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ऐफ़्रोडाइटी

सूची ऐफ़्रोडाइटी

ऐफ़्रोडाइटी (अंग्रेज़ी::en:Aphrodite, यूनानी: आफ्रोदितै) प्राचीन यूनानी धर्म की प्रमुख देवियों में से एक थीं। वो प्रेम, ख़ूबसूरती और संभोग की देवी थीं। उनको बेहद ख़ूबसूरत माना जाता था और मिथकों के अनुसार उनकी उत्पत्ति युवतीरूप में ही समुद्र से हुई थी। प्राचीन रोमन धर्म में उनकी समतुल्य देवी थीं वीनस। श्रेणी:यूनान के देवी-देवता श्रेणी:यूनानी धर्म.

3 संबंधों: प्राचीन रोम में धर्म, यूनानी धर्म, शुक्र

प्राचीन रोम में धर्म

यूपीतेर- आकाश के देवता रोमन धर्म प्राचीन रोम नगर और इटली देश का सबसे मुख्य- और राजधर्म था। रोमन धर्म सामी धर्म बिलकुल नहीं था। वो एक भारोपीय (हिन्द-यूरोपीय) धर्म था। ये एक मूर्तिपूजक और बहुदेवतावादी धर्म था। इसमें एक अदृश्य ईश्वर की अवधारणा नहीं थी। ईसाई धर्म के राजधर्म बनने के बाद ईसाइयों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद ये लुप्त हो गया। फिर भी, आज कल, कुछ यूरोपीय लोग सामी धर्म (यहूदी, ईसाई और ईस्लामी धर्म) छोड़ दिये और रोमन धर्म और दर्शन वापस चल चुके हैं। क्योंकि वे लोगों को लगता है कि रोमन धर्म ईसाई धर्म से अच्छा है और सहिष्णु भी। रोमन धर्म में कुछ बड़े, गहरे और मुक्त दर्शन हैं। रोमन लोग बहुत धार्मिक और आत्मिक लोग थे। इस धर्म के कई देवताओं के सम्तुल्य देवता प्राचीन यूनानी धर्म में, जर्मनिक धर्म, फ़ारसी धर्म और हिन्दू धर्म में मिलते हैं। इसका वजह है कि वे सब धर्म वैदिक और आर्य धर्म हैं। जैसे यूनानी, जर्मनिक, फ़ारसी और हिन्दू संस्कृति, रोमन संस्कृति और धर्म भारोपीय (हिन्द-यूरोपीय) ही थे। ये देवता और देवियाँ रोमन हैं। तुल्य हिन्दू देवता देवियाँ भी लेखे हुए हैं लेकिन 100% समान नहीं हैं। कुछ अलग भी है, मगर सच है कि रोमन ईश्वरीय परम्परा हिन्दु परम्परे से दूर नहीं है। रोमन और हिन्दू दोनों भारोपीय हैं, यानी बहन संस्कृतियाँ। .

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यूनानी धर्म

प्राचीन यूनानी धर्म (अथवा प्राचीन ग्रीक धर्म) प्राचीन यूनान (ग्रीस) देश का सबसे मुख्य- और राजधर्म था। ये एक मूर्तिपूजक और बहुदेवतावादी धर्म था। इसमें एक अदृश्य ईश्वर की अवधारणा नहीं थी। ईसाई धर्म के राजधर्म बनने के बाद ईसाइयों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया और इसके देवी-देवताओं को शैतान करार दिया। इसके बाद ये लुप्त हो गया। ग्रीक पौराणिक कथाएं, उन प्राचीन यूनानियों, उनके देवताओं, नायकों, दुनिया की प्रकृति, अनुष्ठान प्रथाओं के महत्व के विषय में संबंधित मिथकों और किंवदंतियों का आधार हैं। वे प्राचीन ग्रीस में धर्म का एक हिस्सा थीं आधुनिक विद्वानों ने इन मिथकों का अध्ययन कर प्राचीन ग्रीस, इसकी सभ्यता की धार्मिक और राजनीतिक संस्थाओं पर प्रकाश डाला है और लाभ मिथक बनाने की प्रकृति को समझने का प्रयास किया है। ग्रीक पौराणिक कथाएं कथा रूप मे भारी मात्रा में संग्रहीत हैं। इनका बड़ा संग्रह परोक्ष रूप मे फूलदानओं पर उकेरी कला कृतियों के रूप में, भित्तिचित्रों कि द्वारा दुनिया कि उत्पत्ति के विवरणओं, जीवन और देवताओं, देवी, नायकों, नायिकाओं और पौराणिक प्राणियों की एक विस्तृत विविधता के रोमांच की व्याख्या करने का प्रयास करतए है। इन कथनकों को शुरू में एक मौखिक काव्य परंपरा में फैलाया गया, आज ग्रीक मिथकों को ग्रीक साहित्य से मुख्य रूप से जाना जाता है। Iliad और ओडिसी दो महाकाव्य, प्राचीनतम ज्ञात यूनानी साहित्यिक स्रोत, ट्रोजन युद्ध के आसपास की घटनाओं पर ध्यान केंद्रित हैं। होमर के समकालीन हेसियड, Theogony के आक्ख्यान दुनिया की उत्पत्ति, दिव्य शासकों व उनके उत्तराधिका्रियों के, मानव युगों के बारे में मानवीय संकट के भययोग्य उद्गम और बलि प्रथाओं केविषय मे जानकारी देते हैं। मिथक होमेर के भजनों में भी संरक्षित हैं, इस काल के काव्य खण्डों में, गेय कविताओं में, पांचवीं शताब्दी ई.पू.

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शुक्र

शुक्र (Venus), सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है। ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है। इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक पहुँच जाता है और यह छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्जवलता है। चूँकि शुक्र एक अवर ग्रह है इसलिए पृथ्वी से देखने पर यह कभी सूर्य से दूर नज़र नहीं आता है: इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है। शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में संदर्भित किया गया है। शुक्र एक स्थलीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत है और समान आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना के कारण कभी कभी उसे पृथ्वी का "बहन ग्रह" कहा गया है। शुक्र आकार और दूरी दोनों मे पृथ्वी के निकटतम है। हालांकि अन्य मामलों में यह पृथ्वी से एकदम अलग नज़र आता है। शुक्र सल्फ्यूरिक एसिड युक्त अत्यधिक परावर्तक बादलों की एक अपारदर्शी परत से ढँका हुआ है। जिसने इसकी सतह को दृश्य प्रकाश में अंतरिक्ष से निहारने से बचा रखा है। इसका वायुमंडल चार स्थलीय ग्रहों मे सघनतम है और अधिकाँशतः कार्बन डाईऑक्साइड से बना है। ग्रह की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी की तुलना मे 92 गुना है। 735° K (462°C,863°F) के औसत सतही तापमान के साथ शुक्र सौर मंडल मे अब तक का सबसे तप्त ग्रह है। कार्बन को चट्टानों और सतही भूआकृतियों में वापस जकड़ने के लिए यहाँ कोई कार्बन चक्र मौजूद नही है और ना ही ज़ीवद्रव्य को इसमे अवशोषित करने के लिए कोई कार्बनिक जीवन यहाँ नज़र आता है। शुक्र पर अतीत में महासागर हो सकते हैलेकिन अनवरत ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान के साथ वह वाष्पीकृत होते गये होंगे |B.M. Jakosky, "Atmospheres of the Terrestrial Planets", in Beatty, Petersen and Chaikin (eds), The New Solar System, 4th edition 1999, Sky Publishing Company (Boston) and Cambridge University Press (Cambridge), pp.

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