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कर्तव्यवैज्ञानिक नीतिशास्त्र

सूची कर्तव्यवैज्ञानिक नीतिशास्त्र

कर्तव्यवैज्ञानिक नीतिशास्त्र या कर्तव्यविज्ञान (Deontological ethics or Deontology) (यूनानी δέον से, डिऑन, "कर्तव्य", "दायित्व") वह मानदण्डक नीतिशास्त्रीय स्थिति हैं, जो किसी कार्य की नैतिकता को नियम या नियमों के अनुपालन के आधार पर, जज करती हैं। कभी-कभी, इसका वर्णन "कर्तव्य-" या "दायित्व-" या "नियम-" आधारित नीतिशास्त्र के रूप में होता हैं, क्योंकि नियम "आपको आपके कर्तव्य से बाँधते हैं"।Waller, Bruce N. 2005.

3 संबंधों: परिणामवाद, मानदण्डक नीतिशास्त्र, गुण नीतिशास्त्र

परिणामवाद

परिणामवाद (Consequentialism) मानदण्डक नीतिशास्त्र के सिद्धांतों में वह विचारधाराएँ हैं जिनके अनुसार किसी क्रिया या व्यवहार की अच्छाई या बुराई का आंकलन अंततः इसी बुनियाद पर होता है कि उस क्रिया का परिणाम अच्छा था या बुरा। परिणामवादियों के अनुसार जिस काम के करने के नतीजे अच्छे हों, वहीं काम भला है। उदाहरण के लिए, अदालत में शपथ लेकर झूठ बोलना अपराध है, लेकिन परिणामवाद के अनुसार यदि ऐसा करने से किसी निर्दोष व्यक्ति की जान बचती है तो ऐसा ही करना चाहिये। परिणामवादियों के लिए लिखित नियमों व कानूनों का पालन करना अपने-आप में एक अच्छी या बुरी बात नहीं होती। .

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मानदण्डक नीतिशास्त्र

मानदण्डक नीतिशास्त्र (Normative ethics) नीतिशास्त्रीय कार्य का अध्ययन हैं। यह दार्शनिक नीतिशास्त्र की शाखा हैं, जो उन प्रश्नों को जाँचती हैं, जिनका उद्गम यह सोचते वक़्त होता हैं कि नैतिक तौर पर किसी को कैसे कार्य करना चाहियें। इसकी व्युपत्ति मानदण्डक से हुई, जिसका सम्बन्ध किसी आदर्श मानक या मॉडल से हैं, या उस पर आधारित हैं, जो, कोई चीज़ करने का सामान्य या उचित तरीका माना जाता हो। मानदण्डक नीतिशास्त्र अधिनीतिशास्त्र (मेटा-ऍथिक्स, meta-ethics) से अलग हैं, क्योंकि वह कार्यों के सही या गलत होने के मानकों का परीक्षण करता हैं, जबकि मेटा-नीतिशास्त्र नैतिक भाषा और नैतिक तथ्यों के तत्वमीमांसा के अर्थ का अध्ययन करता हैं। मानदण्डक नीतिशास्त्र वर्णात्मक नीतिशास्त्र से भी भिन्न हैं, क्योंकि पश्चात्काथित लोगों की नैतिक आस्थाओं की अनुभवसिद्ध जाँच हैं। अन्य शब्दों में, वर्णात्मक नीतिशास्त्र का सम्बन्ध यह निर्धारित करने से हैं कि किस अनुपात के लोग मानते हैं कि हत्या सदैव गलत हैं, जबकि मानदण्डक नीतिशास्त्र का सम्बन्ध इस बात से हैं कि क्या यह मान्यता रखनी गलत हैं। अतः, कभी-कभी मानदण्डक नीतिशास्त्र को वर्णात्मक के बजाय निर्देशात्मक कहा जाता हैं। हालांकि, मेटा-नीतिशास्त्रीय दृष्टि के कुछ संस्करणों में जिन्हें नैतिक यथार्थवाद कहा जाता हैं, नैतिक तथ्य एक ही वक़्त पर, दोनों वर्णात्मक और निर्देशात्मक होते हैं। ज़्यादातर परम्परागत नैतिक सिद्धांत उन सिद्धान्तों पर आधारित हैं जो निर्धारित करते हैं कि कोई कार्य सही या गलत हैं या नहीं। इस शैली में, क्लासिकी सिद्धान्तों में उपयोगितावाद, काण्टीयवाद और कुछ संविदीयवाद के रूप शामिल हैं। यह सिद्धान्त मुश्किल नैतिक निर्णयों का समाधान करने हेतु मुख्यतः नैतिक सिद्धान्तों का व्यापक उपयोग प्रदान करते हैं। .

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गुण नीतिशास्त्र

गुण नीतिशास्त्र (या आरेतीक नीतिशास्त्र यूनानी आरेती से) एक मानदण्डक नीतिशास्त्रीय सिद्धान्त हैं, जो मन और चरित्र के गुणों पर ज़ोर डालता हैं। गुण नीतिशास्त्रवादी गुणों के प्रकृति और परिभाषा की तथा अन्य सम्बन्धित समस्याओं की चर्चा करते हैं। उदाहरणार्थ, गुण कैसे कैसे सम्प्राप्त होते हैं? वास्तविक जीवन के विभिन्न प्रसंगों में उनका अनुप्रयोग कैसे होता हैं? क्या गुण सार्वलौकिक मानवी स्वभाव के मूल में स्थित हैं, या संस्कृतियों के बहुलवाद में? .

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