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कलन का मूलभूत प्रमेय

सूची कलन का मूलभूत प्रमेय

कलन के मूलभूत प्रमेय के दो भाग हैं। इनको कभी-कभी 'कलन का प्रथम मूलभूत प्रमेय' एवं 'कलन का द्वितीय मूलभूत प्रमेय' कहा जाता हैं। इस प्रमेय का प्रथम भाग प्रदर्शित करता है कि अनिश्चित समाकल को अवकलन द्वरा उलटा जा सकता है। इस प्रमेय का दूसरा भाग किसी फलन के निश्चित समाकल निकालने के लिये उसके असीमित व्युत्क्रम-अवकलजों (antiderivatives) के उपयोग की छूट देता है। .

2 संबंधों: फलन, आद्य समाकल

फलन

''X'' के किसी सदस्य का ''Y'' के केवल एक सदस्य से सम्बन्ध हो तो वह फलन है अन्यथा नहीं। ''Y''' के कुछ सदस्यों का '''X''' के किसी भी सदस्य से सम्बन्ध '''न''' होने पर भी फलन परिभाषित है। गणित में जब कोई राशि का मान किसी एक या एकाधिक राशियों के मान पर निर्भर करता है तो इस संकल्पना को व्यक्त करने के लिये फलन (function) शब्द का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये किसी ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज की राशि मूलधन, समय एवं ब्याज की दर पर निर्भर करती है; इसलिये गणित की भाषा में कह सकते हैं कि चक्रवृद्धि ब्याज, मूलधन, ब्याज की दर तथा समय का फलन है। स्पष्ट है कि किसी फलन के साथ दो प्रकार की राशियां सम्बन्धित होती हैं -.

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आद्य समाकल

कैलकुलस में, फलन का आद्य समाकल (primitive integral) अथवा प्रतिअवकलज (antiderivative) फलन होता है जिसका अवकलज मूल फलन होता है। इसी को संकेत रूप में ऐसे लिख सकते हैं- 'आद्य समाकल' को प्रति-अवकलज (एन्टीडेरिवेटिव), आद्य फलन (primitive functio) या अनिश्चित समाकल (indefinite integral) भी कहते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

कैलकुलस का मूलभूत प्रमेय

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