काफी विचार-विमर्श के बाद काठाजी के वंशजो ने अपने में ही चार भाग बना लिये, जो डांगोँ के नाम से जानी जाती हैं। डांग का अर्थ क्षेत्र से हैं। राजस्थान के मेवात में मेवातियो की भी डांगे हैं। मीणा क्षेत्रों में भी डांगोँ का प्रचलन हैं। काठातो की डांगों में व अन्य डांगों यह अन्तर है कि काठातो की डांगे उस क्षेत्र के मूल पुरुष के नाम से हैं।.
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