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ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम पर नामकरण

सूची ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम पर नामकरण

यह सूची लगभग अधूरी है। कृपया इसका विस्तार करने में मदद करें। बहुत से चीजें फ्रांसीसी गणितज्ञ ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम पर किये गए नामकरण की गई.

17 संबंधों: फ़्रान्सीसी भाषा, बीने–कौशी तत्समक, ओग्युस्तें लुई कौशी, कौशी बंटन, कौशी समस्या, कौशी समाकल प्रमेय, कौशी समाकल सूत्र, कौशी समीकरण, कौशी संघनन परीक्षण, कौशी संवेग समीकरण, कौशी गुणनफल, कौशी आव्यूह, कौशी अनुक्रम, कौशी अभिसरण परीक्षण, कौशी-आयलर समीकरण, कोशी रीमान समीकरण, कोशी की मूल परीक्षा

फ़्रान्सीसी भाषा

फ़्रांसीसी भाषा (फ़्रांसीसी: français उच्चारण: फ़्रांसे) एक रोमांस भाषा है जो विश्वभर में लगभग ९ करोड़ लोगों द्वारा प्रथम भाषा के रूप में बोली जाती है। मूल रूप से इस भाषा को बोलने वाले अधिकांश लोग फ़्राँस में रहते हैं जहाँ इस भाषा का जन्म हुआ था। इस भाषा को बोलने वाले अन्य क्षेत्र ये हैं- अधिकांश कनाडा, बेल्जियम, स्विटज़रलैंड, अफ़्रीकी फ़्रेंकोफ़ोन, लक्ज़म्बर्ग और मोनाको। फ्रांसी भाषा १९ करोड़ लोगों द्वारा दूसरी भाषा के रूप में और अन्य २० करोड़ द्वारा अधिग्रहित भाषा के रूप में बोली जाती है। विश्व के ५४ देशों में इस भाषा को बोलने वालों की अच्छी भली संख्या है। फ़्रांसीसी रोमन साम्राज्य की लैटिन भाषा से निकली भाषा है, जैसे अन्य राष्ट्रीय भाषाएँ - पुर्तगाली, स्पैनिश, इटालियन, रोमानियन और अन्य अल्पसंख्यक भाषाएँ जैसे कैटेलान इत्यादि। इस भाषा के विकासक्रम में इसपर मूल रोमन गौल की कैल्टिक भाषाओं और बाद के रोमन फ़्रैकिश आक्रमणकारियों की जर्मनेक भाषा का प्रभाव पड़ा। यह २९ देशों में एक आधिकारिक भाषा है, जिनमें से अधिकांशतः ला फ़्रेंकोफ़ोनी नामक फ़्रांसीसी भाषी देशों के समुह से हैं। यह सयुंक्त राष्ट्र की सभी संस्थाओं की और अन्य बहुत से अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भी आधिकारिक भाषा है। यूरोपीय संघ के अनुसार, उसके २७ सदस्य राष्ट्रों के १२.९ करोड़ (४९,७१,९८,७४० का २६%) लोग फ़्रांसीसी बोल सकते हैं, किसमें से ६.५ करोड़ (१२%) मूलभाष्ई हैं और ६.९ करोड़ (१४%) इसे दूसरी भाषा के रूप में बोल सकते हैं, जो इसे अंग्रेज़ी और जर्मन के बाद संघ की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा बनाता है। इसके अतिरिक्त २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेज़ी के अधिरोहण से पहले, फ़्रांसीसी यूरोपीय और औपनिवेशिक शक्तियों के मध्य कूटनीति और संवाद की प्रमुख भाषा थी और साथ ही साथ यूरोप के शिक्षित वर्ग की बोलचाल की भाषा भी थी। .

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बीने–कौशी तत्समक

बीजगणित में, बीने–कौशी तत्समक को जैक्स फिलिप मारी बिने और ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम पर नामाकरण किया, जिसके अनुसार \biggl(\sum_^n a_i c_i\biggr) \biggl(\sum_^n b_j d_j\biggr) .

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ओग्युस्तें लुई कौशी

ओग्युस्तें लुई कोशी ओग्युस्तें लुई कोशी (Augustin Louis Cauchy / 21 अगस्त 1789 – 23 मई 1857 ई.) फ्रांस के गणितज्ञ थे। वे गणितीय विश्लेषण के अग्रदूत थे। इसके अलावा उन्होने अनन्त श्रेणियों के अभिसार/अपसार, अवकल समीकरण, सारणिक, प्रायिकता एवं गणितीय भौतिकी में भी उल्लेखनीय दोगदान दिया। वे फ्रांस की विज्ञान अकादमी के सदस्य तथा 'इकोल पॉलीटेक्निक' (इंजीनियरी महाविद्यलय) के प्रोफेसर भी थे। कौशी के नाम पर जितने प्रमेयों एवं संकल्पनाओं (concepts) का नामकरण हुआ है, उतना किसी और गणितज्ञ के नाम पर नहीं। उन्होने अपने जीवनकाल में ८०० शोधपत्र तथा पाँच पाठ्यपुस्तकें लिखी। .

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कौशी बंटन

कौशी बंटन, जिसका नामकरण ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम से किया गया एक सतत प्रयिकता बंटन है। इसे विशेष रूप से भौतिक विज्ञानियों में लोरेंज बंटन (हेंड्रिक लारेंज़ के नाम से नामकरण), कौशी-लोरेंज बंटन, लोरेंजीय फलन या ब्राइट-विग्नर बंटन के रूप में भी जाना जाता है। सरलतम कौशी बंटन को मानक कौशी बंटन कहा जाता है। यह यादृच्छिक चरों का बंटन है जो दो स्वतंत्र मानक प्रसामान्य यादृच्छिक चरों का अनुपात है। इसका प्रायिकता घनत्व फलन निम्न है इसका संचयी बंटन फलन व्युत्क्रम स्पर्शज्या फलन arctan(x) की आकृति रखता है: श्रेणी:कौशी नामकरण.

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कौशी समस्या

कौशी समस्या गणित में उन आंशिक अवकल समीकरणों के हल से सम्बंधित है जो कुछ शर्तों का पालन करती हैं जो प्रांत के ऊनविम पृष्‍ठ पर दिए गये हैं। कौशी समस्या एक प्रारंभिक मान समस्या अथवा एक परिसीमा मान समस्या (इसके लिए कौशी परिसीमा प्रतिबंध देखें।) हो सकती है लेकिन यह इनमें से कोई भी नहीं है। इसका नामकरण ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम से किया गया। माना Rn पर एक आंशिक अवकल समीकरण परिभाषित की जाती है और माना n − 1 विमा का एक मसृण प्रसमष्‍टि S ⊂ Rn है (S को कौशी फलक भी कहते हैं)। तब कौशी समस्या द्वारा अवकल समीकरण का हल u ज्ञात किया जाता है जो निम्न समीकरण को सन्तुष्ट करता है: जहाँ f_k, S (जिसे समस्या के लिए एकत्र रूप से कौशी डाटा के नाम से भी जाना जाता है) पर परिभाषित फलन है, n, S पर अभिलंब सदिश सदिश है और κ अवकल समीकरण की कोटि को दर्शाता है। कौशी–कोवलेस्किआ प्रमेय के अनुसार कुछ प्रतिबन्धों के अन्तर्गत कौशी समस्या का हल अद्वितीय होता है, जिनमें से महत्वपूर्ण यह है कि कौशी डाटा और आंशिक अवकल समीकरण के गुणांक वास्तविक विश्लेषी फलन होते हैं। .

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कौशी समाकल प्रमेय

गणित में, ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम से नामकरण किया गया सम्मिश्र विश्लेषण कौशी समाकल प्रमेय (इसे कौशी-गूर्सा प्रमेय के नाम से भी जानते हैं।) (Cauchy integral theorem), title.

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कौशी समाकल सूत्र

गणित में, कौशी समाकल सूत्र (cauchy's Integral formula) सम्मिश्र विश्‍लेषण में महत्वपूर्ण सूत्र है। इसका नाम ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम पर किया गया है। इसके अनुसार किसी चकती पर परिभषित होलोमार्फिक फलन को चकती की सीमा पर इसके मान से पूर्णतया ज्ञात किया जा सकता है और यह सभी होलोमार्फिक फलनों के अवकलनों लिए समाकल सूत्र भी प्रदान कराता है। कौशी सूत्र के अनुसार सम्मिश्र विश्लेषण में "अवकलन, समाकलन के तुल्य है"। .

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कौशी समीकरण

कौशी समीकरण एक विशेष पारदर्शी पदार्थ के लिए प्रकाश के अपवर्तनांक और तरंगदैर्घ्य के मध्य आनुभाविक सम्बन्ध है। इसका नामकरण महान गणितज्ञ ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम से किया गया, जिन्होनें इसे १८३६ में परिभषित किया था। .

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कौशी संघनन परीक्षण

ऑगस्टिन लुइस कौशी गणित में कौशी संघनन परीक्षण, जिसे ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम से नामकरण किया गया एक अनन्त श्रेणी एक लिए मानक अभिसरण परीक्षण है। धनात्मक ह्रासमान अनुक्रम f(n) के लिए अभिसारी है यदि और केवल यदि अभिसारी है। इसके अतिरिक्त, इस अवस्था में एक ज्यामितिय दृश्य यह है कि हम प्रत्येक 2^ पर समलंबाभ सहित योग को सन्निकटक करते हैं। इसको अन्य रूप में इस प्रकार लिख सकते हैं कि समाकलन और निश्चित योग के मध्य अनुक्रम के लिए, 'संघनन' के व्यंजक चरघातांकी फलन के प्रतिस्थापन के अनुरूप है। यह निम्न उदाहरण से स्पष्ट है यहाँ श्रेणी a > 1 के लिए अभिसारी है और a \sum n^ (\log n)^.

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कौशी संवेग समीकरण

कौशी स्ंवेग समीकराण् अथवा, पदार्थ व्युत्पन्न से व्याख्या करने पर, जहाँ \rho सांतत्यक का घनत्व, \boldsymbol प्रतिबल प्रदिश है और \mathbf पिण्ड के इकाई आयतन पर कार्यरत सभी बलों के का संयोजन है (सामान्यत: घनत्व और गुरुत्व)। \mathbf वेग सदिश क्षेत्र है जो दिक्-काल पर निर्भर करता है। प्रतिबल प्रदिश कभी-कभी दाब और विचलनात्मक प्रतिबल प्रदिश में विपाटित हो जाता है: जहाँ \scriptstyle \mathbb, \scriptstyle 3 \times 3 की तत्समक आव्यूह (ईकाई आव्यूह) है और \scriptstyle \mathbb विचलनात्मक प्रतिबल प्रदिश। प्रतिबल प्रदिश का अपसरण निम्न प्रकार लिखा जा सकता है सभी अनापेक्षिक संवेग संरक्षण समीकरण, जैसे नेवियर-स्टोक्स समीकरण, को कौशी संवेग समीकरण और संघटक सम्बंध द्वारा प्रतिबल प्रदिश को निर्दिष्ट करते हुए व्युत्पित किया जा सकता है। .

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कौशी गुणनफल

गणित में दो अनुक्रमों \textstyle (a_n)_, \textstyle (b_n)_ का कौशी गुणनफल दो अनुक्रमों का विविक्त संवलन अनुक्रम \textstyle (c_n)_ है जिसका व्यापक पद निम्नलिखित है अन्य शब्दों में यह एक अनुक्रम है जिससे सम्बद्ध सामान्य घात श्रेणी \textstyle \sum_^\infty c_nX^n समान रूप से सम्बद्ध (a_n)_ और (b_n)_ की श्रेणियों का गुणनफल है। .

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कौशी आव्यूह

गणित में कौशी के नाम से नामकरण किया गया कौशी आव्यूह अथवा कौशी मैट्रिक्स एक m×n का आव्यूह है जहाँ aij निम्न प्रकार परिभाषित है a_.

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कौशी अनुक्रम

गणित में कौशी अनुक्रम जिसे ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम सम्मान में नामित किया गया एक अनुक्रम है जिसके अवयव एक अनुक्रम प्रक्रिया के रूप में एक दूसरे के यादृच्छिक संवृत वर्ग में होते हैं। .

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कौशी अभिसरण परीक्षण

कौशी अभिसरण परीक्षण किसी अनन्त श्रेणी के अभिसरण के परीक्षण के लिए काम में लिया जाता है। एक श्रेणी सभी ai वास्तविक अथवा सम्मिश्र के लिए यह योग के लिए अभिसारी है यदि और केवल यदि ∀ \varepsilon>0 एक प्राकृतिक संख्या N इस प्रकार है कि ∀ और.

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कौशी-आयलर समीकरण

गणित में, कौशी-आयलर समीकरण (इसे आयलर-कौशी समीकरण और साधरणतया आयलर समीकरण के रूप में भी जाना जाता है।) चर गुणांक सहित रैखिक समघात साधारण अवकल समीकरण है। कभी कभी इसे समविमीय समीकरण के के रूप में भी निर्दिष्ट किया जाता है। इसकी साधारण सरंचना के कारण इस समीकरण को नियत गुणांकों के साथ तुल्य समीकरण से प्रतिस्थापित किया जा सकता है जिसे स्पष्टतया हल किया जा सकता है। .

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कोशी रीमान समीकरण

गणित में सम्मिश्र विश्‍लेषण के क्षेत्र में कोशी-रीमान समीकरण (Cauchy–Riemann equations) दो आंशिक अवकल समीकरणों की प्रणाली (system of two partial differential equations) है। ये समीकरण अवश्य ही संतुष्ट होंगे यदि दिया हुआ समिश्र फलन समिश्र-अवकलनिय (complex differentiable) है। समीकरण का यह नाम अगस्तिन कोशी (Augustin Cauchy) और बर्नार्ड रीमान (Bernhard Riemann) के नम पर पड़ा है। इसके अलावा, समिश्र अवकलन के लिये कोशी-रीमान समीकरण आवश्यक एवं पर्याप्त शर्त भी हैं। समीकरणों की यह प्रणाली सर्वप्रथम डी'अल्म्बर्ट (d'Alembert 1752) के कार्यों में देखने को मिली। बाद में लियोनार्द आइलर (Euler 1797) ने इन समीकरणों का सम्बन्ध एनालिटिक फलनों से भी होना बताया। कोशी ने 1814 में इन फलनों का उपयोग करके 'फलनों का सिद्धान्त' निर्मित किया। फलनों के सिद्धान्त पर रीमान का शोधपत्र 1851 में आया। .

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कोशी की मूल परीक्षा

गणित में कोशी की मूल परीक्षा (Cauchy's root test) किसी अनन्त श्रेणी के अभिसरण की निकष (कसौटी / क्राइटेरिया) है। यह परीक्षा सबसे पहले कोशी (Augustin-Louis Cauchy) द्वारा प्रतिपादित की गयी थी। यह निम्नलिखित राशि (सुपर लिमिट) के मान पर निर्भर करता है - जहाँ a_n श्रेणी के पद हैं। मूल परीक्षा निकष के अनुसार, कोई श्रेणी पूर्णतः अभिसारी होगी यदि उपरोक्त राशि का मान एक से कम होगा। किन्तु यदि उक्त राशि कामान 'एक से अधिक' हुआ तो श्रेणी अपसारी होगी। यह परीक्षा घात श्रेणियों (power series) के लिये विशेष रूप से उपयोगी है। .

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