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ऊष्मायन

सूची ऊष्मायन

ऊष्मायन (incubation) कुछ अण्डज (अण्डा देने वाले) प्राणियों की उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें वह अपने अण्डों को किसी विषेश तापमान पर रखते हैं ताकि उनके अंदर शिशु अनुकूल तापमान में जीवित रहें और पनप सकें। अक्सर इसमें जानवर या पक्षी अपने अण्डों पर बैठकर उन्हें गरम रखते हैं। .

6 संबंधों: ऊष्मायित्र, तापमान, पक्षी, प्राणी, अण्डा, अण्डजता

ऊष्मायित्र

ऊष्मायित्र या डिंबौपक (Incubator) एक प्रकार का उपकरण है, जिसके द्वारा कृत्रिम विधि से अंडों को सेआ जाता है और उनसे बच्चे उत्पन्न कराए जाते हैं। इस उपकरण का उपयोग रोगविज्ञान तथा जीवाणुविज्ञान में अथवा कृत्रिम धात्री (foster-mother) के लिये भी किया जाता है। जीवविज्ञान एवं आयुर्विज्ञान में.

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तापमान

आदर्श गैस के तापमान का सैद्धान्तिक आधार अणुगति सिद्धान्त से मिलता है। तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है। अर्थात्, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म। उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है। एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था। गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है। तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है। .

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पक्षी

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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अण्डा

विभिन्न पक्षियों के अण्डे मुर्गी का अंडा (बायें) तथा बटेर का अण्डा (दायें) अण्डा गोल या अण्डाकार जीवित वस्तु है जो बहुत से प्राणियों के मादा द्वारा पैदा की जाती है। अधिकांश जानवरों के अंडों के ऊपर एक कठोर आवरण होता है जो अण्डे की सुरक्षा करता है। यद्यपि अण्डा जीवधारियों द्वारा अपनी संताने पैदा करने का मार्ग है, किन्तु अण्डा खाने के काम भी आता है। पोषक तत्वों की दृष्टि से इसमें प्रोटीन एवं चोलाइन भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। .

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अण्डजता

अण्डज वो जीव होते हैं जो अंडे देते हैं और जिनके भ्रूण का विकास माता के गर्भ में नहीं होता, सिर्फ कुछ अपवादों में ही इनके भ्रूण का विकास माता के शरीर् में आंशिक रूप से होता या है। प्रजनन का यह तरीका अधिकतर मछलियों, उभयचरों, सरीसृपों, सभी पक्षियों, मोनोट्रीम, अधिकतर कीटों और लूताभों में सबसे सामान्य है। अंडे देने वाले स्थलचर, जैसे सरीसृप और कीट जिनके अंडे एक कवच द्वारा सुरक्षित रहते हैं, आंतरिक निषेचन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अंडे देते हैं, जबकि जलचरों, जैसे कि मछलियों और उभयचरों में अंडे निषेचन प्रक्रिया से पहले दिए जाते हैं और ताजे दिए अंडों के ऊपर नर अपने शुक्राणु छिड़क देता है और यह प्रक्रिया बाह्य निषेचन कहलाती है। लगभग सभी गैर अण्डज मछलियां, उभयचर और सरीसृप अण्डजरायुज होते हैं, अर्थात् अंडे माँ के शरीर के अंदर ही फूटते हैं (समुद्री घोड़े के मामले में पिता के अंदर)। अण्डजता का वास्तविक विलोम आंवल जरायुजता है जो लगभग सभी स्तनधारियों में पाई जाती है (धानी-प्राणी (मार्स्युपिअल) और मोनोट्रीम जैसे अपवादों को छोड़कर)। स्तनधारियों की सिर्फ पांच ज्ञात अण्डज प्रजातियां हैं: एकिड्ना की चार प्रजातियां और प्लैटीपस। .

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