लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

करण (तर्कशास्त्र)

सूची करण (तर्कशास्त्र)

अनेक कारणों में जो असाधारण और व्यापारवान्‌ कारण होता है उसे करण कहते हैं। इसी को प्रकृष्ट कारण भी कहते हैं। असाधारण का अर्थ कार्य की उत्पत्ति में साक्षात्‌ सहायक होना। दंड, जिससे चाक चलता है, घड़े उत्पत्ति में व्यापारवान्‌ होकर साक्षात सहायक है, परंतु जंगल की लकड़ी करण नहीं है क्योंकि न तो वह व्यापारवान्‌ है और न साक्षात्‌ सहायक। नव्य न्याय में तो व्यापारवान्‌ वस्तु को करण नहीं कहते। उनके अनुसार वह पदार्थ जिसके बिना कार्य ही न उत्पन्न हो (अन्य सभी कारणों के रहते हुए भी) करण कहलाता है। यह करण न तो उपादान है और न निमित्त वस्तु, अपितु निमित्तगत क्रिया ही असाधारण और प्रकृष्ट कारण है। प्रत्यक्ष ज्ञान में इंद्रिय और अर्थ का सन्निकर्ष (संबंध) करण है अथवा इंद्रियगत वह व्यापार जिससे अर्थ का सन्निकर्ष होता है, नव्य मत में करण कहलाता है। .

3 संबंधों: चाक, नव्य न्याय, करण (नृत्य)

चाक

कुम्हार, चाक पर बर्तन बनाते हुए चाक वह गोल पहिया होता है, जिसपर कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाता है। श्रेणी:हिन्दी शब्दावली श्रेणी:व्यवसाय श्रेणी:मिट्टी श्रेणी:बर्तन.

नई!!: करण (तर्कशास्त्र) और चाक · और देखें »

नव्य न्याय

नव्य न्याय, भारतीय दर्शन का एक सम्प्रदाय (school) है जो मिथिला के दार्शनिक गंगेश उपाध्याय द्वारा तेरहवीं शती में प्रतिपादित किया गया। इसमें पुराने न्याय दर्शन को ही आगे बढ़ाया गया है। वाचस्पति मिश्र तथा उदयन (१०वीं शती की अन्तिम बेला) आदि का भी इस दर्शन के विकास में प्रभाव है। गंगेश उपाध्याय ने श्रीहर्ष के खण्डनखण्डखाद्यम् नामक पुस्तक के विचारों के विरोध में अपनी पुस्तक तत्वचिन्तामणि की रचना की। खण्डनखण्डखाद्यम् में अद्वैत वेदान्त का समर्थन एवं न्याय दर्शन के कतिपय सिद्धान्तों का खण्डन किया गया था। .

नई!!: करण (तर्कशास्त्र) और नव्य न्याय · और देखें »

करण (नृत्य)

हवाई के हिन्दू मन्दिर में नृत्य के देवता नटराज द्वारा किये गये करणों की मूर्तियाँ वृश्चिकाकुट्टितम करण का एक परिवर्तित रूप नाट्यशास्त्र में वर्णित १०८ प्रकार की नृत्य-स्थितियों' को करण कहते हैं। .

नई!!: करण (तर्कशास्त्र) और करण (नृत्य) · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »