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कलापक्ष

सूची कलापक्ष

मधुमक्खी कलापक्ष या हायमेनोप्टेरा (Hymenoptera; हायमेन (hymen) .

4 संबंधों: चींटी, मधुमक्खी, सामाजिक कीट, आखेटि पतंग

चींटी

चींटी एक सामाजिक कीट है। इसकी 12000 से अधिक जातियों का वर्गीकरण किया जा चुका है। .

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मधुमक्खी

मधुमक्खी मधुमक्खी के छाते मधुमक्खी कीट वर्ग का प्राणी है। मधुमक्खी से मधु प्राप्त होता है जो अत्यन्त पौष्टिक भोजन है। यह संघ बनाकर रहती हैं। प्रत्येक संघ में एक रानी, कई सौ नर और शेष श्रमिक होते हैं। मधुमक्खियाँ छत्ते बनाकर रहती हैं। इनका यह घोसला (छत्ता) मोम से बनता है। इसके वंश एपिस में 7 जातियां एवं 44 उपजातियां हैं। .

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सामाजिक कीट

चींटे कीटों में सामाजिक जीवन अपने उच्च शिखर पर होता है, जो अन्यत्र केवल मनुष्यों को छोड़कर कहीं नहीं पाया जाता है। कीटों ने संसार में सर्वप्रथम पूर्ण विकसित सामाजिक जीवन का उदाहरण प्रस्तुत किया है। कीटों की संख्या सभी प्राणियों से अधिक है। कीट वर्ग, आर्थोपोडा (Arthropoda) संघ में आता है। अब तक ज्ञात स्पीशीज़ (Species) की संख्या आठ लाख से भी अधिक है और आधिकारिक अनुमानों के अनुसार अगर इनकी सभी जातियों की खोज की जाय, तो उनकी संख्या 60 लाख से भी अधिक होगी। इनमें बहुत सी ऐसी जातियाँ हैं जिनके प्राणियों की संख्या अरबों में है। इससे कीट वर्ग की बृहद् राशि की कल्पना की जा सकती है। कीटों के अनेक वर्गों में सामाजिक संगठन का विकास स्वतंत्र रूप से हुआ है। ऐसे कीटों के उदाहरण हैं, सामाजिक ततैया, सामाजिक मधुमक्खियाँ एवं चींटियाँ। ये सभी हाइमेनॉप्टेरा (Hymenoptera) गण में आते हैं। दीमक आइसॉप्टेरा (Isoptera) गण में आती हैं। इन कीटों में सामुदायिक संगठन का विकास सर्वोच्च हुआ है। इन संगठनों में विभिन्न सदस्यों के कार्यों का वर्गीकरण पूरे समुदाय के हित के लिये किया जाता है। सभी सामाजिक कीट बहुरूपी होते हैं, अर्थात्‌ एक स्पीशीज़ में कई स्पष्ट समूह होते हैं। प्रत्येक समूह में जनन जातियाँ, (नर, मादा, राजा, रानी, इमैगी आदि) रचना तथा कार्य की दृष्टि से, बाँझ जातियों (सेवककर्मी सैनिक आदि) से भिन्न होती हैं। बाँझ जातियों में केवल जनन अंग के अवशेष ही पाए जाते हैं, परंतु सामाजिक हाइमेनॉप्टेरा की बाँझ जातियों के अंसेचित अंडों से केवल मादाएँ उत्पन्न होती हैं, जो बाँझ होती हैं। असंसेचित अंडे के अनिषेकजनन (pathenogensis) से क्रियात्मक नर विकसित होते हैं। .

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आखेटि पतंग

आखेटि पतंग आखेटि पतंग (Ichneumon wasp या इक्नुमन फ़्लाइ) छोटे, बहुधा चटकीले रंगोंवाले, क्रियाशील कीट (इंसेक्ट) हैं। चीटियों, मधुमक्खियों तथा बर्रों से इनका निकट संबंध है। प्राय: इन्हें धूप से प्रेम होता है। इनके पूर्वोक्त संबंधियों और इनमें यह भेद है कि प्रौढ़ होने पर ही ये स्वतंत्र जीवन व्यतीत करते हैं। अपरिपक्व अवस्था में ये पूर्णत: परजीवी होते हैं। तब तक विविध प्रकार के कीटों के शरीर के ऊपर या भीतर रहकर, उन्हीं से भोजन और आश्रय पाते हैं तथा अंत में उनके प्राण ले लेते हैं। प्रौढ़ स्त्री आखेटि पतंग अंडे या तो आश्रयदाता कीट के शरीर के ऊपर देती है या अपने अंडरोपक (ओविपॉज़िटर) की सहायता से इन्हें उसकी त्वचा के नीचे घुसेड़ देती है। अंडरोपक एक प्रकार का रूपांतरित डंक होता है जो आश्रय देनेवाले कीट की चमड़ी को छेदकर उसके भीतर अंडे डालने में सहायता देता है। आश्रय देनेवाले कीट के शरीर के भीतर आखेटिपतंग डिंभ (लार्वी) प्राय: सैकड़ों की संख्या में होते हैं।; ये शनै:-शनै: उसके शरीर के कोमल पदार्थ को खा जाते हैं तथा अंत में केवल उसकी खाल रह जाती है और इस तरह वह मर जाता है। इन डिंभों में प्राय: टाँगें नहीं होतीं तथा ये श्वेत या पीले रंग के होते हैं। जब ये पूरे बड़े हो जाते हैं तो आश्रय देनेवाले जीव की मृत देह पर अपने चारों ओर एक रेशमी कोवा (कोकून) बना लेते हैं तथा आखेटि पतंग बनकर निकलने के पूर्व वे शंखी (प्यूपा) की अवस्था में रहते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

हायमेनोप्टेरा

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