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करमानशाह प्रांत

सूची करमानशाह प्रांत

करमानशाह (फ़ारसी:, ओस्तान-ए-करमानशाह; कुर्दी: Kirmaşan, किरमाशान) ईरान का एक प्रान्त है। १९६९ से १९८६ तक इसे 'करमानशाहान' और १९८६ से १९९५ तक इसे 'बख़्तारान' के नाम से जाना जाता था। .

8 संबंधों: दारा प्रथम, फ़ारसी भाषा, सासानी साम्राज्य, हख़ामनी साम्राज्य, ईरान, कुर्दी भाषा, अंकन (लिपि), अक्कादी भाषा

दारा प्रथम

दारा प्रथम या डेरियस प्रथम (पुरानी फ़ारसी: Dārayava(h)uš, नव फ़ारसी भाषा: داریوش दरायुस; דָּֽרְיָוֶשׁ, दारायावेस; c. 550–486 ईसा पूर्व) प्राचीन ईरान के हख़ामनी वंश का प्रसिद्ध शासक था जिसे इतिहास में धार्मिक सहिष्णुता तथा अपने शिलालेखों के लिए जाना जाता है। वह फ़ारसी साम्राज्य के संस्थापक कुरोश (साइरस) के बाद हख़ामनी वंश का सबसे प्रभावशाली शासक माना जाता है। कम्बोजिया के मरने के बाद बरदिया नामक माग़ी ने सिंहासन के लिए दावा किया था। छः अन्य राजपरिवारों के साथ मिलकर उसने बरदिया को मार डाला और इसके बाद उसका राजतिलक हुआ। उसने अपने शासन काल में पश्चिमी ईरान के बिसितुन में एक शिलालेख खुदवाया था जिसे प्राचीन ईरान के इतिहास का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। उसके शासन काल में हख़ामनी साम्राज्य मिस्र से सिन्धु नदी तक फैल गया था। उसने यूनान पर कब्जा किया और उत्तर में शकों से भी युद्ध लड़ा। उसने इतने बड़े साम्राज्य में एक समान मुद्रा चलाई और आरामाईक को राजभाषा करार दिया। उसने पर्सेलोलिस तथा पसरागेड जैसी जगहों पर महत्वपूर्ण निर्माण कार्य भी शुरु करवाया जो सदियों तक हख़ामनी स्थापत्य की पहचान बने रहे। .

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फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

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सासानी साम्राज्य

सासानी साम्राज्य (गहरा हरा रंग); मध्यम हरे रंग में दिखाया गया क्षेत्र में पूर्वी रोमनों से युद्धरत सासानी (तीसरी सदी - 648) ईरान के इतिहास में सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक हैं। इनका स्थान ईरान में हख़ामनी वंश के बाद सबसे सशक्त शासक वंशों में गिना जाता है। इनका उदय ईरान के दक्षिण में फ़ार्स में हुआ था - ये वही राज्य है जिसे हख़ामनी शासकों का मूल स्थान माना जाता है। अप्रैल 224 में एक अर्सासिद परिवार के लोग सशक्त हो गए। पर उनको क़ुज़ेस्तान में लड़े एक युद्ध में हरा कर अर्दाशिर नाम के एक व्यक्ति ने अपनी प्रभुता स्थापित की। उन्होंने अपने को हख़ामनी वंश (एकेमेनिड) के मूल का बताया। इसके बाद बने वंश को सासानी कहते हैं क्योंकि उनका पूर्ववर्ती सासान था। .

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हख़ामनी साम्राज्य

अजमीढ़ साम्राज्य अपने चरम पर - ईसापूर्व सन् 500 के आसपास हख़ामनी वंश या अजमीढ़ साम्राज्य(अंग्रेज़ी तथा ग्रीक में एकेमेनिड, अजमीढ़ साम्राज्य (ईसापूर्व 550 - ईसापूर्व 330) प्राचीन ईरान (फ़ारस) का एक शासक वंश था। यह प्राचीन ईरान के ज्ञात इतिहास का पहला शासक वंश था जिसने आज के लगभग सम्पूर्ण ईरान पर अपनी प्रभुसत्ता हासिल की थी और इसके अलावा अपने चरमकाल में तो यह पश्मिम में यूनान से लेकर पूर्व में सिंधु नदी तक और उत्तर में कैस्पियन सागर से लेकर दक्षिण में अरब सागर तक फैल गया था। इतना बड़ा साम्राज्य इसके बाद बस सासानी शासक ही स्थापित कर पाए थे। इस वंश का पतन सिकन्दर के आक्रमण से सन ३३० ईसापूर्व में हुआ था, जिसके बाद इसके प्रदेशों पर यूनानी (मेसीडोन) प्रभुत्व स्थापित हो गया था। पश्चिम में इस साम्राज्य को मिस्र एवम बेबीलोन पर अधिकार, यूनान के साथ युद्ध तथा यहूदियों के मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए याद किया जाता है। कुरोश तथा दारुश को इतिहास में महान की संज्ञा से भी संबोधित किया जाता है। इस वंश को आधुनिक फ़ारसी भाषा बोलने वाले ईरानियों की संस्कृति का आधार कहा जाता है। इस्लाम के पूर्व प्राचीन ईरान के इस साम्राज्य को ईरानी अपने गौरवशाली अतीत की तरह देखते हैं, जो अरबों द्वारा ईरान पर शासन और प्रभाव स्थापित करने से पूर्व था। आज भी ईरानी अपने नाम इस काल के शासकों के नाम पर रखते हैं जो मुस्लिम नाम नहीं माने जाते हैं। ज़रदोश्त के प्रभाव से पारसी धर्म के शाही रूप का प्रतीक भी इसी वंश को माना जाता है। तीसरी सदी में स्थापित सासानी वंश के शासकों ने अपना मूल हख़ामनी वंश को ही बताया था। .

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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कुर्दी भाषा

कुर्दी भाषा का फैलाव (लाल रंग में, बाएं तरफ़) कुर्दी (Kurdî,, Kurdish) ईरान, तुर्की, ईराक़, सीरिया और दक्षिणी कॉकस क्षेत्र में रहने वाले कुर्दी लोगों की भाषा है। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की हिन्द-ईरानी शाखा की ईरानी उपशाखा की एक सदस्य है। यह आधुनिक फ़ारसी भाषा से काफ़ी मिलती-जुलती है। दुनिया भर में कुर्दी बोलने वालों की संख्या १.६ करोड़ अनुमानित की गई है। तुर्की में इसे मातृभाषा या दूसरी भाषा बोलने वाले उस देश की कुल आबादी के लगभग १२% अनुमानित किये गए हैं। वास्तव में कुर्दी एक भाषा नहीं बल्कि बहुत सी कुर्दी उपभाषाओं का गुट है।, Stavroula Chrisdoulaki, GRIN Verlag, 2010, ISBN 978-3-640-76700-7,...

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अंकन (लिपि)

२६शती ईसा पूर्व का सुमेरी अभिलेख अंकन लिपि, क्यूनिफार्म लिपि (Cuneiform script) या कीलाक्षर विश्व में लिखने की प्राचीनतम विधियों में से एक है। छठी-सातवीं सदी ई.पू.

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अक्कादी भाषा

अक्कादी भाषा (Akkadian या Accadian या Assyro-Babylonian) एक मृत सामी भाषा है। यह प्राचीन मेसोपोटामिया में बोली जाती थी। यह अंकन लिपि (cuneiform writing system) में लिखी जाती थी। अक्कादी का यह नाम उस अक्काद नगर से पड़ा जो ईसा पूर्व 24वीं सदी में प्रसिद्ध सम्राट् शर्रूकीन की राजधानी था। तभी अक्कादी को राजभाषा का पद मिला। कालांतर में अक्कादी, प्रदेश और काल के अनुसार, असूरी (Assyrian) और बाबुली (Babylonian) नामक जनबोलियों में विकसित होकर बँट गई। असूरी दजला नदी (इराक) की उपरली घाटी में और बाबुली दजला-फरात के सागरवर्ती दोआब में बोली जाती थी। काल क्रम से अक्कादी के तीन युग माने जाते हैं- 1. प्राचीन काल (लगभग 2000 ई.पू.-लगभग 1500 ई.पू.), 2. मध्यकाल (लगभग 1500 ई.पू.- लगभग 1000 ई.पू.) और 3. उत्तरकाल (लगभग 1000 ई.पू - लगभग 500 ई.पू.)। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

करमनशाह प्रांत, कर्मांशाह प्रांत

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