भारत के मस्तक पर मुकुट के समान सजे हिमालय के धवल शिखरों पर हमने आप को घुमाया और अब लिए चलते हैं, भारतभूमि के अंतिम छोर पर..अर्थात कन्याकुमारी.छुटपन में जब हम कन्याकुमारी घूमने गए तब बस से उतरते ही अपने जीवन में पहली बार समुन्दर देखा.दूर तक फैली हुई नीली चादर की तरह, बहुत शांत बहता सा, इतना खूबसूरत लगा था कि वह नज़ारा अब तक आँखों में बसा है। कन्या कुमारी तमिलनाडु प्रान्त के सुदूर दक्षिण तट पर बसा एक शहर है। यह हिन्द महासागर, बंगाल की खाङी तथा अरब सागर का संगम स्थल है, जहां भिन्न सागर अपने विभिन्न रंगो से मनोरम छटा बिखेरते हैं। यह स्थान वर्षो से कला, संस्कृति, सभ्यता का प्रतीक रहा है। सागर-त्रय के संगम की इस दिव्यभूमि पर मां भगवती देवी कुमारी के रूप में विद्यमान हैं। इस पवित्र स्थान को एलेक्जेंड्रिया ऑफ ईस्ट की उपमा से विदेशी सैलानियों ने नवाजा है। यहां पहुंच कर लगता है मानो पूर्व में सभ्यता की शुरुआत यहीं से हुई होगी। अंग्रेजों ने इस स्थल को केप कोमोरिन कहा था। यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद आकर्षक लगता हैं। केरल राज्य के तिरुअनंतपुरम के बेहद निकट है। पहले यह शहर केरल राज्य में ही था। इस लिए भी अधिकतर लोग यहाँ मलयालम भाषी ही मिलेंगे.
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