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कपोलकल्पना

सूची कपोलकल्पना

कपोलकल्पना या काल्पनिक साहित्य (fiction; हिन्दी में फ़िक्शन) एक कहानी या अभिविन्यास हैं जो कल्पना से व्युत्पन्न होती हैं ― अन्य शब्दों में, जो इतिहास या तथ्यों पर सख्ती से आधारित न हो।William Harmon and C. Hugh Holman A Handbook to Literature (7th edition).

17 संबंधों: टेलीविजन कार्यक्रम, एनिमेशन, नाटक, पात्र (कलाशास्त्र), फ़िल्म, लघुकथा, लेखन, साहित्य, स्वैरकल्पना, विज्ञान कथा साहित्य, व्यंग-चित्रकार, वीडियो गेम, कथेतर साहित्य, कल्पना, कहानी, अभिविन्यास (कहानी), उपन्यास

टेलीविजन कार्यक्रम

टेलीविजन कार्यक्रम (या टीवी कार्यक्रम, टेलीविजन शो, टीवी शो) (Television show) किसी विज्ञापन, ट्रेलर या दर्शकों के लिए आकर्षण के हेतु न होने वाली सामग्री के किसी अन्य खंड के अलावा, ओवर-द-एयर, केबल टेलीविजन या इंटरनेट टेलीविजन पर प्रसारित करने के लिए सम्बन्धित प्रस्तुतियों की एक शृंखला हैं। शायद ही कभी यह एकल प्रस्तुति हो सकती है, जिसे टीवी प्रोग्राम कहा जाता है। किसी टेलीविजन कार्यक्रम के सीमित संख्याओं के प्रकरणों को एक मिनीसीरीज़ (लघुशृंखला) या सीरियल (धारावाहिक) या सीमित शृंखला कहा जा सकता है। किसी एक-बार प्रसारण को "विशेष" या ख़ासकर यूके में एक "विशेष प्रकरण" कहा जा सकता हैं। .

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एनिमेशन

चित्र:Animexample3edit.png उछलती हुई गेंद के एनिमेशन (नीचे) में 6 फ्रेम शामिल हैं। चित्र:Animexample.gif यह एनिमेशन 10 फ्रेम प्रति सेकण्ड की गति से चलता है। अनुप्राणन या एनिमेशन द्विआयामी और त्रिआयामी कलाकृतियों या निदर्श (मॉडल) की छवियों का, संचलन का भ्रम उत्पन्न करने के लिए तेजी से किया गया सिलसिलेवार प्रदर्शन है। यह दृष्टि की दृढ़ता के कारण उत्पन्न गति का एक प्रकाशीय भ्रम है और इसकी रचना और प्रदर्शन कई तरह से किया जा सकता है। एनिमेशन प्रस्तुत करने का सबसे आम तरीका एक चलचित्र या वीडियो कार्यक्रम के रूप में इसे प्रस्तुत करना है, हालांकि एनिमेशन कई अन्य रूपों में भी पेश किया जा सकता है। 2D एवं 3D कलाकृति को एक साथ एक निर्धारित दिशा में प्रदर्शित करने को ऐनीमेशन कहते हैं I ऐनीमेशन एक प्रकार का दृष्टी भ्रम भी हो सकता है I क्यों की ये सामान्य मानव नेत्र की दृष्टी छमता के कारण महसूस होता है I आप ऐनीमेशन को कई प्रकार से कर एवं महसूस कर सकते हैं I सबसे साधारण तरीका ये हैं कि आप इसे चलचित्र द्वारा प्रस्तुत करे I इस के अलावा इसे करने के और भी कई तरीके है .

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नाटक

नाटक, काव्य का एक रूप है। जो रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूति कराती है उसे नाटक या दृश्य-काव्य कहते हैं। नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है। नाट्यशास्त्र में लोक चेतना को नाटक के लेखन और मंचन की मूल प्रेरणा माना गया है। .

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पात्र (कलाशास्त्र)

पात्र (कभी-कभी फ़िक्शनल पात्र, कपोलकल्पित पात्र या काल्पनिक पात्र के रूप में प्रसिद्ध) किसी कहानी (जैसे कि उपन्यास, नाटक, टेलीविजन शृंखला, फ़िल्म, या वीडियो गेम) में कोई व्यक्ति या कोई अन्य जीव होता हैं। पात्र पूरी तरह कपोलकल्पित हो सकता है या वास्तविक जीवन के किसी व्यक्ति पर आधारित हो सकता है, जिस मामले में "कपोलकल्पित" बनाम "वास्तविक" पात्र का भेद किया जा सकता हैं। .

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फ़िल्म

फ़िल्म, चलचित्र अथवा सिनेमा में चित्रों को इस तरह एक के बाद एक प्रदर्शित किया जाता है जिससे गति का आभास होता है। फ़िल्में अकसर विडियो कैमरे से रिकार्ड करके बनाई जाती हैं, या फ़िर एनिमेशन विधियों या स्पैशल इफैक्ट्स का प्रयोग करके। आज ये मनोरंजन का महत्त्वपूर्ण साधन हैं लेकिन इनका प्रयोग कला-अभिव्यक्ति और शिक्षा के लिए भी होता है। भारत विश्व में सबसे अधिक फ़िल्में बनाता है। फ़िल्म उद्योग का मुख्य केन्द्र मुंबई है, जिसे अमरीका के फ़िल्मोत्पादन केन्द्र हॉलीवुड के नाम पर बॉलीवुड कहा जाता है। भारतीय फिल्मे विदेशो में भी देखी जाती है .

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लघुकथा

लघुकथा का मतलब छोटी कहानी से नहीं है, छोटी कहानी लघु कथा होती है जिसमें लघु और कथा के बीच में एक खाली स्थान होता है। .

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लेखन

भारत में लेखन ३३०० ईपू का है। सबसे पहले की लिपि ब्राह्मी लिपि थी, उसके पश्चात सरस्वती लिपि आई। देवनागरी लिपि, गुरुमुखी लिपि, आदि भी प्रसिद्ध लिपियाँ हैं। श्रेणी:लिपि kk:Жазу.

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साहित्य

किसी भाषा के वाचिक और लिखित (शास्त्रसमूह) को साहित्य कह सकते हैं। दुनिया में सबसे पुराना वाचिक साहित्य हमें आदिवासी भाषाओं में मिलता है। इस दृष्टि से आदिवासी साहित्य सभी साहित्य का मूल स्रोत है। .

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स्वैरकल्पना

स्वैरकल्पना (जिसे विलक्षण या फ़न्तासी भी कहते हैं) कपोलकल्पित ब्रम्हांड में आधारित कपोलकल्पना की एक विधा है, जिसमें अक्सर कोई भी स्थान, घटनाएँ, या लोग वास्तविक दुनिया से सन्दर्भ नहीं रखते हैं। इसकी जड़ें मौखिक परंपराओं में हैं, जो बाद में साहित्य और नाटक बन गईं। बीसवीं शताब्दी से यह फ़िल्म, टेलीविजन, ग्राफिक उपन्यास और वीडियो गेम सहित विभिन्न मीडिया में विस्तारित हुई है। यह एक फ़िल्मी विधा है जिसमें सामान्यतः जादू और पराप्राकृतिक परिघटनाओं को कथानक के प्राथमिक अवयव के रूप में दिखाया जाता है। स्वैरकल्पना अटकल कपोलकल्पना की एक उपविधा है। इसमें वैज्ञानिक और भयंकर थीमों के अभाव से, यह क्रमतः विज्ञान कपोलकल्पना और वीभत्स से अलग है, भले ही ये विधाएँ एक दूसरे का अतिच्छादन करती हैं। लोकप्रिय संस्कृति में, स्वैरकल्पना मुख्यतः मध्ययुगीन रूप की होती है। इसके व्यापक अर्थों में, हालांकि, स्वैरकल्पना में प्राचीन मिथकों और किंवदंतियों से कई लेखकों, कलाकारों, फिल्म निर्माताओं, और संगीतकारों द्वारा कार्यों से लेकर कई हालिया और लोकप्रिय कार्य शामिल हैं। .

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विज्ञान कथा साहित्य

विज्ञान कथा, काल्पनिक साहित्य की ही वह विधा है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संभावित परिवर्तनों को लेकर उपजी मानवीय प्रतिक्रिया को कथात्मक अभिव्यक्ति देती है। मेरी शेली की 'द फ्रन्केनस्टआईन' पहली विज्ञान कथात्मक कृति मानी जाती है। अमेरिका और ब्रिटेन में विगत सदी में बेह्तरीन विज्ञान कथाएं लिखी गयी है- आइजक आजीमोव, आर्थर सी क्लार्क, रोबर्ट हेनलीन प्रसिद्ध विज्ञान कथा लेखक रहे हैं। अब तीनों दिवंगत हैं। .

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व्यंग-चित्रकार

कार्टूनिस्ट या व्यंग चित्रकार उस व्यक्ति को कहा जाता है जिसके चित्र हास्य या व्यंग पर आधारित होते हैं। कार्टूनिस्ट अपने चित्रों या कार्टून में व्यक्ति विशेष के चेहरे, हाव-भाव, चरित्र, वेश-भूषा, कथानक और संवाद के माध्यम व्यंग या हास्य का समायोजन करता है। कार्टूनिस्ट को कई श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है जैसे: समाचार पत्र या पत्रिका में कार्य करने वाले राजनैतिक कार्टूनिस्ट या सम्पादकीय कार्टूनिस्ट, कार्टून श्रंखला या कॉमिक स्ट्रिप बनाने वाले कार्टूनिस्ट, तथा एनिमेशन फिल्मों के लिए कार्य करने वाले कार्टूनिस्ट। .

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वीडियो गेम

वीडियो गेम या वीडियो खेल ऐसे इलेक्ट्रॉनिक खेल होते है जिसमें यूज़र इंटरफ़ेस के साथ परस्पर क्रिया करके दृश्य प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है। वीडियो गेम खेलने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों को प्लेटफॉर्म या मंच के रूप में जाना जाता है। पर्सनल कम्प्यूटर और वीडियो गेम के लिये विशिष्ट तौर पर बनाई गई मशीन जिसे कंसोल कहते है, ज़्यादातर वीडियो गेम के लिये प्रयोग में लिये जाते हैं। आर्केड गेम के रूप में वीडियो गेम के, जो पहले आम थे, उपयोग में धीरे-धीरे गिरावट आई है। वीडियो गेम एक कला का रूप और उद्योग बन गया है। मुख्य रूप से वीडियो गेम में हेरफेर करने के लिए इस्तेमइस को खेल नियंत्रक कहा जाता है, जो प्लेटफार्मों भर में बदलता है। एक नियंत्रक, केवल एक बटन और एक जॉयस्टिक से मिलकर बन सकता है, जबकि कई में उदाहरण के लिए एक और एक दर्जन से अधिक बटन और एक या एक से अधिक जॉयस्टिक सुविधा हो सकती है। कई आधुनिक कंप्यूटर गेम खिलाड़ी को कीबोर्ड और साथ ही माउस का उपयोग करने की अनुमति देते हैं। हाल के वर्षों में, इनपुट के अतिरिक्त तरीके उभरे है जैसे वीडियो गेम कंसोल के लिए कैमरा आधारित खिलाड़ी अवलोकन और मोबाइल उपकरणों के लिये टचस्क्रीन। .

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कथेतर साहित्य

कथेतर साहित्य साहित्य की वह शाखा है जिसमें दर्शाए गए स्थान, व्यक्ति, घटनाएँ और सन्दर्भ पूर्णतः वास्तविकता पर ही आधारित होते हैं। इसके विपरीत कपोलकल्पना है जिसमें कथाएँ कुछ मात्रा में या पूरी तरह लेखक की कल्पना पर आधारित होतीं हैं और उन में कुछ तत्व वास्तविकता से हट के होते हैं। .

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कल्पना

विगत प्रत्यक्षानात्मक अनुभवों (पास्ट पर्सेप्चुअल एक्स्पीरिएन्सेज़) का बिंबों और विचारों (इमेजेज़ ऐंड आइडियाज़) के रूप में, विचारणात्मक स्तर पर, रचनात्मक नियोजन कल्पना (इमैजिनेशन) है। कल्पना की मानसिक प्रक्रिया के अतंर्गत वास्तव में दो प्रकार की मानसिक प्रक्रियाएँ निहित हैं – प्रथम, विगत संवेदनशीलताओं का प्रतिस्मरण, बिंबों एवं विचारों के रूप अर्थात स्मृति, द्वितीय, उन प्रतिस्मृत अनुभवों की एक नए संयोजन में रचना। लेकिन कल्पना में इन दोनों प्रकार की क्रियाओं का इतना अधिक सम्मिश्रण रहता है कि न तो इनका अलग-अलग अध्ययन ही किया जा सकता है और न इनकी अलग-अलग स्पष्ट अनुभूति ही व्यक्तिविशेष को हो पाती है। इसी कारण कल्पना को एक उच्चस्तरीय जटिल प्रकार की मानसिक प्रक्रिया कहा जाता है। .

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कहानी

कथाकार (एक प्राचीन कलाकृति)कहानी हिन्दी में गद्य लेखन की एक विधा है। उन्नीसवीं सदी में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ जिसे कहानी के नाम से जाना गया। बंगला में इसे गल्प कहा जाता है। कहानी ने अंग्रेजी से हिंदी तक की यात्रा बंगला के माध्यम से की। कहानी गद्य कथा साहित्य का एक अन्यतम भेद तथा उपन्यास से भी अधिक लोकप्रिय साहित्य का रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सुनना मानव का आदिम स्वभाव बन गया। इसी कारण से प्रत्येक सभ्य तथा असभ्य समाज में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में कहानियों की बड़ी लंबी और सम्पन्न परंपरा रही है। वेदों, उपनिषदों तथा ब्राह्मणों में वर्णित 'यम-यमी', 'पुरुरवा-उर्वशी', 'सौपणीं-काद्रव', 'सनत्कुमार- नारद', 'गंगावतरण', 'श्रृंग', 'नहुष', 'ययाति', 'शकुन्तला', 'नल-दमयन्ती' जैसे आख्यान कहानी के ही प्राचीन रूप हैं। प्राचीनकाल में सदियों तक प्रचलित वीरों तथा राजाओं के शौर्य, प्रेम, न्याय, ज्ञान, वैराग्य, साहस, समुद्री यात्रा, अगम्य पर्वतीय प्रदेशों में प्राणियों का अस्तित्व आदि की कथाएँ, जिनकी कथानक घटना प्रधान हुआ करती थीं, भी कहानी के ही रूप हैं। 'गुणढ्य' की "वृहत्कथा" को, जिसमें 'उदयन', 'वासवदत्ता', समुद्री व्यापारियों, राजकुमार तथा राजकुमारियों के पराक्रम की घटना प्रधान कथाओं का बाहुल्य है, प्राचीनतम रचना कहा जा सकता है। वृहत्कथा का प्रभाव 'दण्डी' के "दशकुमार चरित", 'बाणभट्ट' की "कादम्बरी", 'सुबन्धु' की "वासवदत्ता", 'धनपाल' की "तिलकमंजरी", 'सोमदेव' के "यशस्तिलक" तथा "मालतीमाधव", "अभिज्ञान शाकुन्तलम्", "मालविकाग्निमित्र", "विक्रमोर्वशीय", "रत्नावली", "मृच्छकटिकम्" जैसे अन्य काव्यग्रंथों पर साफ-साफ परिलक्षित होता है। इसके पश्‍चात् छोटे आकार वाली "पंचतंत्र", "हितोपदेश", "बेताल पच्चीसी", "सिंहासन बत्तीसी", "शुक सप्तति", "कथा सरित्सागर", "भोजप्रबन्ध" जैसी साहित्यिक एवं कलात्मक कहानियों का युग आया। इन कहानियों से श्रोताओं को मनोरंजन के साथ ही साथ नीति का उपदेश भी प्राप्त होता है। प्रायः कहानियों में असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की और अधर्म पर धर्म की विजय दिखाई गई हैं। .

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अभिविन्यास (कहानी)

अभिविन्यास (setting; हिन्दी में सेटिंग) किसी कहानी के भीतर या किसी कपोलकल्पना की कृति के भीतर समय और भौगोलिक अवस्थिति दोनों हैं।.

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उपन्यास

उपन्यास गद्य लेखन की एक विधा है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

कथा साहित्य, काल्पनिक साहित्य

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