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ऍक्स किरण

सूची ऍक्स किरण

200px ''Hand mit Ringen'': रोएन्टजन की पहली 'मेडिकल' एक्स-किरण का प्रिन्ट - उनकी पत्नी का हाथ का प्रिन्ट जो २२ दिसम्बर सन् १८९५ को लिया गया था जल से शीतलित एक्स-किरण नलिका (सरलीकृत/कालातीत हो चुकी है।) एक्स-किरण या एक्स रे (X-Ray) एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय विकिरण है जिसकी तरंगदैर्घ्य 10 से 0.01 नैनोमीटर होती है। यह चिकित्सा में निदान (diagnostics) के लिये सर्वाधिक प्रयोग की जाती है। यह एक प्रकार का आयनकारी विकिरण है, इसलिए खतरनाक भी है। कई भाषाओं में इसे रॉण्टजन विकिरण भी कहते हैं, जो कि इसके अन्वेषक विल्हेल्म कॉनरॅड रॉण्टजन के नाम पर आधारित है। रॉण्टजन ईक्वेलेंट मानव (Röntgen equivalent man / REM) इसकी शास्त्रीय मापक इकाई है। .

15 संबंधों: एक्स किरण नलिका, दाब, निदान, नैनोमीटर, रैंडम एक्सैस मैमोरी, शल्यचिकित्सा, जर्मनी, वायु, विद्युतचुंबकीय विकिरण, आधुनिक भौतिकी, आयन, आयनकारी विकिरण, आयुर्विज्ञान, क्रिस्टल, क्ष-किरण

एक्स किरण नलिका

सन् १९१७ के आसपास बनी कूलिज की एक्सरे-नलिका; गरम कैथोड बाएँ तरफ है तथा एनोड दाँयी तरफ है। एक्सरे, नीचे की तरफ निकलती है। उस निर्वात नलिका को एक्स किरण नलिका या 'एक्सरे ट्यूब' (X-ray tube) कहते हैं जो एक्स किरण उत्पन्न करती है। एक्सरे नलिकाओं का विकास क्रुक्स की नलिका से हुआ जिससे सर्वप्रथमेक्सरे खोजा गया था। इन नलिकाओं से प्राप्त एक्स किरणों के अनेक उपयोग हैं, जैसे- रेडियोग्राफी, कैट (CAT) स्कैनर, हवाई-अड्डों के सामान-स्कैनर, एक्सरे-क्रिस्टलोग्राफी आदि। .

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दाब

दाब का मान प्रदर्शित करने के लिये पारा स्तंभ किसी सतह के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले अभिलम्ब बल को दाब (Pressure) कहते हैं। इसकी इकाई 'न्यूटन प्रति वर्ग मीटर' होती है। दाब की और भी कई प्रचलित इकाइयाँ हैं। p .

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निदान

निदान की एक महत्वपूर्ण पद्धति: रेडियोग्राफी किसी भी समस्या के बाहरी लक्षणों से आरम्भ करके उसके (उत्पत्ति के) मूल कारण का ज्ञान करना निदान (Diagnosis / डायग्नोसिस्) कहलाता है। निदान की विधि 'विलोपन' (एलिमिनेशन) पर आधारित है। निदान शब्द का प्रयोग सभी क्षेत्रों में होता है: रोगोपचार (मेडिसिन), विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्याय, व्यापार, एवं प्रबन्धन आदि में। निदान का बहुत महत्व है। जब तक रोग की सटीक पहचान न हो जाए, तब तक सही दिशा में उपचार असंभव है। इसलिए पुराने आयुर्वेद ग्रंथों में निदान अध्याय बहुत वृहद होता था और उपचार अध्याय सीमित। कारण यह है कि यदि निदान सटीक हो गया तो उपचार भी सटीक होगा। यह सही है कि अनेक रोग स्वयमेव अच्छे हो जाते हैं और प्रकृति की निवारक शक्ति को किसी की सहायता की अपेक्षा नहीं होती, परंतु अनेक रोग ऐसे भी होते हैं जिनमें प्रकृति असमर्थ हो जाती है और तब चिकित्सा द्वारा सहायता की आवश्यकता होती है। सही और सटीक चिकित्सा के लिए आवश्यक है कि निदान सही हो। सही निदान का अर्थ यह है कि कष्टदायक लक्षणों का आधारभूत कारण और उसके द्वारा उत्पन्न विकृति का सही रूप समझा जाए। .

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नैनोमीटर

नैनोमीटर (प्रतीक: नैमी या nm) (यूनानी: νάνος, नैनोस, "बौना"; μέτρον, मीटरॉन, "माप की इकाई ") मीट्रिक प्रणाली में एक लंबाई की इकाई है जो एक मीटर के 10−9 के बराबर है।.

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रैंडम एक्सैस मैमोरी

राइटेबल अस्थिर यादृच्छिक अभिगम मेमोरी का उदाहरण: तुल्यकालिक गतिशील रैम (RAM) मॉड्यूल, जो शुरू में व्यक्तिगत कंप्यूटरों, कार्यस्थलों और सर्वरों में मुख्य मेमोरी के रूप प्रयुक्त होता था। यादृच्छिक-अभिगम स्मृति (याभिस्मृति) (आमतौर पर अपने आदिवर्णिक शब्द, रैम (RAM) द्वारा जानी जाती है), कंप्यूटर डाटा संग्रहण का एक रूप है। आज यह एकीकृत परिपथ का रूप धारण करती है जो संग्रहीत डाटा को किसी भी क्रम में, अर्थात् जो इच्छा हो, यादृच्छिक) अभिगमित होने की अनुमति प्रदान करता है। शब्द यादृच्छिक इस प्रकार इस तथ्य को संदर्भित करता है कि डाटा का कोई भी हिस्सा अपनी भौतिक स्थिति और चाहे यह डाटा के पिछले हिस्से से संबंधित हो या न हो, इन सबकी परवाह किए बगैर निर्धारित समय में वापस आ सकता है। यह सिस्टम बस के साथ की आवृति पर काम करती है तो SDRAM कहलाती है जो आजकल कम्पयूटरों में सबसे अधिक प्रयुक्त होती है। इसकी इसके विपरीत, भंडारण उपकरण जैसे चुंबकीय डिस्क और प्रकाशीय डिस्क, रिकॉर्डिंग माध्यम या पठनीय सिरे की भौतिक गति पर निर्भर करते हैं। इन उपकरणों में, गति में डाटा स्थानांतरण से अधिक समय लगता है और अगली विषय-वस्तु की भौतिक स्थिति के आधार पर पुनर्प्राप्ति समय बदलता रहता है। शब्द रैम (RAM) अक्सर अस्थिर या वोलाटाइल प्रकार की मेमोरी (जैसे डीरैम (DRAM) मेमोरी मॉड्यूल) से संबंधित होता है जहां बिजली का संचालन बंद हो जाने पर सूचना खो जाती है। अधिकतर रोम (ROM) और नोर-फ़्लैश (NOR-Flash) कहे जाने वाले एक प्रकार के फ़्लैश मेमोरी सहित कई अन्य प्रकार की मेमोरी रैम (RAM) भी है। RAM दो प्रकार की होती है। static RAM aur daynemic RAM होती है। .

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शल्यचिकित्सा

अति प्राचीन काल से ही चिकित्सा के दो प्रमुख विभाग चले आ रहे हैं - कायचिकित्सा (Medicine) एवं शल्यचिकित्सा (Surgery)। इस आधार पर चिकित्सकों में भी दो परंपराएँ चलती हैं। एक कायचिकित्सक (Physician) और दूसरा शल्यचिकित्सक (Surgeon)। यद्यपि दोनों में ही औषधो पचार का न्यूनाधिक सामान्यरूपेण महत्व होने पर भी शल्यचिकित्सा में चिकित्सक के हस्तकौशल का महत्व प्रमुख होता है, जबकि कायचिकित्सा का प्रमुख स्वरूप औषधोपचार ही होता है। .

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जर्मनी

कोई विवरण नहीं।

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वायु

वायु पंचमहाभूतों मे एक हैं| अन्य है पृथिवी, जल, अग्नि व आकाश वायु वस्तुत: गैसो का मिश्रण है, जिसमे अनेक प्रकार की गैस जैसे जारक, प्रांगार द्विजारेय, नाट्रोजन, उदजन ईत्यादि शामिल है।.

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विद्युतचुंबकीय विकिरण

विद्युतचुंबकीय तरंगों का दृष्यात्मक निरूपण विद्युत चुंबकीय विकिरण शून्य (स्पेस) एवं अन्य माध्यमों से स्वयं-प्रसारित तरंग होती है। इसे प्रकाश भी कहा जाता है किन्तु वास्तव में प्रकाश, विद्युतचुंबकीय विकिरण का एक छोटा सा भाग है। दृष्य प्रकाश, एक्स-किरण, गामा-किरण, रेडियो तरंगे आदि सभी विद्युतचुंबकीय तरंगे हैं। .

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आधुनिक भौतिकी

19वीं शताब्दी में भौतिकविज्ञानी यह विश्वास करते थे कि नवीन महत्वपूर्ण आविष्कारों का युग प्राय: समाप्त हो चुका है और सैद्धांतिक रूप से उनका ज्ञान पूर्णता की सीमा पर पहुँच गया है किंतु नवीन परमाणवीय घटनाओं की व्याख्या करने के लिये पुराने सिद्धांतों का उपयोग किया गया, तब इस धारणा को बड़ा धक्का लगा और आशा के विपरीत फलों की प्राप्ति हुई। जब मैक्स प्लांक ने तप्त कृष्ण पिंडों के विकिरण की प्रवृति की व्याख्या चिरसम्मत भौतिकी के आधार पर करनी चाही, तब वे सफल नही हुए। इस गुत्थी को सुलझाने के लिये उनको यह कल्पना करनी पड़ी कि द्रव्यकण प्रकाश-ऊर्जा का उत्सर्जन एवं अवशोषण अविभाज्य इकाइयों में करते हैं। यह इकाई क्वांटम कहलाती है। चिरसम्मत भौतिकी की एक अन्य विफलता प्रकाश-वैद्युत प्रभाव की व्याख्या करते समय सामने आई। इस प्रभाव में प्रकाश के कारण धातुओं से इलेक्ट्रानों का उत्सर्जन होता है। इसकी व्याख्या करने के लिये आईंस्टाइन ने प्लांक की कल्पना का सहारा लिया और यह प्रतिपादित किया कि प्रकाश ऊर्जा कणिकाओं के रूप में संचरित होती है। इन कणिकाओं को फोटॉन कहा जाता है। यदि प्रकाश तरंग की आवृति v हो तो उससे संबद्ध फोटॉन की ऊर्जा E.

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आयन

आयन (ion) ऐसे परमाणु या अणु है जिसमें इलेक्ट्रानों और प्रोटोनों की संख्या असामान होती है। इस से आयन में विद्युत आवेश (चार्ज) होता है। अगर इलेक्ट्रॉन की तादाद प्रोटोन से अधिक हो तो आयन में ऋणात्मक (नेगेटिव) आवेश होता है और उसे ऋणायन (anion, ऐनायन) भी कहते हैं। इसके विपरीत अगर इलेक्ट्रॉन की तादाद प्रोटोन से कम हो तो आयन में धनात्मक (पोज़िटिव) आवेश होता है और उसे धनायन (cation, कैटायन) भी कहते हैं। .

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आयनकारी विकिरण

आयनकारी विकिरण के खतरे का नया प्रतीक आयनकारी विकिरण (Ionizing radiation) उन कणों या विद्युतचुम्बकीय तरंगों को कहते हैं जिनमें इतनी उर्जा होती है कि वे जिन परमाणुओं या अणुओं से टकराते हैं उनसे एलेक्ट्रॉन निकालकर उन्हें आयनित कर देते हैं। इस प्रकार मुक्त रेडिकल (free radicals) बनते हैं जो रासायनिक क्रिया की दृष्टि से विशेष रूप से दक्ष होते हैं। इनका स्वास्थ्य पर अत्यन्त भयानक प्रभाव हो सकता है। कुछ स्थितियों में ये लाभकारी भी होते हैं। goddag/farvel xD .

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आयुर्विज्ञान

आधुनिक गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।आयुर्विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है, जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका निदान करने तथा आयु बढ़ाने से है। भारत आयुर्विज्ञान का जन्मदाता है। अपने प्रारम्भिक समय में आयुर्विज्ञान का अध्ययन जीव विज्ञान की एक शाखा के समान ही किया गया था। बाद में 'शरीर रचना' तथा 'शरीर क्रिया विज्ञान' आदि को इसका आधार बनाया गया। .

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क्रिस्टल

क्रिस्टलीय, बहुक्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय पदार्थों की सूक्ष्म संरचना स्फटिक, इस बहुमणिभीय खनिज की पर्तें स्पष्ट पारदर्शी होतीं हैं बिस्मथ का क्रिस्टल इन्सुलिन का क्रिस्टल गैलियम, जिसकी वृहत एकपर्त होती हैं रसायन शास्त्र, खनिज शास्त्र एवं पदार्थ विज्ञान में क्रिस्टल उन ठोसों को कहते हैं जिनके अणु, परमाणु या आयन, एक व्यवस्थित क्रम में लगे होते हैं तथा यही क्रम सभी तरफ दोहराया जाता है। प्रतिदिन के प्रयोग के अधिकतर पदार्थ बहुक्रिस्टलीय (पॉलीक्रिटलाइन) होते हैं। क्रिस्टलों तथा क्रिस्टल निर्माण के वैज्ञानिक अध्ययन को क्रिस्टलकी (crystallography) कहते हैं। क्रिस्टल बनने की प्रक्रिया को क्रिस्टलन या क्रिस्टलीकरण (crystallization या solidification) कहते हैं। .

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क्ष-किरण

एक्स-रे विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम का हिस्सा हैं। क्ष-विकिरण (एक्स-रे से निर्मित) विद्युत चुम्बकीय विकिरण का एक रूप है। एक्स-रे का तरंग दैर्घ्य 0.01 से 10 नैनोमीटर तक होता है, जिसकी आवृत्ति 30 पेटाहर्ट्ज़ से 30 एग्ज़ाहर्ट्ज़ (3 × 1016 हर्ट्ज़ से 3 × 1019 हर्ट्ज़ (Hz)) और ऊर्जा 120 इलेक्ट्रो वोल्ट से 120 किलो इलेक्ट्रो वोल्ट तक होती है। एक्स-रे का तरंग दैर्ध्य, पराबैंगनी किरणों से छोटा और गामा किरणों से लम्बा होता है। कई भाषाओं में, एक्स-विकिरण को विल्हेम कॉनराड रॉन्टगन के नाम पर रॉन्टगन विकिरण कहा जाता है, जिन्हें आम तौर पर इसके आविष्कारक होने का श्रेय दिया जाता है और जिन्होंने एक अज्ञात प्रकार के विकिरण को सूचित करने के लिए इसे एक्स-रे नाम दिया था।नॉवेलाइन, रॉबर्ट.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ऍक्स प्रकाश, ऍक्स किरणों, एक्स रे, एक्स किरण, एक्स किरणें, एक्सरे

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