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कवई (गाँव)

सूची कवई (गाँव)

राजस्थान प्रांत में जयपुर जिले से ३२५ किलोमीटर दूर बाराँ जिले में कवई नामक गाँव है। इस गाँव के ९० प्रतिशत लोग गाँव के बाहर शादी विवाह नहीं करते हैं। इस कारण भारत में इसे विशेष रूप से स्थानीय विवाह करने वाले गाँव के रूप में जाना जाता है। दरअसल ये गाँव वाले, रिषिश्वेशर समुदाय है, इनके पुरखे लगभग तीन सौ साल पहले, मध्य भारत (आज का मध्य प्रदेश) से रोजगार की तलाश मे राजस्थान मे आकर बसे थे। तब से वे यहीं के होकर रह गए। धीरे धीरे आपस मे विवाह का सिलसिला शुरु हुआ, जिसने बाद मे परम्परा का रूप ले लिया। सफल शादियों ने इनके उत्साह को और बढाया। .

5 संबंधों: बाराँ जिला, राजस्थान, जयपुर, २००८, २२ दिसम्बर

बाराँ जिला

बाराँ जिला पश्चिम भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। इसका जिला मुख्यालय बाराँ 3386306 है। संदर्भिका राजस्थान सुजस सन् 1948 में संयुक्त राजस्थान के निर्माण के समय भी बाराँ एक जिला था। 31 मार्च 1949 को राजस्थान का पुनर्निर्माण हुआ और बाराँ जिला मुख्यालय को कोटा जिले का उपखण्ड मुख्यालय बनाया गया। 10 अप्रैल 1991 को पूर्व कोटा जिले से बाराँ जिले का निर्माण किया गया। "'वराह नगरी" बारां चॉदहवी-पन्द्रहवीं शताब्दी में सोलंकी राजपुतों के अधीन था। उस समय इसके अन्तर्गत १२ गाँव आते थे, इसलिए यह नगर बारां कहलाया। बारां समुद्र तल से २६२ मीटर की उँचाई पर कालीसिंध, पार्वती व परवन नदियों के बीच स्थित हॅ। बारां जिला छ: उपखण्डों - बारां, मांगरोल, अटरु, किशनगंज, शाहाबाद एवं छबडा तथा आठ तहसीलों- अंता, बारां, मांगरोल, अटरु, किशनगंज, शाहाबाद छबड़ा एवं छीपाबडॉद में विभाजित हॅ। .

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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जयपुर

जयपुर जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े की भी राजधानी रहा है। इस शहर की स्थापना १७२८ में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर भारत का दसवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली,आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है। शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं। बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया। पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह १११ फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शह के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वेधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं। जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। देश के सबसे प्रतिभाशाली वास्तुकारों में इस शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम सम्मान से लिया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासकों का शासन था। १९वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या १,६०,००० थी जो अब बढ़ कर २००१ के आंकड़ों के अनुसार २३,३४,३१९ और २०१२ के बाद ३५ लाख हो चुकी है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन-उद्योग आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहा जाता है कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा। .

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२००८

२००८ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२२ दिसम्बर

22 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 356वॉ (लीप वर्ष मे 357 वॉ) दिन है। साल में अभी और 9 दिन बाकी है। .

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