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2 संबंधों: प्रत्यावर्ती धारा, वातानुकूलन

प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत दिष्ट धारा समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति ५० हर्ट्स होती हैं अर्थात यह एक सेकेण्ड में पचास बार अपनी दिशा बदलती है। वेस्टिंगहाउस का आरम्भिक दिनों का प्रत्यावर्ती धारा निकाय प्रत्यावर्ती धारा या पत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुंचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है, आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के ट्रान्सफार्मर की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा श्रव्य आवृत्ति, रेडियो आवृत्ति, दृश्य आवृत्ति आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं। .

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वातानुकूलन

वातानुकूलक उपकरण का वह भाग जो कमरों के अन्दर लगाया जाता है किसी निश्चित क्षेत्र अथवा कक्षा के ताप, आर्द्रता, वायु की गति तथा वायुमंडल के स्तर के स्वतंत्र अथवा एक साथ की नियंत्रण क्रिया को वातानुकूलन (Air-conditoning) कहा जाता है। वातानुकूलित क्षेत्र के ताप, आर्द्रता, वायु की गति तथा वायुमंडल के स्तर में विभिन्न कारकों का नियंत्रण आवश्यकतानुसार विभिन्न स्तरों पर किया जाता है। सामान्यत; वातानुकूलन का उद्देश्य शारीरिक सुख तथा औद्योगिक सुविधा प्रदान करना होता है। शारीरिक सुख के लिए ऊष्मा-संबंधी उपयुक्त एवं सुखप्रद परिस्थितियों को उत्पन्न करने में कक्ष के ताप, आर्द्रता, वायु की गति एवं वायुमंडल के स्तर को शरीरक्रिया विज्ञान की दृष्टि से निश्चित सीमाओं के भीतर नियंत्रित किया जाता है। जब औद्योगिक उद्देश्यों के लिए, जैसे विभिन्न संगृहीत पदार्थों की सुरक्षा के लिए, वस्त्र एवं सूत तथा संश्लिष्ट रेशों के उत्पादन में, अथवा छपाई में, वातानुकूलन का उपयोग होता है, उस समय प्रक्रम तथा औद्योगिक आवश्यकतानुसार विभिन्न स्तरों पर उपर्युक्त वातानुकूलन कारकों का निर्धारण किया जाता है। .

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