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अभिकलित्र अनुकार

सूची अभिकलित्र अनुकार

सन् २००४ की सुनामी का एनिमेशन फाइनाइट-एलिमेण्ट विधि द्वारा मोटरकार के टक्कर के कम्प्यूटर सिमुलेशन का परिणाम (आउटपुट) किसी कम्प्यूटर प्रोग्राम की सहायता से या कम्प्यूटरों के एक नेटवर्क की सहायता से किसी तन्त्र या उसके किसी भाग के व्यवहार की जानकारी की गणना करना अभिकलित्र अनुकार या 'कम्प्यूटरी सिमुलेशन' (computer simulation) कहलाता है। वर्तमान समय में प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक विज्ञानों, सामाजिक विज्ञानों एवं अन्यान्य क्षेत्रों में कम्प्यूटरी सिमुलेशन महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। सिद्धान्त एवं प्रयोग के अलावा कम्प्यूटरी सिमुलेशन भी विज्ञान में शोध की एक अपरिहार्य विधि बन गयी है। कम्प्यूटरी सिमुलेशन, कुछ मिनट में पूर्ण होने वाले एक छोटे कम्प्यूतर प्रोग्राम से लेकर घण्टों चलने वाले नेटवर्कित कम्प्यूतर और उससे भी बढकर कई दिनों तक चलने वाले सिमुलेशन के अनेक रूपों में देखे जा सकते हैं। आज का सिमुलेशन इतना विशालकाय हो गया है जिस जो कागज-पेंसिल की सहायता से सम्भव ही नहीं हो सकता था। कागज-पेंसिल से सिमुलेशन के दौर में जिस सिमुलेशन की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी वह आज आसानी से किया जाने लगा है। .

12 संबंधों: तन्त्र, प्रयोग, प्रौद्योगिकी, मान्टे-कार्लो सिमुलेशन, सिद्धान्त, सिमुलेशन, सिमुलेशन की भाषाएँ, विज्ञान, गणितीय मॉडल, कम्प्यूटरी सिमुलेशन के सॉफ्टवेयरों की सूची, कंप्यूटर, कैड

तन्त्र

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित तंत्र या प्रणाली या सिस्टम के बारे में तंत्र (सिस्टम) देखें। ---- तन्त्र कलाएं (ऊपर से, दक्षिणावर्त): हिन्दू तांत्रिक देवता, बौद्ध तान्त्रिक देवता, जैन तान्त्रिक चित्र, कुण्डलिनी चक्र, एक यंत्र एवं ११वीं शताब्दी का सैछो (तेन्दाई तंत्र परम्परा का संस्थापक तन्त्र, परम्परा से जुड़े हुए आगम ग्रन्थ हैं। तन्त्र शब्द के अर्थ बहुत विस्तृत है। तन्त्र-परम्परा एक हिन्दू एवं बौद्ध परम्परा तो है ही, जैन धर्म, सिख धर्म, तिब्बत की बोन परम्परा, दाओ-परम्परा तथा जापान की शिन्तो परम्परा में पायी जाती है। भारतीय परम्परा में किसी भी व्यवस्थित ग्रन्थ, सिद्धान्त, विधि, उपकरण, तकनीक या कार्यप्रणाली को भी तन्त्र कहते हैं। हिन्दू परम्परा में तन्त्र मुख्यतः शाक्त सम्प्रदाय से जुड़ा हुआ है, उसके बाद शैव सम्प्रदाय से, और कुछ सीमा तक वैष्णव परम्परा से भी। शैव परम्परा में तन्त्र ग्रन्थों के वक्ता साधारणतयः शिवजी होते हैं। बौद्ध धर्म का वज्रयान सम्प्रदाय अपने तन्त्र-सम्बन्धी विचारों, कर्मकाण्डों और साहित्य के लिये प्रसिद्ध है। तन्त्र का शाब्दिक उद्भव इस प्रकार माना जाता है - “तनोति त्रायति तन्त्र”। जिससे अभिप्राय है – तनना, विस्तार, फैलाव इस प्रकार इससे त्राण होना तन्त्र है। हिन्दू, बौद्ध तथा जैन दर्शनों में तन्त्र परम्परायें मिलती हैं। यहाँ पर तन्त्र साधना से अभिप्राय "गुह्य या गूढ़ साधनाओं" से किया जाता रहा है। तन्त्रों को वेदों के काल के बाद की रचना माना जाता है जिसका विकास प्रथम सहस्राब्दी के मध्य के आसपास हुआ। साहित्यक रूप में जिस प्रकार पुराण ग्रन्थ मध्ययुग की दार्शनिक-धार्मिक रचनायें माने जाते हैं उसी प्रकार तन्त्रों में प्राचीन-अख्यान, कथानक आदि का समावेश होता है। अपनी विषयवस्तु की दृष्टि से ये धर्म, दर्शन, सृष्टिरचना शास्त्र, प्राचीन विज्ञान आदि के इनसाक्लोपीडिया भी कहे जा सकते हैं। यूरोपीय विद्वानों ने अपने उपनिवीशवादी लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए तन्त्र को 'गूढ़ साधना' (esoteric practice) या 'साम्प्रदायिक कर्मकाण्ड' बताकर भटकाने की कोशिश की है। वैसे तो तन्त्र ग्रन्थों की संख्या हजारों में है, किन्तु मुख्य-मुख्य तन्त्र 64 कहे गये हैं। तन्त्र का प्रभाव विश्व स्तर पर है। इसका प्रमाण हिन्दू, बौद्ध, जैन, तिब्बती आदि धर्मों की तन्त्र-साधना के ग्रन्थ हैं। भारत में प्राचीन काल से ही बंगाल, बिहार और राजस्थान तन्त्र के गढ़ रहे हैं। .

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प्रयोग

बेंजामिन फ्रैंकलिन का तड़ित सम्बन्धी प्रयोग किसी वैज्ञानिक जिज्ञासा (scientific inquiry) के समाधान के लिये उससे सम्बन्धित क्षेत्र में और अधिक आंकड़े (data) एकत्र करने जी आवश्यकता होती है। इन आंकड़ों की प्राप्ति के लिये जो कुछ किया जाता है उसे प्रयोग (experiment) कहते हैं। प्रयोग, वैज्ञानिक विधि का प्रमुख स्तम्भ है। प्रयोग करना एवं आंकड़े प्राप्त करना इसलिये भी जरूरी है ताकि सिद्धान्त के प्रतिपादन में कहीं पूर्वाग्रह या पक्षपात आड़े न आ जाँए। किसी क्षेत्र के गहन अध्ययन एवं ज्ञान के लिये प्रयोग का बहुत महत्व है। प्राकृतिक एवं सामाजिक दोनो ही विज्ञानों में प्रयोग की महती भूमिका है। व्यावहारिक समस्याओं के समाधान में, कम ज्ञात क्षेत्रों के और अधिक जानकारी प्राप्ति के लिये तथा सैद्धान्तिक मान्यताओं (theoretical assumptions) की जाँच के लिये प्रयोग करने की जरूरत पड़ती रहती है। कुछ प्रयोग इसलिये नहीं किये जा सकते कि वे बहुत महंगे हो सकते हैं, बहुत भयंकर हो सकते हैं या उन्हें करना नैतिक दृष्टि से मान्य नहीं है। .

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प्रौद्योगिकी

२०वीं सदी के मध्य तक मनुष्य ने तकनीक के प्रयोग से पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलना सीख लिया था। एकीकृत परिपथ (IC) के आविष्कार ने कम्प्यूटर क्रान्ति को जन्म दिया । प्रौद्योगिकी, व्यावहारिक और औद्योगिक कलाओं और प्रयुक्त विज्ञानों से संबंधित अध्ययन या विज्ञान का समूह है। कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है। आदिकाल से मानव तकनीक का प्रयोग करता आ रहा है। आधुनिक सभ्यता के विकास में तकनीकी का बहुत बड़ा योगदान है। जो समाज या राष्ट्र तकनीकी रूप से सक्षम हैं वे सामरिक रूप से भी सबल होते हैं और देर-सबेर आर्थिक रूप से भी सबल बन जाते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि अभियांत्रिकी का आरम्भ सैनिक अभियांत्रिकी से ही हुआ। इसके बाद सडकें, घर, दुर्ग, पुल आदि के निर्माण सम्बन्धी आवश्यकताओं और समस्याओं को हल करने के लिये सिविल अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव हुआ। औद्योगिक क्रान्ति के साथ-साथ यांत्रिक तकनीकी आयी। इसके बाद वैद्युत अभियांत्रिकी, रासायनिक प्रौद्योगिकी तथा अन्य प्रौद्योगिकियाँ आयीं। वर्तमान समय कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी का है। .

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मान्टे-कार्लो सिमुलेशन

पाई (π) का मान प्राप्त करने के लिये यहाँ मान्टे-कार्लो प्रयोग किया जा रहा है। 30,000 यादृच्छ बिन्दु रखने के बाद π का अनुमानित मान इसके वास्तविक मान के 0.07% के अन्दर आ जाता है। मॉन्टे-कार्लो विधियाँ (Monte Carlo methods या Monte Carlo experiments) कम्प्यूटर-कलन विधियों के उस समूह को कहते हैं जो किसी समस्या के संख्यात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिये यादृच्छिक प्रतिचयन (random sampling) का उपयोग करता है। इस विधि का मूल मंत्र यह है कि यादृच्छता (randomness) का उपयोग करते हुए उन समस्याओं क भी ह्ल निकाल सकते हैं जो सिद्धान्ततः सुनिर्धार्य (deterministic) हैं। मान्टे कार्लो विधियाँ प्रायः ही भौतिक एवं गणितीय समस्याओं के हल के लिये उपयोग में लायीं जातीं हैं। ये उस समय सर्वाधिक उपयोगी होतीं हैं जब अन्य विधियों का उपयोग नहीं किया जा सके। ये विधियाँ मुख्यतः तीन प्रकार की समस्याओं के हल के लिये प्रयुक्त होतीं हैं- इष्टतमीकरण (optimization), संख्यात्मक समाकलन (numerical integration), तथा प्रायिकता वितरण दिये होने पर ड्रा निकालना। श्रेणी:संख्यात्मक विश्लेषण.

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सिद्धान्त

भारतीय परम्परा में सिद्धान्त का अर्थ 'परम्परा' या 'दर्शन' (Doctrine) से है। भारतीय दर्शन में किसी सम्प्रदाय के स्थापित एवं स्वीकृत विचार दर्शन कहलाते हैं। सिद्धान्त, 'सिद्धि का अन्त' है। यह वह धारणा है जिसे सिद्ध करने के लिए, जो कुछ हमें करना था वह हो चुका है, और अब स्थिर मत अपनाने का समय आ गया है। धर्म, विज्ञान, दर्शन, नीति, राजनीति सभी सिद्धांत की अपेक्षा करते हैं। धर्म के संबंध में हम समझते हैं कि बुद्धि, अब आगे आ नहीं सकती; शंका का स्थान विश्वास को लेना चाहिए। विज्ञान में समझते हैं कि जो खोज हो चुकी है, वह वर्तमान स्थिति में पर्याप्त है। इसे आगे चलाने की आवश्यकता नहीं। प्रतिष्ठा की अवस्था को हम पीछे छोड़ आए हैं, और सिद्ध नियम के आविष्कार की संभावना दिखाई नहीं देती। दर्शन का काम समस्त अनुभव को गठित करना है; दार्शनिक सिद्धांत समग्र का समाधान है। अनुभव से परे, इसका आधार कोई सत्ता है या नहीं? यदि है, तो वह चेतन के अवचेतन, एक है या अनेक? ऐसे प्रश्न दार्शनिक विवेचन के विषय हैं। विज्ञान और दर्शन में ज्ञान प्रधान है, इसका प्रयोजन सत्ता के स्वरूप का जानना है। नीति और राजनीति में कर्म प्रधान है। इनका लक्ष्य शुभ या भद्र का उत्पन्न करना है। इन दोनों में सिद्धांत ऐसी मान्यता है जिसे व्यवहार का आधार बनाना चाहिए। धर्म के संबंध में तीन प्रमुख मान्यताएँ हैं- ईश्वर का अस्तित्व, स्वाधीनता, अमरत्व। कांट के अनुसार बुद्धि का काम प्रकटनों की दुनियाँ में सीमित है, यह इन मान्यताओं को सिद्ध नहीं कर सकती, न ही इनका खंडन कर सकती है। कृत्य बुद्धि इनकी माँग करती है; इन्हें नीति में निहित समझकर स्वीकार करना चाहिए। विज्ञान का काम 'क्या', 'कैसे', 'क्यों'- इन तीन प्रश्नों का उत्तर देना है। तीसरे प्रश्न का उत्तर तथ्यों का अनुसंधान है और यह बदलता रहता है। दर्शन अनुभव का समाधान है। अनुभव का स्रोत क्या है? अनुभववाद के अनुसार सारा ज्ञान बाहर से प्राप्त होता है, बुद्धिवाद के अनुसार यह अंदर से निकलता है, आलोचनावाद के अनुसार ज्ञान सामग्री प्राप्त होती है, इसकी आकृति मन की देन है। नीति में प्रमुख प्रश्न 'नि:श्रेयस का स्वरूप' है। नैतिक विवाद बहुत कुछ भोग के संबंध में है। भोगवादी सुख की अनुभूति को जीवन का लक्ष्य समझते हैं; दूसरी ओर कठ उपनिषद् के अनुसार श्रेय और प्रेय दो सर्वथा भिन्न वस्तुएँ हैं। राजनीति राष्ट्र की सामूहिक नीति है। नीति और राजनीति दोनों का लक्ष्य मानव का कल्याण है; नीति बताती है कि इसके लिए सामूहिक यत्न को क्या रूप धारण करना चाहिए। एक विचार के अनुसार मानव जाति का इतिहास स्वाधीनता संग्राम की कथा है, और राष्ट्र का लक्ष्य यही होना चाहिए कि व्यक्ति को जितनी स्वाधीनता दी जा सके, दी जाए। यह प्रजातंत्र का मत है। इसके विपरीत एक-दूसरे विचार के अनुसार सामाजिक जीवन की सबसे बड़ी खराबी व्यक्तियों में स्थिति का अंतर है; इस भेद को समाप्त करना राष्ट्र का लक्ष्य है। कठिनाई यह है कि स्वाधीनता और बराबरी दोनों एक साथ नहीं चलतीं। संसार का वर्तमान खिंचाव इन दोनों का संग्राम ही है। .

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सिमुलेशन

द्वितीय विश्व युद्ध में प्रयुक्त लकड़ी का यांत्रिक घोड़ा (सिमुलेटर) किसी वास्तविक चीज, प्रक्रम (प्रॉसेस) या कार्यकलाप का किसी अन्य विधि से अनुकरण (नकल) करना अनुकार या सिमुलेशन (simulation) कहलाता है। कम्प्यूटरों के कारण सिमुलेशन का कार्य बहुत आम हो गया है। .

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सिमुलेशन की भाषाएँ

कम्प्यूटरी सिमुलेशन को सुगमता पूर्वक अभिव्यक्त करने के लिये जिन कम्प्यूटरी भाषाओं का उपयोग किया जाता है उन्हें सिमुलेशन की भाषा कहते हैं। सिमुलेशन भाषाओं में यह क्षमता होनी चाहिये कि वे अलग-अलग तरह के (जैसे सतत या डिस्क्रीट, डिटर्मिनिस्टिक या स्टॉकैस्टिक) तन्त्रों को सुविधा पूर्वक वर्णन कर सकें और विविध प्रकार के विश्लेषण (डी-सी, ए-सी या ट्रान्सिएन्ट आदि) करके परिणामों को विविध प्रकार (सारणी, तरह-तरह के ग्राफ, एनिमेशन आदि) से प्रदर्शित कर सकें। इसके अतिरिक्त, डिस्क्रीट-इवेन्ट भाषाओं में अलग-अलग प्रायिकता-वितरण (प्रोबेबिलिटी-डिस्ट्रिब्यूशन) पर आधारित छद्म-यादृच्छिक (Pseudorandom) संख्याएं पैदा करने की क्षमता भी होनी चाहिये। .

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विज्ञान

संक्षेप में, प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान (Science) कहते हैं। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। .

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गणितीय मॉडल

किसी भौतिक तंत्र (physical system) या प्रक्रम (process) या अमूर्त तंत्र (abstract system) के विभिन्न अवयवों के अन्तर्सम्बन्धों का गणित की भाषा में वर्णन उस तन्त्र का गणितीय प्रतिरूप या गणितीय मॉडल (mathematical model) कहलाता है। गणितीय मॉडल प्रायः संगत तंत्र के सरलीकृत रूप होते हैं। इससे उस तन्त्र की कार्यप्रणाली को आसानी से समझने में सुविधा होती है। इसकी सहायता से यह गणना की जा सकती है कि किस स्थिति में क्या होगा। गणितीय मॉडल की सहायता से ही उस भौतिक तन्त्र का नियन्त्रण भी किया जा सकता है। किसी तन्त्र को कम्प्यूटर द्वारा सिमुलेट (simulate) करने के लिये उस तन्त्र का गणितीय मॉडल बनाना पहली जरूरत है। गणितीय मॉडल का प्राकृतिक विज्ञानों एवं प्रौद्योगिकी में बहुतायत से उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त इसका सामाजिक विज्ञानों, जैसे अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र एवं राजनीति शास्त्र में भी उपयोग होता है। किसी तन्त्र या युक्ति के गणितीय मॉडल को जब किसी विद्युत परिपथ के रूप में निरुपित किया जाता है तो इस विद्युत परिपथ को तुल्य परिपथ (equivalent circuit) कहते हैं। उदाहरण के लिये किसी बैटरी को एक आदर्श वोल्टेज सोर्स एवं एक प्रतिरोध के श्रेणीक्रम (सिरीज) संयोजन के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है। .

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कम्प्यूटरी सिमुलेशन के सॉफ्टवेयरों की सूची

कम्प्यूटरी सिमुलेशन (Computer simulation) भी देखें। .

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कंप्यूटर

निजी संगणक कंप्यूटर (अन्य नाम - संगणक, कंप्यूटर, परिकलक) वस्तुतः एक अभिकलक यंत्र (programmable machine) है जो दिये गये गणितीय तथा तार्किक संक्रियाओं को क्रम से स्वचालित रूप से करने में सक्षम है। इसे अंक गणितीय, तार्किक क्रियाओं व अन्य विभिन्न प्रकार की गणनाओं को सटीकता से पूर्ण करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से निर्देशित किया जा सकता है। चूंकि किसी भी कार्य योजना को पूर्ण करने के लिए निर्देशो का क्रम बदला जा सकता है इसलिए संगणक एक से ज्यादा तरह की कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। इस निर्देशन को ही कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग कहते है और संगणक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा की मदद से उपयोगकर्ता के निर्देशो को समझता है। यांत्रिक संगणक कई सदियों से मौजूद थे किंतु आजकल अभिकलित्र से आशय मुख्यतः बीसवीं सदी के मध्य में विकसित हुए विद्दुत चालित अभिकलित्र से है। तब से अबतक यह आकार में क्रमशः छोटा और संक्रिया की दृष्टि से अत्यधिक समर्थ होता गया हैं। अब अभिकलक घड़ी के अन्दर समा सकते हैं और विद्युत कोष (बैटरी) से चलाये जा सकते हैं। निजी अभिकलक के विभिन्न रूप जैसे कि सुवाह्य संगणक, टैबलेट आदि रोजमर्रा की जरूरत बन गए हैं। परंपरागत संगणकों में एक केंद्रीय संचालन इकाई (सीपीयू) और सूचना भन्डारण के लिए स्मृति होती है। संचालन इकाई अंकगणित व तार्किक गणनाओ को अंजाम देती है और एक अनुक्रमण व नियंत्रण इकाई स्मृति में रखे निर्देशो के आधार पर संचालन का क्रम बदल सकती है। परिधीय या सतह पे लगे उपकरण किसी बाहरी स्रोत से सूचना ले सकते है व कार्यवाही के फल को स्मृति में सुरक्षित रख सकते है व जरूरत पड़ने पर पुन: प्राप्त कर सकते हैं। एकीकृत परिपथ पर आधारित आधुनिक संगणक पुराने जमाने के संगणकों के मुकबले करोड़ो अरबो गुना ज्यादा समर्थ है और बहुत ही कम जगह लेते है। सामान्य संगणक इतने छोटे होते है कि मोबाइल फ़ोन में भी समा सकते है और मोबाइल संगणक एक छोटी सी विद्युत कोष (बैटरी) से मिली ऊर्जा से भी काम कर सकते है। ज्यादातर लोग “संगणकों” के बारे में यही राय रखते है कि अपने विभिन्न स्वरूपों में व्यक्तिगत संगणक सूचना प्रौद्योगिकी युग के नायक है। हालाँकि embedded system|सन्निहित संगणक जो कि ज्यादातर उपकरणों जैसे कि आंकिक श्रव्य वादक|एम.पी.३ वादक, वायुयान व खिलौनो से लेकर औद्योगिक मानव यन्त्र में पाये जाते है लोगो के बीच ज्यादा प्रचलित है। .

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कैड

कोई विवरण नहीं।

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

संगणक अनुकार, कम्प्यूटर सिमुलेशन, कम्प्यूटरी सिमुलेशन

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