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कार्क

सूची कार्क

कार्क जिसे सामान्यतः कार्क शहबलूत नाम से भी जाना जाता है मध्यम-आकार का क़ुएर्कुस सम्प्रदाय सर्रिस विभाग का सदाबहार पेड़ है। यह मुख्यतः कॉर्क फर्श बनाने और जैसे उपयोग सहित शराब की बोतलों के द्वार कॉर्क बनाने के लिए काम में लिया जाता है। इसका मूल स्थान दक्षिण-पूर्वी यूरोप एवं उत्तर-पश्चिमी अफ़्रीका हैं। .

10 संबंधों: पादप, बाँज, युडिकॉट, यूरोप, रोज़िड, सदाबहार, सपुष्पक पौधा, कार्ल लीनियस, काग या कॉर्क, अफ़्रीका

पादप

पादप या उद्भिद (plant) जीवजगत का एक बड़ी श्रेणी है जिसके अधिकांश सदस्य प्रकाश संश्लेषण द्वारा शर्कराजातीय खाद्य बनाने में समर्थ होते हैं। ये गमनागम (locomotion) नहीं कर सकते। वृक्ष, फर्न (Fern), मॉस (mosses) आदि पादप हैं। हरा शैवाल (green algae) भी पादप है जबकि लाल/भूरे सीवीड (seaweeds), कवक (fungi) और जीवाणु (bacteria) पादप के अन्तर्गत नहीं आते। पादपों के सभी प्रजातियों की कुल संख्या की गणना करना कठिन है किन्तु प्रायः माना जाता है कि सन् २०१० में ३ लाख से अधिक प्रजाति के पादप ज्ञात हैं जिनमें से 2.7 लाख से अधिक बीज वाले पादप हैं। पादप जगत में विविध प्रकार के रंग बिरंगे पौधे हैं। कुछ एक को छोड़कर प्रायः सभी पौधे अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। इनके भोजन बनाने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। पादपों में सुकेन्द्रिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है। पादप जगत इतना विविध है कि इसमें एक कोशिकीय शैवाल से लेकर विशाल बरगद के वृक्ष शामिल हैं। ध्यातव्य है कि जो जीव अपना भोजन खुद बनाते हैं वे पौधे होते हैं, यह जरूरी नहीं है कि उनकी जड़ें हों ही। इसी कारण कुछ बैक्टीरिया भी, जो कि अपना भोजन खुद बनाते हैं, पौधे की श्रेणी में आते हैं। पौधों को स्वपोषित या प्राथमिक उत्पादक भी कहा जाता है। 'पादपों में भी प्राण है' यह सबसे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने कहा था। पादपों का वैज्ञानिक अध्ययन वनस्पति विज्ञान कहलाता है। .

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बाँज

बाँज का फल (चेस्टनट) बाँज या बलूत या शाहबलूत एक तरह का वृक्ष है जिसे अंग्रेज़ी में 'ओक' (Oak) कहा जाता है। इसकी लगभग ४०० प्रजातियाँ हैं। .

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युडिकॉट

युडिकॉट​ (Eudicot) सपुष्पक पौधों का एक समूह है जिनके बीजों के दो हिस्से (बीजपत्र) होते हैं, जिसके विपरीत मोनोकॉट (Monocot) पौधों के बीजों में एक ही बीजपत्र होता है। फूलधारी (सपुष्पक) पौधों की यही दो मुख्य श्रेणियाँ हैं।, Linda R. Berg, pp.

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यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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रोज़िड

रोज़िड (Rosid) सपुष्पक पौधों (यानि फूल देने वाले पौधों) का एक बड़ा क्लेड परिवार है, जिसमें ७०,००० से अधिक जातियाँ आती हैं। सारे फूलने वाले पौधों की जातियों में से एक-चौथाई इसी क्लेड की सदस्य हैं। रोज़िड क्लेड को अलग-अलग जीववैज्ञानिकों की मतानुसार १६ से २० गणों में विभाजित किया जाता है। रोज़िड और ऐस्टरिड​ सारे युडिकॉट​ (दो बीजपत्रों वाले फूलदार पौधे) के परिवार के दो सबसे बड़े क्लेड हैं और इन दोनों में हज़ारों सदस्य जातियाँ आती हैं।, Joel Cracraft, Michael J. Donoghue, pp.

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सदाबहार

नींबू एक सदाबहार वृक्ष है सदाबहार या चिरहरित (evergreen) ऐसे पौधों और वृक्षों को कहा जाता है जिनपर हर मौसम में पत्ते होते हैं। यह उन पतझड़ी वृक्षों और पौधों से अलग होते हैं जो आमतौर पर शरद ऋतु में अपने पत्ते खो देते हैं। सदाबहार वृक्षों के भी पत्ते गिरते हैं लेकिन वे सब एक साथ नहीं गिरते और पत्तों के गिरने के साथ-साथ उन पर नए पत्ते भी आते रहते हैं। नीम, देवदार, पीलू, कपूर, नीम्बू और चीकू सदाबहार पेड़ों के कुछ उदहारण हैं।, Pradip Krishen, Penguin Books India, 2006, ISBN 978-0-14-400070-8 इनके अलावा चीड़, सरल (स्प्रूस) और सनोबर (फ़र) जैसे अधिकतर कोणधारी वृक्ष भी सदाबहार होते हैं। .

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सपुष्पक पौधा

कमल बीज पैदा करनेवाले पौधे दो प्रकार के होते हैं: नग्न या विवृतबीजी तथा बंद या संवृतबीजी। सपुष्पक, संवृतबीजी, या आवृतबीजी (flowering plants या angiosperms या Angiospermae या Magnoliophyta, Magnoliophyta, मैग्नोलिओफाइटा) एक बहुत ही बृहत् और सर्वयापी उपवर्ग है। इस उपवर्ग के पौधों के सभी सदस्यों में पुष्प लगते हैं, जिनसे बीज फल के अंदर ढकी हुई अवस्था में बनते हैं। ये वनस्पति जगत् के सबसे विकसित पौधे हैं। मनुष्यों के लिये यह उपवर्ग अत्यंत उपयोगी है। बीज के अंदर एक या दो दल होते हैं। इस आधार पर इन्हें एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री वर्गों में विभाजित करते हैं। सपुष्पक पौधे में जड़, तना, पत्ती, फूल, फल निश्चित रूप से पाए जाते हैं। .

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कार्ल लीनियस

कार्ल लीनियस (लैटिन: Carolus Linnaeus) या कार्ल वॉन लिने (२३ मई १७०७ - १० जनवरी १७७८) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं। .

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काग या कॉर्क

पेड़ के तने की वाह्य त्वचा की मृत कोशिकाएं तरह-तरह के कॉर्क काग (कॉर्क) वृक्षों के तनों में बाह्यत्वचा (epidermis) स्थान पर अवस्थित मृत कोशिकाओं के बने ऊतकों का मोटा स्तर होता है। इनके कारण सामान्यत: हवा और पानी पेड़ के भीतर नहीं जा सकते। प्राय: सभी वृक्षों में काग पाया जाता है, परंतु कुछ वृक्षों के तनों पर काग प्रचुर मात्रा में बनता है, जैसे त्वक्षा-बंजु (काग-ओक, Quercu suber occidentalis) में। इनमें से समय-समय पर यह व्यापार के लिए निकाला जाता है। यह पौधा फ़ोगेसी (Fagaceae) कुल का सदस्य है। त्वक्षा-वंजु के वृक्ष ३० से ४० फुट तक ऊँचे होते हैं। ये दक्षिणी यूरोप तथा अफ्रीका के उत्तरी समुद्री तटों के देशज हैं। १५ से २० वर्षीय वृक्षों से काग निकलने लगता है। जून से अगस्त तक यह कार्य संपन्न होता हे। भूमि से कुछ ऊपर और फिर शाखाओं के कुछ नीचे तने के चारों ओर गड्ढा काट दिया जाता है। इसके बाद काग को इन दोनों कटे भागों के बीच में से लंबी पट्टियों के रूप में निकाल लिया जाता है। काग पूर्णतया कोशिकाओं से बना रहता है। प्राकृतिक काग के एक घन इंच में लगभग २०,००,००,००० सूक्ष्म, वायु से भरी मृत कोशिकाएँ रहती हैं। काग का आपेक्षिक गुरुत्व केवल लगभग ०.२५ होता है। काग की उत्पलावकता (buogancy), संपीड्यता (compressibility), प्रत्यास्था (elasticity), वायु और पानी की अप्रवेश्यता (imperviousness), उच्च घर्षण-गुणांक (coefficient of friction), न्यून उष्मा-चालकता आदि गुण इसकी विशिष्ट रचना के फलस्वरूप होते हैं। १९वीं शताब्दी के लगभग अंत तक काग बोतलों के डाटो, प्लवों (floats), उत्प्लवों (buogs), टोपों और जूतों के तल्ले बनाने के काम आता था। इसके पश्चात्‌ इसका उपयोग अनेक अन्य आवश्यक कार्यों में भी होने लगा, जैसे अचालक काग दफ्तियों द्वारा शीत गोदामों के बनाने में तथा मोटरों के गैसकट और खाने पीने की वस्तुओं को पैक करने के लिए। .

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अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

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