लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

सूची ऐ

ऐ की ध्वनि सुनिए ए की ध्वनि सुनिए - यह ऐ से भिन्न है ऍ की ध्वनि सुनिए - यह भी ऐ से भिन्न है ऐ देवनागरी लिपि का आठवाँ वर्ण है और एक स्वर भी है। अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला (अ॰ध॰व॰) में इसके उच्चारण को æ के चिन्ह से लिखा जाता है। इसका प्रयोग आधुनिक मानक हिंदी के बहुत से शब्दों में होता है (जैसे ऐनक, बैल, सैर) और इस से रूप में मिलते-जुलते 'ए' और 'ऍ' स्वरों के उच्चारण से अलग है। पूर्वी हिंदी की कुछ उपभाषाओं, मराठी और कुछ अन्य भाषाओँ में इसका उच्चारण मानक हिंदी से भिन्न होता है और उनमें इसे एक संयुक्त स्वर (डिप्थाँग) की तरह उच्चारित किया जाता है। .

10 संबंधों: , , देवनागरी, भाषाविज्ञान, मराठी भाषा, लहजा (भाषाविज्ञान), स्वर, वर्ण (बहुविकल्पी शब्द), अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला, अमिताभ बच्चन

ऍ की ध्वनि सुनिए ए की ध्वनि सुनिए - यह ऍ से भिन्न है ऐ की ध्वनि सुनिए - यह भी ऍ से भिन्न है ऍ मराठी भाषा का एक वर्ण है। ऍ और ऑ असल देवनागरी में नहीँ पाएं जाते। फ़िलहाल हिंदी में ऑ वर्ण का उपयोग तो पूरी तरह किया जाने लगा है, लेकिन ऍ का उपयोग अभी भी साधारणतः नहीँ किया जाता। ऍ वर्ण के उच्चारण को अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला (अ॰ध॰व॰) के ɛ चिन्ह से लिखा जाता है जो औपचारिक रूप से अर्धविवृत प्रसृत अग्रस्वर (open-mid front unrounded vowel) कहलाता है। इसका प्रयोग अक्सर अंग्रेज़ी के शब्दों को लिखने के लिए किया जाता है। इसकी ध्वनि हिंदी के शब्दों में भी पाई जाती है लेकिन प्रथानुसार उन्हें भिन्न तरीक़े से लिखा जाता है। .

नई!!: ऐ और ऍ · और देखें »

ए की ध्वनि सुनिए ऐ की ध्वनि सुनिए - यह ए से भिन्न है ऍ की ध्वनि सुनिए - यह भी ए से भिन्न है ऐ देवनागरी लिपि का सातवाँ वर्ण है और एक स्वर भी है। अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला (अ॰ध॰व॰) में इसके उच्चारण को e के चिन्ह से लिखा जाता है। इसका प्रयोग आधुनिक मानक हिंदी के बहुत से शब्दों में होता है (जैसे एक, मेरा, ने और केन्द्र) और इस से रूप में मिलते-जुलते 'ऐ' और 'ऍ' स्वरों के उच्चारण से अलग है। 'ए' का स्वर बहुत सी अन्य भाषाओँ में भी मिलता है, जैसे की अंग्रेज़ी, यूनानी और जापानी। .

नई!!: ऐ और ए · और देखें »

देवनागरी

'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .

नई!!: ऐ और देवनागरी · और देखें »

भाषाविज्ञान

भाषाविज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के अध्ययेता 'भाषाविज्ञानी' कहलाते हैं। भाषाविज्ञान, व्याकरण से भिन्न है। व्याकरण में किसी भाषा का कार्यात्मक अध्ययन (functional description) किया जाता है जबकि भाषाविज्ञानी इसके आगे जाकर भाषा का अत्यन्त व्यापक अध्ययन करता है। अध्ययन के अनेक विषयों में से आजकल भाषा-विज्ञान को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। .

नई!!: ऐ और भाषाविज्ञान · और देखें »

मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

नई!!: ऐ और मराठी भाषा · और देखें »

लहजा (भाषाविज्ञान)

भाषाविज्ञान में लहजा (अंग्रेज़ी: accent, एक्सेंट) बोलचाल में उच्चारण के उस तरीक़े को कहते हैं जिसका किसी व्यक्ति, स्थान, समुदाय या देश से विशेष सम्बन्ध हो। उदहारण के तौर पर कुछ दक्षिण-पूर्वी हिंदी क्षेत्र के ग्रामीण स्थानों में लोग 'श' की जगह पर 'स' बोलते हैं, जिसकी वजह से वह 'शहर' और 'अशोक' की जगह 'सहर' और 'असोक' बोलतें हैं - इसे उस क्षेत्र का देहाती लहजा कहा जा सकता है। व्यक्तिगत स्तर पर तुतलाने को भी एक बोलने का लहजा कहा जा सकता है।, Anne Betten et al (editors), pp.

नई!!: ऐ और लहजा (भाषाविज्ञान) · और देखें »

स्वर

यह लेख संगीत से सम्बन्धित 'स्वर' के बारे में है। मानव एवं अन्य स्तनपोषी प्राणियों के आवाज के बारे में जानकारी के लिए देखें - स्वर (मानव का) ---- संगीत में वह शब्द जिसका कोई निश्चित रूप हो और जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतार-चढ़ाव आदि का, सुनते ही, सहज में अनुमान हो सके, स्वर कहलाता है। भारतीय संगीत में सात स्वर (notes of the scale) हैं, जिनके नाम हैं - षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत व निषाद। यों तो स्वरों की कोई संख्या बतलाई ही नहीं जा सकती, परंतु फिर भी सुविधा के लिये सभी देशों और सभी कालों में सात स्वर नियत किए गए हैं। भारत में इन सातों स्वरों के नाम क्रम से षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद रखे गए हैं जिनके संक्षिप्त रूप सा, रे ग, म, प, ध और नि हैं। वैज्ञानिकों ने परीक्षा करके सिद्ध किया है कि किसी पदार्थ में २५६ बार कंप होने पर षड्ज, २९८ २/३ बार कंप होने पर ऋषभ, ३२० बार कंप होने पर गांधार स्वर उत्पन्न होता है; और इसी प्रकार बढ़ते बढ़ते ४८० बार कंप होने पर निषाद स्वर निकलता है। तात्पर्य यह कि कंपन जितना ही अधिक और जल्दी जल्दी होता है, स्वर भी उतना ही ऊँचा चढ़ता जाता है। इस क्रम के अनुसार षड्ज से निषाद तक सातों स्वरों के समूह को सप्तक कहते हैं। एक सप्तक के उपरांत दूसरा सप्तक चलता है, जिसके स्वरों की कंपनसंख्या इस संख्या से दूनी होती है। इसी प्रकार तीसरा और चौथा सप्तक भी होता है। यदि प्रत्येक स्वर की कपनसंख्या नियत से आधी हो, तो स्वर बराबर नीचे होते जायँगे और उन स्वरों का समूह नीचे का सप्तक कहलाएगा। भारत में यह भी माना गया है कि ये सातों स्वर क्रमशः मोर, गौ, बकरी, क्रौंच, कोयल, घोड़े और हाथी के स्वर से लिए गए हैं, अर्थात् ये सब प्राणी क्रमशः इन्हीं स्वरों में बोलते हैं; और इन्हीं के अनुकरण पर स्वरों की यह संख्या नियत की गई है। भिन्न भिन्न स्वरों के उच्चारण स्थान भी भिन्न भिन्न कहे गए हैं। जैसे,—नासा, कंठ, उर, तालु, जीभ और दाँत इन छह स्थानों में उत्पन्न होने के कारण पहला स्वर षड्ज कहलाता है। जिस स्वर की गति नाभि से सिर तक पहुँचे, वह ऋषभ कहलाता है, आदि। ये सब स्वर गले से तो निकलते ही हैं, पर बाजों से भी उसी प्रकार निकलते है। इन सातों में से सा और प तो शुद्ध स्वर कहलते हैं, क्योंकि इनका कोई भेद नहीं होता; पर शेष पाचों स्वर दो प्रकार के होते हैं - कोमल और तीव्र। प्रत्येक स्वर दो दो, तीन तीन भागों में बंटा रहता हैं, जिनमें से प्रत्येक भाग 'श्रुति' कहलाता है। .

नई!!: ऐ और स्वर · और देखें »

वर्ण (बहुविकल्पी शब्द)

* अक्षर जो भाषा की सबसे छोटी इकाई है और वर्णमाला में एकत्रित किये जाते हैं।.

नई!!: ऐ और वर्ण (बहुविकल्पी शब्द) · और देखें »

अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला

अंतर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला (अ॰ध्व॰व॰, अंग्रेज़ी: International Phonetic Alphabet, इंटरनैशनल फ़ोनॅटिक ऐल्फ़ाबॅट) एक ऐसी लिपि है जिसमें विश्व की सारी भाषाओं की ध्वनियाँ लिखी जा सकती हैं। इसके हर अक्षर और उसकी ध्वनि का एक-से-एक का सम्बन्ध होता है। आरम्भ में इसके अधिकतर अक्षर रोमन लिपि से लिए गए थे, लेकिन जैसे-जैसे इसमें विश्व की बहुत सी भाषाओँ की ध्वनियाँ जोड़ी जाने लगी तो बहुत से यूनानी लिपि से प्रेरित अक्षर लिए गए और कई बिलकुल ही नए अक्षरों का इजाद किया गया। इसमें सन् २०१० तक १६० से अधिक ध्वनियों के लिए चिह्न दर्ज किए जा चुके थे, लेकिन किसी भी एक भाषा को दर्शाने के लिए इस वर्णमाला का एक भाग की ही ज़रुरत होती है। इस प्रणाली के ध्वन्यात्मक प्रतिलेखन (ट्रान्सक्रिप्शन) में सूक्ष्म प्रतिलेखन के चिन्हों के बीच में और स्थूल प्रतिलेखन / / के चिन्हों के अन्दर लिखे जाते हैं। इसकी नियामक अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक संघ है। उदाहरण के लिए.

नई!!: ऐ और अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला · और देखें »

अमिताभ बच्चन

अमिताभ बच्चन (जन्म-११ अक्टूबर, १९४२) बॉलीवुड के सबसे लोकप्रिय अभिनेता हैं। १९७० के दशक के दौरान उन्होंने बड़ी लोकप्रियता प्राप्त की और तब से भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रमुख व्यक्तित्व बन गए हैं। बच्चन ने अपने करियर में कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें तीन राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और बारह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार शामिल हैं। उनके नाम सर्वाधिक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फ़िल्मफेयर अवार्ड का रिकार्ड है। अभिनय के अलावा बच्चन ने पार्श्वगायक, फ़िल्म निर्माता और टीवी प्रस्तोता और भारतीय संसद के एक निर्वाचित सदस्य के रूप में १९८४ से १९८७ तक भूमिका की हैं। इन्होंने प्रसिद्द टी.वी.

नई!!: ऐ और अमिताभ बच्चन · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »