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अल्गोरिद्म

सूची अल्गोरिद्म

महत्तम समापवर्तक (HCF) निकालने के लिए यूक्लिड के अल्गोरिद्म का फ्लोचार्ट गणित, संगणन तथा अन्य विधाओं में किसी कार्य को करने के लिये आवश्यक चरणों के समूह को कलन विधि (अल्गोरिद्म) कहते है। कलन विधि को किसी स्पष्ट रूप से पारिभाषित गणनात्मक समस्या का समाधान करने के औजार (tool) के रूप में भी समझा जा सकता है। उस समस्या का इनपुट और आउटपुट सामान्य भाषा में वर्णित किये गये रहते हैं; इसके समाधान के रूप में कलन विधि, क्रमवार ढंग से बताता है कि यह इन्पुट/आउटपुट सम्बन्ध किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है। कुछ उदाहरण: १) कुछ संख्यायें बिना किसी क्रम के दी हुई हैं; इन्हें आरोही क्रम (ascending order) में कैसे सजायेंगे? २) दो पूर्णांक संख्याएं दी हुई हैं; उनका महत्तम समापवर्तक (Highest Common Factor) कैसे निकालेंगे ? .

13 संबंधों: चक्रवाल विधि, फ्लो चार्ट, महत्तम समापवर्तक, शुल्बसूत्र, घन, घनमूल, वर्ग, वर्गमूल, गणित, आर्यभटीय, कुट्टक, अभिकलन, उपपत्ति

चक्रवाल विधि

चक्रवाल विधि अनिर्धार्य वर्ग समीकरणों (indeterminate quadratic equations) को हल करने की चक्रीय विधि है। इसके द्वारा पेल के समीकरण का भी हल निकल जाता है। इसके आविष्कार का श्रेय प्राय भास्कर द्वितीय को दिया जाता है किन्तु कुछ लोग इसका श्रेय जयदेव (950 ~ 1000 ई) को भी देते हैं। इस विधि का नाम 'चक्रवाल' (चक्र की तरह वलयिय (भ्रमण)) इसलिए पड़ा है क्योंकि इसमें कुट्टक से गुण लब्धि के बाद पुनः वर्गप्रकृति और पुनः कुट्टक किया जाता है। ६२८ ई में ब्रह्मगुप्त ने x और y के सबसे छोटे पूर्णांकों के लिए इसका हल निकाला था। वे N के कुछ ही मानों के लिये इसका हल निकाल सके, सभी के लिये नहीं। जयदेव (गणितज्ञ) और भास्कर (१२वीं शताब्दी) ने चक्रवाल विधि का उपयोग करते हुए इस समीकरण का सबसे पहले हल प्रस्तुत किया था। उन्होने निम्नलिखित समीकरण का हल दिया है- उनके द्वारा निम्नलिखित हल दिया गया है- यह समस्या बहुट कठिन समस्या है क्योंकि x और y के मान बहुत बड़े आते हैं। इसकी कठिनाई का अनुमान इससे ही लगाया जा सकता है कि यूरोप में इसका हल विलियम ब्राउंकर (William Brouncker) ने १६५७-५८ में जाकर निकाला था। अपने बीजगणित नामक ग्रन्थ में भास्कराचार्य ने चक्रवाल विधि का वर्णन इस प्रकार किया है- .

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फ्लो चार्ट

क्रमदर्शी आरेख या प्रवाह तालिका (फ्लो चार्ट) वस्तुत: कलन विधि का चित्रात्मक प्रदर्शन है। इसमें विभिन्न रेखाओ एवं आकृतियो का प्रयोग किया जाता है जो कि विभिन्न प्रकार के निर्देशो के लिये प्रयोग की जाती है। देवनागरी में लिखे किसी शब्द-समूह में मात्राओं की संख्या की गणना करने ले एक जावास्क्रिप्ट प्रोग्राम का फ्लोचार्ट जिस प्रकार यातायात के निर्देश विशेष चिन्हो द्वारा प्रदर्शित करने से सूक्ष्म एवं सरल हो जाते है उसी प्रकार प्रवाह तालिका मे विभिन्न चिन्हो एवं आकृतियो के माध्यम से निर्देशो का प्रदर्शन सूक्ष्म एवं सरल हो जाता है और प्रोग्रामर की समझ मे सरलता से आ जाता है। सामान्यत: सर्वप्रथम एक एल्गोरिथम को प्रवाह तालिका के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है और फिर प्रवाह तालिका के आधार पर उचित कम्प्यूटर भाषा मे प्रोग्राम को तैयार किया जाता है। एल्गोरिद्म को अभिव्यक्त करने के अन्य तरीके.

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महत्तम समापवर्तक

अंकगणित में दो पूर्णांकों a तथा b का महत्तम समापवर्तक या मस (greatest common divisor (gcd), greatest common factor (gcf), greatest common denominator, or highest common factor (hcf)) वह महत्तम (अर्थात, सबसे बड़ी) संख्या होती है जो a तथा b दोनो को विभाजित कर सके।;उदाहरण: 8 और 12 का मस .

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शुल्बसूत्र

शुल्ब सूत्र या शुल्बसूत्र संस्कृत के सूत्रग्रन्थ हैं जो स्रौत कर्मों से सम्बन्धित हैं। इनमें यज्ञ-वेदी की रचना से सम्बन्धित ज्यामितीय ज्ञान दिया हुआ है। संस्कृत कें शुल्ब शब्द का अर्थ नापने की रस्सी या डोरी होता है। अपने नाम के अनुसार शुल्ब सूत्रों में यज्ञ-वेदियों को नापना, उनके लिए स्थान का चुनना तथा उनके निर्माण आदि विषयों का विस्तृत वर्णन है। ये भारतीय ज्यामिति के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं। .

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घन

घन का अर्थ होता है बादल। .

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घनमूल

x \ge 0 के लिये ''y'' .

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वर्ग

वर्ग (Square) ज्यामिति की एक आकृति है। यदि किसी चतुर्भुज की चारों भुजाएं बराबर हों और चारो कोण समकोण हों तो उस चतुर्भुज को वर्ग कहते है। .

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वर्गमूल

संख्या के साथ उसके वर्गमूल का आलेख गणित में किसी संख्या x का वर्गमूल (square root (\sqrt) या x^) वह संख्या (r) होती है जिसका वर्ग करने पर x प्राप्त होता है; अर्थात् यदि r‍‍2 .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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आर्यभटीय

आर्यभटीय नामक ग्रन्थ की रचना आर्यभट प्रथम (४७६-५५०) ने की थी। यह संस्कृत भाषा में आर्या छंद में काव्यरूप में रचित गणित तथा खगोलशास्त्र का ग्रंथ है। इसकी रचनापद्धति बहुत ही वैज्ञानिक और भाषा बहुत ही संक्षिप्त तथा मंजी हुई है। इसमें चार अध्यायों में १२३ श्लोक हैं। आर्यभटीय, दसगीतिका पाद से आरम्भ होती है। इसके चार अध्याय इस प्रकार हैं: 1.

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कुट्टक

कुट्टक रैखिक डायोफैंटीय समीकरणों के पूर्णांक हल निकालने की विधि (algorithm) हैं जो भारतीय गणित में बहुत प्रसिद्ध हैं। .

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अभिकलन

रैण्डम ऐक्सेस स्मृति (RAM /Random Access Memory) संगणक तकनीक, कम्यूटर हार्डवेयर तथा कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के विकास करने से सम्बन्धित कार्यों या क्रियाओं को सम्मिलित रूप से अभिकलन कहा जाता है। यह सूचना तकनीक का वह भाग है जो कम्प्यूटर से सम्बन्ध रखता है। संगणक विज्ञान, सूचना एवं अभिकलन के सैद्धान्तिक पहलुओं के अध्ययन, उन्हें कार्य रूप में परिणित करने एवं उनको संगणक तंत्र में प्रयोग करने से सम्बधित है। .

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उपपत्ति

प्रकरण से प्रतिपादित अर्थ के साधन में जो युक्ति प्रस्तुत की जाती है उसे उपपत्ति कहते हैं- ज्ञान के साधन में उपपत्ति का महत्वपूर्ण स्थान है। आत्मज्ञान की प्राप्ति में जो तीन क्रमिक श्रेणियाँ उपनिषदों में बतलाई गई हैं उनमें मनन की सिद्धि उपपत्ति के ही द्वारा होती है। वेद के उपदेश को श्रुतिवाक्यों से प्रथमतः सुनना चाहिए (श्रवण) और तदनन्तर उनका मनन करना चाहिए (मनन)। युक्तियों के सहारे ही कोई तत्व दृढ़ और हृदयंगम बताया जा सकता है। बिना युक्ति के मनन निराधार रहता है और यह आत्मविश्वास नहीं उत्पन्न कर सकता। मनन की सिद्धि के अनंतर निदिध्यासन करने पर ही आत्मा की पूर्ण साधना निष्पन्न होती है। "मन्तव्यश्चोपपत्तिभिः" की व्याख्या में माथुरी उपपत्ति को हेतु का पर्याय मानती है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

एल्गोरिद्म, ऐल्गोरिदम, ऐल्गोरिद्म, कलन विधि, कलन-विधि, कलनविधि, अल्गोरिथ्म

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