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कनिष्क स्तूप

सूची कनिष्क स्तूप

कनिष्क स्तूप, कनिष्क द्वारा द्वितीय शताब्दी में निर्मित स्तूप है। यह पेशावर (पाकिस्तान) के बाहरी क्षेत्र में स्थित है। .

6 संबंधों: पाकिस्तान, पेशावर, म्यान्मार, स्तूप, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा, कनिष्क

पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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पेशावर

पेशावर पाकिस्तान का एक शहर है। यह ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रान्त की राजधानी है। पेशावर उल्लेख पुराने पुस्तकों में "पुरुषपुर" के नाम से मिलता है। इस उपमहाद्वीप के प्राचीन शहरों में से एक है। पेशावर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और कबायली इलाकों के वाणिज्यिक केंद्र है। पेशावर में पश्तो भाषा बोली जाती है लेकिन जब उर्दू पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा है इसलिए उर्दू भी माना जाता है। .

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म्यान्मार

म्यांमार यो ब्रह्मदेश दक्षिण एशिया का एक देश है। इसका आधुनिक बर्मी नाम 'मयन्मा' (မြန်မာ .

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स्तूप

अशोक महान द्वारा बनवाया गया महान साँची का स्तूप, भारत सारनाथ का धमेक स्तूप, उत्तरपूर्वी भारत मे स्थित सबसे पुराना स्तूप है। स्तूप (संस्कृत और पालि: से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ "ढेर" होता है) एक गोल टीले के आकार की संरचना है जिसका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिए किया जाता है। माना जाता है कभी यह बौद्ध प्रार्थना स्थल होते थे। महापरिनर्वाण सूत्र में महात्मा बुद्ध अपने शिष्य आनन्द से कहते हैं- "मेरी मृत्यु के अनन्तर मेरे अवशेषों पर उसी प्रकार का स्तूप बनाया जाये जिस प्रकार चक्रवर्ती राजाओं के अवशेषों पर बनते हैं- (दीघनिकाय- १४/५/११)। स्तूप समाधि, अवशेषों अथवा चिता पर स्मृति स्वरूप निर्मित किया गया, अर्द्धाकार टीला होता था। इसी स्तूप को चैत्य भी कहा गया है।  स्तूप मंडल का पुरातन रूप हैं। .

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ख़ैबर पख़्तूनख़्वा

मकरा चोटी ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा (पहले:उत्तर पश्चिम सीमांत प्रान्त) पाकिस्तान का एक प्रान्त या सूबा है। इसे सूबा-ए-सरहद के नाम से भी जाना जाता है जो अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर स्थित है। यहाँ पर पश्तूनों की आबादी अधिक है जिन्हें स्थानीय रूप से पख़्तून भी कहते हैं। इनकी मातृभाषा पश्तो है। इस प्रांत की जनसंख्या करीब 2 करोड़ है जिसमें अफ़ग़ानिस्तान से आए शरणार्थियों की 15 लाख की आबादी सम्मिलित नहीं है। .

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कनिष्क

कनिष्क प्रथम (Κανηϸκι, Kaneshki; मध्य चीनी भाषा: 迦腻色伽 (Ka-ni-sak-ka > नवीन चीनी भाषा: Jianisejia)), या कनिष्क महान, द्वितीय शताब्दी (१२७ – १५० ई.) में कुषाण राजवंश का भारत का एक महान् सम्राट था। वह अपने सैन्य, राजनैतिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धियों तथा कौशल हेतु प्रख्यात था। इस सम्राट को भारतीय इतिहास एवं मध्य एशिया के इतिहास में अपनी विजय, धार्मिक प्रवृत्ति, साहित्य तथा कला का प्रेमी होने के नाते विशेष स्थान मिलता है। कुषाण वंश के संस्थापक कुजुल कडफिसेस का ही एक वंशज, कनिष्क बख्त्रिया से इस साम्राज्य पर सत्तारूढ हुआ, जिसकी गणना एशिया के महानतम शासकों में की जाती है, क्योंकि इसका साम्राज्य तरीम बेसिन में तुर्फन से लेकर गांगेय मैदान में पाटलिपुत्र तक रहा था जिसमें मध्य एशिया के आधुनिक उजबेकिस्तान तजाकिस्तान, चीन के आधुनिक सिक्यांग एवं कांसू प्रान्त से लेकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और समस्त उत्तर भारत में बिहार एवं उड़ीसा तक आते हैं। पर कुषाण।अभिगमन तिथि: १५ फ़रवरी, २०१७ इस साम्राज्य की मुख्य राजधानी पेशावर (वर्तमान में पाकिस्तान, तत्कालीन भारत के) गाँधार प्रान्त के नगर पुरुषपुर में थी। इसके अलावा दो अन्य बड़ी राजधानियां प्राचीन कपिशा में भी थीं। उसकी विजय यात्राओं तथा बौद्ध धर्म के प्रति आस्था ने रेशम मार्ग के विकास तथा उस रास्ते गांधार से काराकोरम पर्वतमाला के पार होते हुए चीन तक महायान बौद्ध धर्म के विस्तार में विशेष भूमिका निभायी। पहले के इतिहासवेत्ताओं के अनुसार कनिष्क ने राजगद्दी ७८ ई० में प्राप्त की, एवं तभी इस वर्ष को शक संवत् के आरम्भ की तिथि माना जाता है। हालांकि बाद के इतिहासकारों के मतानुसार अब इस तिथि को कनिष्क के सत्तारूढ़ होने की तिथि नहीं माना जाता है। इनके अनुमानानुसार कनिष्क ने सत्ता १२७ ई० में प्राप्त की थी। .

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