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कान्यकुब्ज ब्राह्मण

सूची कान्यकुब्ज ब्राह्मण

कान्यकुब्ज ब्राह्मण या कन्नौजिया ब्राह्मण उन ब्राह्मणो को कहते हैं जो कन्नौज नामक स्थान से संबधित है कन्नौज का प्राचीन नाम कान्यकुब्ज देश है कान्यकुब्ज ब्राह्मण ब्राह्मणोचित्त कर्मो को दृढ़ता से करने वाले ब्राह्मण होते हैं वेद शास्त्रो में पारंगत व शस्त्र शास्त्र सबमे निपुण कान्यकुब्ज ब्राह्मण अपने को श्रेष्ठ ब्राह्मण कहते हैं कान्यकुब्ज ब्राह्मणो से व कान्यकुब्ज देश से ही सभी ब्राह्मण हुये हैं कान्यकुब्ज ब्राह्मण उत्तरप्रदेश के कन्नौज के अलावा मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश बिहार छत्तीसगढ़ झारखण्ड राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र बंगाल उत्तराखण्ड नेपाल हरियाणा आंध्रप्रदेश में भी होते हैं। विन्ध्याचलसे उत्तरके प्राचीन देशौंकी सभ्यताको लेकर बढा हुआ पंच समुहगत ब्राह्मणौंकी सभ्यताको पंचगौड़ कहते हैं। इन ब्राह्मणो के अंतर्गत कान्यकुब्ज ब्राह्मण- कन्नौज जिसका प्राचीन नाम कान्यकुब्जदेश है। मैथिल ब्राह्मण- प्राचीन विदेहदेशसे सम्बन्ध रखनेवाले ब्राह्मण |गौड़ ब्राह्मण- प्राचीन गौडदेश(वंगदेशसे उत्कलदेशका बीचका देश)मे रहने वाला ब्राह्मण |,उत्कल ब्राह्मण- ओडिसाराज्य अन्तर्गत का उत्कलदेशमे रहने वाला ब्राह्मण और सारस्वत ब्राह्मण- सरस्वती नदीके तटवर्ती भूभागमे रहने वाला ब्राह्मण होते हैं | .

4 संबंधों: ब्राह्मण, भूमिहार, मैथिल ब्राह्मण, राय

ब्राह्मण

ब्राह्मण का शब्द दो शब्दों से बना है। ब्रह्म+रमण। इसके दो अर्थ होते हैं, ब्रह्मा देश अर्थात वर्तमान वर्मा देशवासी,द्वितीय ब्रह्म में रमण करने वाला।यदि ऋग्वेद के अनुसार ब्रह्म अर्थात ईश्वर को रमण करने वाला ब्राहमण होता है। । स्कन्दपुराण में षोडशोपचार पूजन के अंतर्गत अष्टम उपचार में ब्रह्मा द्वारा नारद को द्विज की उत्त्पत्ति बताई गई है जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते। शापानुग्रहसामर्थ्यं तथा क्रोधः प्रसन्नता। ब्राह्मण (आचार्य, विप्र, द्विज, द्विजोत्तम) यह वर्ण व्‍यवस्‍था का वर्ण है। एेतिहासिक रूप हिन्दु वर्ण व्‍यवस्‍था में चार वर्ण होते हैं। ब्राह्मण (ज्ञानी ओर आध्यात्मिकता के लिए उत्तरदायी), क्षत्रिय (धर्म रक्षक), वैश्य (व्यापारी) तथा शूद्र (सेवक, श्रमिक समाज)। यस्क मुनि की निरुक्त के अनुसार - ब्रह्म जानाति ब्राह्मण: -- ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म (अंतिम सत्य, ईश्वर या परम ज्ञान) को जानता है। अतः ब्राह्मण का अर्थ है - "ईश्वर का ज्ञाता"। सन:' शब्द के भी तप, वेद विद्या अदि अर्थ है | निरंतारार्थक अनन्य में भी 'सना' शब्द का पाठ है | 'आढ्य' का अर्थ होता है धनी | फलतः जो तप, वेद, और विद्या के द्वारा निरंतर पूर्ण है, उसे ही "सनाढ्य" कहते है - 'सनेन तपसा वेदेन च सना निरंतरमाढ्य: पूर्ण सनाढ्य:' उपर्युक्त रीति से 'सनाढ्य' शब्द में ब्राह्मणत्व के सभी प्रकार अनुगत होने पर जो सनाढ्य है वे ब्राह्मण है और जो ब्राह्मण है वे सनाढ्य है | यह निर्विवाद सिद्ध है | अर्थात ऐसा कौन ब्राह्मण होगा, जो 'सनाढ्य' नहीं होना चाहेगा | भारतीय संस्कृति की महान धाराओं के निर्माण में सनाढ्यो का अप्रतिभ योगदान रहा है | वे अपने सुखो की उपेक्षा कर दीपबत्ती की तरह तिलतिल कर जल कर समाज के लिए मिटते रहे है | .

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भूमिहार

भूमिहार, भूमिहार ब्राह्मण या बाभन एक भारतीय जाति है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड तथा थोड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों में निवास करती है। भूमिहार का अर्थ होता है "भूमिपति", "भूमिवाला" या भूमि से आहार अर्जित करने वाला (कृषक) । भूमिहार अपने आप को भगवान परशुराम का शिष्य मानते हैं, भूमिहार उत्तरप्रदेश के गाजीपुर व आजमगढ़़ जिले में सबसे ज्यादा हैं | बिहार में इनकी सबसे बड़ी आबादी है। तिवारी, त्रिपाठी, मिश्र, शुक्ल, उपाध्यय, शर्मा, पाठक दूबे, द्विवेदी आदि भूमिहर समाज की उपाधियाँ है। इसके अलावा राजपाठ और जमींदारी के कारण एक बड़ा भाग का राय, साही, सिन्हा, सिंह और ठाकुर उपनाम भी हैं। ये खेतिहर ब्राह्मण है हालांकि ब्राह्मणों का एक समुदाय भूमिहरों को ब्राह्मण मानने से इनकार करता है क्योंकि ये पूजा-पाठ का परम्परागत पेशा छोड़कर खेती करते हैं। कई विद्वानों का मानना है कि भूमिहार अंग्रेजों और मुग़लों के समय प्रमुखता से फौजी सेना में भर्ती हुए थे। इसके बदले में भूमिहरों को बड़ी सम्पत्ति मिली। चूँकि दिल्ली के आसपास रहने वाली त्यागी जाति भी अपने आप को परशुराम का शिष्य मानती है इसी से भूमिहर भी त्यागियों को अपनी ही जाति का मानते हैं। इस जाति के ज्यादातर लोग कृषक है और बाकी ब्राह्मणों की तरह दान नहीं लेते। इसलिए ये "अयाचक ब्राह्मण " कहे गए हैं। सन १८८५ में अयाचक ब्राह्मणों की महासभा की स्थापना काशी-नरेश के प्रयास से वाराणसी में हुई.

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मैथिल ब्राह्मण

मैथिल ब्राह्मणों का नाम मिथिला के नाम पर पड़ा है। मिथिला के ब्राह्मणो को मैथिल ब्राह्मण कहा जाता है। मिथिला प्राचीन काल में भारत का एक राज्य था| मिथिला वर्तमान में एक सांस्कृतिक क्षेत्र है जिसमे बिहार के तिरहुत, दरभंगा, मुंगेर, कोसी, पूर्णिया और भागलपुर के आधुनिक प्रमंडलों के साथ साथ नेपाल और झारखंड के कुछ भाग भी शामिल हैं। जनकपुर, दरभंगा और मधुबनी मैथिल ब्राह्मणो का प्रमुख सांस्कृत केंन्द्र है। मैथिल ब्राह्मण बिहार, नेपाल, ब्रज उत्तर प्रदेश व झारखण्ड के देवघर में अधिक हैं। पंच गौड़ ब्राह्मणो के अंतर्गत मैथिल ब्राह्मण, कान्यकुब्ज ब्राह्मण, सारस्वत ब्राह्मण, गौड़ ब्राह्मण, उत्कल ब्राह्मण हैं | .

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राय

१. एक भारतीय उपनाम।- यह पूर्वी उत्तर प्रदेश की भूमिहार जाति के लोगो का प्रमुख उप नाम है। इस उपनाम को और भी बहुत सी जातिया प्रयुक्त करती है। उदाहरण: सत्यजीत राय, राजा राम मोहन राय इत्यादि। २. मत | .

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