिस करेंगे। Category:व्यंग्यकार Category:कार्टूनिस्ट Category:कार्टून Category:भारतीय कार्टूनिस्ट Category:Indian editorial cartoonists.

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मंजुल

कार्टूनिस्ट मंजुल ने १९८९ में कार्टून बनाने के शुरुआत की.

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यूसुफ़ मुन्ना

कार्टूनिस्ट यूसुफ मुन्ना 1995 से अनेक पत्र-पत्रिकाओ और न्यूज़ पोर्टल के लिए कार्टून बना रहे है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्मे यूसुफ ने दैनिक 'स्वतंत्र चेतना' से अपने कैरियर की शुरुआत की। 1999 में वे नई दिल्ली आ गए। यहाँ वे 'कान्ति' साप्ताहिक समाचार पत्र में उपसम्पादक पद पर काम करते हुए कार्टून निर्माण के क्षेत्र में लगातार सक्रिय है। अब तक उनके कार्टून मासिक पत्रिका अंतर प्रवाह, इंडिया नेक्स्ट, मुस्लिम इंडिया, हिंदी दैनिक आवाम-इ-हिन्द, दैनिक सियासत, न्यूज़ पोर्टल www.twocircles.net आदि स्थानो पर प्रकाशित हो चुके है। वर्तमान में वे The Milligazette और न्यूज़ पोर्टल www.indiatomorrow.net के लिए कार्टून बना रहे है। 2016 में यूसुफ मुन्ना को 'बेस्ट कार्टूनिस्ट' अवार्ड से सम्मानित किया गया।.

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रंगा

१९२५ में जन्मे कार्टूनिस्ट रंगा का नाम पूरा नाम एन के रंगनाथन था। भारत के कुछ प्रथम कार्टूनिस्टों में से एक रंगा ने अपने कार्यकाल में इंडियन एक्सप्रेस, द स्टेट्समेन और ट्रिब्यून जैसे प्रतिष्ठीत समाचारपत्रों के लिए कार्टूनिस्ट के रूप में कार्य किया। कैरीकेचर बनने में दक्ष रंगा को उनके द्वारा बनाये कैरीकेचर्स के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। रंगा द्वारा चंद रेखाओं के माध्यम से बनाए गए महात्मा गाँधी के कैरीकेचर्स काफ़ी प्रसिद्ध हैं। जुलाई २००२ में दिल्ली में रंगा का देहांत हो गया। श्रेणी:भारतीय कार्टूनिस्ट.

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शेखर गुरेरा

सम्पादकीय कार्टूनिस्ट शेखर गुरेरा (पूरा नाम: चंद्रशेखर गुरेरा) एक भारतीय कार्टूनिस्ट हैं। इन्हें भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय से मान्यता प्राप्त है। इन्हें दैनिक पाकेट कार्टून के माध्यम से भारत के राजनीतिक एवं सामाजिक परिवेश पर चंद पंक्तियों में सटीक एवं गुदगुदाती टिप्पणियों के लिए जाना जाता है। इनके दैनिक कार्टून अंग्रेजी, हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा के दैनिक समाचार पत्रों: द पायनियर, पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, हिंदसमाचार एवं जगबानी में प्रकाशित होते हैं। इन्होंने अपने कार्टून जीवन की शुरुआत १९८४ में बतौर स्नातक कर रहे विज्ञान के एक छात्र, फ्रीलांसर के रूप में की थी। .

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सतीश आचार्य

कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य का जन्म कर्नाटक में उडुपी के निकट कुन्दपुर में हुआ। मेंगलोर विश्वविद्यालय से फाइनेंस में एमबीए सतीश वर्तमान में मिड-डे मुंबई में २००३ से ग्राफिक एडिटर के रूप में कार्यरत हैं। बतौर कार्टूनिस्ट सतीश १९९४ से विभिन्न पत्र पत्रिकाओं और वेबसाइट्स के लिए काम करते आ रहे हैं जिनमें जैम, मिड-डे, हंगामा.कॉम, डी आई पब्लिकेशन और कन्नड़ दैनिक कर्नाटक माला प्रमुख हैं। .

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सलाम

सलाम मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार मंगेश के. पाडगाँवकर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1980 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुधीर तैलंग

सुधीर तैलंग (26 फ़रवरी 1960 – 6 फ़रवरी 2016) भारतीय कर्टूनिस्ट थे। .

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हरिओम तिवारी

कोई विवरण नहीं।

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हास्य

हास्य 9 रसों में से एक रस है जिसका अर्थ सुखांतक अथवा कामदी होता है। रस का अर्थ एक भाव/आस्वाद से होता है और रस-सिद्धान्त में प्राचीन भारतीय कला जिसमें रंगमंच, संगीत, नृत्य, काव्य और शिल्पकला भी शामिल है। श्रेणी:भारतीय शास्त्रीय संगीत श्रेणी:भारतीय कला हास्य रस का उदाहरण --- बन्दर ने कहा बंदरिया से चलो नहाने चले गंगा। बच्चो को छोड़ेंगे घर पे वही करेंगे हुडदंगा॥ .

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जसपाल भट्टी

जसपाल भट्टी (3 मार्च 1955 – 25 अक्टूबर 2012) हिन्दी टेलिविज़न और सिनेमा के एक जाने-माने हास्य अभिनेता, फ़िल्म निर्माता एवं निर्देशक थे।उन्होंने पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज से विद्युत अभियांत्रिकी की डिग्री ली, लेकिन बाद में वे नुक्कड़ थिएटर आर्टिस्ट बन गए.

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आबिद सुरती

एक हिन्दी-गुजराती साहित्यकार और कार्टून पात्र ढब्बू जी के सर्जकहैं.

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आर के लक्ष्मण

रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण (संक्षेप में आर॰के॰ लक्ष्मण; २४ अक्टूबर १९२१ – २६ जनवरी २०१५) भारत के प्रमुख हास्यरस लेखक और व्यंग-चित्रकार थे। उन्हें द कॉमन मैन नामक उनकी रचना और द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए उनके प्रतिदिन लिखी जानी वाली कार्टून शृंखला "यू सैड इट" के लिए जाना जाता है जो वर्ष १९५१ में आरम्भ हुई थी। लक्ष्मण ने अपना कार्य स्थानीय समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में अंशकालिक कार्टूनकार के रूप में अपना कैरियर आरम्भ किया था। जबकि कॉलेज छात्र के रूप में उन्होंने अपने बड़े भाई आर॰के॰ नारायण की कहानियों को द हिन्दू में चित्रित किया। उनका पहला पूर्णकालिक कार्य मुम्बई में द फ्री प्रेस जर्नल में राजनीतिक कार्टूनकार के रूप में आरम्भ किया था। उसके बाद उन्होंने द टाइम्स ऑफ़ इंडिया में कार्य करना आरम्भ कर दिया और कॉमन मैन के चरित्र ने उन्हें प्रसिद्धि दी। .

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इरफ़ान ख़ान (कार्टूनिस्ट)

इरफ़ान ख़ान (पूरा नाम मोहम्मद इरफ़ान खान- जन्म ४ नवंबर १९६६) का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। स्थानीय अखबार दैनिक भास्कर और स्वदेश में सन ८२-१९८९ तक कार्टून बनाते रहे। दिल्ली की श्रीधरणी आर्ट गैलरी में अपनी प्रदर्शिनी के दौरान वे नवभारत टाइम्स लखनऊ के लिये चुन लिये गए। १९९४ में दिल्ली आकर इकोनोमिक टाइम्स, फ़ाइनेन्शिअल एक्स्प्रेस,एशियन ऐज, में स्टाफ़ कार्टूनिस्ट रहे। २००० में ज़ी न्यूज़ में वरिष्ठ कार्टूनिस्ट के पद पर काम करते हुए अपना टाक शो शख्शियत होस्ट किया, २००३ में एनडीटीवी के शो गुस्ताखी माफ़ की स्क्रिप्ट लिखी और सहारा समय पर इतनी सी बात होस्ट किया। अब तक ३ संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। एन्सीईआरटी के पाठ्यक्रम की पुस्तकों में इरफ़ान सहित देश के विभिन अन्य कार्टूनिस्टों के संपादकीय कार्टूनों को भी शामिल किया गया था। जापान फ़ाउन्डेशन ने "एशियाई कार्टून प्रदशनी" के अपने वार्षिक कार्यक्रम के तहत, २००५ में नौवी प्रदर्शिनी के लिए प्रत्येक एशियाई देश से एक कार्टूनिस्ट के चयन हेतु भारत की ओर से इरफ़ान का चयन किया। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित इरफ़ान अब तक ६ कार्टून प्रदर्शिनियाँ कर चुके हैं। जिनमें क्रिकेट, आतंकवाद, साम्प्रदायिक्ता और ग्लोबल वार्मिन्ग पर प्रदर्शिनियाँ काफ़ी चर्चित रही हैं। २००७ में मिड डे अखबार में भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश पर कार्टून बनाने पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने इरफ़ान को ४ महीने की सज़ा सुनाई। यह मामला अभी उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। .

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इस्माईल लहरी

ईस्माईल लहरी दैनिक भास्कर के जाने-माने कार्टूनिस्ट हैं और इनेक कार्टून अखबार ही नहीं सोशल मिडिया पर भी चाहे रहते हैं। इनके कार्टून में राजनीती से लेकर किसी भी घटना का जिक्र बहुत ही अच्छे व्यंग्य के साथ होता हैं। श्रेणी:कार्टूनिस्ट.

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कार्टूनिस्ट नीरद

बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि कार्टूनिस्ट नीरद का पूरा नाम नीलकमल वर्मा 'नीरद' है। भारतीय कॉमिक जगत के सफल और लोकप्रिय कार्टूनिस्ट नीरद जी का जन्म १५ अगस्त १९६७ को हुआ। १०-११ साल की उम्र से ही इन्होंने कार्टूनिंग की शुरुआत कर दी थी और तब से अब तक देश भर की शीर्ष पत्र-पत्रिकाओं (चंपक, सुमन सौरभ आदि) के लिए कॉमिक स्ट्रिप और कार्टून्स तो बनाये ही, साथ ही डायमण्ड कॉमिक्स के तमाम लोकप्रिय चरित्रों (जैसे ताऊ जी, चाचा-भतीजा, लम्बू मोटू, राजन इक़बाल आदि) के ढेरों कॉमिक बुक्स के लिए रेखांकन भी किया। .

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कार्टूनिस्ट्स क्लब ऑफ इंडिया

कार्टूनिस्ट्स क्लब ऑफ इंडिया CCI: भारतीय कार्टूनिस्टों के बीच सांस्कृतिक और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने, भारत में कार्टून कला की सार्थकता एवं सकारात्मकता के लिए एक प्रगतिशील मंच प्रदान करने के लक्ष्य से भारतीय कार्टूनिस्टों का एक पंजीकृत संगठन .

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काक (कार्टूनिस्ट)

कार्टूनिस्ट काक Kaak (मूल नाम: हरिश्चन्द्र शुक्ल) देश के उन दुर्लभ कार्टूनिस्टों में से हैं जो मूलतः हिंदी भाषी प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्रों जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, राजस्थान पत्रिका इत्यादि से ही जुड़ें रह कर कार्टून जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई हैं। व्यंग की अपनी अनोखी शैली के चलते काक राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय और जटिल राजनीतिक विषयों को बहुत ही सरलता से आम आदमी से जोड़कर अपने व्यंगचित्रों में प्रस्तुत करते हैं। एक हिंदी कहावत के अनुसार काक अर्थात पक्षी कौवा जो किसी के झूठ पर अपनी कर्कश ध्वनि से आवाज़ उठाता है। .

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कुट्टी

चित्रकार कार्टूनिस्ट कुट्टी का जन्म १९२१ में केरल में हुआ। अपनी पढ़ाई के दौरान ही कुट्टी को राजनीतिक कार्टूनों में रूचि पैदा हो गई थी। कुट्टी उस समय के अंग्रेज़़ी शासन में उपलब्ध पत्र पत्रिकाओं में छापे कार्टूनों को बड़े चाव से देखते थे और उन्हें दोबारा बनाकर अपने साथियों का मनोरन्जन भी करते थे। इसी तरह कार्टून बनाते हुए कुट्टी इस काम में माहिर हो गए। .

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के शंकर पिल्लई

के शंकर पिल्लई (मलयालम: കെ ശങ്കര് പിള്ള.) (1902-31 जुलाई 1989 26 दिसंबर), बेहतर शंकर के रूप में जाना, एक भारतीय कार्टूनिस्ट था। उन्होंने भारत में राजनीतिक cartooning के पिता के रूप में माना जाता है। उन्होंने 1948 में शंकर वीकली, भारत पंच स्थापना, Utara भी अबू अब्राहम, रंगा और कुट्टी तरह कार्टूनिस्टों उत्पादित, वह नीचे 1975 में पत्रिका बंद होने के कारण इमरजेंसी को फिर पर वह बच्चों के काम पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित.

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अभिषेक तिवारी

कार्टूनिस्ट अभिषेक तिवारी का जन्म ३० मार्च १९६८ को मध्यप्रदेश के भिंड में हुआ। ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व) अभिषेक का पहला कार्टून ग्वालियर के हिंदी दैनिक आचरण में १९८५ प्रकाशित हुआ। विभिन्न समाचारपत्रों के लिए स्वतंत्र कार्य करते हुए १९८९ में आचरण से ही अभिषेक ने स्टाफ कार्टूनिस्ट के रूप में कार्य प्रारंभ किया। १९९१ से १९९३ तक दैनिक भास्कर के ग्वालियर संस्करण और फिर १९९३ से १९९६ तक इंदौर संस्करण में स्टाफ कार्टूनिस्ट रहे। १९९६ से १९९७ तक लखनऊ में दैनिक हिंदुस्तान में और फिर १९९७-१९९८ में दैनिक भास्कर के जयपुर संस्करण में कार्टूनिस्ट रहे। १९९८ से अब तक राजस्थान पत्रिका में कार्य करते हुए अभिषेक वर्त्तमान में राजस्थान पत्रिका जयपुर में सीनियर न्यूज़ एडिटर (कार्टून) के पर पर कार्यरत हैं। तिवारी, अभिषेक तिवारी, अभिषेक श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अजित नैनन

वर्तमान में टाईम्स ऑफ़ इंडिया में कार्टूनिस्ट अजित नैनन को इंडिया टुडे में उनके बनाये कार्टूनों से पहचान मिली। इंडिया टुडे के बाद अजित नैनन इंडियन एक्सप्रेस, आउटलुक पत्रिका होते हुए फिलहाल टाईम्स ऑफ़ इंडिया में कार्टूनिस्ट हैं। अजित संभवतः भारत के पहले कार्टूनिस्ट हैं जिन्होंने जिन्होंने समाचारपत्र या पत्रिकाओं में छपने वाले कार्टूनों को बनाने और रंग करने के लिए कंप्यूटर का प्रयोग शुरू किया। श्रेणी:व्यंग्यकार श्रेणी:कार्टूनिस्ट श्रेणी:कार्टून श्रेणी:भारतीय कार्टूनिस्ट श्रेणी:Indian editorial cartoonists श्रेणी:जीवित लोग श्रेणी:Indian illustrators श्रेणी:Indian artists श्रेणी:Caricaturists श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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