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कारा-ख़ितान ख़ानत

सूची कारा-ख़ितान ख़ानत

सन् १२०० में कारा-ख़ितान ख़ानत (हरे रंग में) कारा-ख़ितान ख़ानत (मंगोल: Хар Хятан, ख़ार ख़ितान; चीनी: 西遼, शी लियाओ; अंग्रेजी: Kara-Khitan Khanate), जिसे पश्चिमी लियाओ साम्राज्य भी कहा जाता है, मध्य एशिया में स्थित ख़ितानी लोगों का एक साम्राज्य था जो सन् ११२४ ईसवी से १२१८ ईसवी तक चला। ख़ितानियों का लियाओ राजवंश उत्तरी चीन पर राज करा करता था लेकिन जुरचेन लोगों के आक्रमण से वे पश्चिम की ओर चले गए और वहाँ लियाओ राजघराने के वंशज येलू दाशी (耶律達實, Yelü Dashi) ने कारा-ख़ितान नाम की ख़ानत शुरू करी।, Barbara A. West, Infobase Publishing, 2009, ISBN 978-0-8160-7109-8,...

13 संबंधों: चीन, चीनी भाषा, नायमन लोग, बालासगून, मध्य एशिया, मंगोल भाषा, मंगोल साम्राज्य, लियाओ राजवंश, जुरचेन लोग, ख़ानत, ख़ितानी लोग, किर्गिज़स्तान, अंग्रेज़ी भाषा

चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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चीनी भाषा

चीनी भाषा (अंग्रेजी: Chinese; 汉语/漢語, पिनयिन: Hànyǔ; 华语/華語, Huáyǔ; या 中文 हुआ-यू, Zhōngwén श़ोंग-वॅन) चीन देश की मुख्य भाषा और राजभाषा है। यह संसार में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह चीन एवं पूर्वी एशिया के कुछ देशों में बोली जाती है। चीनी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में आती है और वास्तव में कई भाषाओं और बोलियों का समूह है। मानकीकृत चीनी असल में एक 'मन्दारिन' नामक भाषा है। इसमें एकाक्षरी शब्द या शब्द भाग ही होते हैं और ये चीनी भावचित्र में लिखी जाती है (परम्परागत चीनी लिपि या सरलीकृत चीनी लिपि में)। चीनी एक सुरभेदी भाषा है। .

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नायमन लोग

चंगेज़ ख़ान के मंगोल साम्राज्य से पहले १३वीं सदी में यूरेशिया के स्थिति - नायमन (Naiman) राज्य नक़्शे में दिख रहा है नायमन या नायमन तुर्क या नायमन मंगोल (मंगोल: Найман ханлиг, नायमन ख़ानलिग) मध्य एशिया के स्तेपी इलाक़े में बसने वाली एक जाति का मंगोल भाषा में नाम था, जिनके कारा-ख़ितान के साथ सम्बन्ध थे और जो सन् ११७७ तक उनके अधीन रहे। मंगोल नाम होने के बावजूद, नायमानों को एक मंगोल जाति नहीं बल्कि एक तुर्की जाति माना जाता है।, René Grousset, Rutgers University Press, 1970, ISBN 978-0-8135-1304-1,...

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बालासगून

बुराना बुर्ज बालासगून (तुर्की: Balagasun, फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Balasagun) मध्य एशिया के किरगिज़स्तान क्षेत्र में एक प्राचीन सोग़दाई शहर था। यह चुय वादी में किरगिज़स्तान की आधुनिक राजधानी बिश्केक और इसिक कुल झील के बीच स्थित था। शुरू में यहाँ सोग़दाई भाषा बोली जाती थी, जो एक ईरानी भाषा थी। १०वीं सदी ईसवी के बाद यह काराख़ानी ख़ानत की राजधानी बना जो तुर्की भाषी था जिस से यहाँ की स्थानीय भाषा धीरे-धीरे बदलकर तुर्की हो गई। १२वीं सदी में इसपर कारा-ख़ितान ख़ानत का क़ब्ज़ा हो गया और फिर सन् १२१८ में फैलते हुए मंगोल साम्राज्य ने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया। मोंगोलों ने इसका नाम बदलकर गोबालिक (Gobalik) कर दिया, जिसका मतलब मंगोल भाषा में 'सुन्दर शहर' था। मंगोल जीत के बाद इस शहर का महत्व घटने लगा। अब यहाँ बहुत से खँडहर हैं जिन्हें देखने के लिए सैलानी आया करते हैं। यहाँ का बुराना बुर्ज (Burana Tower) मशहूर है, जो कभी १३८ फ़ुट (४६ मीटर) लम्बा था लेकिन भूकम्पों में इसके हिस्से गिरने से केवल ७९ फ़ुट (२४ मीटर) रह गया है। यहाँ नेस्टोरी शाखा के ईसाई भी रहते थे जिनका टूटता हुआ कब्रिस्तान भी यहीं मौजूद है। तुर्की भाषा के प्रसिद्ध 'कूतादगू बिलिग' (Kutadgu Bilig) नामक ग्रन्थ के रचियता, युसुप ख़ास हाजिब, भी बालासगून शहर में पैदा हुए थे।, Laurence Mitchell, pp.

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मध्य एशिया

मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.

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मंगोल भाषा

मंगोल भाषा बोलने वाले क्षेत्र मंगोल भाषा अलताइक भाषाकुल की तथा योगात्मक बनावट की भाषा है। यह मुख्यत: अनतंत्र मंगोल, भीतरी मंगोल के स्वतंत्र प्रदेश, बुरयात (Buriyad) मंगोल राज्य में बोली जाती है। इन क्षेत्रों के अरिरिक्त इसके बोलनेवाले मंचूरिया, चीन के कुछ क्षेत्र और तिब्बत तथा अफगानिस्तान आदि में भी पाए जाते हैं। अनुमान है कि इन सब क्षेत्रों में मंगोल भाषा बोलनेवालों की संख्या कोई 40 लाख होगी। इन विशाल क्षेत्रों में रहनेवाले मंगोल जाति के सब लोगों के द्वारा स्वीकृत कोई एक आदर्श भाषा नहीं है। परंतु तथाकथित मंगोलिया के अंदर जनतंत्र मंगोल की हलहा (Khalkha) बोली धीरे-धीरे आदर्श भाषा का पद ग्रहण कर रही है। स्वयं मंगोलिया के लोग भी इस हलहा बोली को परिष्कृत बोली मानते हैं और इसी बोली के निकट भविष्य में आदर्श भाषा बनने की संभावना है। प्राचीन काल में मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक मंगोल पढ़े-लिखे लोगों में आदर्श भाषा मानी जाती थी। परंतु अब यह मंगोल लिपि जनतंत्र मंगोलिया द्वारा त्याग दी गई है और इसकी जगह रूसी लिपि से बनाई गई नई मंगोल लिपि स्वीकार की गई है। इस प्रकार अब मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक भाषा कम और नव मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली हलहा बोली अधिक मान्य समझी जाने लगी है। .

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मंगोल साम्राज्य

हलाकू (बायें), खलीफा अल-मुस्तसिम को भूख से मारने के लिये उसके खजाने में कैद करते हुए मांगके खान की मृत्यु के समय (१२५९ ई में) मंगोल साम्राज्य मंगोल साम्राज्य 13 वीं और 14 वीं शताब्दियों के दौरान एक विशाल साम्राज्य था। इस साम्राज्य का आरम्भ चंगेज खान द्वारा मंगोलिया के घूमन्तू जनजातियों के एकीकरण से हुआ। मध्य एशिया में शुरू यह राज्य अंततः पूर्व में यूरोप से लेकर पश्चिम में जापान के सागर तक और उत्तर में साइबेरिया से लेकर दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप तक फैल गया। आमतौर पर इसे दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा सन्निहित साम्राज्य माना जाना जाता है। अपने शीर्ष पर यह 6000 मील (9700 किमी) तक फैला था और 33,000,000 वर्ग कि॰मी॰ (12,741,000 वर्ग मील) के क्षेत्र को कवर करता था। इस समय पृथ्वी के कुल भू क्षेत्रफल का 22% हिस्सा इसके कब्ज़े में था और इसकी आबादी 100 करोड़ थी। मंगोल शासक पहले बौद्ध थे, लेकिन बाद में धीरे-धीरे तुर्कों के सम्पर्क में आकर उन्होंने इस्लाम को अपना लिया। .

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लियाओ राजवंश

सन् ११११ ईसवी में लियाओ राजवंश का क्षेत्र (गुलाबी रंग में) लियाओ राजवंश (चीनी: 遼朝, लियाओ चाओ; ख़ितानी: मोस जैलुत; अंग्रेजी: Liao Dynasty) जिसे ख़ितानी साम्राज्य (契丹國, चिदान गुओ, Khitan Empire) भी कहा जाता है पूर्वी एशिया का एक साम्राज्य था जो मंगोलिया, कज़ाख़स्तान के कुछ भागों, रूस के सुदूर पूर्वी भागों और उत्तरी चीन पर विस्तृत था। इसकी स्थापना चीन में तंग राजवंश के पतन के दौरान ख़ितानी लोगों के महान ख़ान अबाओजी ने की थी। यह साम्राज्य ९०७ ईसवी से ११२५ ईसवी तक चला। सन् ११२५ ई में जुरचेन लोगों के जिन राजवंश (१११५–१२३४) ने लियाओ राजवंश का नाश कर दिया।, Frederick W. Mote, Harvard University Press, 2003, ISBN 978-0-674-01212-7,...

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जुरचेन लोग

चंगेज़ ख़ान के मंगोल साम्राज्य से पहले १३वीं सदी में यूरेशिया के स्थिति - पूर्वोत्तर में पीले रंग में जुरचेनों के जिन राजवंश का इलाक़ा दिख रहा है एक जुरचेन योद्धा जुरचेन लोग (जुरचेनी: जुशेन; चीनी: 女真, नुझेन) उत्तर-पूर्वी चीन के मंचूरिया क्षेत्र में बसने वाली एक तुन्गुसी जाति थी।, Willard J. Peterson, Cambridge University Press, 2002, ISBN 978-0-521-24334-6,...

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ख़ानत

ख़ानत (अंग्रेज़ी: Khanate) तुर्की-मंगोल संस्कृति में किसी ऐसे राज्य को कहते हैं जिसपर किसी ख़ान की उपाधि वाले शासक का राज्य हो। इसकी तुलना हिन्दी के 'सल्तनत' शब्द से की जा सकती है जो किसी ऐसे राज्य को कहते हैं जहाँ 'सुलतान' का राज्य हो। इसी तरह 'बादशाहत' में 'बादशाह' का, 'रियासत' में किसी 'रईस' का और 'अमीरात' में किसी 'अमीर' का राज होता है। आधुनिक तुर्की भाषा में 'ख़ानत' को 'काग़ानलिक' (kağanlık) कहते हैं।, A. J. Haywood, Oxford University Press, 2010, ISBN 978-0-19-975418-2,...

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ख़ितानी लोग

ख़ितानी लोग शिकार के लिए पालतू चीलों का इस्तेमाल करते थे चंगेज़ ख़ान के मंगोल साम्राज्य से पहले १३वीं सदी में यूरेशिया के स्थिति - कारा-ख़ितान राज्य नक़्शे में दिख रहा है ख़ितानी लोग (मंगोल: Кидан, किदान; फ़ारसी:, ख़िताई; चीनी: 契丹, चिदान) ४थी सदी ईसवी से मंगोलिया और मंचूरिया में बसने वाले एक मंगोल जाति के लोग थे। १०वीं सदी तक उन्होंने उत्तरी चीन के एक बड़े इलाक़े पर अपनी धाक जमा ली थी और लियाओ राजवंश स्थापित कर लिया था। सन् ११२५ में यह राजवंश ख़त्म हो गया और ख़ितानी पश्चिम की ओर कूच कर गए जहाँ उन्होंने कारा-ख़ितान नाम का राज्य बनाया। फिर सन् १२१८ में उनकी टक्कर मंगोल साम्राज्य से हुई जिसने उनका राज हमेशा के लिए समाप्त कर दिया।, Michal Biran, Cambridge University Press, 2005, ISBN 978-0-521-84226-6 .

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किर्गिज़स्तान

किर्ग़िज़स्तान, आधिकारिक तौर पर किर्ग़िज़ गणतंत्र, मध्य एशिया में स्थित एक देश है। चारों तरफ जमीन और पहाड़ियों से घिरे इस देश की सीमा उत्तर में कज़ाख़िस्तान, पश्चिम में उज़्बेकिस्तान, दक्षिण पश्चिम में ताजिकिस्तान और पूर्व में चीन से मिलती है। "किरगिज़", जिससे देश का नाम पड़ा है, शब्द की उत्पति मूलतः "चालीस लड़कियां" या फिर "चालीस जनजातियां" मानी जाती है। जो संभवतः महानायक मानस की ओर इंगित करती हैं, जिन्होंने किंवदंती के अनुसार, खितान के खिलाफ चालीस जनजातियों को एकजुट किया था। किर्ग़िज़स्तान के झंडे में सूर्य की चालीस किरणें मानस के इन्हीं चालीस जनजातियों का प्रतीक हैं। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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