6 संबंधों: प्लूटो, बृहस्पति, यूरोपा (उपग्रह), वरुण (ग्रह), गैनिमीड (उपग्रह), आयो (उपग्रह)।
प्लूटो
प्लूटो के अनेक अर्थ हो सकते हैं| कृपया अपना वांछित अर्थ निम्नलिखित में से चुनें| प्लूटो (अंग्रेज़ी::en:Pluto (mythology), लातिनी: Pluto प्लूतो) प्राचीन रोमन धर्म के देवता| प्लूटो ग्रह सौर मण्डल का सबसे बाहरी ग्रह है। प्लूटो ज्योतिष में | प्लूटो वाल्ट डिज़्नी का एक कार्टून पात्र है | श्रेणी:रोम के देवी-देवता श्रेणी:रोमन धर्म.
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बृहस्पति
कोई विवरण नहीं।
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यूरोपा (उपग्रह)
यूरोपा (Europa), हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का चौथा सब से बड़ा उपग्रह है। इसका व्यास (डायामीटर) लगभग 3,138 किमी है जो हमारे चन्द्रमा से चंद किलोमीटर ही छोटा है। .
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वरुण (ग्रह)
वरुण, नॅप्टयून या नॅप्चयून हमारे सौर मण्डल में सूर्य से आठवाँ ग्रह है। व्यास के आधार पर यह सौर मण्डल का चौथा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर तीसरा बड़ा ग्रह है। वरुण का द्रव्यमान पृथ्वी से १७ गुना अधिक है और अपने पड़ौसी ग्रह अरुण (युरेनस) से थोड़ा अधिक है। खगोलीय इकाई के हिसाब से वरुण की कक्षा सूरज से ३०.१ ख॰ई॰ की औसत दूरी पर है, यानि वरुण पृथ्वी के मुक़ाबले में सूरज से लगभग तीस गुना अधिक दूर है। वरुण को सूरज की एक पूरी परिक्रमा करने में १६४.७९ वर्ष लगते हैं, यानि एक वरुण वर्ष १६४.७९ पृथ्वी वर्षों के बराबर है। हमारे सौर मण्डल में चार ग्रहों को गैस दानव कहा जाता है, क्योंकि इनमें मिटटी-पत्थर की बजाय अधिकतर गैस है और इनका आकार बहुत ही विशाल है। वरुण इनमे से एक है - बाकी तीन बृहस्पति, शनि और अरुण (युरेनस) हैं। इनमें से अरुण की बनावट वरुण से बहुत मिलती-जुलती है। अरुण और वरुण के वातावरण में बृहस्पति और शनि के तुलना में बर्फ़ अधिक है - पानी की बर्फ़ के अतिरिक्त इनमें जमी हुई अमोनिया और मीथेन गैसों की बर्फ़ भी है। इसलिए कभी-कभी खगोलशास्त्री इन दोनों को "बर्फ़ीले गैस दानव" नाम की श्रेणी में डाल देते हैं। .
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गैनिमीड (उपग्रह)
गैनीमीड का अंदरूनी ढांचा - सब से बाहर सख़्त बर्फ़ की पर्त, फिर पानी का महासागर, फिर एक पथरीला गोला और केंद्र में लोहे और अन्य धातुओं का गोला गैनिमीड हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का सब से बड़ा उपग्रह है और यह पूरे सौर मंडल का भी सब से बड़ा चन्द्रमा है। इसका व्यास (डायामीटर) 5,268 किमी है, जो बुध ग्रह से भी 8% बड़ा है। इसका द्रव्यमान भी सौर मंडल के सारे चंद्रमाओं में सबसे ज़्यादा है और पृथ्वी के चन्द्रमा का 2.2 गुना है। .
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आयो (उपग्रह)
आयो (Io), हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का तीसरा सब से बड़ा उपग्रह है और यह पूरे सौर मंडल का चौथा सब से बड़ा चन्द्रमा है। आयो का व्यास (डायामीटर) 3,642 किमी है। बृहस्पति के चार प्रमुख उपग्रहों (गैनिमीड, कलिस्टो, आयो और यूरोपा) में यह बृहस्पति की सब से क़रीबी कक्षा में परिक्रमा करने वाला चन्द्रमा है। बृहस्पति के इतना समीप होने की वजह से उस ग्रह के भयंकर गुरुत्वाकर्षण से पैदा होने वाला ज्वारभाटा बल आयो को गूंथता रहता है जिस से इस उपग्रह पर बहुत से ज्वालामुखी हैं। सन् 2010 तक आयो पर 400 से भी अधिक सक्रीय ज्वालामुखी गिने जा चुके थे। पूरे सौर मंडल में और कोई वस्तु नहीं जहाँ आयो से ज़्यादा भौगोलिक उथल-पुथल हो रही हो। सौर मंडल के बाहरी चंद्रमाओं की बनावट में ज़्यादातर बर्फ़ की बहुतायत होती है लेकिन आयो पर ऐसा नहीं है। आयो अधिकतर पत्थरीले पदार्थों का बना हुआ है। .