5 संबंधों: मानव शारीरिकी, संधि (शरीररचना), स्नायु, हाथ, उपास्थि।
मानव शारीरिकी
नर और मादा मानव शरीरों की ऊपरी विशेषताएँ वयस्क मानव (स्त्री तथा पुरूष) के शरीर की संरचना (morphology) का वैज्ञानिक अध्ययन, मानव शरीर-रचना विज्ञान या मानव शारीरिकी (human anatomy) के अन्तर्गत किया जाता है। मानव शरीर कई तन्त्रों से बना है। तंत्र, कई अंगों से मिलकर बनते हैं। अंग, भिन्न-भिन्न प्रकार के ऊतकों से बने होते हैं। ऊतक, कोशिकाओं से बने होते हैं। .
नई!!: कंधा और मानव शारीरिकी · और देखें »
संधि (शरीररचना)
400px संधि या जोड़ (जर्मन: Gelenke, फ्रेंच: Articulations, अंग्रेज़ी: Joints) शरीर के उन स्थानों को कहते हैं, जहाँ दो अस्थियाँ एक दूसरे से मिलती है, जैसे कंधे, कुहनी या कूल्हे की संधि। इनका निर्माण शरीर में गति सुलभ करने और यांत्रिक आधार हेतु होता है। इनका वर्गीकरण संरचना और इनके प्रकार्यों के आधार पर होता है। .
नई!!: कंधा और संधि (शरीररचना) · और देखें »
स्नायु
घुटने के जोड़ के स्नायु (लिगामेन्ट) शरीररचना विज्ञान (anatomy) में स्नायु या लिगामेन्ट (ligament) तीन भिन्न प्रकार की संरचनाओं के लिये प्रयोग किया जाता है-.
नई!!: कंधा और स्नायु · और देखें »
हाथ
Tupaia javanica, Homo sapiens हाथ (med./लैटिन: manus, pl. manūs) मानव एवं अन्य अधिकतर मनुष्य-सदृश चतुष्पाद कशेरुकी पशुओं के अगले पादों के जोड़े को कहते हैं, जिसके छोर पर कई (प्रायः पांच) अंगुलियां होती हैं। .
नई!!: कंधा और हाथ · और देखें »
उपास्थि
सूक्ष्मदर्शी से देखने पर केटिलेज उपास्थि मानव शरीर एवं अन्य प्राणियों में पाया जाने वाला लचीला संयोजी उत्तक है। यह हमारी मज्जा में स्थापित कॉन्ड्रोसाइट्स कोशिकाओं से बने होते हैं। कान की हड्डी, नाक की हड्डी, अस्थियों के जोड़ आदि उपास्थि के बने हैं। उपास्थि की संरचना के अनुसार ये कोलेजन या एलॉस्टिन के बने होते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं- हाइलीन उपास्थि, एलास्टिक और फाइब्रो उपास्थि। उपास्थि शरीर के ऊतकों को मजबूत बनाने का काम करते हैं। ये हमारे शरीर के जोड़ों को लचीला भी बनाते हैं। इसकी मौजूदगी की वजह से ही हमारे शरीर के कई अंग सुचारू रूप से काम करते हैं। उपास्थि रक्त वाहिकाओं से जुड़े नहीं होते बल्कि इनके अंदर पोषक तत्व बिखरा रहता है। आमतौर पर ये लचीले होते हैं लेकिन जरूरत और प्रकार के हिसाब से इनकी प्रकृति में अंतर होता है। कुछ ऐसे अंग जिनमें उपास्थि पाया जाता है, वे हैं- कान, नाक, पंजर और इंटरवर्टीब्रल डिस्क। तीन तरह के उपास्थि में हाइलीन को ही आमतौर पर उपास्थि कहा जाता है क्योंकि शरीर में ज्यादातर हाइलीन उपास्थि ही होता है। यह हड्डियों को जोड़ों में बांटता है ताकि वे मुड़कर सहजता से काम कर सकें। हाइलीन उपास्थि आमतौर पर कोलेजन फाइबर का बना होता है। लोचदार उपास्थि बाकी अन्य उपास्थि से ज्यादा लचीले होते हैं क्योंकि इनमें एलॉस्टिन फाइबर पाया जाता है। इस तरह का उपास्थि कान के बाहरी हिस्से (जिसे लैरिक्स कहते हैं) और यूस्टेशियन ट्यूब में मौजूद होता है। लचीला होने के कारण यह इन अंगों की संरचना को बेहतर संतुलित करता है, जिससे कान में बाहर रहने वाली गोलाकार संरचना खुली रह सके। फाइब्रो उपास्थि तीनों उपास्थि में सबसे अधिक मजबूत और दृढ़ संरचना वाला होता है। इसमें हाइलीन उपास्थि से ज्यादा टाइप वन कोलेजन होते हैं, जो टाइप सेकेंड से ज्यादा मजबूत होते हैं। फाइब्रो उपास्थि अंतरवर्टीबल डिस्क का निर्माण करते हैं। इसके अलावा ये शिराओं और अस्थिमज्जा को हड्डियों से जोड़ने का काम भी करते हैं। हाइलीन उपास्थि क्षतिग्रस्त होने पर फाइब्रो उपास्थि में बदल जाते हैं। हालांकि दृढ़ता की वजह से इन उपास्थि का वजन कम होता है। .
नई!!: कंधा और उपास्थि · और देखें »