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ऍल्गोरिथम

सूची ऍल्गोरिथम

किसी गणितीय समस्या अथवा डाटा को कदम-ब-कदम इस प्रकार विश्लेषित करना जिससे कि वह कम्प्यूटर के लिये ग्राह्य बन सके और कम्प्यूटर उपलब्ध डाटा को प्रोग्राम मे लेकरगणितीय समस्या का उचित हल प्रस्तुत कर सके; एल्गोरिथ्म कहलाता है। वस्तुत: डाटा से वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिये कम्प्यूटर उसे संसाधित रूप मे ही ग्रहण कर सकता है। हम अपने जीवन मे जब भी किसी कार्य को करने की योजना बनाते है तो उसकी रूपरेखा अपने मस्तिष्क मे नियोजित कर लेते है। इसी रूपरेखा को विशिष्ट कार्यो के लिये विभिन्न चरणो को कागजो पर भी तैयार किया जाता है कि कार्य कैसे शुरू होगा, कब और कहां शुरू होगा, कैसे सम्पन्न होगा और कैसे पूर्ण होगा। इसी प्रकार कम्प्यूटर पर करने के लिये कोइ कार्य दिया जाता है तो प्रोग्रामर को उसकी पूर्ण रूपरेखा तैयार करनी होती है तथा कम्प्यूटर से बिना गलती कार्य करवाने के लिये किस क्रम से निर्देश दिये जाएंगे, यह तय करना होता है। अर्थात किसी कार्य को पूर्ण करने के लिये विभिन्न चरणो से गुजरना पडता है। जब समस्या के समाधान हेतु विभिन्न चरणो से क्रमबध्द करके लिखा जाये तो यह एल्गोरिथम कहलाता है।एल्गोरिथम के लिये इनपुट डाटा का होना आवश्यक नही है जबकि इससे किसी एक परिणाम पर पहुचने की उम्मीद की जाती है। इसमे दिये गए निर्देश समझने योग्य होने चाहिये। कम्प्यूटर से कोइ कार्य करवाने मे हमे बहुत सतर्क रहना पडता है। क्योंकि मनुष्य जब कोइ कार्य करता है तो उसके पास पूर्व अनुभव, सोचकर निर्णय लेने की क्षमता व स्वविवेक होता है जबकि कम्प्यूटर के पास यह सब नही होता, यह तो सब प्राप्त सूचनाओ के आधार पर ही कार्य करता है। अत: किसी कार्य को करने के लिये कम्प्यूटर को आवश्यक एवं सत्य तथ्य ही उपलब्ध कराये जाए। जब एल्गोरिथम को संकेतो द्वारा आरेखित किया जाता है तो आरेख क्रम निर्देशक या प्रवाह तालिका कहलाता है। इसी क्रम निर्देशक या प्रवाह तालिका के आधार पर प्रोग्राम तैयार होता है। ध्यान रखे: १-एल्गोरिथम मे दिये गए समस्त निर्देश सही एवं स्पष्ट अर्थ के होने चाहिये। २-प्रत्येक निर्देश एसा होना चाहिये कि जिसका अनुपालन एक निश्चित समय मे किया जा सके। ३-कोइ एक अथवा कै निर्देश ऎसे ना हो जो अन्त तक दोहराये जाते रहे। यह सुनिश्चित करे कि एल्गोरिथम का अन्तत: समापन हो। ४-सभी निर्देशो के अनुपालन के पश्चात, एल्गोरिथम के समापन पर वाछित परिणाम अवश्य प्राप्त होने चाहिये। ५-किसी भी निर्देश का क्रम बदलने अथवा किसी निर्देश के पीछे छूटने पर एक्गोरिथम के समापन पर वांछित परिणाम प्राप्त नही होंगे। उदाहरण: मान लिजिये आपको १ से ५० के मध्य की सभी संख्याओ का योग ज्ञात करने के लिये एल्गोरिथम बनाने के लिये दिया गया है। यह निम्न प्रकार बनेगा:-- step 1:A.

1 संबंध: अल्गोरिद्म

अल्गोरिद्म

महत्तम समापवर्तक (HCF) निकालने के लिए यूक्लिड के अल्गोरिद्म का फ्लोचार्ट गणित, संगणन तथा अन्य विधाओं में किसी कार्य को करने के लिये आवश्यक चरणों के समूह को कलन विधि (अल्गोरिद्म) कहते है। कलन विधि को किसी स्पष्ट रूप से पारिभाषित गणनात्मक समस्या का समाधान करने के औजार (tool) के रूप में भी समझा जा सकता है। उस समस्या का इनपुट और आउटपुट सामान्य भाषा में वर्णित किये गये रहते हैं; इसके समाधान के रूप में कलन विधि, क्रमवार ढंग से बताता है कि यह इन्पुट/आउटपुट सम्बन्ध किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है। कुछ उदाहरण: १) कुछ संख्यायें बिना किसी क्रम के दी हुई हैं; इन्हें आरोही क्रम (ascending order) में कैसे सजायेंगे? २) दो पूर्णांक संख्याएं दी हुई हैं; उनका महत्तम समापवर्तक (Highest Common Factor) कैसे निकालेंगे ? .

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