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प्रवालद्वीप

सूची प्रवालद्वीप

प्रशांत महासागर में स्थित अटाफु एटोल का उपग्रह चित्र प्रवालद्वीप, मूँगे का एक द्वीप या फिर द्वीपों की शृंखला होती है, जो किसी अनूप (लैगून) को आंशिक रूप से या फिर पूरी तरह से घेरे रहती है। .

3 संबंधों: मूँगा (जीव), शैल-भित्ति, अनूप झील

मूँगा (जीव)

मूँगा (कोरल) शब्द के कई अर्थ हैं - अन्य अर्थों के लिए मूँगा का लेख देखें मूँगे के शरीर के अन्दर का दृश्य मूँगा, जिसे कोरल और मिरजान भी कहते हैं, एक प्रकार का नन्हा समुद्री जीव है जो लाखों-करोड़ों की संख्या में एक समूह में रहते हैं। मूँगे की बहुत सी क़िस्मों में, यह जीव अपने इर्द-गिर्द एक बहुत ही सख़्त शंख बना लेते है, जिसके अन्दर वह रहता है। जब ऐसे हजारों-लाखों नन्हे और बेहद सख़्त शंख एक दुसरे से चिपक कर समूह में बनते हैं, तो उस समूह की सख़्ती और स्पर्श लगभग पत्थर जैसा होता है। समुद्र में कई स्थानों पर मूंगे की बड़े क्षेत्र पर फैली हुई शृंखलाएं बन जाती हैं, जिन्हें रीफ़ कहा जाता है। किसी भी मूंगे के समूह में हर एक मूंगे और उसके शंख को वैज्ञानिक भाषा में "पॉलिप" कहते हैं। मूँगा गरम समुद्रों में ही उगता है और अलग-अलग रंगों में मिलता है। लाल और गुलाबी रंगों के मूँगे के क़ीमती पत्थर को पत्थर की ही तरह तराश और चमका कर ज़ेवरों में इस्तेमाल किया जाता है। इनके सब से लोकप्रिय रंग को भी मूँगा (रंग) कहा जाता है। मूँगे समुद्रतल में रहने वाले एक प्रकार के कृमि हैं जो खोलड़ी की तरह का घर बनाकर एक दूसरे से लगे हुए जमते चले जाते हैं। ये कृमि अचर (न चलने वाले) जीवों में हैं। ज्यों ज्यों इनकी वंशवृद्धि होती जाती है, त्यों त्यों इनका समूहपिंड थूहर के पेड़ के आकार में बढ़ता चला जाता है। सुमात्रा और जावा के आसपास प्रशांत महासागर में समुद्र के तल में ऐसे समूहपिंड हजारों मील तक खड़े मिलते हैं। इनकी वृद्धि बहुत जल्दी जल्दी होती है। इनके समूह एक दूसरे के ऊपर पटते चले जाते हैं जिससे समुद्र की सतह पर एक खासा टापू निकल आता है। ऐसे टापू प्रशांत महासागर में बहुत से हैं जो 'प्रवालद्वीप' कहलाते हैं। मूँगे की केवल गुरिया ही नहीं बनती; छड़ी, कुरसी आदि चीजें भी बनती हैं। आभूषण के रूप में मूँगे का व्यवहार भी मोती के समान बहुत दिनों से है। मोती और मूँगे का नाम प्रायः साथ साथ लिया जाता है। रत्नपरीक्षा की पुस्तकों में मूँगे का भी वर्णन रहता है। साधारणतः मूँगे का दाना जितना ही बड़ा होता है, उतना अधिक उसका मूल्य भी होता है। कवि लोग बहुत पुराने समय से ओठों की उपमा मूँगे से देते आए हैं। .

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शैल-भित्ति

एक द्वीप के चारों ओर एक शैल-भित्ति समुद्री शब्दावली में, एक शैल-भित्ति या रीफ़ एक चट्टान, रेती या पानी की सतह के नीचे उपस्थित अन्य कोई संरचना है। बहुत सी शैल-भित्तियां अजैविक प्रक्रियाओं जैसे कि रेत के जमाव, लहरों द्वारा चट्टानों के कटाव आदि के द्वारा निर्मित होती हैं लेकिन इनका सबसे उत्तम उदाहरण उष्णकटिबंधीय समुद्रों में जैविक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित प्रवाल-भित्तियां है जो मृत मूंगों (प्रवाल) और चूनेदार शैवालों से बनती है। .

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अनूप झील

एक अनूप झील नदियों के मुहाने पर समुद्र की धाराएँ या पवनें बालू मिट्टी के टीले बनाकर जल के क्षेत्र को समुद्र से अलग कर देती हैं, इन्हें अनूप कहते हैं। भारत के पूर्वी तट पर उड़ीसा की चिल्का और नेल्लोर की पुलीकट झीलें, गोदावरी और कृष्णा नदी के डेल्टाओं में कोलेरू झील (आन्ध्र प्रदेश) इसी प्रकार वनी हैं। भारत के पश्चिमी तट पर केरल राज्य में भी असंख्य अनूप या कयाल पाये जाते हैं। श्रेणी:झीलें श्रेणी:जलसमूह श्रेणी:भूगोल शब्दावली * श्रेणी:समुद्र-वैज्ञानिक पारिभाषिकी.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

एटोल, एटोलों

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