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कर्षण (इंजीनियरी)

सूची कर्षण (इंजीनियरी)

रोल करके चलती हुई वस्तु पर लगने वाले बल किसी वस्तु को किसी समतल पर चलाने के लिए लगाया गया बल कर्षण (Traction या tractive force) कहलाता है। यह बल मुख्यतः शुष्क घर्षण को जीतने के लिए लगाना पड़ता है। .

4 संबंधों: घर्षण, विद्युत कर्षण, कर्षण (भौतिकी), कर्षण मोटर

घर्षण

धरती पर रखे एक ब्लाक के लिये फ्री-बॉडी आरेख घर्षण (Friction) एक बल है जो दो तलों के बीच सापेक्षिक स्पर्शी गति का विरोध करता है। घर्षण बल का मान दोनों तलों के बीच अभिलंब बल पर निर्भर करता है। घर्षण के दो प्रकार हैं: स्थैतिक और गतिज। स्थैतिक घर्षण दो पिण्डों के संपर्क-पृष्ठ की समान्तर दिशा में लगता है, लेकिन गतिज घर्षण गति की दिशा पर निर्भर नही करता। .

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विद्युत कर्षण

विद्युत गाड़ी रेलगाड़ी, ट्राम अथवा अन्य किसी प्रकार की गाड़ी को खींचने के लिए, विद्युत् शक्ति का उपयोग करने की विधि को विद्युत कर्षण (Electric Traction) कहते हैं। इस क्षेत्र में, वाष्प इंजन तथा अन्य दूसरे प्रकार के इंजन ही सामान्य रूप से प्रयोग किए जाते रहे हैं। विद्युत्‌ शक्ति का कर्षण के लिए प्रयोग सापेक्षतया नवीन है परंतु अपनी विशेष सुविधाओं के कारण, इसका प्रयोग बढ़ता गया और धीरे-धीरे अन्य साधनों का स्थान यह अब लेता जा रहा है। विद्युत्कर्षण में नियंत्रण की सुविधा तथा गाड़ियों का अधिक वेग से संचालन हो सकने के कारण उतने ही समय में अधिक यातायात की उपलब्धि हो सकती है। साथ ही कोयला, धुआँ अथवा हानिकारक गैसों के न होने से अधिक स्वच्छता रहती है और नगर की घनी आबादीवाले भागों में भी इसका प्रयोग संभव है। विद्युत्‌ कर्षण हमारे युग का एक अत्यंत महत्वपूर्ण साधन है, जिसका उपयोग अधिकाधिक बढ़ता जा रहा है। .

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कर्षण (भौतिकी)

तरल गतिकी में किसी तरल के अन्दर गति करने वाले किसी वस्तु पर सापेक्ष गति के विपरीत दिशा में लगने वाले बल को कर्षण (drag) कहते हैं। कभी-कभी इसे वायु-प्रतिरोध, या तरल-प्रतिरोध भी कहा जाता है। कर्षण बल तरल के दो स्तरों के बीच में भी लगता है और तरल और ठोस के तलों के बीच में भी। अन्य प्रतिरोधी बलों (जैसे घर्षण) से यह इस मामले में अलग है कि कर्षण बल का मान वेग पर निर्भर करता है जबकि घर्षण का मान वेग पर बहुत सीमा तक निर्भर नहीं करता। .

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कर्षण मोटर

इस चित्र में PRR DD1 विद्युत रेलगाड़ी के कर्षण मोटर तथा उससे जुड़े अवयव दिखाए गये हैं। स्पष्टता के लिए शेष भाग नहीं दिखाये गये है। वह विद्युत मोटर जो किसी गाड़ी (जैसे रेलगाड़ी या विद्युत से सड़क पर चलने वाली कोई गाड़ी) को चलाने (propulsion) के लिए उपयोग की जाती है, उसे कर्षण मोटर (traction motor) कहते हैं। सबसे पहले कर्षण के लिए डीसी सीरीज मोटर का उपयोग किया गया क्योंकि इसकी विशेषता है कि यह कम चाल पर अधिक बलाघ्र्ण (टॉर्क) उत्पन्न करती है और अधिक चाल पर कम बलाघूर्ण। और यही चीज गाड़ियों के लिए बहुत उपयोगी है (उन्हें कम चाल पर अधिक बलाघुर्ण लगाना पड़ता है और अधिक चाल पर कम बलाघुर्ण)। बाद में एक फेजी प्रत्यावर्ती धारा से चलने वाला सीरीज मोटर का उपयोग किया गया। रचना की दृष्टि से यह डीसी सीरीज मोटर ही है जो डीसी के बजाय एक-फेजी एसी से चलायी जाती है। चूंकि डॅसी सीरीज मोटर एसी और डीसी दोनों से चलायी जा सकती है, इसलिए इसे 'यूनिवर्सल मोटर' भी कहते हैं। किन्तु प्रत्यावर्ती धारा से चलायी जाने वाली मोटरों की कोर ठोस लोहे की नहीं बनायी जाती बल्कि पट्टलित लोहे की बनायी जाती है ताकि भंवर धारा तथा हिस्टेरिसिस से होने वाली विद्युत-शक्ति का ह्रास कम किया जा सके। कर्षण के लिए पहले प्रेरण मोटर तथा तुल्यकालिक मोटर का उपयोग नहीं किया जाता था क्योंकि इनकी बलाघूर्ण-चाल वैशिष्ट्य इस कार्य के लिए उपयुक्त नहीं था। किन्तु उत्कृष्ट अर्धचालक युक्तियों के आ जाने से और डिजिटल इलेक्ट्रॉनिकी में अत्यन्त विकास के परिणामस्वरूप अब परिवर्तनशील चाल ड्राइव का विकास हो गया है जिसके साथ अब ये मोटरें भी कर्षण के काम में आने लगीं हैं। श्रेणी:विद्युत मोटर.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ट्रैक्शन, कर्षण

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