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सूची विज्ञापन

400000000 ही विज्ञापन (टाइम्स स्क्वायर) किसी उत्पाद अथवा सेवा को बेचने अथवा प्रवर्तित करने के उद्देश्य से किया जाने वाला जनसंचार विज्ञापन (Advertising) कहलाता है। विज्ञापन विक्रय कला का एक नियंत्रित जनसंचार माध्यम है जिसके द्वारा उपभोक्ता को दृश्य एवं श्रव्य सूचना इस उद्देश्य से प्रदान की जाती है कि वह विज्ञापनकर्ता की इच्छा से विचार सहमति, कार्य अथवा व्यवहार करने लगे। औद्योगिकीकरण आज विकास का पर्याय बन गया है। उत्पादन बढ़ने के कारण यह आवश्यक हो गया है कि उत्पादित वस्तुआें को उपभोक्ता तक पहुँचाया ही नहीं जाय बल्कि उसे उस वस्तु की जानकारी की दी जाय। वस्तुतः मनुष्य को जिन वस्तुआें की आवश्यकता होती है व उन्हें तलाश ही लेता इसके ठीक विपरीत उसे जिसकी जरूरत नहीं होती वह उसके बारे में सुनकर अपना समय खराब नहीं करना चाहता। इस अर्थ में विज्ञापन वस्तुआें को ऐसे लोगों तक पहुँचाने का कार्य करता है जो यह मान चुके होते है कि उन वस्तुआें की उसे कोई जरूरत नहीं है। आशय यह कि उत्पादित वस्तु को लोकप्रिय बनाने तथा उसकी आवश्यकता महसूस कराने का कार्य विज्ञापन करता है। विज्ञापन अपने छोटे से संरचना में बहुत कुछ समाये होते है। वह बहुत कम बोलकर भी बहुत कुछ कह जाते है। आज विज्ञापन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। सुबह आंख खुलते ही चाय की चुस्की के साथ अखबार में सबसे पहले दृष्टि विज्ञापन पर ही जाती है। घर के बाहर पैर रखते ही हम विज्ञापन की दुनिया से घिर जाते है। चाय की दुकान से लेकर वाहनों और दिवारों तक हर जगह विज्ञापन ही विज्ञापन दिखाई देते हैं। किसी भी तथ्य को यदि बार-बार लगातार दोहराया जाये तो वह सत्य प्रतीत होने लगता है - यह विचार ही विज्ञापनों का आधारभूत तत्व है। विज्ञापन जानकारी भी प्रदान करते है। उदाहरण के लिए कोई भी वस्तु जब बाजार में आती है, उसके रूप - रंग - सरंचना व गुण की जानकारी विज्ञापनों के माध्यम से ही मिलती है। जिसके कारण ही उपभोक्ता को सही और गलत की पहचान होती है। इसलिए विज्ञापन हमारे लिए जरूरी है। जहाँ तक उपभोक्ता वस्तुओं का सवाल है, विज्ञापनों का मूल उद्देश्य ग्राहको के अवचेतन मन पर छाप छोड़ जाता है और विज्ञापन इसमें सफल भी होते है। यह 'कहीं पे निगाहें, कही पे निशाना' का सा अन्दाज है। विज्ञापन सन्देश आमतौर पर प्रायोजकों द्वारा भुगतान किया है और विभिन्न माध्यमों के द्वारा देखा जाता है जैसे समाचार पत्र, पत्रिकाओं, टीवी विज्ञापन, रेडियो विज्ञापन, आउटडोर विज्ञापन, ब्लॉग या वेब्साइट आदि। वाणिज्यिक विज्ञापनदाता अक्सर उपभोक्ताओं के मन में कुछ गुणों के साथ एक उत्पाद का नाम या छवि जोड़ जाते हैं जिसे हम "ब्रान्डिग" कहते है। ब्रान्डिग उत्पाद या सेवा की बिक्री बढाने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। गैर-वाणिज्यिक विज्ञापनों का उपयोग राजनीतिक दल, हित समूह, धार्मिक संगठन और सरकारी एजेंसियाँ करतीं हैं। 2015 में पूरे विश्व में विज्ञापन पर कोई 529 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये जाने का अनुमान है। .

6 संबंधों: टीवी विज्ञापन, हिन्दी, घोषणापत्र, विज्ञापन का इतिहास, अधिप्रचार, अंतरजाल

टीवी विज्ञापन

टीवी विज्ञापन या टीवी कमर्शियल, जिसे अक्सर बस कमर्शियल, विज्ञापन, ऐड या ऐड फिल्म (भारत) कहा जाता है-सन्देश पहुंचाने वाले किसी संगठन द्वारा किए गए भुगतान के तहत उसके लिए निर्मित टीवी कार्यक्रम का एक विविध रूप है। विज्ञापन से प्राप्त होने वाला राजस्व अधिकांश निजी स्वामित्व वाले टीवी नेटवर्कों के लिए वित्तपोषण के एक बहुत बड़े हिस्से का निर्माण करता है। आजकल के अधिकांश टीवी विज्ञापनों में संक्षिप्त विज्ञापन अंश शामिल होते हैं जो कुछ सेकंड से लेकर कई मिनट तक चल सकते हैं (इसके साथ ही साथ कार्यक्रम के लंबे इन्फोमर्शियल).

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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घोषणापत्र

घोषणापत्र। घोषणापत्र सार्वजनिक रूप से अपने सिद्धान्तों एवं इरादों (नीति एवं नीयत) को प्रकट करना घोषणापत्र (manifesto') कहलाता है। इसका स्वरूप प्रायः राजनीतिक होता है किन्तु यह जीवन के अन्य क्षेत्रों से भी सम्बन्धित हो सकता है। .

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विज्ञापन का इतिहास

विश्व फलक पर आज विज्ञापन का जो बहुआयामी स्वरुप विकसित हुआ है, उसके पीछे विज्ञापन की एक लंबी कहानी है। उसकी पृष्ठभूमि विश्व के प्राचीन इतिहास में समाई हुई है। विज्ञापन एक प्रकार का संप्रेषण है, जो संदेश ग्रहणकर्ता पर संदेश की प्रभावी प्रतिक्रिया से प्रेरित होता है। निश्चय ही मानव सभ्यता के उदय के साथ ही मानवीय संप्रेषण की आवश्यकता के लिए विज्ञापन का अस्तित्व रहा होगा। मानव सभ्यता के प्रारंभिक चरण में जनता को अनुशासित, नियंत्रित करने तथा जनमत को स्वपक्ष में प्रभावित करने के लिए जो प्रयास किए जाते थे, उनमें विज्ञापन की पृष्ठभूमि निहित है। यह बात और है कि उस समय के विज्ञापन का स्वरुप आज के ग्लैमरस विज्ञापनों से बिलकुल भिन्न था। माना जाता है कि संसार का पहला विज्ञापन भारत में रचा गया। आज से लगभग डेढ हजार वर्ष पूर्व यह विज्ञापन भारतीय बुनकर व्यापारी संघ दवारा प्राचीन गुप्तकालीन दशपुर (संप्रति:मध्य प्रदेश) में स्थित एक सूर्य-मंदिर की दीवारों में लगवाया गया था। विश्व के प्रसिध्द इतिहासज्ञों और पुरातत्ववेताओं को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि प्राचीनकाल में शासक प्रजा को जिन नियमों से अनुशासित करना चाहते थे, उन नियमों को प्रजा की जानकारी के लिए सार्वजनिक स्थानों पर भिक्ति, पटूट आदि पर खुदवा दिया जाता था। धार्मिक सूचनाओं, राजाज्ञाओं और सरकारी आदेशों को शिलालेखों पर विज्ञापन के रूप में उत्कीर्ण कराने की प्रथा भारतीय सम्राट अशोक के समय में विघमान थी। सम्राटू अशोक ने शिलालेखों पर अनेक सूचनाएँ उत्कीर्ण कराई। इन्हीं सूचनाओं में जगदीश्वर चतुर्वेदी विज्ञापन की पृष्ठभूमि तलाशते हैं-"प्राचीन भारतीय समाज में विज्ञापन का लक्ष्य धार्मिक विचारों का प्रचार करना था। सम्राटू अशोक के स्तंभों और भिक्ति संदेशों, गुफा चित्रों आदि को 'आउटडोर' विज्ञापन का पूर्वज कह सकते हैं। 'इंडोर विजुअल' संप्रेषण कला के पूर्वज के रूप में अजंता, साँची और अमरावती की कलाओं को पढा जा सकता है।" विजय कुलश्रेष्ठ और प्रतुल अथइया राजस्थान पत्रिका के हवाले से लिखते हैं कि आज से तीन हजार वर्ष पूर्व मिस्त्र में विज्ञापनों का उपयोग श्रीमंतों के घरों से भागे हुए दासों को पकड्नेवालों के लिए उचित पुरस्कार देने की घोषणा के लिए किया जाता था। ये विज्ञापन उस काल में श्रीपत्र या भोजपत्र (पेपरिस) पर लिखे जाते थे। ढाई ह्जार वर्ष पूर्व मकान किराए पर दिए जाने के विज्ञापन का उल्लेख भी मिलता है-"आगामी १ जुलाई से आरियोपोलियन हवेली में कई दुकानें भाडे पर दी जाएँगी। दुकानों में ऊपर रहने के कमरे हैं। दूसरी मंजिल के कमरे राजाओं के रहने योग्य हैं-अपने निजी मकान के समान। मेरियस के क्रीतदास प्राउमस से आवेदन कीजिए।" पहले लिखित विज्ञापन के बारे में यदयपि प्रामाणिक जानकारी नहीं है, लेकिन विज्ञापनों के प्रारंभिक स्वरुप की चर्चा में इजिप्ट में थीब्ज के खंदाई के दौरान मिली पांडुलिपि के अवशेष, जो कि ३००० (तीन ह्जार) वर्ष पहले लिखी गई थी, को उदूधृत किया जाता है। इसमें शैवाल से तैयार किए गए कागज पर विज्ञापन के रूप में शीम नामक एक भगोडे दास को लौटानेवाले को एक सोने का सिक्का इनाम में दिए जाने की घोषणा की गई है। छपाई के आविष्कार से पहले प्राचीनकाल में विज्ञापनों के लिए कई अन्य रास्ते तलाश करते थे। पुराताक्त्विक खोजों और इतिहास में उपलब्ध जानकारियों के अनुसार ग्रीस, रोम और चीन में विज्ञापन के लिए चित्रलिपि का प्रयोग किया जाता था। उत्पादक अपनी वस्तुओं पर कोई चिह्र, चित्र या हस्ताक्षर अंकित कर देते थे, ताकि उनके उत्पाद को पहचानने में ग्राहकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। इसी तरह ग्रीस और रोम के व्यापारी अपनी दुकानों के प्रवेश-द्वार पर माल के चिह्र इस रूप में चित्रित करते थे, जिससे उपभोक्ताओं को दुकान में उपलब्ध वस्तुओं की जानकारी मिल सके। इनसे यह पता चल जाता था कि दुकान खाद्य सामग्री की है, बरतनों की है, कपडों की है अथवा किन्हीं अन्य वस्तुओं की। डिक सटफेन के अनुसार-"बुनकरों का चक्र बुनकर को इंगित करता था। यदि एक बोर्ड दरवाजे के आगे टँगा है तो वह किसी होटल का संकेत देता था। यदि एक स्वर्णिम हाथ हथौडा लिये हुए दरशाया जाता, तो उसका अर्थ स्वर्णकार से लिया जाता था। प्रत्येक छोटे-से-छोटे दुकानदार इस प्रकार अपनी दुकान की दीवारों पर निर्मित करते हैं, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह दुकान डबलरोटी,शराब, प्लेट-प्याले अथवा किसी अन्य वस्तु की है।" मानवीय सभ्यता के विकास के साथ-साथ विज्ञापन के स्वरुप में भी बदलाव आता चला गया है। व्यापारिक चिह्रों को लकडी, धातु अथवा पत्थर पर चित्रित कर सूचना-पटूट का निर्माण किया गया। आज वाहनों के पीछे बस स्टॉप आदि पर जो होर्डिंग या नियोग साइन दिखाई पडते है, वे प्राचीनकाल में मौजूद सूचना-पटूट का विकसित स्वरुप हैं। ऐतिहासिक सूत्रों के अनुसार विज्ञापन के प्रारंभिक चरण में विक्रेता ऊँची आवाज में बडे रोचक और नाटकीय अंदाज में अपने माल की खूबियों को वर्णित करता था। यानी गलियों और सडकों पर फेरीवाले आवाज लगाते हुए अपनी वस्तुओं का विज्ञापित करते थे। बाद में चना बेचनेवालों के ये बोल बहुत चर्चित भी हुए-'बाबू मैं लाया मजेदार चना जोर गरम, मेरा चना बना है आला' अनोखे स्वरों दवारा अपने माल को विज्ञापित कर खरीदारों को आकर्षित करने की यह कला आज भी बनी हुई है। गाँवों, कस्बों और शहरों की गलियों में ठेले और साइकिल पर अपना सामान बेचनेवाले छोटे-छोटे विक्रेता इसी कला का सहारा लेते हैं। सही अर्थों में विज्ञापन के इतिहास का प्रारंभ पंद्रहवीं शताब्दी में मुद्रण कला के आविष्कार के साथ हुआ। नए विचारों के प्रवाह को जन-जन तक पहुँचाने के लिए मुद्रण कला का सहारा लिया गया। यदयपि मुद्रण कला का सूत्रपात चीन में हुआ। इतिहासकार आधुनिक मुद्रण कला का श्रेय पश्चिमी जर्मनी के गुटनबर्ग को देते हैं। गुटनबर्ग ने ४२ पंक्तियों की विश्व की पहली मुद्रित पुस्तक 'बाइबिल' का प्रकाशन किया। मुद्रण कला के आविष्कार और विस्तार के साथ ही यातायात व संचार के विभिन्न साधन भी उपलब्ध हुए। जनमत को प्रभावित करने के लिए मुद्रण कला का व्यावहारिक रूप सामने आया। पहला मुद्रित विज्ञापन कौन सा है इस बारे में मतभेद हैं। कुछ लोग मानते हैं कि सन १४७३ ई. में इंग्लैंड में विलियम कैक्टसन ने सर्वप्रथम अंग्रेजी भाषा में पहला विज्ञापन एक परचे के रूप में प्रकाशित किया। लेकिन इतिहासकार फेंक प्रेस्वी के अनुसार-'मक्यूरियम ब्रिटानिक्स' पुस्तक में एक विज्ञापित घोषणा के रूप में विज्ञापन का पहला रूप सामने आया। हेनरी सैंपसन के अनुसार-सन १६५० में सर्वप्रथम विज्ञापन का स्वरुप एक पुस्तक में देखने को मिला, जिसमें चोरी किए गए बारह घोडों को लौटाने पर पुरस्कार की घोषणा विज्ञप्ति के रूप में छपी थी। विज्ञापन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि इंग्लैंड के समाचार-पत्रों में विज्ञापन के रूप में प्रकाशित घोषणाओं में दिखाई देती है। उसके बाद चाय, काँफी, चाँकलेट, किताब आदि के विज्ञापनों के साथ-साथ खोई-पाई वस्तुओं के विज्ञापन प्रकाशन की प्रथा चल पडी। अमेरिका में विज्ञापन का विकास बडी तीव्र गति से हुआ। विजय कुलश्रेष्ठ और प्रतुल अथइया के अनुसार-सन १८७० में अमेरिका में पहला विज्ञापन प्रकाशित हुआ था, जो उस काल की बीज कंपनियों की पहल कहा जाता है; लेकिन प्राप्त जानकारियों के अनुसार अमेरिका में सन १८४१ में पहली विज्ञापन एजेंसी वाल्नी पाँल्मर स्थापित हो चुकी थी। अमेरिका का पहला विज्ञापन ८ मई, १७०४ में 'बोस्टन न्यूज लैटर' में प्रकाशित हुआ। धीरे-धीरे सचित्र विज्ञापन की प्रथा भी शुरु हो गई। विज्ञापन में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जाने लगा। औदयोगिक क्रांति के फलस्वरुप विज्ञापन की दुनिया में तेजी से बदलाव आने लगा। आज उच्च प्रौदयोगिकी के युग में विज्ञापन संसार को वैविध्यपूर्ण बना दिया है। विज्ञापन उदयोग एक आकर्षक उदयोग बन चुका है। श्रेणी:विज्ञापन श्रेणी:विकिपरियोजना क्राइस्ट विश्वविद्यालय २०१६.

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अधिप्रचार

सैम चाचा के बाहों में बाहें डाले ब्रितानिया: प्रथम विश्वयुद्ध में अमेरिकी-ब्रितानी सन्धि का प्रतीकात्मक चित्रण अधिप्रचार (Propaganda) उन समस्त सूचनाओं को कहते हैं जो कोई व्यक्ति या संस्था किसी बड़े जन समुदाय की राय और व्यवहार को प्रभावित करने के लिये संचारित करती है। सबसे प्रभावी अधिप्रचार वह होता है जिसकी सामग्री प्रायः पूर्णतः सत्य होती है किन्तु उसमें थोडी मात्रा असत्य, अर्धसत्य या तार्किक दोष से पूर्ण कथन की भी हो। अधिप्रचार के बहुत से तरीके हैं। दुष्प्रचार का उद्देश्य सूचना देने के बजाय लोगों के व्यवहार और राय को प्रभावित करना (बदलना) होता है। .

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अंतरजाल

अंतरजाल का आंशिक मैप, १५ जनवरी २००५। प्रत्येक पंक्ति को दो नोड्स के बीच खींचा जाता है, आईपी पते जोड़ने से। रेखा की लंबाई नोड्स के बीच समय की देरी (पिंग) को दर्शाती है मानचित्र २००५ में डेटा संग्रह के लिए उपलब्ध कक्षा सी नेटवर्क के ३०% से कम का प्रतिनिधित्व करता है। रेखा रंग आरएफसी १९१८ के अनुसार उसके स्थान से मेल खाती है। अंतरजाल (इंटरनेट) (Internet आई पी ए: ɪntəˌnɛt) विष्व में डिवाइसों को लिंक करने के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल सूट (टीसीपी / आईपी) का उपयोग करने वाले इंटरकनेक्टेड कंप्यूटर नेटवर्क की वैश्विक प्रणाली है। यह नेटवर्क का एक नेटवर्क है जिसमें निजी, सार्वजनिक, शैक्षिक, व्यवसाय और वैश्विक नेटवर्क के सरकारी नेटवर्क शामिल हैं, जो कि इलेक्ट्रॉनिक, वायरलेस, और ऑप्टिकल नेटवर्किंग प्रौद्योगिकियों की व्यापक श्रेणी से जुड़ा हुआ है। इंटरनेट में सूचना संसाधनों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला है, जैसे इंटर लिंक किए गए हाइपरटेक्स्ट दस्तावेज़ और वर्ल्ड वाइड वेब (डबल्युडबल्युडबल्यु), इलेक्ट्रॉनिक मेल, टेलीफ़ोनी और फ़ाइल साझाकरण के अनुप्रयोग। १९६० के दशक में इंटरनेट नेटवर्क की उत्पत्ति संयुक्त राज्य संघीय सरकार द्वारा कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से मज़बूत, गलती-सहिष्णु संचार के निर्माण के लिए शुरू की गई थी। १९९० के शुरुआती दिनों में वाणिज्यिक नेटवर्क और उद्यमों को जोड़ने से आधुनिक इंटरनेट पर संक्रमण की शुरुआत हुई, और तेजी से वृद्धि के कारण संस्थागत, व्यक्तिगत और मोबाइल कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े थे। २००० के दशक के अंत तक, इसकी सेवाओं और प्रौद्योगिकियों को रोजमर्रा की जिंदगी के लगभग हर पहलू में शामिल किया गया था। टेलीफ़ोनी, रेडियो, टेलीविज़न, पेपर मेल और अखबारों सहित अधिकांश पारंपरिक संचार मीडिया, ईमेल द्वारा पुनर्निर्मित, पुनर्निर्धारित, या इंटरनेट से दूर किए जाने वाले ईमेल सेवाओं, इंटरनेट टेलीफ़ोनी, इंटरनेट टेलीविजन, ऑनलाइन संगीत, डिजिटल समाचार पत्र, और वीडियो स्ट्रीमिंग वेबसाइटें अखबार, पुस्तक, और अन्य प्रिंट प्रकाशन वेबसाइट प्रौद्योगिकी के अनुकूल हैं, या ब्लॉगिंग, वेब फ़ीड्स और ऑनलाइन समाचार एग्रीगेटर्स में पुन: स्थापित किए जा रहे हैं। इंटरनेट ने त्वरित मैसेजिंग, इंटरनेट फ़ौरम और सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से व्यक्तिगत इंटरैक्शन के नए रूपों को सक्षम और त्वरित किया है। ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं और छोटे व्यवसायों और उद्यमियों के लिए ऑनलाइन खरीदारी तेजी से बढ़ी है, क्योंकि यह कंपनियों को एक बड़े बाजार की सेवा या पूरी तरह से ऑनलाइन वस्तुओं और सेवाओं को बेचने के लिए अपनी "ईंट और मोर्टार" उपस्थिति बढ़ाने में सक्षम बनाता है। इंटरनेट पर व्यापार से व्यापार और वित्तीय सेवाओं को पूरे उद्योगों में आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ता है। इंटरनेट का उपयोग या उपयोग के लिए तकनीकी कार्यान्वयन या नीतियों में कोई केंद्रीकृत शासन नहीं है; प्रत्येक घटक नेटवर्क अपनी नीतियाँ निर्धारित करता है। इंटरनेट, इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस (आए पी एड्रेस), स्पेस और डोमेन नेम सिस्टम (डी एन एस) में दो प्रमुख नाम रिक्त स्थान की केवल अति परिभाषा परिभाषाएँ एक रखरखाव संगठन, इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नाम और नंबर (आए सी ए एन एन)। मुख्य प्रोटोकॉल के तकनीकी आधारभूत और मानकीकरण, इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फ़ोर्स (आए ई टी एफ़) की एक गतिविधि है, जो कि किसी भी गैर-लाभप्रद संगठन के साथ संबद्ध अंतरराष्ट्रीय सहभागी हैं, जो किसी को भी तकनीकी विशेषज्ञता में योगदान दे सकते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

एडवर्टाइज़िंग, विज्ञापन माध्यम, इश्तेहार

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