एकजुट नादिरा बब्बर द्वारा संचालित नाट्य संस्था है। सन १९७१ में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से पास होकर निकली, स्वर्ण पदक प्राप्त नादिरा ने १९८० में मुंबई में अपना थिएटर ग्रुप एकजुट तैयार किया। वे कहती हैं, एकजुट हुए बिना रंगमंच को निभाना आसान नहीं है इसलिए मैंने अपने ग्रुप का नाम एकजुट रखा। यहूदी की लड़की से अपना सफर शुरू करने वाली एकजुट थिएटर ग्रुप की संस्थापक नादिरा अभी तक संध्या छाया, लुक बैक इन एंगर, बल्लभपुर की रूपकथा, बात लात की हालात की, भ्रम के भूत और बेगम जान सहित कितने ही नाटकों का मंचन कर चुकी हैं। इसके अलावा दयाशंकर की डायरी, शक्कुबाई, सुमन और साना, जी जैसी आपकी मर्जी सहित कितने ही नाटक उन्होंने खुद लिखे हैं। एकजुट के अंतर्गत ७०-८० नाटकों का मंचन कर चुकीं नादिरा के लिए रंगमंच सबसे अजीज दोस्त है। वे मानती हैं कि एक रंगकर्मी के लिए जरूरी है कि वह ऐसे नाटकों का मंचन करे जिससे दर्शकों का मनोरंजन हो। साथ ही घर जाकर उन्हें कुछ सोचने को भी मिले। .
3 संबंधों: नादिरा बब्बर, २००८, २५ दिसम्बर।
thumb नादिरा जहीर बब्बर हिन्दी फ़िल्म व नाटकों में अभिनय के लिए जानी जाती हैं। उनकी अपनी एक नाट्य संस्था है जिसका नाम एकजुट है। वे हिन्दी फिल्मों के अभिनेता व राजनेता राज बब्बर की पत्नी हैं। राज से उनका एक पुत्र आर्य व पुत्री जूही हैं। नादिरा को २००१ में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है। हाल ही में उन्होंने गुरिंदर चड्ढ़ा की फ़िल्म ब्राइड एंड प्रिजुडिस में एश्वर्य राय की माँ की भूमिका अदा की थी। श्रेणी:भारतीय रंगकर्मी श्रेणी:भारतीय अभिनेत्री.
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२००८ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .
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२५ दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३५९वाँ (लीप वर्ष में ३६०वाँ) दिन है। वर्ष में अभी और ६ दिन बाकी है। .
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